पिंकी और निशि के गर्म जिस्म पर ठंडा पानी उन दोनो के निप्पल्स को और भी ज़्यादा कड़क बना रहा था...
इसी बीच पिंकी ने आगे बढ़कर लाला की धोती खींच कर एक तरफ उछाल दी...
अब लाला का लंड पूरी तरह से खुलकर सामने आ चुका था, जिसे देखकर उन दोनो से रहा नही गया और दोनो पालतू कुतिया की तरह लाला के सामने बैठ कर उनके लंड से खेलने लगी...
लाला ने मुस्कुराते हुए उन दोनो को अपने कुर्ते के अंदर समेट लिया और अपना लंड उनके हवाले करके उनकी कलाकारी देखने लगा...
पिंकी ने लाला के लंड का सुपाड़ा पकड़कर एक ही बार में निगल लिया और निशि ने लाला की बॉल्स को मुँह में दबोच कर उनका रस पीना शुरू कर दिया..
लाला ने उन दोनो की टी शर्ट को पकड़ कर उपर खींच लिया, पिंकी और निशि भी यही चाहती थी, इसलिए दोनो ने अपने हाथ उठा कर लाला से अपने कपड़े उतरवाने में मदद की...टी शर्ट के बाद उन्होंने अपने पायजामे भीं िकाल दिए ताकि उन्हें पूरा नंगा देखकर लाला ज्यादा उत्तेजित हो और जल्दी झड़े.
और हुआ भी ऐसा ही, अब लाला उपर खड़ा होकर उन दोनो की हिलती हुई नंगी चुचियां और पीछे की तरफ निकली हुई गांड देखकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रहा था....
और उन्हे हर झटके पर हिलते देखकर उसने बुदबुदाना शुरू कर दिया
''अहह....... ओह मेरी जाआंन ...... क्या मुम्मे है तुम्हारे...... एकदम कड़क संतरो की तरह..... इन्हे चूस-2 कर खरबूजा बना डालूँगा....अहह....और फिर इसमें लंड फँसाकर तुम्हारे मुँह में अपना माल निकालूँगा.....''
लाला खुद ही बोलता भी जा रहा था और अपने लंड को उनके मुँह में पेलता भी जा रहा था....
ऐसा करते हुए वो ये बात एकदम ही भूल चुका था की आज तो उसने उन दोनो में से किसी एक की चूत मारने की सोची थी...
और वो बात जब तक लाला को याद आती, पिंकी के जादुई होंठो ने अपना कमाल दिखा दिया, लाला के लंड को किसी सकिंग मशीन की तरह चूसते हुए उसने लाला को झड़ने पर मजबूर कर दिया....
और जब पिंकी को लाला के वीर्य की बूंदे मिलनी शुरू हुई तो उसने लाला के लंड की पिचकारी निशि के चेहरे पर भी दे मारी, ताकि उसे भी लाला के टटटे चूसने का फल मिल सके...
दोनों कराहती हुई वहीँ जमीन पर लेट गयी और ऊपर खड़े लाला ने दोनो के चेहरो और जिस्मों पर एक के बाद एक काई शॉट मार दिए...
''अहह....भेंन की लोड़ियों .....अहह....क्या गर्मी है तुम्हारे मुँह में .....चूस कर ही निकाल दिया .....आज तो चूत मारनी थी तुम्हारी....अहह''
पिंकी मन ही मन मुस्कुरा दी पर फिर भी भोली बनने का नाटक करते हुए बोली : "ओह लालाजी......मन तो मेरा भी था...आज आपके लंड को अंदर लेने का....अब मुझे क्या पता था की आज आप इतनी जल्दी झड़ जाओगे......''
लाला को तो यही लगा की शायद आज सुबह उसने जो आधी अधूरी मूठ मारी थी, उसी की वजह से उसका रस जल्दी निकल गया है...
पर अब क्या हो सकता था...
अब तो लाला को भी पता था की उसके लंड को दोबारा खड़ा होने में करीब 4-5 घंटे लगने वाले थे...
पिंकी और निशि का भी आज का काम हो चुका था,
जो टाइम उन्हे नंदू से दूर रहकर बिताना था, उसका पूरा होने का समय आ चुका था...
उसके बाद लाला को वहीं चारपाई पर अपनी सांसो पर काबू पाते छोड़कर दोनो ने अपने-2 कपड़े पहने और बाहर निकल आई...
जैसा पिंकी ने प्लान बनाया था आज के लिए सब कुछ वैसा ही हो रहा था...
वहां से निकल कर निशि पिंकी के कहने पर अपने घर आई, पिंकी बाहर ही खड़ी रही..
निशि को देखते ही नंदू उठ खड़ा हुआ,
अपनी बहन के भीगे और रंगे हुए बदन को देखकर उसके लंड में कसावट आने लगी...
वो शुरू से ही रंगो से दूर रहता था पर आज उसका अपनी बहन के साथ होली खेलने का बहुत मन कर रहा था..
पर निशि ने उसकी तरफ देखे बिना अपने कपड़े और तौलिया उठाया और माँ से बोली :"माँ ..मैं और पिंकी झरने पर जा रहे है, घर पर नहाने से पूरा घर गंदा हो जाएगा...''
उसकी माँ ने कुछ नही कहा...
उसे पता था की आज के दिन वो अपनी मर्ज़ी की करती है, इसलिए उसे जाने की इजाज़त दे डाली..
वहां से निकल कर वो बाहर आई और पिंकी के साथ गाँव से बाहर बने झरने की तरफ चल दी...
उसी झरने पर जहाँ उन दोनो ने लाला के साथ मज़े लिए थे..
नंदू तो अपनी बहन के साथ-2 पिंकी को भी पानी मे नहाते हुए देखने की कल्पना मात्र से उत्तेजित हो उठा, और वो भी उनके पीछे-2 बाहर निकल आया...
पिंकी द्वारा फेंका हुआ चारा मछली यानी नंदू ने खा लिया था...
अब बस उसका शिकार होना बाकी था...
झरने के नीचे.
इसी बीच पिंकी ने आगे बढ़कर लाला की धोती खींच कर एक तरफ उछाल दी...
अब लाला का लंड पूरी तरह से खुलकर सामने आ चुका था, जिसे देखकर उन दोनो से रहा नही गया और दोनो पालतू कुतिया की तरह लाला के सामने बैठ कर उनके लंड से खेलने लगी...
लाला ने मुस्कुराते हुए उन दोनो को अपने कुर्ते के अंदर समेट लिया और अपना लंड उनके हवाले करके उनकी कलाकारी देखने लगा...
पिंकी ने लाला के लंड का सुपाड़ा पकड़कर एक ही बार में निगल लिया और निशि ने लाला की बॉल्स को मुँह में दबोच कर उनका रस पीना शुरू कर दिया..
लाला ने उन दोनो की टी शर्ट को पकड़ कर उपर खींच लिया, पिंकी और निशि भी यही चाहती थी, इसलिए दोनो ने अपने हाथ उठा कर लाला से अपने कपड़े उतरवाने में मदद की...टी शर्ट के बाद उन्होंने अपने पायजामे भीं िकाल दिए ताकि उन्हें पूरा नंगा देखकर लाला ज्यादा उत्तेजित हो और जल्दी झड़े.
और हुआ भी ऐसा ही, अब लाला उपर खड़ा होकर उन दोनो की हिलती हुई नंगी चुचियां और पीछे की तरफ निकली हुई गांड देखकर और भी ज़्यादा उत्तेजित हो रहा था....
और उन्हे हर झटके पर हिलते देखकर उसने बुदबुदाना शुरू कर दिया
''अहह....... ओह मेरी जाआंन ...... क्या मुम्मे है तुम्हारे...... एकदम कड़क संतरो की तरह..... इन्हे चूस-2 कर खरबूजा बना डालूँगा....अहह....और फिर इसमें लंड फँसाकर तुम्हारे मुँह में अपना माल निकालूँगा.....''
लाला खुद ही बोलता भी जा रहा था और अपने लंड को उनके मुँह में पेलता भी जा रहा था....
ऐसा करते हुए वो ये बात एकदम ही भूल चुका था की आज तो उसने उन दोनो में से किसी एक की चूत मारने की सोची थी...
और वो बात जब तक लाला को याद आती, पिंकी के जादुई होंठो ने अपना कमाल दिखा दिया, लाला के लंड को किसी सकिंग मशीन की तरह चूसते हुए उसने लाला को झड़ने पर मजबूर कर दिया....
और जब पिंकी को लाला के वीर्य की बूंदे मिलनी शुरू हुई तो उसने लाला के लंड की पिचकारी निशि के चेहरे पर भी दे मारी, ताकि उसे भी लाला के टटटे चूसने का फल मिल सके...
दोनों कराहती हुई वहीँ जमीन पर लेट गयी और ऊपर खड़े लाला ने दोनो के चेहरो और जिस्मों पर एक के बाद एक काई शॉट मार दिए...
''अहह....भेंन की लोड़ियों .....अहह....क्या गर्मी है तुम्हारे मुँह में .....चूस कर ही निकाल दिया .....आज तो चूत मारनी थी तुम्हारी....अहह''
पिंकी मन ही मन मुस्कुरा दी पर फिर भी भोली बनने का नाटक करते हुए बोली : "ओह लालाजी......मन तो मेरा भी था...आज आपके लंड को अंदर लेने का....अब मुझे क्या पता था की आज आप इतनी जल्दी झड़ जाओगे......''
लाला को तो यही लगा की शायद आज सुबह उसने जो आधी अधूरी मूठ मारी थी, उसी की वजह से उसका रस जल्दी निकल गया है...
पर अब क्या हो सकता था...
अब तो लाला को भी पता था की उसके लंड को दोबारा खड़ा होने में करीब 4-5 घंटे लगने वाले थे...
पिंकी और निशि का भी आज का काम हो चुका था,
जो टाइम उन्हे नंदू से दूर रहकर बिताना था, उसका पूरा होने का समय आ चुका था...
उसके बाद लाला को वहीं चारपाई पर अपनी सांसो पर काबू पाते छोड़कर दोनो ने अपने-2 कपड़े पहने और बाहर निकल आई...
जैसा पिंकी ने प्लान बनाया था आज के लिए सब कुछ वैसा ही हो रहा था...
वहां से निकल कर निशि पिंकी के कहने पर अपने घर आई, पिंकी बाहर ही खड़ी रही..
निशि को देखते ही नंदू उठ खड़ा हुआ,
अपनी बहन के भीगे और रंगे हुए बदन को देखकर उसके लंड में कसावट आने लगी...
वो शुरू से ही रंगो से दूर रहता था पर आज उसका अपनी बहन के साथ होली खेलने का बहुत मन कर रहा था..
पर निशि ने उसकी तरफ देखे बिना अपने कपड़े और तौलिया उठाया और माँ से बोली :"माँ ..मैं और पिंकी झरने पर जा रहे है, घर पर नहाने से पूरा घर गंदा हो जाएगा...''
उसकी माँ ने कुछ नही कहा...
उसे पता था की आज के दिन वो अपनी मर्ज़ी की करती है, इसलिए उसे जाने की इजाज़त दे डाली..
वहां से निकल कर वो बाहर आई और पिंकी के साथ गाँव से बाहर बने झरने की तरफ चल दी...
उसी झरने पर जहाँ उन दोनो ने लाला के साथ मज़े लिए थे..
नंदू तो अपनी बहन के साथ-2 पिंकी को भी पानी मे नहाते हुए देखने की कल्पना मात्र से उत्तेजित हो उठा, और वो भी उनके पीछे-2 बाहर निकल आया...
पिंकी द्वारा फेंका हुआ चारा मछली यानी नंदू ने खा लिया था...
अब बस उसका शिकार होना बाकी था...
झरने के नीचे.