यह कहानी मेरे सहेली के पति मुकेश की है और उसकी शादी के पहले की है लेकिन मुझे हाल ही में इसकी पूरी कहानी पता चली।
चूंकि मामला शादी के पहले का है इसलिये सहेली ने अपने पति मुकेश को माफ कर दिया है।
पड़ोसन भाभी
शादी से पहले मुकेश मुरादाबाद में नौकरी करता था। उसका घऱ चौथी मंजिल पर बना एक कमरा था। आसपास के मकान दो मंजिला थे इसलिये दूसरों के घरों में झांकने का पूरा मौका मिलता था।
हाँ, बगल का एक मकान भी चार मंजिला था जिसकी खिड़की मुकेश की छत पर खुलती थी लेकिन उसे चार मंजिला मकान में सिर्फ पति पत्नी रहते थे जो ऊपर आते ही नहीं थे।
उनके नाम नील और नेहा थे, मुकेश उन्हें भैया-भाभी बोलता था।
भाभी कसे हुए बदन की मालकिन थीं और भैया के साथ ही ऑफिस में नौकरी करतीं थीं।
फरवरी की गुनगुनी ठंड वाला रविवार था, मुकेश को ऑफिस नहीं जाना था।
उसने अपने शरीर पर तेल लगाया और खुले में छत पर लेट गया, उसके शरीर पर अंडरवियर बचा रह गया था।
अचानक उसकी निगाह सामने वाली छत पर पड़ी।
वहाँ चादर लगाकर एक कमरा बनाया गया था लेकिन हवा में चादर उड़ती थी तो भीतर का कुछ नजर आता था।
मुकेश ने छिप कर देखा तो वहाँ एक आदमी की मालिश की जा रही थी।
मालिश करने वाली उस आदमी की पत्नी लगती थी।
मालिश के दौरान ही दोनों मस्ती भी करने लगते थे।
मालिश पूरी होने के बाद महिला ने उस आदमी का अंडरवियर भी उतार दिया और उसके लंड पर मालिश करने लगी।
मालिश करते ही उस आदमी का लंड खड़ा हो गया और उसने महिला को अपने ऊपर खींच लिया।
इसके बाद दोनों ने छत पर ही सेक्स भी किया।
यह नजारा देख कर मुकेश का लंड भी हरकत करने लगा।
लेकिन यहाँ तो उसे सारा काम खुद ही करना था।
उसने हाथों में तेल लगाया और लंड की मालिश कर धूप में लेट गया।
उसका लंड कुतुबमीनार की तरह तना हुआ था।
लेटे लेटे ही उसे नींद आ गई।
अचानक मोबाइल फोन की घंटी से उसकी नींद खुली।
उसने अलसाई आंखों से ही फोन उठाया।
उधर से किसी महिला की आवाज थी, मुकेश ने पूछा- कौन है?
तो हंसती हुई आवाज में जवाब मिला- ..नेहा भाभी बोल रहीं हूँ। इसे तेल ही पिलाते हो या फिर कुछ इस्तेमाल भी करते हो?
मुकेश ने चौंक कर नेहा के घर की तरफ देखा तो सामने खिड़की खुली थी और नेहा भाभी खड़ीं थीं।
मुकेश ने जल्दी से तौलिया लपेटा और शर्माते हुए बोला- क्या भाभी.. आप तो कभी ऊपर नहीं आती हो, आज क्या हो गया?
भाभी हंसते हुए बोली- ..देख ऊपर आ गई तभी तो ये देखने को मिला। किसी से इसका पानी निकलवा लेना वरना मुश्किल हो जायेगी।इसके बाद उन्होंने हंसते हुए खिड़की बंद कर ली।
अब मुकेश को जब भी नेहा भाभी मिलतीं थो तो मुस्कराने लगती थीं और मुकेश शर्मा कर उनके सामने से चला जाता था।
अगले रविवार को जब मुकेश छत पर लेटने जा रहा था तो उसे लगा कि जैसे नेहा भाभी के जीने से कोई ऊपर आ रहा है।
वो तुरंत अपने बाथरूम में चला गया।
उसके बाथरूम से नेहा भाभी की खिड़की साफ दिखती थी।
थोड़ी देर में नेहा भाभी ने खिड़की खोली और बोली- देखो, यहाँ कोई नहीं है।
इसके बाद नील भैया भी आये, कहने लगे- लगता है मुकेश कहीं चला गया है।
चूंकि मामला शादी के पहले का है इसलिये सहेली ने अपने पति मुकेश को माफ कर दिया है।
पड़ोसन भाभी
शादी से पहले मुकेश मुरादाबाद में नौकरी करता था। उसका घऱ चौथी मंजिल पर बना एक कमरा था। आसपास के मकान दो मंजिला थे इसलिये दूसरों के घरों में झांकने का पूरा मौका मिलता था।
हाँ, बगल का एक मकान भी चार मंजिला था जिसकी खिड़की मुकेश की छत पर खुलती थी लेकिन उसे चार मंजिला मकान में सिर्फ पति पत्नी रहते थे जो ऊपर आते ही नहीं थे।
उनके नाम नील और नेहा थे, मुकेश उन्हें भैया-भाभी बोलता था।
भाभी कसे हुए बदन की मालकिन थीं और भैया के साथ ही ऑफिस में नौकरी करतीं थीं।
फरवरी की गुनगुनी ठंड वाला रविवार था, मुकेश को ऑफिस नहीं जाना था।
उसने अपने शरीर पर तेल लगाया और खुले में छत पर लेट गया, उसके शरीर पर अंडरवियर बचा रह गया था।
अचानक उसकी निगाह सामने वाली छत पर पड़ी।
वहाँ चादर लगाकर एक कमरा बनाया गया था लेकिन हवा में चादर उड़ती थी तो भीतर का कुछ नजर आता था।
मुकेश ने छिप कर देखा तो वहाँ एक आदमी की मालिश की जा रही थी।
मालिश करने वाली उस आदमी की पत्नी लगती थी।
मालिश के दौरान ही दोनों मस्ती भी करने लगते थे।
मालिश पूरी होने के बाद महिला ने उस आदमी का अंडरवियर भी उतार दिया और उसके लंड पर मालिश करने लगी।
मालिश करते ही उस आदमी का लंड खड़ा हो गया और उसने महिला को अपने ऊपर खींच लिया।
इसके बाद दोनों ने छत पर ही सेक्स भी किया।
यह नजारा देख कर मुकेश का लंड भी हरकत करने लगा।
लेकिन यहाँ तो उसे सारा काम खुद ही करना था।
उसने हाथों में तेल लगाया और लंड की मालिश कर धूप में लेट गया।
उसका लंड कुतुबमीनार की तरह तना हुआ था।
लेटे लेटे ही उसे नींद आ गई।
अचानक मोबाइल फोन की घंटी से उसकी नींद खुली।
उसने अलसाई आंखों से ही फोन उठाया।
उधर से किसी महिला की आवाज थी, मुकेश ने पूछा- कौन है?
तो हंसती हुई आवाज में जवाब मिला- ..नेहा भाभी बोल रहीं हूँ। इसे तेल ही पिलाते हो या फिर कुछ इस्तेमाल भी करते हो?
मुकेश ने चौंक कर नेहा के घर की तरफ देखा तो सामने खिड़की खुली थी और नेहा भाभी खड़ीं थीं।
मुकेश ने जल्दी से तौलिया लपेटा और शर्माते हुए बोला- क्या भाभी.. आप तो कभी ऊपर नहीं आती हो, आज क्या हो गया?
भाभी हंसते हुए बोली- ..देख ऊपर आ गई तभी तो ये देखने को मिला। किसी से इसका पानी निकलवा लेना वरना मुश्किल हो जायेगी।इसके बाद उन्होंने हंसते हुए खिड़की बंद कर ली।
अब मुकेश को जब भी नेहा भाभी मिलतीं थो तो मुस्कराने लगती थीं और मुकेश शर्मा कर उनके सामने से चला जाता था।
अगले रविवार को जब मुकेश छत पर लेटने जा रहा था तो उसे लगा कि जैसे नेहा भाभी के जीने से कोई ऊपर आ रहा है।
वो तुरंत अपने बाथरूम में चला गया।
उसके बाथरूम से नेहा भाभी की खिड़की साफ दिखती थी।
थोड़ी देर में नेहा भाभी ने खिड़की खोली और बोली- देखो, यहाँ कोई नहीं है।
इसके बाद नील भैया भी आये, कहने लगे- लगता है मुकेश कहीं चला गया है।