लोकल ट्रेन ने बदल दी किस्मत - [भाग 1]

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Nilima ke boobs aur jaangh ka hot touch - Hindi sex kahani

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अजय हैं और मैं मुंबई में विले पार्ले का रहनेवाला हूँ. मेरी एज ३० साल हैं और मैं एक शादीसुदा आदमी हूँ. मेरे लंड की लम्बाई ७ इंच और उसकी चौड़ाई ढाई इंच हैं. मैं वैसे एक सीधासादा बन्दा हूँ लेकिन लास्ट १२ जुलाई में एक घटना ऐसी हुई जिसने मेरी जिन्दगी के पन्नो पर मेरे चरित्र का दूसरा ही चित्रण कर दिया.

बारिश के सीजन में लोकल ट्रेन का अनुभव

दोस्तों मैं लोकल ट्रेन में ही जॉब पर आता जाता हूँ. सुबह १०:१५ की लोकल से मैं अँधेरी जाता हूँ और शाम को ५:३० वाली ट्रेन में मेरी वापसी होती हैं. दोस्तों ट्रेन में बहुत सब लोग रेग्युलर एक ही समय की ट्रेन में आते जाते हैं. ऐसी ही एक लड़की थी जो मेरे समय पर ही ट्रेन में चढती थी. उसका नाम नीलिमा पटेल हैं और वो भी अँधेरी में जॉब करती हैं. अक्सर हम लोग एक दुसरे की जगह रोकते थे और उस से हलकी हलकी सी जान पहचान सी थी. नीलिमा के बारे में कुछ ज्यादा बताता हूँ. वो एक २९ साल की औरत हैं जिसका पिछले साल ही डिवोर्स हुआ था. वो लम्बे कद की, गुलाबी होंठो वाली लड़की हैं. वो दिखने में बिपाशा बासु के जैसी ही लगती हैं, सिर्फ रंग थोडा साफ़ हैं नीलिमा का. उसके बूब्स भी एकदम कडक हैं और जब वो शर्ट पहनती हैं तो बहुत ही हॉट लगती हैं. लेकिन अपनी नजर उसके ऊपर कभी गन्दी नहीं हुई थी आजतक.

उस दिन मेरी वाइफ दो दिन के लिए मइके गयी थी. जुलाई महिना था इसलिए बारिश का जोर था. और मुम्बई की बारिश तो आप लोगो को पता ही हैं. उस दिन सुबह स्टेशन तक पहुँचते हुए ही मैं आधा भीगा सा था. छाते की साइड से पानी की बूंदों ने मेरा आधा ट्राउजर भीग गया था. मैं जब स्टेशन पर गया तो देखा की नीलिमा भी वहां भीगी सी खड़ी थी. मुझे देख के उसने स्माइल दी और मैंने उसके स्माइल का जवाब स्माइल दे दिया. फिर मैं उसके पास जा के खड़ा हो गया.

मैं: बहुत ख़राब बारिश हैं.

नीलिमा: हां, मुंबई की बारिश तो आप को पता ही हैं.

तभी दूर से लोकल आती दिखी. आज रोज के मुकाबले कम ही भीड़ थी. हम दोनों को पास पास ही जगह मिल गई. नीलिमा को मेरी गीली ट्राउजर से हैरानी न हो इसलिए मैं अपना पैर थोडा दूर रख के बैठा हुआ था. लेकिन जैसे जैसे ट्रेन आगे बढती गई मैंने महसूस किया की हम दोनों की जांघे एक दुसरे से टच हो रही थी. मैंने पैर को थोडा हटाया, लेकिन फिर एक मिनिट में उसकी कोमल जांघे मेरे से टच हो रही थी. बारिश के बादलो की वजह से आज थोडा अँधेरा सा भी था ट्रेन के अन्दर. नीलिमा ने अपने हेंडबेग को अपनी जांघो के ऊपर रख दिया और फिर वो मेरी तरफ देख के हलके से स्माइल दे बैठी. बाप रे, मेरे बदन में एक चुदासी लहर सी दौड़ उठी. मैंने आजतक नीलिमा को इस नजर से नहीं देखा था लेकिन पिछले २-३ मिनिट की मस्ती ने मेरे दिल में इस औरत की इमेज को एक वर्किंग लेडी से एक चुदासी भाभी के रूप में बदल दिया था.

मैंने पहले तो अपने दिल को टटोलने की कोशिश की की कही यह मेरा भ्रम तो नहीं हैं, शायद उसकी जांघे ऐसे ही टच हो रही थी मुझे. लेकिन तभी मेरे दिमाग के ब्लेक एरिया ने कहा की अरे अगर ऐसे ही टच हो रही होती तो वो हटा नहीं लेती अपनेआप उसे. देख ये भाभी सामने से मजे देना चाहती हैं तुझे, तू उसकी चुदाई के मजे ले ले.

मैंने हिम्मत कर के अपने हाथ को थोडा ऊपर किया और फिर इधर उधर देख के उसे धीरे से नीलिमा के बेग के पास रख दिया. और फिर मैंने अपना बेग भी उठा के नीलिमा के बेग से सटा के रख दिया. नीलिमा की जांघ पर पहले मैंने धीरे से अपनी कोनी को टच किया. वो तो जैसे कुछ हुआ ही न हो वैसे मेरे साथ बातें कर रही थी. इस से मेरी हिम्मत बढती चली गई. अब मैंने अपने हाथ को बेग के पीछे ही आगे किया और उसकी जांघ पर रख दिया. नीलिमा ने चकोर नजर से इधर उधर देखा और मैं जान गया की वो यह देख रही हैं की कहीं हमें कोई देख ह तो नहीं रहा. कोई नहीं देख रहा था, सब अपनी अपनी उलझनों में पड़े हुए थे. और वैसे भी कम ही बस्ती थी आज ट्रेन के इस डिब्बे में, वरना कभी कभी तो ऐसी हालत होती हैं की अपने लंड पर खुजली हो तो तुम किसी और का बाबुराव खुजा दो.

नीलिमा के बूब्स और जांघ का स्पर्श किया

नीलिमा की जांघे एकदम मुलायम थी, उसकी कोटन जींस के ऊपर से टच करने पर. अब मैंने हौले से हाथ को जांघ पार घिसा, वो कुछ नहीं कह रही थी न ही मेरे हाथ को हटवाने की उसकी मर्जी लग रही थी. फिर मैंने हाथ को और आगे किया और उसकी चूत पर दस्तक दे आया. अब उसने थोडा घबरा के मेरे हाथ को हटा दिया. मैं समझ गया की इस डिब्बे में चूत टच करना बहुत बड़ा दुसाहस था. लेकिन मैंने अपने हाथ को डायवर्सन दिया और उसके बूब्स को टच कर लिया. मेरे हाथ में उसके कडक निपल्स टच हुए और इन बूब्स में उठी हुई बेताबी को वो आधे इंच की चमड़ी ने बयां कर दिया. नीलिमा के निपल्स एकदम कडक थे. वो उत्तेजित हुई थी और इधर मेरा लंड भी टाईट हो गया था. मैंने बूब्स को ऊपर ऊपर से ही टच करना चालू रखा.

नीलिमा ने दो तिन बात मेरी तरफ देखा और फिर मैना महसूस किया की वो भी अपनी उंगलियों को मेरी जांघ से टच करवा रही थी. और कुछ देर में वो मेरे लंड के डदण्ड को टच कर के वापस अपनी उंगलिया हटा ले गई. मेरे लंड को टच कर के शायद उसने सिर्फ लम्बाई का अंदाजा लिया था. और जब मैंने उसकी तरफ देखा तो लंड की लम्बाई सेउसे सुकून मिला था, और वो चहरे पर से बड़ी खुश लग रही थी.

इधर मैं उसके बूब्स अभी भी टच कर ही रहा था. ज़िन्दगी में पहली बार अँधेरी इतनी जल्दी आ गया था. हमने अपने अपने बेग हटा लिये और नीलिमा खड़ी हुई. लेकिन मैं उतनी जल्दी खड़ा नहीं हो पाया. मेरा वीर्य पेंट में ही निकल चूका था जिसे छिपाने के लिए मैंने अपनी बेग को आगे बाँधा और फिर खड़ा हो के निकल पड़ा. नीलिमा ने मेरी वेट नहीं की और वो चल पड़ी कुछ और रेग्युलर कम्युटर्स के साथ में, शायद वो नहीं चाहती थी की हम दोनों पर कोई शक करे! (कहानी का दूसरा भाग पढने के लिए यहाँ क्लिक करे)
 
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