मेरा माल आशा की चूत में

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Antarvasna, hindi sex story: मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था उस दिन मैं जब अपने दोस्त रोहन के घर गया तो मैं उसके घर पर कुछ देर तक रुका और फिर मैं वहां से वापस लौट आया। जब मैं घर वापस लौटा तो मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम क्या कल अपने काम से बाहर जा रहे हो तो मैंने मां को कहा कि हां मां मुझे कल अपने ऑफिस के काम से दिल्ली जाना पड़ेगा। मां कहने लगी कि लेकिन बेटा तुमने मुझे इस बारे में कुछ बताया नहीं मैंने मां को कहा कि मां मैंने दीदी को इस बारे में बता दिया था मुझे लगा कि दीदी ने आपको बता दिया होगा। मां मुझसे कहने लगी कि नहीं तुम्हारी दीदी ने तो मुझे अभी थोड़ी देर पहले ही बताया है, क्या तुमने अपना सामान पैक कर लिया है।

मां हमेशा ही मेरे लिए बहुत चिंतित रहती थी मैंने मां को कहा की हां मां मैं अपना सामान पैक कर लूंगा आप चिंता ना करें लेकिन उस दिन मां ने मेरी मदद की और मेरा सामान भी उन्होंने पैक कर दिया था। रात को जब हम लोग डिनर कर रहे थे तो मां मुझे कहने लगी कि बेटा तुम अपना ध्यान रखना उसके अगले ही दिन मैं सुबह फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गया था।

जब मैं दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचा तो वहां पर मैंने टैक्सी ली और मैं होटल में चला गया। मैं जिस होटल में रुका हुआ था वहां से थोड़ी दूरी पर ही मुझे मीटिंग के लिए जाना था और मैं वहां से मीटिंग के लिए चला गया। मैं जब शाम के वक्त घर लौटा तो मुझे काफी ज्यादा गहरी नींद आ रही थी और मैं सो गया। जब मेरी आंख खुली तो उस वक्त रात के 10:00 बज रहे थे मैंने सोचा कि क्यों ना मां को मैं फोन कर दूं।

मैंने मां को फोन किया और कहा कि मां मैं दिल्ली पहुंच गया था तो मां मुझे कहने लगी कि तुमने सुबह फोन क्यों नहीं किया। मैंने मां को सारी बात बताई और कहा कि आप चिंता ना करें मैं दिल्ली पहुंच गया हूं आप अपना ध्यान रखिए। पापा कुछ समय पहले ही अहमदाबाद चले गए थे पापा का ट्रांसफर अहमदाबाद हो गया था इसलिए वह अकेले ही वहां पर रहते हैं। उस रात मैंने पापा से भी थोड़ी देर तक बात की और मुझे पापा से बात कर के भी अच्छा लगा।

उसके कुछ दिन बाद मैं अपने घर लखनऊ लौट गया। लखनऊ लौटने पर एक दिन मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम मेरे साथ तुम्हारे मामा जी के घर चलोगे तो मैंने मां को कहा कि हां क्यों नहीं वैसे भी अगले दिन मेरी छुट्टी थी इसलिए हम लोग मामा जी के घर पर चले गए। मैं मम्मी और दीदी उस दिन मामा जी के घर पर ही रुके काफी समय हो गया था इस वजह से हम लोग वहां पर ही रुक गए। मेरी भी अगले दिन छुट्टी थी और हम लोग मामा जी से भी नही मिले थे तो मैंने सोचा कि क्यों ना हम लोग मामा जी से भी इस बहाने मुलाकात कर ले।

मामा जी सब लोगों की बातचीत हो रही थी मैं मामाजी के साथ में काफी रहा करता था जिस वजह से मामा जी मुझे बहुत ही पसंद करते हैं लेकिन अब अपनी जॉब के सिलसिले में मैं बिजी हो गया हूं इस वजह से उनके घर पर मुझे जाने का मौका नहीं मिल पाता है। उस दिन जब मैं मामा जी से मिला तो मामा जी बड़े ही खुश थे और उन्होंने मुझे कहा कि रोहन बेटा तुम अब घर पर भी नहीं आते हो। मैंने मामा जी से कहा कि हां मामा जी आपको तो मालूम ही है कि मैं ऑफिस के काम में कितना बिजी रहता हूं इसलिए मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता है।

मामा जी और मैं एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन रात काफी ज्यादा हो चुकी थी तो मामा जी ने कहा कि तुम लोग अब सो जाओ। मामी ने भी यही कहा और उसके बाद हम लोग सो गए। अगले दिन हम सुबह जल्दी ही उठ गए थे मैंने मां से कहा कि मां हम लोगों को अब चलना चाहिए अगले दिन सुबह हम लोग घर चले आए थे। जब हम लोग घर लौटे तो उसके बाद मैं अपने दोस्तों से मिलना चाहता था क्योकि उस दिन मेरी छुट्टी थी।

घर लौटने के बाद मैंने अपने कुछ दोस्तों को फोन किया लेकिन मैं उस दिन किसी को मिल नहीं पाया सब लोग अपने किसी ना किसी काम में बिजी थे इसलिए मेरी मुलाकात किसी से भी नहीं हो पाई थी। उस दिन मेरी मुलाकात आशा से हुई जब मैं आशा को मिला तो आशा से मिलकर मुझे अच्छा लगा। आशा हमारी कॉलोनी में ही रहती है और वह मेरे साथ कॉलेज में पढ़ा करती थी लेकिन हम दोनों की बातें इतनी ज्यादा नहीं हो पाती थी इसलिए मैं भी आशा से कम ही बातें करता हूं। उस दिन आशा से बात करके मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और हम दोनों ने एक दूसरे से काफी देर तक बातें की।

मुझे काफी ज्यादा खुशी थी कि आशा के साथ मै बात कर पाया मैंने आशा को कहा कि मैं तुमसे अगले हफ्ते मुलाकात करूंगा तो आशा कहने लगी कि ठीक है हम लोग अगले हफ्ते मिलते हैं। अब मैं घर चला आया था क्योंकि मैं अपने ऑफिस के काम में बिजी था इसलिए मैं आशा से नहीं मिल पा रहा था। काफी दिन हो गए थे मैं आशा से मिला नहीं था परंतु जिस दिन मेरी छुट्टी थी उस दिन मैंने आशा से मिलने का फैसला किया और हम दोनों उस दिन एक दूसरे को मिले तो हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगा।

जब मैं आशा से मुलाकात कर रहा था तो मैं काफी ज्यादा खुश था और आशा भी बहुत ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हम दोनों ने एक दूसरे के साथ में टाइम स्पेंड किया। मैंने कभी सोचा नहीं था कि आशा के लिए मैं इतना सीरियस होने लगूंगा और उसे मैं प्यार करने लगूंगा। हालांकि मेरे दिल में आशा को लेकर पहले ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन उसे मिलने के बाद मैं काफी ज्यादा सीरियस होने लगा था। मुझे बहुत अच्छा लगने लगता जब भी मैं आशा के साथ में होता और उसके साथ समय बिताया करता। आशा और मैं एक दूसरे के साथ में बड़े अच्छे से समय बिताया करते।

आशा कभी-कभार मुझसे मिलने के लिए घर पर भी आ जाया करती थी। जब भी वह घर पर आती तो मुझे अच्छा लगता लेकिन हम दोनों को कभी अकेले में मौका नहीं मिल पाया था और ना ही मैंने अभी तक आशा से अपने दिल की बात कही थी परंतु मैं चाहता था मैं आशा से अपने दिल की बात कह डालू। जल्द ही मैंने इस बारे में सोच लिया था मुझे अब आशा को अपने दिल की बात कहनी थी। मैंने आशा को अपने दिल की बात कह डाली तो आशा भी कहां मानने वाली थी उसने भी मेरे प्यार को स्वीकार कर लिया।

हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चलने लगा था उसके बाद मैं और आशा एक दूसरे के लिए तड़पने लगे थे। हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत ही अच्छा लगता जब भी आशा और मै एक दूसरे के साथ होते तो हम दोनों को ही खुशी होती। एक दिन आशा और मैं साथ में थे। उस दिन घर पर कोई भी नहीं था मैं और आशा एक दूसरे से बात कर रहे थे लेकिन जब मैंने आशा के बदन को महसूस करना शुरू कर दिया तो वह भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। वह मेरी बाहों में आने के लिए तड़पने लगी थी वह मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा तड़प रही हूं।

मैंने आशा को कहा मुझे भी तो बहुत ही अच्छा लग रहा है आशा और मैं एक दूसरे के लिए बहुत अधिक तड़पने लगे थे लेकिन जैसे ही मैंने आशा के होंठों को चूमना शुरू किया तो आशा को मजा आने लगा और मुझे भी बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था। मैं आशा की गर्मी को बढ़ाए जा रहा था और आशा मेरी गर्मी को बढ़ा रही थी। मैंने आशा के स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था। आशा के स्तनों को दबाकर मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था और आशा को भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों पूरी तरीके से गरम हो गए और मैंने आशा के कपड़ों को उतार दिया।

मैंने जब आशा के कपड़ों को उतारा तो उसके स्तन मेरे सामने थे और मैंने उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था। मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था और उसकी गर्मी को मैं बढाए जा रहा था। उसके अंदर की गर्मी बाहर की तरफ को निकलने लगी थी जब मैंने उसकी पैंटी को नीचे करते हुए उसकी चूत पर लगाया तो मुझे साफ तौर पर समझ आ गया था आशा बिल्कुल भी रह नहीं पा रही है और उसकी गर्मी बढ़ती जा रही थी वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी।

मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसकी चूत में मेरा लंड जाते ही वह बहुत जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी मेरी सील टूट चुकी है। मैंने जब उसकी योनि की तरफ देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था और वह बहुत ही ज्यादा गरम हो गई थी। उसकी गर्मी इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी ना तो मैं रह पा रहा था ना ही आशा रह पा रही थी।

मैं उसे बड़ी ही तेजी से धक्के मारे जा रहा था आशा की गर्मी बढ़ती जा रही थी। वह मुझे कहती मुझे बस ऐसे ही चोदते रहो। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के दे रहा था वह बहुत ही चिल्ला रही थी। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है जिस तरीके से तुम मेरी चूत के मजे ले रहे हो।

मैंने आशा को कहा मेरा माल तुम्हारी चूत में गिरने वाला है। आशा ने कहा कोई बात नहीं तुम अपने माल को मेरी चूत में गिरा दो। मेरा माल आशा की चूत के अंदर जा चुका था जैसे ही मेरा माल आशा की योनि के अंदर गया तो मैं खुश हो गया। आशा भी खुश हो गई थी। हम दोनो ने एक दूसरे के साथ में सेक्स संबंध बनाए उससे हम दोनों बड़े खुश थे और आशा भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।

उसके बाद भी हम दोनों एक दूसरे के साथ में शारीरिक संबंध बनाते रहते और जब भी हम दोनों को मौका मिलता तो हम दोनों जमकर सेक्स का मजा लिया करते। मुझे तो आशा की चूत मारने में हमेशा ही मजा आता है क्योंकि उसकी चूत आज भी उतनी ही टाइट है जितने की पहली थी।
 
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