अब तक आपने पढ़ा..
मेरी चचेरी भाभी की चूत देखने के चक्कर में मुझे पहले तो उन्होंने डांटा फिर उनकी खुद की चूत दिखाने की इच्छा जागृत हो गई।
अब आगे..
पेंटी में बन्द चूत
मैं उनके अन्दर की गुलाबी मस्त पेंटी जो कि उनकी चूत में उतरी हुई थी.. उसे देख कर दंग रह गया। उनकी पेंटी ऊपर से थोड़ी भीगी हुई थी.. शायद उनकी चूत का मूत लगा हुआ था।
वो अपनी पेंटी उतार ही रही थीं कि मैंने बोला- भाभी थोड़ी देर रुक जाइए.. मुझे ऐसे ही देखना है।
इस पर वो रुक गईं और हँसने लगीं।
जैसे ही मैंने भाभी की पेंटी को छूने की कोशिश की.. वो पीछे हट गईं और बोलीं- हमारी शर्त क्या थी?
इस पर मैंने कहा- तो फिर आप खुद इसे निकाल दीजिए।
उन्होंने बड़े ही कामुक तरीके से उसे उतार फेंका।
भाभी की नंगी चूत
वो नीचे से पूरी नंगी खड़ी थीं और मैं उनकी बिना बाल की चिक चूत को देख कर खुश हो गया। वाकयी में भाभी की चूत कमाल की चूत थी.. बिल्कुल पाव रोटी की तरह उभरी हुई और एकदम साफ चूत थी।
वो खड़ी हुई अपनी कमीज ऊपर उठाए पकड़ कर खड़ी थीं.. तो मैंने थोड़ी चालाकी करते हुए उनसे कहा- इसे पकड़े रह कर आप थक जाएंगी.. इसे भी निकल दीजिए ना।
इस पर वो मेरा कान पकड़ कर बोलीं- आप बड़े ही होशियार हो.. क्या सब कुछ आज ही देखना चाहते हो?
मैंने कहा- अगर आप की मर्जी हो तो..
इस पर उन्होंने बोला- आज सिर्फ नीचे का ही लाभ मिलेगा.. बाकी फिर कभी।
अब मैं समझ गया था कि आज वो पक्का ही चुदेंगी। लेकिन मुझे बड़े ही सब्र से काम लेना था.. कहीं हाथ आई हुई बाजी बिगड़ न जाए।
दोस्तो, ऊपर वाले ने चूत भी कमाल की चीज बनाई है.. ऊपर से देखो तो कुछ भी नहीं.. और चौड़ा करो तो क्या कुछ उसमे न समां जाए।
मैंने भाभी से कहा- ऐसे तो कुछ ठीक से दिखाई ही नहीं देता है.. आप प्लीज़ सोफे पर बैठ जाएं ना।
इस पर वो जाकर सोफे पर बैठ गईं।
मगर उन्होंने अब भी टांगें नीचे लटकाई हुई थीं.. तो मैंने कहा- भाभी टांगें तो ऊपर कीजिए ना।
इस उन्होंने टांगें ऊपर करके चौड़ी कर दीं अब मेरे सामने चूत की जन्नत का नजारा खुला हुआ था.. पर मैं तो अभी और अन्दर जाना चाहता था।
थोड़ी देर मैं चूत की छटा को देखता रहा फिर मैंने कहा- भाभी इतना तो मैं पहले भी देख चुका हूँ.. कुछ और दिखाइए ना।
भाभी बोलीं- और क्या दिखाऊँ?
मैंने कहा- अपनी चूत थोड़ी चौड़ी कीजिए ताकि मैं आपकी चूत की जन्नत का रास्ता देख सकूं।
इस पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- आप जितने सीधे दिखते हो.. उससे कई ज्यादा शैतान हो देवर जी।
मैंने कहा- मैं तो संत ही था भाभी.. आपकी इस चिकनी चूत ने शैतान बना दिया।
इस पर उन्होंने कहा- देवर जी ये वो कुआं है.. जिसमें उतरने के बाद कोई वापस नहीं आता।
मैंने भाभी से कहा- जो भी हो भाभी.. मुझे इसमें उतरना है।
इस पर उन्होंने कहा- जैसी आपकी मर्जी..
अब भाभी पूरी तरह लाइन पर आ चुकी थीं। इतना कहते ही उन्होंने चूत की दोनों फांकें पकड़ कर अपनी चूत चौड़ी कर दी। मैं तो उनकी चूत की गुलाबी गली को देखता ही रह गया.. एकदम तर गुलाबी चूत और उसका छोटा सा छेद।
मेरी चचेरी भाभी की चूत देखने के चक्कर में मुझे पहले तो उन्होंने डांटा फिर उनकी खुद की चूत दिखाने की इच्छा जागृत हो गई।
अब आगे..
पेंटी में बन्द चूत
मैं उनके अन्दर की गुलाबी मस्त पेंटी जो कि उनकी चूत में उतरी हुई थी.. उसे देख कर दंग रह गया। उनकी पेंटी ऊपर से थोड़ी भीगी हुई थी.. शायद उनकी चूत का मूत लगा हुआ था।
वो अपनी पेंटी उतार ही रही थीं कि मैंने बोला- भाभी थोड़ी देर रुक जाइए.. मुझे ऐसे ही देखना है।
इस पर वो रुक गईं और हँसने लगीं।
जैसे ही मैंने भाभी की पेंटी को छूने की कोशिश की.. वो पीछे हट गईं और बोलीं- हमारी शर्त क्या थी?
इस पर मैंने कहा- तो फिर आप खुद इसे निकाल दीजिए।
उन्होंने बड़े ही कामुक तरीके से उसे उतार फेंका।
भाभी की नंगी चूत
वो नीचे से पूरी नंगी खड़ी थीं और मैं उनकी बिना बाल की चिक चूत को देख कर खुश हो गया। वाकयी में भाभी की चूत कमाल की चूत थी.. बिल्कुल पाव रोटी की तरह उभरी हुई और एकदम साफ चूत थी।
वो खड़ी हुई अपनी कमीज ऊपर उठाए पकड़ कर खड़ी थीं.. तो मैंने थोड़ी चालाकी करते हुए उनसे कहा- इसे पकड़े रह कर आप थक जाएंगी.. इसे भी निकल दीजिए ना।
इस पर वो मेरा कान पकड़ कर बोलीं- आप बड़े ही होशियार हो.. क्या सब कुछ आज ही देखना चाहते हो?
मैंने कहा- अगर आप की मर्जी हो तो..
इस पर उन्होंने बोला- आज सिर्फ नीचे का ही लाभ मिलेगा.. बाकी फिर कभी।
अब मैं समझ गया था कि आज वो पक्का ही चुदेंगी। लेकिन मुझे बड़े ही सब्र से काम लेना था.. कहीं हाथ आई हुई बाजी बिगड़ न जाए।
दोस्तो, ऊपर वाले ने चूत भी कमाल की चीज बनाई है.. ऊपर से देखो तो कुछ भी नहीं.. और चौड़ा करो तो क्या कुछ उसमे न समां जाए।
मैंने भाभी से कहा- ऐसे तो कुछ ठीक से दिखाई ही नहीं देता है.. आप प्लीज़ सोफे पर बैठ जाएं ना।
इस पर वो जाकर सोफे पर बैठ गईं।
मगर उन्होंने अब भी टांगें नीचे लटकाई हुई थीं.. तो मैंने कहा- भाभी टांगें तो ऊपर कीजिए ना।
इस उन्होंने टांगें ऊपर करके चौड़ी कर दीं अब मेरे सामने चूत की जन्नत का नजारा खुला हुआ था.. पर मैं तो अभी और अन्दर जाना चाहता था।
थोड़ी देर मैं चूत की छटा को देखता रहा फिर मैंने कहा- भाभी इतना तो मैं पहले भी देख चुका हूँ.. कुछ और दिखाइए ना।
भाभी बोलीं- और क्या दिखाऊँ?
मैंने कहा- अपनी चूत थोड़ी चौड़ी कीजिए ताकि मैं आपकी चूत की जन्नत का रास्ता देख सकूं।
इस पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- आप जितने सीधे दिखते हो.. उससे कई ज्यादा शैतान हो देवर जी।
मैंने कहा- मैं तो संत ही था भाभी.. आपकी इस चिकनी चूत ने शैतान बना दिया।
इस पर उन्होंने कहा- देवर जी ये वो कुआं है.. जिसमें उतरने के बाद कोई वापस नहीं आता।
मैंने भाभी से कहा- जो भी हो भाभी.. मुझे इसमें उतरना है।
इस पर उन्होंने कहा- जैसी आपकी मर्जी..
अब भाभी पूरी तरह लाइन पर आ चुकी थीं। इतना कहते ही उन्होंने चूत की दोनों फांकें पकड़ कर अपनी चूत चौड़ी कर दी। मैं तो उनकी चूत की गुलाबी गली को देखता ही रह गया.. एकदम तर गुलाबी चूत और उसका छोटा सा छेद।