Incest Sex kahani Harami--Saala--Kutta

चाची काँपति हुई-- राज बेटा तू मूज़े, अपनी चाची के साथ भी ज़बरदस्ती कर जाएगा. कुछ तो इज़्ज़त रहने दे अपनी चाची की. राज ने अपने सोए हुए लंड को चाची की छूट पर रगड़ा.. चाची कसमसने लगी.

राज--- कसम से चाची आपका ये गड्राया हुआ जिस्म मुझे चैन से सोने नही देता. आप क्या जानो चाची आज भी आपका ये जिस्म कितना सेक्सी हा. राज की बात प्र चाची की साँस तेज़ होने लगी.

चाची--- राज बेटा छ्चोड़ दे मूज़े कोई आ जाएग... चाची को टा था जल्दी कोई नही आएगा. फिर भी वो राज से जान च्छुड़ाए के लिए ऐसा बोली

राज ने चाची की गाल पर उंगली चलानी शुरू कर दी. टा हा चाची मूज़े, इतनी जल्दी कोई नही आने वाला. मे तो कहता हों चाची यही पर तोड़ा से मज़े ना कर लें. चाची सर्दी मे भी पसीना छ्चोड़ने लगी थी. राज हरमियो का हरामी था. चाची जानती थी.

चाची ने ज़ोर लगा कर खुद को राज से च्छुडवाया और भागने लगी. राज ने चाची के एक हाथ को पकड़ लिया.. चाची ने मूड कर राज को देखा. और आँखों से कहने वाली. छ्चोड़ दे मूज़े राज बेटा. क्यू इस उमर मे मुझे गंदा क्रना चाहते हो. राज ने हेस्ट हुए चाची को खेंचा और फिरसे अपनी बहुँ मे भर लिया.

राज --- चाची कसम से इतनी सर्दी मे भी आपके जिस्म की गर्मी ने मुझे पागल करना शुरू कर दिया हा. आज छ्चोड़ रहा हों चाची. जल्दी ही मुझे आपको अपनी छूट देनी पड़ेगी चाची. वरना.. इतना बोल कर राज चाची को छ्चोड़ कर निकल गया.

चाची राज के जाने के बाद अपनी छूट को मसालने लगी. जिसमे पानी आने लगा था. राज किसी को च्छेदे और वो गीली ना हो ये हो नही सकता था. चाची कभी राज को गलियाँ देती तो कभी अपनी रसीली छूट के पानी को कपड़े के उपर से मसल के मज़े लेने लगती.
मॅन तो चाची का भी खराब होने लगा था इतने सालों की राज की च्छेद च्छाद से. पर वो आयेज नही बढ़ना चाहती थी. अपने पति के सिवा कभी किसी के सामने वो नंगी भी तो नही हुई थी..

राज घर पोनचा तो घर का डोर खुला हुआ मिला. राज का घर बोहुत खुला था. पहले वाला हिस्से मे जानवर बँधे हुए थे. वहाँ दो नौकर भेँसो का दूध निकालने मे लगे हुए थे.. राज दोनो से मिलकर अंदर जाने लगा.. अंदर का दरवाज़ा भी खुला हुआ था.

अंदर गया तो उसकी मा और गाओं की एक औरत बेती बातें कर रही थी. राज जेया के उस औरत के पास जा बैठा.. राज को आते देख कर वो औरत घबरा कर उठ खड़ी हुई.. राज ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद मे बिता लिया.. वो हल्की आवाज़ मे चीख पड़ी. आराधान हस्सने लगी. वो औरत आराधना को देख कर बोली

औरत--- आराधना कितनी बड़ी भूल हुई मुझसे, जो इस हरामी को भूल कर मे यहाँ चली आई.. आराधना हासणे लगी. राज ने औरत को अपनी गोद मे बिता कर उसकी गर्दन पर उंगली फेरनी शुरू कर दिया. औरत ने जुर्सी पहनी हुई थी. उसके बड़े बड़े दूध उसे जुर्सी मे च्छूपे हुए थे. आराधना को पता था राज अब क्या करेगा.. वो हस्ती हुई उठ खड़ी हुई, औरत आराधना को जाते हुए देख कर बोली

औरत---- हटा ले अपने इस हरामी बेटे को आराधना.. ओइइ मा.. देख ने कैसा हरामीपन कर रहा हा ये मेरे साथ

आराधना स्सटे हुए--- दीदी आपने भी इसे बिगड़ने मे कोई कसर नही छ्चोड़ी. अब मे कुछ नही कर सकती. वरना ये मेरे पीछे पद जाएगा.. आराधना हेस्ट हुए दूसरे कमरे मे चली गई और राज ने औरत के ग्रेबान मे हाथ दल कर उसका एक चुचा पकड़ लिया.

राज----- साली तू अंदर से कितनी गरम हा, तेरे ये चुचे कभी ठंडे नही होंगे क्या.

राज उस औरत के निपल कस कस के मसालने लगा था. जल्द ही वो औरत भी गर्म होने लगी. वो औरत राज की हंसाई थी, राज का लंड सबसे पहले उसी की छूट और गंद मे गया था. वो तो उपर उपर से आराधान के सामने ऐसा बोलती थी वरना तो वो राज के लंड की दीवानी थी.

अरुआत---- राज बेटा तेरे जैसा लंड जो औरत ले ले. फिर उसकी छूट, गंद या चूचु की गर्मी कम केसे हो सकती हा. चल ना लगा ना कुण्डी और कर दे मेरी अंदर की गर्मी को ख़तम.. वो भी मूड मे आते हुए बोली.

राज नंदानी को जाम कर छोड़ चुका था अभी उसका मूड नही था. पर वो औरत उसकी सेक्स गुरु भी थी. राज को उसकी माननी ही थी. राज ने जल्दी से उठ कर डोर को अंदर से बंद किया और फिर नंगा हो गया.. वो साली छिननल औरत भी बिना देरी के नंगी हो कर राज के लंड के चूपए लगाने लगी. राज उसके बालों को पकड़ कर उसके मोह्न को छोड़ने लगा. वो भी मज़े से राज से लंड से अपने मोह्न को छुड़वाने लगी. बड़ी भरे भरे जिस्म की मलिक थी वो औरत.. बड़े बड़े चुचे राज ने बोहुत बार निच्चोड़े थे.

कुछ देर मे वो राज को खट्टिया पर लिया कर उसके उपर आई और लंड लेकर चूड़ने लगी.. राज भी उसे थप्पड़ मारते हुए छोड़ने लगा..

20 मिंट की चली छुदाई मे औरत के अंदर की सारी गर्मी निकल गई. वो खुश हो गई. आज 2 महीने बाद वो राज के लंड से चूड़ी थी. दोनो कपड़े पह्न कर कमरे से बाहर निकले. वो औरत फिर वही नही रुकी, वो अपने घर चली गई. राज अपने कमरे मे जाने लगा, उसकी गंद पर बड़े ज़ोर का डंडा पड़ा.. राज चीखता हुआ पीछे मुरा तो दीपिका हाथ मे एक डंडा लिए खड़ी थी. उसकी आँखें घुस्से से लाल थी. साथ भावना भी थी.

दीपिका ----- हरामी सेयेल कुत्ते रत तुझे इसी लिए घर से भगाया था, सुबह आते ही उस हरमिजदी के साथ मोह्न काला कर लेगा.

भावना ----- हरामी कुछ तो हमारा भी ख़याल कर लिया कर.

राज धिताई से बोला-- वही तो कई सालों से करने की कोशिश कर रहा हों. आप हाँ कह मेरी सिवा पर मुझे मरने लगती हा. भावना और दीपिका को घुस्सा आने लगा तो वो राज को फिरसे पीटने लगी. राज ने दीपिका को एक टाइम पर अपने शिकंजे मे कस्स लिया. भावना दीपिका को बचाती उससे पहले ही राज ने दीपिका को उठाया और अपने कमरे मे ले जा कर डोर अंदर से बंद कर दिया.

दीपिका घबरा गई.. भावना चीख पड़ी. अंजलि, आरती और आराधना भावना से पूछने लगी "क्या हुआ"

भावना ---- राज दीपिका को उठा कर ले गया हा

अंजलि, आरती -- क्य्ाआआआआअ?

आराधना हासणे लगी-- वो उठा के घर मे ही ले गया हा कहीं बाहर नही.. और उठा कर, भगा कर कोई शादी नही करने वाला मेरा राज दीपिका से.. हहेहहे आराधान बड़े खुल कर हासणे लगी थी. तीनो अपने माथे पर हाथ मारने लगी अपनी मा को हेस्ट देख कर

दीपिका को भी लगा आज वो बुरी फाँसी राज के शिकंजे मे.. वो बुरी तरह से घबरा गई थी पर उपर उपर से वो राज को घुसा दिखाने लगी.

दीपिका ---- छ्चोड़ मुझे हरामी सेयेल कुत्ते

राज ने दीपिका को बेड पर पटका और दीपिका के उपर आ कर दीपिका के होंटो पर एक हल्की सी किस करदी. दीपिका तो अंदर तक हिल गई थी. दर उसकी आँखों मे दिखने लगा था. पर वो राज को शो नही करवाना चाहती थी. राज भी हरमियो का हरामी था. वो कोई बच्चा तो था नही जो सब ना साँझ सकता. वो स्माइल करने लगा. उसकी स्माइल देख कर दीपिका के होश उड़ने लगे.

राज ---- दीदी हरामी हों तो हरामी बन के दिखाओगा. एक हरामी क्या कुछ कर सकता हा. ये भी आपको अच्छे से पता होगा. परसो रात आपकी छूट मे उंगली सही से नही कर सका था मे.. आज करूँगा. बोहुत दीनो से आपकी छूट भी नही देखी, वो भी देखोंगा. ज़िंदगी मे कभी आपकी छूट मे जीब नही डाली, आज वो भी डाल के आअपकी रसीली चूत को टेस्ट करूँगा.. राज की घिनोनी बातें सुनकर दीपिका की साँस अटकने लगी.. डोर बाहर से कोई खटखटा रहा था. पर राज ने खोलने का मॅन बदल दिया था. दीपिका भी चाह कर खुद को बचा नही सकती थी. क्यूँ की राज हरामी होने के साथ साथ बोहुत ताक़तवर और वज़नी था. दीपिका को आज अपना बोहुत कुछ बिगड़ता हुआ महसूस होने लगा था. उसके चेहरे पर आने वाली पसीने की बूँदेवन मे इज़ाफ़ा होने लगा.
 
आज डोर नही खुलेगा.. फिरसे खटखताॉगी तो दीदी के साथ बोहुत कुछ ग़लत हो जाएगा. राज ज़ृो से बोला तो डोर खटखना बंद हो गया.

दीपिका रहमी हुई नज़रों से राज को देखने लगी. और राज हरमियो वाली मुस्कान से अपनी दीदी को देखने लगा. देर नही लगी और दीपिका के चेहरे ही नही पूरे जिस्म सर्दी मे भी पसीना छ्चोड़ने लगा.

दीपिका----- र्र--राज एमेम--मेरा भाई प्ल्ज़ मुझे छ्चोड़ दो.. मुझे जाने दो. कुछ मत करो मेरे साथ.

हाहाहा राज हेस्ट हुए-- आज नही दीदी कसम से बोहुत मान करने हो रहा हा आपकी रसीली छूट मे जेब डालने को. आज तो आप मुझे अपने इस सनडर शरीर के मज़े ले ही लेने दो.. आज मुझे भी अपनी छूट के अमृत को टेस्ट कर ही लेने दो. सच मे दीदी आप को भी मज़ा आएगा. जैसे परसों रात आपको मज़ा कराया था. केसे मेरे हाथ को आप अपनी छूट पर रग़ाद रही थी.

दीपिका नज़रें झुका गई.

दीपिका --- नही मुझे मज़ा नही आया था.

राज---- नही आया तो आज आएगा.. राज झुका और दीपिका के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया. दीपिका अपना मोह्न साइड करने लगी. राज से कहाँ वो बच सकती थी. होन्ट राज के होंटो मे ना आए तो राज ने देपिका की गर्दन पर किस करनी शुरू कर दी.

सीईईईईईई मॅट कर कुत्ते बहन हों मेरी तेरी. जेया जा कर बाहर मॉहनन मार.. दीपिका फिरसे घुसे मे आ गई.

राज ने अपने लंड को दीपिका की छूट पर रग़ाद दिया. दीपिका राज को खूनी आँखों से देखने लगी.. राज हरामी मुस्कान से दीपिका को देखने लगा. बेर से आवाज़ आने लगी. पर राज ने कोई जवाब नही दिया. राज दीपिका के गाल पर तो कभी उसकी गर्दन पर किस करने लगा. दीपिका अपने होन्ट राज से बचाने मे सफल रही थी.

राज नीचे आया और दीपिका के चूचु के उपर वेल हिस्से को चूमने लगा. दीपिका मचल उठी. वो भी एक लड़की थी, मर्दाना स्प्रश पर कर वो भी बेचैन हो उठती थी. अपने भाई के ऐसा करने से उसे बोहुत घुस्सा आता था. पर ये भी सच था अपने घई के स्पर्श पर वो भी मचल जया करती थी.

देपिका --- छ्चोड़ दे मुझे हरामी सेयेल कुत्ते आअहह माआ देख ले मा तेरा हरामी बेटा क्या क्र रहा हा मेरे साथ. उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

राज अपनी दीदी को बेचैन पा कर अंदर ही अंदर खुश हो गया. चुचे दबाते हू वो अपनी दीदी को चूमने लगा. जल्द ही दीपिका भी बेबस होने लगी. उसकी छूट मे पानी आने लगा. अंदर से वो विरोध नही करना चाहती थी. पर विरोध किए बिना वो रह नही सकती थी. वरना उसका भाई एक खुला सांड़ बन जाता. नीचे आ कर राज ने दीपिका की कमीज़ उपर कर दी. और शलवार जो दीपिका ने पहनी हुई थी. उसका नडा खोल कर एक झटके मे दीपिका के चुतताड को उठा कर नीचे कर दी. दीपिका चीख पड़ी.

बाहर राज की मा और बहनो अब चुप क्र गई थी. वो जानती थी, जितना राज को बीलेंगी, उतनी ही राज देपिका के साथ ज़यादा करेगा..

दीपिका भी ये बात जानती थी. डारी सहमी, छूट की आग मे जलती वो राज को रोक नही पा रही थी. उसकी छूट भी तो पानी छ्चोड़ने लगी थी.

दीपिका ---- हरामी सेयेल कुत्ते तूने फिरसे मुझे नंगा क्र दिया. वापिस पहना मुझे मेरी शलवार.. दीपिका लाल आँखों से बोली.'

राज--- दीदी आपकी आँखों मे लाल डोरे क्यू आए हाँ.. क्या आप को भी मज़ा आने लगा हा. देखता हों. सच मे ही आपको मज़ा आ रहा हा या नही.. राज ने दीपिका की पनटी भी उतार दी.. दीपिका अपनी छूट पर हाथ रख कर अपनी छूट च्छुपाने लगी.

राज--दीदी इसे मुझसे क्यू च्छूपा रही हो. कितनी बार तो देख चुका हों मे आपकी रसीली छूट. राज हस्ता हुआ बोला तो दीपिका राज को गलियाँ देने लगी.

राज ने दीपिका के हाथ हटाए और अपना मोह्न दीपिका की छूट मे घुसा दी

दीपिका ---- आअहह मार गई माआ... सेयेल कितनी गरम हा तेरी जीब.. उफफफ्फ़ मत क्र हरामी सेयेल कुत्ते. उम्म्म्ममहा दीपिका भी मज़े मे होने लगी. राज भी नशे मे होने लगा. राज स्पीड से अपनी जीब अपनी बड़ी बहें की छूट पर चलाने लगा. कभी दीपिका की छूट के दाने को मोह्न मे भर कर चूसने लगता.. दीपिका पागल होने लगी थी. दीपिका भी सिसकने लगी. वो भी अब मदहोश होने लगी थी.



जवानी से माला माल थी दीपिका भी. उसे भी ऐसे ही प्यार की चाह थी. ऐसे ही एक भरपूर मर्दाना स्पर्श की चाह थी. वो भी अपने जिस्म से खेलते हुए किसी को देखना चाहती थी. पर अपने भाई के साथ नही.

भाई का स्पर्श पर भी वो बेखुद होने लगी. उसके मोह्न से गलियाँ ख़तम होकर सिसकियोंन मे बदलने लगी. राज ने सर उठा कर अपनी दीदी को देखा, उसे मस्त पाया तो उठ गया.

बैठ कर अपनी दीदी को अपनी गोद मे बिता लिया. उसकी कमीज़ और ब्रा भी निकल कर पूरा नंगा क्र डाई.


इस बार दीपिका ने कोई विरोध नही किया.. वो आँखें बंद कर के राज का साथ देने लगी.


उसकी छूट अब झाड़ जाने के लिए बेचैन हो उठी थी. गुज़री रात की तरह वो इस बात भी अपने भाई के स्पर्श मे खोने लगी थी. उसकी छूट की आग और भी बोहुत बढ़ गई थी.

राज भी अपने कपड़े उतार कर अंडरवेर मे ह गया. दीपिका के काढ़े निपल अपने सीने मे चिपकते हुए राज ने दीपिका की गर्दन पर किस करनी शुरू कर दी. इस बार दीपिका अपने भाई का पूरा साथ दे रही थी. अपने भाई से प्राप्त होने वेल स्पर्श का आनंद ले रही त्ीी. अपनी छूट को अपनी भाई के अंडरवेर मे क़ैद लंड पर रगड़ने लगी.


कुछ देर चूमने चाटने के बाद राज ने अपना अंडरवेर उतरा और दीपिका की पीठ अपनी ओर करके दीपिका को अपने लंड के उपर बिता दिया. राज के गरम लंड को अपने नीचे पा कर दीपिका और बी मचल उठी.

राज ने दीपिका के गाल को चाटते हुए दीपिका की छूट पर उंगलियाँ चलानी शुरू कर दिया. दीपिका की आग और भी बढ़ गई.

आहह सेयेल क्यूँ करता हा तू ऐसा मेरे साथ.. मारना चाहता हा क्या मुझे. माआ उफ़फ्फ़ आहह उम्म्म्मम ना कर हरामी छ्चोड़ दे मुझे.. दीपिका के मोह्न से आप भी विरोध वाली बाटने ही निकल रही थी. पर वो पूरी मस्त हो चुकी थी.

जब राज को लगा अब दीपिका की छूट का पानी कुछ ही देर का मेहमान हा तो राज ने दीपिका को लिया दिया. दीपिका ने राज को देखा, राज के लंड को देखा तो दर गई.. राज दीपिका को डरा हुआ देख कर हासणे लगा.

राज ने अपना लंड पकड़ा और दीपिका की छूट की र बढ़ने लगा..


ये देख कर देपिका के जिस्म मे थरथराहट होने लगी.. दीपिका को लगा आज उसका भाई उसके कुंवारेपन को ख़तम करड़ेगा.

दीपिका ---- न--नही राज प्ल्ज़ ऐसा मत करना..

राज ने दीपिका के दोनो पैर उठा कर दीपिका के सर की ओर मोड़ दिए अपने लंड को दीपिका की छूट के लिप्स मे से घुसा कर रगड़ने लगा..


टीन चार बार ऐसा ही किया था. तो दीपिका को मज़े के साथ चैन भी मिल गया. वो साँझ गई उसका भाई उसकी सील नही खोलने वाला.. सुख का साँस लिया दीपिका ने..

एब्ब दीपिका अपने भाई के मोटे लंबे लंड को अपनी छूट पर रग़ाद खाते हुए मज़ा लेने लगी. राज ने अपनी दीदी को देखा..

राज--- क्यू दीदी डाल डॉन अंदर..

दीपिका --- मुझे पता है मेरा भाई इस दूण्या का सबसे बड़ा हरामी इंसान हा.. पर वो अपनी किसी भी दीदी की सील नही तोड़ेगा. इतना मुझे यकीन हा.

राज --- अच्छा तो फिर ये लो.. राज ने अपने लंड को पीछे ला कर ज़ोर का धक्का मार दिया. राज का पूरा लंड दीपिका के लिप्स मे से होता हुआ पूरा उपर निकल गया.. दीपिका की चीख निकल गई.. दीपिका राज के तेवर देख कर दर गई थी.

राज हासणे लगा. दीपिका ने राज को हेस्ट देखा तो खिस्यनी हँसी हासणे लगी.. वो राज के बहवाके मे आ गई थी.

कुछ देर तक राज दीपिका की छूट पर लंड रगड़ता रहा. दीपिका फिरसे मस्त होने लगी. अब देपिका को कोई चिंता नही थी. उसका भाई उसकी सील नही तोड़ने वाला था. दीपिका अपने भाई के लंड का पूरा पूरा आनंद लेने लगी.

देर नही गुज़री और दीपिका काँपति हुई झड़ने लगी. राज का लंड दीपिका के चुटरस से गीला हो चुका था. राज तब तक अपनी दीदी की छूट प्र अपना लंड रगड़ता रहा, जब तक उसके लंड से वीरया ना निकल गया.. वीरया उड़ता हुआ दीपिका के चूचु पर दीपिका के मोह्न पर गिरने लगा.

दीपिका --- हरामी कुत्ते सेयेल मेरे उपर क्यूँ गिरा दिया..

राज हांपता हुआ साइड मे गिर पड़ा. कल रात से उसके लंड ने बोहुत बार पानी निकल दिया था. राज की साँस चाड गई. राज किसी कुत्ते की तरह ही हाँपने लगा था. वो दीपिका को उसकी बात का जवाब नही दे सका..

दीपिका उसकी हालत देख कर हासणे लगी.

दीपिका --- हरामी तू उस बूढ़ी की मार कर इतना तक गया. दूसरी बार तेल निकल कर तेरी ये हालत हो गई हा.. हाहाहा

राज ने दीपिका को देखा.. पर बोला कुछ नही. दीपिका ने एक कपड़े से अपने उपर गिरे वीरयए को सॉफ किया..

राज ने उठ कर दीपिका को खड़ा कर दिया. उसके दोनो चुचे पकड़ कर दीपिका की छूट से मोह्न लगा दिया. राज दीपिका की छूट पा रस पीने लगा.



दीपिका अब हल्की हो चुकी थी. जो कुछ राज उसके साथ करना चाहता था, वो कर चुका था. ये सब दीपिका के लिए ग़लत होते हुए भी मज़े का था. राज उसके साथ ज़बरदस्ती करके भी उसे शांत ही करता था. और ये बात कहीं ना कहीं दीपिका को भी पसंद थी. पर भाई बहें के रिश्ते का पास करते हुए वो हमेशा राज से डोर भी रहती थी. उसे सुधारने की कोशिश करती थी. पर वो सुधरता नही था.

राज को बेड पर गिरा कर दीपिका नंगी ही बड़े बड़े चुचे राज के सीने मे दबाए हुए राज से बोली..


दीपिका : सेयेल हरामी तू भाई होकर अपनी बड़ी बहें के साथ ऐसा करता है.

राज----- क्यूँ मज़ा नही आया क्या दीदी आपको.. पूरे संसार मे ऐसा भाई नही होगा किसी का. अरे मैं तो आप सब का भला ही करता हों. वरना तो शादी तक कैसे आप अपनी छूट के अंदर के रस को दबा के रखती.. मैं हर कुछ दीनो बाद इसे निकल कर आप सब का ही तो भला करता हों. नही निकलता तो आप सब को ही प्रेशन बन जाती.

राज हस्ता हुआ बोला.. दीपिका ने उसे थप्पड़ मार दिया.

दीपिका ---- पता नही कैसे मा ने तुझे पैदा कर दिया. तू ना मा के जैसा हा और ना ही पिता जी के जैसा. दोनो कितनी शरीफ थे और एक तुम हो. हरमियो मे सब से नंबर 1 हरामी..

राज --- हस्ता हुआ.. अगर हरामी होता तो क्या घर मे आअप सब की सील बची होती. कितनी सीलें मई गाओं मे खोल चुका हों.. पता तो होगा ही आपको.
 
दीपिका राज से दो बार अपनी छूट का पानी निकलवा कर बेड से उतरी, जितना घुसा उसे राज पर था. उतनी ही अंदर से खुश भी थी. सब ग़लत था. पर वो फ्रेश भी हो गई थी.

राज कितनी ही बार तो उसे नंगा देख चुका था, नंगा कर चुका था. शरम आते हुए भी नही आती थी. दीपिका को टा था उसका भाई हरमियो का हरामी हा. कोई भी बात खुद पर आने नही देगा. जितना उसे बढ़कओगे उतना ही गले पड़ेगा.

दीपिका ने अपने कपड़े उठाए और नंगी ही सर्दी मे दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल पड़ी. बाहर कुछ फ़ासले पर सब बैठी हुई थी. दरवाज़ा खुला तो दीपिका को नंगी देख कर सब के मोह्न खुले रह गये. दीपिका हाथ मे कपड़े लिए सब के बीच जा बैठी.

आराधना--- कुछ तो श्रम क्र दीपिका, ऐसे नंगी की आ गई. कपड़े पहने ले.

दीपिका हेस्ट हुए बोली--- मा एक ही तो मर्द हा हमारे घर मे. वो मेरा ही नही आप सब का भी सब कुछ देख चुका हा. आज फिरसे उसने देख लिया, मज़े भी लूट लिए. अब आब से क्या च्छुपाना.

भावना---- दीपिका अंदर तो नही डाला ना राज ने.. भावना बोली तो आरती ने उसके कंधे पर जड़ दी एक.

आरती--- अगर डालती तो क्या दीपिका ऐसे चल के आती. लंगड़ा कर ना आती.. आरती दीपिका को देख के मस्ती से बोली.. घुस्सा अब मस्ती मे बदलने लगा था.

आराधना--- हे भगवान क्या मेरे घर का माहौल ऐसे ही रहेगा. मेरे बेटा अपनी ही मा और बहनो को नंगा करके मज़े लेगा और मेरी बेटियाँ ऐसे बेशार्मो की तरह बातें करेंगी.

आराधना दुखी न्ही थी. बस ऐसे ही बोल गई थी. उसकी आदत बन गई थी ऐसा बोलने की.

राज बाहर कपड़े पह्न कर बाहर आया, अपनी मा के ज्वाब मे वो बोला.

राज---- मा एक बार आप भी मेरा लंड अपनी छूट और गंद मे ले लें. फिर सब ठीक हो जाएगा.

अंजलि उठ खड़ी हुई--- रुक हरामी तुझे तो मे देखती हों. कभी तो कोई और बात कर लिया कर. हर समय ऐसी ही घत्टिया बातें करता रहेगा.

दीपिका को ठंड लगी या वो राज से दर गई थी, दीपिका ने झट से कपड़े पहनने श्रु कर दिए थे.

अंजलि राज के पास क्र उसे मरने लगी थी. प्र राज ने अंजलि को अपनी बहुँ मे कस्स लिया. अंजलि के चेहरे पर फूँक मरते हुए वो बोला.

राज---- दीदी किसने कहा ये सब घत्टिया हा. देखन केसे के दूसरे ही दिन केसे आप भी अपने पति से कहेंगी.. "अजी तोड़ा ज़ोर से धक्के मारो ना"

राज बड़े स्टाइल से बोला तो अंजलि शर्मा गई और सब हास दिए.

राज ने भी हेस्ट हुए अंजलि के गाल पर किस करके उसे छ्चोड़ दिया.

आराधना--- एब्ब कहा जा रा हा तू राज बेटा.

राज---- गाओं मे ही कहीं घॉंने जा रहा हों मा..

दीपिका---- जा जा मार जा कही भी. हुमें तुझसे कोई मतलब न्ही. दीपिका कपड़े पह्न चुकी थी. वो खड़ी होके कमर पर हाथ रखते हुए बोली.

बाहवना----- हहहे दीपिका लगता हा तेरे अंदर की गर्मी अभी ख़तम न्ही हुई. दीपिका जो घुस्से से राज को देख रही थी. भावना की बात प्र झीप गई. सब फिर से हास पड़े. राज बाहर निकल गया.

डीपीईका भावना के साथ एक कमरे मे थी.

भावना---- तो आज तुमने फिरसे राज से मज़े ले ही लिए.

दीपिका ने भंवा को घूर के देखा.

दीपिका--- राज से कहुगी एक बार तो आपके साथ भी सब कर ही ले. फिर मूज़े बताना, कितनी श्रम आती हा और कितना मज़ा.

भावना----- उस हरामी ने मूज़े भी छ्चोड़ा ही कब हा. कितनी बार तो मूज़े पकड़ कर नंगा कर चुका हा. कितना बार मेरा भी पानी निकल कर मूज़े शर्म से पानी पानी कर चुका हा.

अब दीपिका क्या बोलती. राज ने अपनी मा को कम और बहनो को ज़्यादा प्रेशन किया हुआ था.

राज जा पोनचा अपने हरामी दोस्तो के बीच..

राक--- सूनाओ मा के लौदो क्या हा हाँ तुम सब के. किस किस ने रत को अपनी मा बहन की छूट, गंद देखी.

सब हासणे लगे. सब एक साथ बोले---- हमारी ऐसी किस्मत कहाँ.

जूरी--- हमारे पास तेरे जैसी डेरिंग और -----

बिन्नी--- और तेरे जैसा लंड कहाँ

विक्की--- सेयेल तू हा ना हमारे हिस्से की छुदाई करने के लिए.

राज----- जूरी तू सुना तेरी मा बहें अब कैसे हाँ.

जूरी अपने आध खड़े लंड को मसलते हुए बोला-- वैसे ही हाँ यार दोनो.

बिन्नी--- हाहाहा तू क्यू अपनी मा और बहें को देख कर अपने लंड को मसल रहा हा हरामी.

राज ----- कुछ तो देखा हा तूने बता मूज़े.. राज जूरी के कंधे पर धाप मारते हुए बोला.

जूरी---- हाँ यार आज बाजी मूज़े रोटी देती हुए झुकी तो उसकी चुचि आधी दिख गई थी, तब से मेरे लंड का बुरा हाल हा.

तीनो हासणे लगे.

विक्की ---- बहेनचोड़ जिस दिन तू अपनी बहें को नंगा देख लेगा उस दिन तेरा क्या होगा.

बीन्न्नी-- हाहाहा होगा क्या वही खड़े खड़े लंड ढीला कर लेगा.

राज----- जैसे तेरे लंड का पानी निकल गया था अपनी मा को नहाते देख क्र.

इस बार बिन्नी श्रमिंदा हुआ और तीनो हास पड़े.

राज----- वेसए तेरी मा भी पूरी पताका हा. तेरी दीदी आई के न्ही अपने घर से.

बिन्नी--- परसो आ रही हा दीदी, बोली थी सास की सेहत कुछ अच्छी न्ही. परसो तक पोनच जाएगी.

राज----- क्या ख़याल हा बिन्नी मरेगा इस बार अपनी दीदी की छूट

बिन्नी थूक निगलते हुए--- न्ही यार मुज़मे इतनी हिम्मत न्ही.

तीनो-- हाहहहहाहा

जूरी----- सेयेल तो बड़ा बुज़दिल हा, राज तेरी दीदी की मार लेता हा और अब भी दर रहा हा.

बिन्नी----- सेयेल जिस दिन तुम दोनो अपनी अपनी मा बहें को छोड़ लोगे ना, उस दिन ऐसे ही मूज़े हास के दिखना. मा बहें मान भी जाएँ तो हिम्मत इतनी जल्दी न्ही आती. बिन्नी के चेहरे पर पसीना आने लगा था.

चारों हेस्ट हुए ऐसी ही बातें करने लगे.. एक छ्होटा बच्चा भागता हुआ आया. चारों उसे देखने लगे. बच्चा 8 साल का था, वो पास पोनचा तो उसकी साँस फूल चुकी थी.

बच्चा-- जूरी भाई, तेरी दीदी को दूसरे गाओं के लड़के च्छेद रहे हाँ.. बच्चे की बात सुनके हम सब झटके मे उठ खड़े हुए.

राज----- चीखता हुआ.. कहाँ हाँ वो सब.. बचे ने बता तो सब बच्चे के साथ उस दिशा मे भागने लगे..

गोन से हटके जूरी के रश्रेदारों के घर थे. राज और तीनो भाग कर वहाँ पोनचे तो 4 लड़के 2 मोटरोस्यकलों पर खड़े हुए थे. जूरी की सिस्टर का नाम उज़मा था. उज़मा अपनी खाला की बेटी के साथ थी.

राज और सबको आते देख कर चारों लड़के वहाँ से भाग निकले. राज सबसे आयेज था.

जूरी--- बाजी आप तो घर मे थी ना.. उज़मा राज को देखते हुए..

उंज़ा----- तो क्या मई हर टाइम घर मे ही रहा करू. तुम घर से निकल सकते हो, मे नही निकल सकती क्या. अंत मे जूरी पर घुस्सा करते हुए बोली.

उज़मा की खाला की बेटी उज़मा के कान मे बोली.. उसका नाम नरेन था.

नरेन--- कमीनी तो राज हरामी को ऐसे क्यू देख रही हा.

उज़मा ने नरेन को जवाब न्ही दिया. बिन्नी और विक्की साइड देखने लगे. जूरी रोज को देखने लगा.

राज---- सही कहा तुमने उज़मा डार्लिंग, इस कुत्ते की हिम्मत भी केसे हुई तुमसे पूच्छने की, तुम बी अपनी मर्ज़ी कर सकती हो. फिर जूसी से बोला. जूरी चल अपनी नरेन बाकी को घर ले जा. मे तेरी बहें को लेके चलता हों. बिन्नी और विक्की मो साइड करके अपनी हसी दबाए हुए थी. नरेन घुस्से से राज को देखते हुए बोली.

नरेन--- चल चल हरामी कहीं का, चारों कुत्तों से बचा के अब तू आ गया हा. चल निकल यहाँ से. उज़मा ने नरेन को घुसा से देखा. कोई कुछ न्ही बोला.

उज़मा---- तू क्यू हर वक़्त राज प्र घुस्सा होती रहती हा नरेन. कितना अच्छा तो हा राज. राज के इशारे पे जूरी, विक्की और बिन्नी निकल लिए थे, बच्चा पहले ही चला गया था. इस साइड मे कोई घर भी नही था. कोई देखने वाला बी न्ही था. 10 मीटर के बाद गाओं की गली श्रु होती थी. ये गाओं का दूसरा इलाक़ा था.

नरेन--- सारे हरामी हाँ सेयेल. जूरी तो सबसे बड़ा हरमाई हा कुत्ता. अपनी बहन को एक हरामी के पास छ्चोड़ के चला गया.

राज और उंज़ा हासणे लगे. राज ने उज़मा का हाथ पकड़ लिया. उंज़ा ने आस पास देख के अपने हाथ नरेन से न्ही च्छुदाया.

उज़मा--- आज तो तुम ब्दे टाइम पे आए राज. वरना वो--

राज--- उनको तो मे देख लूँगा मेरी जान.. तुम प्रेशन ना हो. जितना तंग उन कुत्टो ने टुजे किया हा ना, उससे कहीं बढ़कर उसके गाओं मे घुस कर मे उन्हे करूँगा.

उंज़ा जान निसार नज़रों से राज को देखने लगी. नरेन उज़मा को घुसे से देख रही थी. तीनो धीरे धीरे चलते हुए गली की र बढ़ने लगे.

राज ने उंज़ा को देखा, फिर आस पास देख कर उंज़ा को छ्चोड़ कर नरेन का हाथ पकड़ क्र अपने सीने से लगा लिया.

नरेन-- चह..छ्चोड़ मूज़े हरामी सेयेल कुत्ते. कोई देख लेगा. अगले हफ्ते मेरी माँगनी होने वाली हा. क्यूँ मेरी माँगनी होने से पहले ही बवाल खड़ा कर रहे हो.. नरेन सच मे दर गई थी. नरेन भी साली गरमा गर्म जवानी की मलिक थी.

राज ने नरेन को छ्चोड़ दिया. उंज़ा को देख के बोला. मूज़े क्यू न्ही पता इस छूट वाली की भी सगाई हो र्ही हा.

उंज़ा----- हहहे राज इसकी मा को भी तेरा बड़ा दर रहता हा. कहीं तू नरेन को पकड़ क्र किसी दिन ना पेल दे.

राज ने फिर आस पास देख क्र उंज़ा को पकड़ लिया.... क्यू तेरी मा को दर न्ही रहता तेरा.

उंज़ा---- ब्डा दर रहता हा उसे तेरा राज.. उंज़ा हेस्ट हुए बोली. तुझसे तो गाओं की हर मा प्रेशन रहती हा. तीनो फिरसे चलने लगे.

नरेन---- हा बी एक नुंब्र का हरामी ना ये बी. दर तो लगेगा.

राज---- लगता हा तेरी छूट की खुजली मूज़े मिटाने ही पड़ेगी. गली पास आ गई थी नोरेन फिर शेर होने लगी.

नरेन--- जा बे कुत्ते, खुद को ब्डा शेर समझता हा. दूं हा तो अब पकड़ के दिखा.

राज ने देर न्ही की और नरेन की छूट को प्कड़ लिया. नरेन चीख पड़ी. राज ने अच्छे से नरेन की छूट मे उंगली करके अपना हाथ हटा लिया. उंज़ा मो प्र हाथ रख के हासणे लगी. नरेन की हल्की चीख सुनके गली के पहले घर की दीवार से एक औरत ने सर उठा के डेका. राज पे नज़र पड़ी तो फॉरन ही नीचे झुकती चली गई. इस बार नरेन बी हासे बिना ना रह सकी.

राज और उंज़ा तो खुल क्र हासे थे.

उंज़ा----- राज सच मे तेरा साथ मूज़े बड़ा अछा लगता हा.

राज----- किसी दिन टाइम निकल के टुजे खुला टाइम दूँगा मेरी जान. उस दिन नरेन को बी साथ लाना. इसे बी तोड़ा सा मज़ा करा दूँगा.

नरेन---- चल चल बड़ा आया मूज़े मज़े करने वाला.

उंज़ा---- हा अब तो तेरे लिए बी मज़े होने वेल हाँ. बस एक बार तेरी माँगनी हो जाए, फिर जल्द ही शादी बी हो जाएगी और तेरे बी मज़े हो जाएँगे.

राज---- उससे पहले ही मे ही इसे मज़े करा दूँगा. जितनी आग साली की छूट मे लगी हा ना, मूज़े लगता हा मूज़े ही ख़तम करनी पड़ेगी.

नरेन ने राज को घुस्से से देखा. उंज़ा का घर कुछ दूरी पर रह गया था. राज ने दोनो को छ्चोड़ा और निकल पड़ा.

गाओं की सारी लड़कियों के साथ राज श्रु से खेलता आया था, सब के साथ राज की खुली बात थी. कुछ तो वक़्त के साथ बदल गई थी. और राज से डोर हो गई थी. तो कुछ उंज़ा जेसी अब राज पे लट्तू हो चली थी. राज बी आईसियो को खूब मज़े करवाता था.
 
राज एक गली से गुज़र था वो घ्र ना जा क्र अपने दोस्तो के पास जेया रा था. सामने से राज को अपनी बचपन की स्कूल टीचर आती हुई दिखी. जो अब रिटाइयर्मेंट ले चुकी थी. राज ुआसी देख कर खुश हो गई. और वो राज को डेक के प्रेशन हो गई.

राज हस्ता हुआ अपनी टीचर के पास जा पोनचा.

राज---- केसी हो मेरी टीचर डार्लिंग.. टीचर का नाम सुधा था, वो घबरा क्र इधर उधर देखने लगी. कोई न्ही दिखा तो चैन की साँस ली. राज ने बिना आस पास देखे ही सुधा को अपने गले से लगा लिया, साथ ही उसकी गंद मे उंगली भी क्र दी.

राज---- क्या बात हा मेरी सुधा डार्लिंग ने आज अपनी गंद को इतनी सर्दी मे भी मेरे लिए नंगा रखा हुआ हा.

सुधा--- छ्चोड़ मूज़े हरामी सेयेल कुत्ते. कोई देख लेगा. क्या कहेंगे सब.

राज सुधा से अलग होके उसका हाथ पकड़ के उसके साथ चलने लगा. कुछ फ़ासले पे सुधा का घर था.

राज----- आज न्ही छ्चोड़ूँगा टुजे मे मेरी गड्रई घोड़ी. बड़े दीनो के बाद तू मेरे हाथ आई हा. आज तो छूट और गंद दोनो मे लंड पेल के ही रहूँगा. सुधा के चेहरे प्र सर्दी मे भी पसीना आ गया था. कुछ देर मे दोनो सुधा के घर के दरवाज़े पर पोहचे. राज देख के खुश हो गया.

राज----- वाहह आज तो घ्र पे कोई भी नही हा. कहा गये हाँ सब.

सुधा ने लॉक खोला आस पास देखा फिर राज के साथ अंदर चली गई. एक कमरे मे पोनच के राज ने ज़बरदस्ती सुधा को पकड़ कर बेड प्र गिरा दिया.

सुधा---- देख राज तू मेरे साथ ऐसा सब ना किया कर. कुछ तो ख़याल रखा क्र मे तेरी टीचर भी रही हों ना. सुदाह रिक्वेस्ट करते हुए बोली.

राज--- इतने दिन से ढयन ही रो रख रहा हो मेडम जी. कसम से जितना मे दूसरों को प्रेशन करता हों, उतना आपको न्ही करता. एक तुम हो कह मूज़े ही बुरा कहती रहती हो.

सुधा--- जब तेरे पास पूरे गाओं की छूट हा तो मूज़े माफी क्यू न्ही दे देता तो राज बेटा. प्ल्ज़ मेरे साथ ऐसा सब मत किया कर. मूज़े-------

राज----- सस्शह... मेडम जी जो मज़ा आपके साथ करने मे आता हा वो किसी और साथ नही आता. राज ने सुधा को किस करनी शुरू कर दी. सुदाह मचलने लगी, राज को रोकने ल्गी. प्र राज नही रुका. राज ने किस के साथ सुधा के दोनो चुचे भी दबाने शुरू कर दिए. थोड़ी देर मे उसके और अपने सारे कपड़े निकल दिए. सुधा बेबसी से राज को राज के लंड को देखने लगी.

राज--- क्या देख हो सीधा डार्लिंग कितनी बार तो दल चुका ही अपने लंड को तेरी छूट मे, तेरी गंद मे. सुधु कुछ न्ही बोली मो साइड कर गई. शुरू मे उसे राज का ऐसा सब क्रना पसंद न्ही आता था. गर्म होने के बाद वो भी स्थ देती थी.

राज झुका और सुधा के दोनो पैर खोल क्र उसकी ठंडी छूट मे जीव घुसा दी. राज जीब और एक उंगली से सुधा की छूट को गरम करने लगा. देर नही लगी और सुधा का राज के सर प्र आ गया.

सुदाह-- आहह हरामी सेयेल और अच्छे से छत मेरी छूट को. जितनी जल्दी आग भड़कता हा, उतनी जल्दी ठंडी भी कर दिया क्र. आहह मा इस हरामी से कब जान छ्होटेगी मेरी. इसकी मा की उमर की हो गई हों फिर भी मेरे पीछे पड़ा हुआ हा.

सुधा सिसकती हुई बोली तो राज सुधा की छूट मे ही स्माइल करने लगा. कुछ देर के बाद राज उठा और के मूह पर आ गया.

राज-- चलो मेडम जी अब मेरे लंड को भी मो मे लकर् गीला कर दो. या ऐसे ही घुसा दूं. सुधा ने नशीली आँखों से राज को, राज के लंड को देखा फिर पकड़ कर चाटने चूसने लगी. लंड को मो मे लेने वाला कम भी सुधा सिर्फ़ राज के साथ करती थी. राज बड़ा हरामी था, सब अपनी मर्ज़ी से करता था.

कुछ देर लंड चुसवाने के बाद राज ने अपने लंड सुधा के मोह्न से निकाला और सुधा को घोड़ी बना दिया. सुधा कुछ नही बोली और घोड़ी बन गई.

राज पीछे आया और सुधा की गंद को भी चाटने लगा. अच्छे से उसकी गंद को गीला करके राज ने अपने लंड को सुधा की गंद के च्छेद पर सेट किया. एक धक्का मारा आधा लंड सुधा की गंद मे..


सुधा--- सेयेल कुछ तो मेरे दर्द का ख़याल रख कर. आराम से नही दल सकता था क्या.



मेडम मस्त होने लगी. मेडम अपनी छूट को मसालने लगी. राज की स्पीड बढ़ने लगी.

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राज-- क्या करूँ सुधा डार्लिंग आपकी गंद मे प्यार से लंड डालने का मज़ा नही आता और आप जो ना ना करके मेरे लंड लेती हा ना मुझे बड़ा मज़ा आता हा. राज ने एक धक्का और मारा और पूरा लंड मेडम की खुली गंद मे उतार दिया. मेडम सिसक पड़ी. सर्दी गर्मी मे बदलने लगी. राज के धक्के भी बढ़ने लगे. सर्दी मे भी पसीना आने लगा था दोनो को.

अब मेडम नशे मे पूरी मस्त हो चुकी थी. वो भी अपनी गंद हिला हिला कर राज के लंड को पूरा पूरा अपनी गंद मे लेने लगी.

राज----- कसम से मेडम जी आपकी गंद जैसी कसी हुई गंद पूरे गाओं मे किसी की नही हा. राज मेडम के कमर और चुतताड मसालते हुए, धक्के मारते हुए बोला. मेडम थी भी भरे हुए शरीर की मलिक.

सुधा---- तू तेरे लिए तो नही ऐसा खुद को संवार के रखा मैने हरमाई सेयेल. अपने पति के लिए सब करती हों. और तू लुटेरा बन कर मूज़े लूट लेता हा.

राज---- लुटेरा हाहाहा सही कहा मेडम जी आपने, आपके साथ ज़बरदस्ती करके बड़ा मज़ा आता हा. राज ने लंड निकल कर मेडम की छूट मे डाल दिया. छूट बोहुत पानी छ्चोड़ चुकी थी. लंड फिसलता हुआ अंदर जाने लगा. मेडम भी मस्त होकर गंद हिला हिला क्र राज का लंड लेने लगी.

सुधा ----- सेयेल हरामी तो कितना मज़ा भी देता हा मूज़े. इतना मज़ा मूज़े काबी अपने पति से भी नही मिलता.

राज--- तभी तो आपका खल करते हुए आपको छोड़ता हों मेडम जी.. मूज़े फीलिंग्स भी बड़ी अच्छी आती हा, एक स्टूडेंट अपनी टीचर को छोड़ रहा हा. जिसके उसे मूज़े ज़िंदगी का पाठ पढ़ाया था. उसी की छूट और गंद मे मेरा लंड अंदर बाहर हो रहा हा.

सुधा--- चल अब स्पीड बढ़ा मेरा होने वाला हा. आह ऊहह हन राज बेटा पूरा पूरा अंदर दल के निकल.. आिइ उफ़फ्फ़ मेडम कुछ देर मे झड़ने लगी.

राज ने मेडम की छूट से लंड निकल कर मेडम को सीधा किया. मेडम के उपर आ कर मेडम के दोनो बूब्स को दबा कर बीच मे से लंड रगड़ने लगा. मेडम की आँखें बंद तीए.

कुछ देर मे मेडम ने आँखें खोली राज को देखा.

सुधा--- तू मुझे हर जगा छोड़ने से बाज़ नही आएगा ना.

राज----- मेडम आपके चुचे भी तो बड़े मस्त हा. आज इनका दूध नही पिया तो सोचा इन्हे छोड़ ही लूँ.

सुधा--- चल जल्दी कर आब मेरी बेटी आती होती.

राज----- आने दो उसे भी, उसपर भी मेरी नज़र हा, बची हुई हा वो भी मेरे हाथों से.

सुधा ने राज के लंड को पकड़ कर लंड के सूपद को अपने दाँतों मे कस लिया,. राज को दर्द हुआ तो चीख पड़ा. सुधा ने कुछ देर मे राज के लंड को अपने मोह्न से निकल दिया.

सुधा---- हरामी सेयेल कुत्ते, मूज़े छोड़ क्र मेरी बेटी को भी छोड़ने की बात करता हा. सच कहती हों जिस दिन तूने ऐसा किया ना, कसम हा मूज़े मे तेरे लंड को ही चबा चबा कर आधा कर दूँगी. फिर डालते रहना किसी की छूट, गंद मे. सुधा बड़े घुस्से से बोली.

राज---- आहह साली मेडम आपने तो मेरे लंड ही काट डाला था. लंड का सूपद लाल हो चुका था. मेडम ने राज को बेड पर लिटाया, राज के उपर आ कर राज के लंड को अपनी गंद मे लेके उच्छलने लगी..

सुधा--- तू भी कभी मेरी बेटी के बारे मे मत सोचना. वरना जो कसम मैने खाई हा, उसे पूरी भी कर जाओंगी.

कुछ मिंटो की मेडम की उच्छल कूद से राज के लंड मे माल छ्चोड़ दिया. मेडम उसके उपर से उठी.







सुधा---- चल उठ और कपड़े पह्न के निकल मेरे घर से.. हरामी कहीं का.. मेडम के होंटो पर अब मुस्कान थी. राज मेडम को देख कर स्माइल करने लगा.

राज को मेडम के यही रूप बोहुत पसंद थे. मेडम की मस्त छुदाई करके राज ने कपड़े पहने और निकल लिया मेडम के घर से. बाहर निकला तो मेडम की हंसाई ने राज को देख लिया.

वो बोली--- ऑश तू आज फिर मेडम को छोड़ के जेया रा हा. मूज़े मेडम जी के पति को बताना ही पड़ेगा. तभी----

राक-------- रुक हरमज़ड़ी तू, पिच्छली बार का भूल गई. लगता हा, अब तेरी छूट मे नही तेरी गंद मे लंड डालना पड़ेगा. उसे भी राज की ज़बरदात चुदाई याद आई तो शरम के मारे दीवार से मो नीचे कर गई. राज हस्ता हुआ जाने लगा.
 
राज अपने दोस्तो के पास पोहच्ा.

बिन्नी ---- राज कहा रह गया था, कितनी देर से आया हा.

विक्की ----- कही जूरी की बाजी को छोड़ तो नही दिया

जूरी झेप गया और सब हासणे लगे.

राज ---- नही आज मस्टेरनी मिल गई थी.

जूरी------ हाहाहा आज फिरसे उसकी बजा दी तूने सेयेल.

बिन्नी ---- अब ज़रूर अगला नंबर उज़मा बाजी का होगा. बिनी हस्ता हुआ बोला.

जूरी ---- राज तू ही कर ले मज़े, साला मेरे नसीब तो मेरे घर का माल हा ही नही.

विक्की ---- जूरी के कंधे पर हाथ मरते हुए... हम भी तेरे जेसे हाँ यार..

राज ---- चलो उठो सब, दूसरे गाओं चलते हाँ. उन हरंज़ाज़ो को सबक़ सीखा के आते हा. राज के रहते सब लड़ाई मे शेर थे. अकेले किसी ने उतना दूं न्ही था. सब उठ गये. दो मोटोरस्यकलो पर बेते सब दूसरे गाओं पोनचे, वहाँ टीन लड़के मिले तीनो को पीठ कर वापिस आ गये. वो लड़के भी अपने गाओं मे बदनाम थे. किसी ने नही बचाया.

कुछ दिन ऐसे ही बीट गये. राज ने अपनी मा और डीडीओ के मस्ती चलती रही. सब कभी घुस्सा क्रती तो कभी राज के गर्म करने पर मज़े मे आते हुए अपनी छूट का पानी निकल देती.

एक दिन मोका मिलने पर राज उंज़ा को लेके विक्की के घर मे जा घुसा. विक्की और उसके घर अपने रिश्तेदारो से मिलने किसी दूसरे गाओं गये हुए थे. विक्की से राज ने घर की छपी ले ली थी.

राज उज़मा और नरेन को लेके विक्की के घर मे घुस गया. किसी ने नही देखा. कोई देखता भी तो चुप ही रहता. राज से कौन भिदता. सब ही तो उसके डरती थी.

नरेन को बाहर छ्चोड़ कर राज उज़मा को लेके अंदर कमरे मे बंद हो गया. उंज़ा नशीली आँखों से राज को देखने लगी. वो बोहुत घरबाई हुई थी थी.

राज ---- क्यूँ मेरी जान, आज तेरा नंबर भी आ ही गया. छूट तो ज़रूर तू चमका के आई होगी. उज़मा भारी सांसो से राज को देखने लगी.

राज ने हेस्ट हुए उंज़ा को अपनी बहुँ मे भर लिया. उज़मा के गुलाबी होंटो पर किस करके वो फिरसे बोला.

raj----- kasam se tu badi haseen ha uzma. chuche dabate hua.. tere ye chuche badi ghabza ke han. aaj toh kas kas ke inke andar ka sara doodh pionga me.

उज़मा ---- शर्मा कर... राज मे भी सालों से बोहुत बेचैन र्ही हों तुम्हारे लिए. तुम्हारे लच्चन अच्छे नही हाँ. पर तू मेरे दिल को बोहुत भाता भी हा. तू दिल का भी बड़ा अच्छा हा. पता नही क्यू सब तुझे गलियाँ देते हाँ.

राज ---- हस्ता हुआ... देने दो गलियाँ मुझे गलियों पर घुसा नही आता. मूज़े तो मज़ा आता हा.

उंज़ा---- पर मुझे बोहुत घुस्सा आता हा राज. जब सब तुझे गलियाँ देते हाँ.

राज --- चल छ्चोड़ सब.. मज़े करते हाँ. राज का लंड तो उज़मा के बदन से आ रही खुश्बू से ही खड़ा हो गया था. उज़मा की छूट पर दबा हुआ उज़मा का हाल बहाल कर रा था.

राज उज़मा को किस करने लगा, उज़मा भी तड़प कर राज के गर्म होंटो का रस पीने लगी. बाहर नरेन दरवाज़े से आँखें लगाए हुए सब देख रही थी. राज और उंज़ा जानते थे. दरवाज़े के च्छेद हा. उंज़ा को शरम तो आ रही थी. पर आग बोहुत बढ़कर थी. और नरेन तो उसकी पक्की सहेली थी, और सहेलिओ के सामने तो ऐसा चलता ही रहता हा.

किस के साथ साथ राज उज़मा के चुचे भी दबाने लगा. उज़मा की कमर जितनी पतली थी, उतने ही उसके चुचे बड़े थे, उतने ही उसके चुट्त्टड भी बाहर को निकले हुए थे. राज का एक हाथ उंज़ा के चुतताड पर पोनचा और राज कस कस के दबाते हुए उंज़ा को वाइल्ड किस करने लगा. उंज़ा तो राज के स्पर्श से ही पागल हो जया करती थी. उसका एक हाथ राज के लंड पर आया और वो उसे मसालने लगी. साँस फूलने प्र किस तोड़ी. राज स्माइल से उज़मा को देखने लगा और उंज़ा फूली साँसों के साथ राज को.

राज ने एक नज़र दरवाज़े को देखा, नरेन झट से पीछे हट गई. उसकी साँसे भी भारी हो गई थी, उसकी छूट मे भी खलबली मच उठी थी. वो लंबी लंबी साँसे लेते हुए ड्यूवर के साथ टेक लगा क्र खड़ी हो गई. उसका एक हाथ खुद से उसकी छूट पर पोनचा हुआ था.

राज नंगा होके उंज़ा को नंगा करने लगा. उज़मा बड़ी बेताबी से राज द्वारा नंगी होने लगी. नंगी होते ही वो फिरसे राज से लिपट गई. अपनी छूट को राज के लंड पर दबाते हुए राज को किस करने लगी. राज तो उंज़ा की बेताबी देख के हेरान रह गया था. राज ने उंज़ा को अपनी गोद मे उठाया और खट्टिया पर लिया दिया. नीचे मोटा बिस्तेर बिच्छा हुआ था. बाहर नरेन फिरसे दरवाज़े के साथ जुड़ चुकी थी. अंदर का नज़ारा देख के उसकी छूट पर हाथ की रग़ाद बढ़ने लगी थी.

गाओं की छोकरी थी. आग से भारी हुई थी. जल्द ही उसकी सगाई फिर शादी भी होने वाली थी. हर रत लंड छूट को सोच कर सोता करती थी. उंज़ा के साथ उसकी मस्ती चलती रहती थी. पर ऐसा सीन उसकी ज़िंदगी मे पहले कभी नही आया था. बड़ी आग उसके अंदर से भड़क चुकी थी.

राज ने उंज़ा की एक चुचे को अपने मोह्न मे लिया और चूसने लगा.

उंज़ा --- राज मेरे जानू कई सालों से मे तेरे लिए रडाप रही थी. पर तुझे मुझपे रह नही आया. आज मोका बना हा तो मुझे इतना प्यार दो, मई कभी भूल ना पाओं.

इधर राज उंज़ा को छोड़ने मे लगा हुआ था. वही राज के चाचा के घर का महॉल बड़ा दर्दनाक बना हुआ था.

"निर्मल तुमने मुझे सच ना बता कर बोहुत बड़ा पाप किया हा, बोहुत बड़ा धोका दिया हा. मैं ये रिश्ता तोड़ने आया हों"

राज की दीदी अंजलि का रिश्ता निर्मल चाचा के रिश्तेदारो मे हुआ था. वही आ कर रिसहा तोड़ रहे थे. निर्मल चाचा और चाची तो ये सुनकर काँप ही उठे थे.

निर्मल :- भाई साब ये आप क्या कह रहे हाँ.

"ठीक ही तो कह रहा हों मैं निर्मल. एक घर से भागी हुई औरत की बेटी के साथ मैं अपने बेटे की शादी नही कर सकता. कल को वो भी किसी के साथ भाग गई तो, हम क्या मूह दिखाएँगे किसी को"

निर्मल चाचा चीख पड़े... भाई साब मैं आपका लिहाज़ कर रहा हों तो ईसा ये मतलब नही हा आप मेरे घर की बेटी बारे ऐसे बात करेंगे. कुच्छ और मत बोलिएगा, वरना मे भूल जाओंगा हमारे बीच के रिश्ते को. रिश्ता तोड़ना ही हा तो तोड़ कर जा सकते हाँ आप. पर ऐसा बोलने वेल की मे जीब गुड्डी से निकल दिया करता हों.

वो आदमी उठ खड़ा हुआ, निर्मल की बात पर घुसे मे आ गया था. सर्दी का मौसम था, अपनी शॉल को एक झटके मे अपने कंधे पर धारा और घुस्से से बोला.

"जिनके साथ रिश्ता जोड़ना होता हा, उनसे कुछ च्छुपाया नही जाता. मत भूलो तुम्हारी बेटी भी हमारे ही गाओं मे बियाही हुई हा"

चाची और सब उसकी बात पर लर्ज़ कर रह गये. घुस्सा भी बड़ा आया था उसकी बात पर. कोई हरामी पं पर उतरे तो बोहुत कुछ कर जया करता हा. सब खून के घूँट पी कर रह गया. सच च्छूपा कर सबने सही किया था तो दूसरो के लिए वही सच नज़म करना मुश्किल भी होता हा.

"बात बिगड़ने की ज़रूरत नही हा. हम डोर के रिश्तेदार हाँ, पर गैर नही हाँ. जो रिश्ता बना था, उसे ख़तम करके मे जा रहा हों"

इतना बोल कर वो वहाँ से निकल पड़ा.. सब सदमे मे आ गये.

चाची --- हाए मेरी बच्ची केसे सब सह्न करेगी.. हाए मेरी बहें आराधना केसे सब सह्न करेगी. हाए वो तो पहले से ही बड़ी दुखी हा. घर से भागी थी, पर मॅन की तो अच्छी हा ना. प्यार किया था, उस करम जाली ने. कोई गुनाह तो नही किया था. हाए मेरी अंजलि बेटी.. चाची सीने पर दो हाथर मरते हुए बन करने लगी.

नंदानी अपनी मा से लिपर कर रोने लगी. तीनो भाई अपने पिता के साथ एक खट्टिया पर बैठ गये.

निर्मल ---- केसे.. अब केसे मे अपनी भाभी को मूह दिखाओंगा.. हमारे सिवा उसका हा ही कौन. अब कौन शादी करेगा मेरी दूसरी बेटियो के साथ.

नंदानी --- राज को क्यू बता देते आप सब. वो कोई ना कोई रास्ता निकल ही लेगा.

निर्मल ---- राज मे वो बात नही हा नंदानी बेटी, राज शुरू से ही और दिमाग़ वाला लड़का हा. ऐसे मामलो मे वो भी क्या कर सकता हा.

नंदानी --- मूज़े पूरा विश्वास हा पिता जी. राज कुच्छ तो आइस ज़रूर करेगा, जो हम नही कर सकते.. और फिर सब जानना उसका भी हक़ हा. शुरू मे ही उसे सब बता देते तो अछा था. चाची ने, सबने उसे कुछ पता न्ही चलने दिया. वरना वो ऐसा ना बनता.

चाची ---- चल कर आराधना को बताते हाँ. पता न्ही सब सुनके उसका क्या हाल होगा.

वहीं राज और उंज़ा भी 69 पोज़िशन मे लगे हुए थे. राज उंज़ा की छूट मे गुम था, तो राज का मोटा लंबा लंड उंज़ा के मूह मे. वो पागलों की तरह सर्दी मे पसीने से नहाए हुए राज के मोटे लंबे लंड को कुलफी साँझ कर चूस, छत रही थी.

राज खड़ा हुआ और खट्टियार से उतार कर एक नज़र दरवाज़े को देखा, जहाँ नरेन भी पागल हुई आँख लगाए देख रही थी. राज फॉरन दरवाज़े पर पोहच्ा और दरवज़ा खोल कर नरेन को भी अंदर खेंच लिया. दरवाज़ा को कुण्डी नही लगाई, वेसए ही बंद कर दिया.

राज ने नरेन को मोका दिए बिना ही अपने खड़े लंड को उसकी छूट के साथ जोड़कर उसके चुचे दबाते हुए किस करनी शुरू कर दी. नरेन तो बेचारी चीक भी नही सकी. उंज़ा ये देख कर हस्स पड़ी.

नरेन खुद भी बोहुत गर्म हो चुकी थी. नॉर्मल होती तो राज को दो थप्पड़ मार कर खुद से डोर कर देती. प्रा राज के लंड को देख के, राज और उज़मा के खेल को देख के वो सब भूली हुई थी.

राज ने कुछ देर की किस के बाद नरेन को भी नंगा करना शुरू कर दिया. नरेन जो अपनी साँसों को ठीक कर रही थी. ढयन नही दे पाई. उसे तो पता चला जब उसकी शलवार का खुल कर उसके पैरों मे गिरी.

उंज़ा भी . हुई नीचे उतार आई.

उंज़ा--- हहहे नरेन तू राज के साथ . . दिख रही थी. नरेन शरम से लाल हो चुकी थी. एक हाथ से अपने चुचे च्छूपा लिए उसने तो दूसरा हाथ पनटी पर रख कर अपनी छूट को च्छुपाने लगी.

राज---- उंज़ा . नीचे बिच्छा दो. उंज़ा भी सब साँझ कर झट से . नीचे बिच्छा गई. राज ने नरेन को पकड़ा और . पर लिया दिया.. उसके चुचे को मोह्न मे . राज चूसने लगा.

नरेन--- चह... दे मुझे हरामी.. आहह . नरेन सर . लगी. उसकी ऐसी हालत पहले कभी न्ही हुई थी. उंज़ा साइड बेत के सब देखने लगी.

राज फिर नरेन की छूट पर आया, उसकी पनटी उतार कर छूट पर मूह लगा दिया. अब तो नरेन की बस हो गई थी. एक झटके के साथ वो अपनी गंद उठा गई. साथ ही उसकी छूट ने भी . . पानी . श्रु कर दिया.

राज उठा और उंज़ा को लिया कर उसके पैर खोल दिए. उंज़ा मस्ती मे आते हुए, एक हाथ से नरेन के चुचे दबाने लगी. जो . हो . थे. राज ने अपने अपने को उंज़ा की छूट की बंद . मे . कर धक्का मार दिया.

.. उंज़ा चीख पड़ी. नरेन ने उसे देखा, पर बोल ना सकी, उसकी साँसे अभी भी उसके . मे नही थी. वो नशीली आँखों से, . चूचु से उंज़ा को देखने लगी. उंज़ा का हाथ नरेन की चुचि से . अपने मूह पर चला गया था.

चला तो राज का लंड भी तोड़ा सा उंज़ा की छूट मे गया था. . छूट मे राज का लंड . चुका था. राज ने उंज़ा को देखा, फिर एक और धक्का मार दिया. राज का लंड उंज़ा की छूट को खुला करता हुआ सील तक जा पोहच्ा. उंज़ा ने . से अपने मो को बंद कर लिया था. कहीं उसकी आवाज़ ना बाहर चली ..

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राज ने एक धक्का और लगाया तो उंज़ा की घुटि घुटि सी चीख निकल ही गई.



राज का लंड उज़मा की सील तोड़ चुका था. खून निकला और राज की हिंती मे एक और का इज़ाफ़ा हो गया.


बोहुत सी सीलें राज गाओं मे पहले भी खोल चुका था. आज उज़मा की भी राज ने खोल दी थी.

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राज ने अपने लंड को तोड़ा सा पीछे खेंचा और एक धक्का और मार दिया. साथ ही राज उंज़ा के चुचे पे झुका और एक निपल को मूह मे भर कर चूसने लगा.. उंज़ा बेचारी बोहुत तड़प रही थी. पहली ही बार मे उसकी नन्ही सी छूट मे खोते का लंड चला गया था. उंज़ा के आँसू उनके कानो मे भरने लगे थे. नरेन बड़े ढयन से उंज़ा की हालत को देख रही थी. मॅन मे बोल रही थी. और ले साली उस हरामी का लंड अपनी छूट मे. कहा था, हरामी का लंड बोहुत बड़ा हा. पर नही मानी. एब्ब खुद ही भुगते..

कुछ देर मे उंज़ा सुकून से हुई तो अपने मूह से हाथ हटा दिया.

उंज़ा --- कितने ज़ालिम हो तुम राज. कितना दर्द दे दिया मुझे. मे तो मार ही गई थी.

राज ---- लंड से कोई नही मरता डार्लिंग. लंड तो बना ही छूट के लिए हा. पहली बार बड़ी हो या लंड बड़ा हो. दर्द तो होगा ही हा.

राज ने फिर अपने लंड को खेंच कर पीछे किया और उंज़ा को किस करते हुए पूरे ज़ोर का एक धक्का मार दिया. इस बार राज का लंड उंज़ा की छूट के सारी दीवारें फड़ता हुआ अंदर तक उतार गया. उंज़ा तो मरने जेसी हालत मे हो गई थी. उसने राज के होंटो पर काट लिया.

राज--- आहह साली काटती क्यू हा. मार उंज़ा कुछ बोल नही पाई. राज उंज़ा के चुचि को फिरसे मो मे ले गया और चूसने लगा. कुछ देर मे उंज़ा को सुकून हुआ तो राज ने अपने लंड को हरकत देनी शुरू कर दी.

उंज़ा --- आहह राज दर्द होता हा.

राज--- चला जाएगा.. एब्ब तो सारा अंदर चला गया हा मेरी जान.जितना दर्द होना था, हो गया. अब तू मेरे लंड के मज़े ले और मूज़े अपनी इस सुंदर शरीर के मज़े लेने दे. कितनी टाइट छूट हा तेरी.. उफ़फ्फ़ ज़रूर मेरा लंड भी च्चिल गया होगा.

नरेन साइड बैठ कर राज के पूरे लंड को उंज़ा की छूट मे गुम देख कर हेरान थी. ऊआी यकीन ही नही हो रहा था. इतना ब्डा लंड लेके भी उंज़ा कितनी जल्दी नॉर्मल भी हो गई.

राज --- नरेन से... इसके बाद तेरी भी खुलूंगा मेरी जान. तुझे भी दर्द के बाद इतना ही मज़ा आएगा.

नरेन -- भबरा.. नही.. नही.. मैं नही लेने वाली..

दर्द मे होते हुए भी उंज़ा हास पड़ी.

उंज़ा---- राज तुझे मेरी कसम हा आज उसकी छूट मे भी लंड डालना हा.

नरेन --- कमीनी तू मेरी सहेली होके ऐसा बोलती हा. जानती नही मेरी माँगनी होने वाली हा.

उंज़ा---- तो क्या हुआ, उस लल्लू को पता ही नई चलेगा, तेरी सील हा भी क नही.

नरेन शर्मा गई.. राज अपने लंड को पूरा पूरा बाहर निकल कर उंज़ा को छोड़ने लगा. जल्द ही उंज़ा की छूट मे पानी बढ़ने लगा. जिससे पच पच पच की आवाज़ होने लगी. उंज़ा भी सिसकते हुए मज़े से चूड़ने लगी.

कुछ देर मे उंज़ा के हाथ राज की पीठ पर आए और राज की पीठ पर चलने लगे.

उंज़ा ---- एब्ब मुझे बोहुत अच्छा लगा रहा हा राज. दर्द के साथ एक सुकून भारी लहर भी मेरे अंदर दौड़ जाती हा राज. लिव योउ राज. तुम बोहुत पायारे हो. तुम्हारे लंड भी बोहुत बड़ा हा. ऐसा ही लंड तो हर लड़की की चाह होती हा. पता हा राज एक बार मैने तुम्हे देख लिया था हमारी ही बिरदरी की एक औरत के साथ. तुम्हारा लंड देख के मैं बोहुत मचल गई थी. तब से मैं तुमसे चूड़ने के लिए बेताब थी.

राज --- ये बात तुमने पहले क्यू नही बताई. राज के धक्को की स्पीड बढ़ने लगी.

उंज़ा---- सोचा था जब अपने अंदर लूँगा, तब बताओँगी. नरेन को बता दिया था मैने.

राज ने नरेन को देखा, जो फिरसे गर्म होने लगी थी. अपने एक उंगली से अपनी छूट को मसल रही थी.

राज ने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और नरेन की छूट पर चलाने लगा. नरेन ने अब की बार राज को कुछ नही कहा. कितना कुछ तो राज उसके साथ कर चुका था. अब क्यू रोकती.

वो भी राज के हाथ के मज़े लेने लगी. उसकी आँखें बंद होती चली गाइ.

कुछ देर मे उंज़ा झड़ने लगी. राज ने अपना लंड उसकी छूट से निकाला और नरेन को लिटा कर उसके उपर आ गया.

नरेन ने देखा तो बोल पड़ी... राज प्ल्ज़ मुझे मत छोड़ना.. नरेन चूड़ना तो चाहती थी. पर डरती थी. राज ऐसा मोका कसे छ्चोड़ सकता था.

राज --- नही छोड़ता मेरी रानी तुझे मे. मज़े तो करने दो. अपना दूध तो पीने दो. नरेन आँखें बंद कर गई. राज ने नरेन की चुचि को भी मूह मे लेके चूसना शुरू कर दिया. उम्म्म्ममहा उफ़फ्फ़ आअहह सीईईईईईई की आवाज़े नरेन के मो से निकालने लगी.

कुछ देर मे राज नरेन के पैरों मे आया और उसकी छूट फिरसे चाटने लगा. उसकी छूट के पानी को अंदर उतरने लगा. नरेन की हालत और भी ज़यादा खराब होने लगी. अपनी मुठीोन मे बिस्तर को कसते हुए वो सिसकने लगी. राज एक उंगली से नरेन की छूट के च्छेद को कुरेदने लगा तो क्लिट को मो मे भर कर चूसने लगा. केसे नरेन राज की ऐसी दरींडगी को सह्न कर पति. उसके हाथ भी राज के सर पर आए और छूट पर दब्ाओ बढ़ने लगे. उसके मो से भी आवाज़े निकालने लगी थी. उंज़ा ज़यादा फास्ट थी. वो उठी और नरेन को किस करने लगी. नरेन ने नशीली आँखों से उज़मा को देखा, फिर आँखें बंद कर लीं.

राज ने सर उठा के उंज़ा को देखा, उसकी नज़र उंज़ा की खूनी छूट पर पड़ी तो उसके होंटो पर स्माइल आ गई.

राज ने यही मोका सही जाना और सीधा होकर नरेन के पआईर्न को खोल दिया. खुद भी अपने लंड को हाथ मे पकड़ कर नरेन की छूट के लिप्स मे रगड़ने लगा. नरेन को दर्र भी लगा और मज़ा भी बढ़ गया. लंड का एहसास छूट पर उसे किसी और ही दूण्या मे लेजने लगा. वो भी उंज़ा को किस करने लगी.

राज ने अपने लंड को च्छेद पर सेट करते हुए धक्का मार दिया. नरेन ने उंज़ा को धक्का दिया और चीख पड़ी.

नरेन --- आहह राज नही.. नही प्ल्ज़ अंदर मत डाल.. आहह मार गैिईईईईईईई आहह अम्मि
अम्म्म्मिईीई अम्म्म्मिईीई मररर्र्ररर गैिईईईईईई अम्म्म्मममि ऊओह अहह


राज ने एक और धक्का लगा दिया था. उंज़ा ये देख कर हासणे लगी. नरेन भी आँसू बहाने लगी. राज के एक और धक्के ने नरेन की सील भी खोल दी. राज के तीसरे धक्के मे नरेन की छूट की दीवारें 5इंच तक खुल गई थी. नरेन की साँसे अटकने लगी. राज को उसपर दया नही आई. राज ने अपने लंड को खेंचा और आखरी धक्का मार दिया. बचा हुआ लंड भी पूरा पूरा नरेन की छूट मे उतार कर उसकी बच्चेड़नी पर ठोकरें मरने लगा.


नावरीं की चीख नही निकली. उसकी आँखें बड़ी हो गई थी. उसकी साँस अटक गई थी, उसका मो खुला रह गया था. राज झुका और नरेन के एक निपल को मो मे भर कर चूसने लगा. ये पहले मोका था राज की ज़िंदगी मे, जो उसने जो मुस्लिम लड़कियों की एक ही टाइम मे सील तोड़ी थी. वरना 3 मुस्लिम सीलें वो गाओं की पहले ही खोल चुका था. एक साथ दो कभी भी किसी की नही खोली थी. राज बोहुत खुश था.

कुछ देर मे नरेन की साँस बहाल हो गई..

नरेन---- रोते हुए... मे बर्बाद हो गई, मे लूट गई.. हरामी तू ने मुझे कहीं का नही छ्चोड़ा.. मेरी शादी होने से पहले ही तुद्वा दी तूने. हरामी सेयेल कितना कहा था मैने अंदर मॅट डालो.. अम्म्म्मममिईीईईईईईई अम्म्म्मममममिईीईईईईई अम्म्म्ममममममममममममिईिइ नरेन बड़े दुख से रोने लगी.

राज --- उंज़ा ये तो सच मे बड़ी दुखी हो गई हा. उज़मा भी नरेन को देख कर प्रेशन हो गई थी. उसे लगा था, नरेन भी बाद मे नॉर्मल हो जाएगी.

नरेन को दर्द तो था पर दुख ज़यादा था. उसी दुख के कारण वो रो रही थी.

उंज़ा -- घबराई हुई सी....राज तुम इसे छोड़ो. शायद बाद मे मज़ा मिले तो सुकून से हो जाए.. पर राज और उंज़ा दोनो को लगने लगा था. नरेन जल्द नॉर्मल नही होगी. उंज़ा को लगा उसने कसम देकर ग़लती की हा. पर राज को कसम से कोई फ़र्क नही पड़ता था. वो तो छूट देख कर मान बना लिया करता था. ऐसी कई गलियाँ वो सुन चुका था. ऐसे कई रोने वो देख चुका था. राज सर झटक कर नरेन को छोड़ने लगा. नरेन का रोने मज़े मे बदलने लगा. राज का मोटा लंबा लंड पूरा पूरा नरेन की छूट मे ओधम मचा रा था.

नरेन भी झाड़ गई. राज भी जल्द ही झड़ने वाला था. उज़मा को घोड़ी बना कर राज छोड़ने लगा. झड़ने वाला हुआ तो लंड बाहर निकल लिया. और उंज़ा की बॅक पर माल गिरने लगा.

नरेन उठी अपने कपड़े पहनने लगी. नरेन मज़े के बाद फिरसे सीरीयस हो गई थी. कराहते हुए वो अपने कपड़े पह्न रही थी. जल्द ही वो कपड़ो मे हो गई.उसने दरवाज़ा खोला और बाहर खड़ी हो गई. उसके आँसू फिरसे जारी हो गये थे.

राज और उंज़ा ने भी कपड़े पहने और कमरे को टला लगा कर बाहर खड़े होकर नरेन को देखने लगे. नरेन ने दोनो को नही देखा. दोनो के आते ही वो लंगदाते हुए बाहर जाने लगी.

उंज़ा ---- राज उसे ज़्यादा दर्द हो रहा हा. केसे लंगड़ा कर चल रही हा. कहीं किसी को शक हो गया तो.

राज आयेज बढ़ा ुआर नरेन को पकड़ लिया.

राज --- चल अंदर टझे दर्द की डॉवा देता हों.. नरेन ने झटके मे अपना हाथ च्छुदाया और उंगली राज की आँखों की र करते हुए घुसे से बोली.

नरेन ---- पता हा एक लड़की के लिए उसके कुंवारेपन की कितनी अहमियत हटी हा. जा पूच्छ जा के अपनी बहनो से. जा जा के उन्हे भी छोड़, ज़बरदस्ती कर उनके साथ. फिर मुझे बताने उनका क्या हाल होता हा. तेरे घर मे पाँच पाँच हाँ, एक मा 4 बहने, पांचू को भी रोज़ छोड़ेगा तो बाहर मो मरने से बचा रहेगा. ******** करे अगर मेरा घर बनने से पहले टूटे तो तेरी भी किसी बहें का घर का घर सलामत ना रहे.

राज ने हमेशा सील टूटे दर्द देखे थे, टूटे दिल का दर्द उसने कभी नही देखा था. उसे नही पता था. उसके साथ ऐसा सब भी होगा. जब पहले बार उसके अपनी हंसाई को छोड़ा था. तो वो राज से बोली थी, "राज जितना बड़ा और मोटा लंड तेरा हा ना, जितनी देर तुम छोड़ते हो ना, कोई भी लड़की तेरे लंड को उमर भर भूल नही पाएगी. दर्द के बाद जो मज़ा उसे आए ना, तो सब भूल कर वो तुझसे लिपट जाएगी. ऐसा डूमदर लंड हा तेरा"

राज को समय की बातें कभी नही भूली थी. छुदाई का खेल तो उसके लिए एक आम बात बनकर रह गई थी. उसकी मा उसके सामने अपनी छूट मे उंगली लिया करती थी. राज ने भी अपनी मा की छूट मे उंगली करनी शुरू कर दी. अपनी बहनो के साथ, अपनी टाई के साथ, अपनी नंदानी दीदी के साथ, गाओं की दूसरी लड़कियों और औरतों के साथ. ज़बरदस्ती वाला सीन जब भी बना था, बाद मे सामने वाली लड़की या और्त उससे लिपट कर उसे चूमा करती थी. धीरे धीरे ग़लत वाला शब्द ही उसे भूलने लगा. वो तो राज कम ही मूड मे आता था. वरना तो रोज़ ही किसी ना किसी की सील खोल देता.

राज को उसकी मा और बहने भी तो मारा करती थी. पर कभी भी ऐसे आँसुओं के साथ राज को सही गॉल्ट नही बताया था. राज नरेन के आँसू देख कर, उसके शब्द सुनकर जहाँ का तहाँ खड़ा रह गया. लाइफ मे पहली बार राज को झटके लग रहे थे. दिल का अच्छा ना होता तो कबका अपनी मा को छोड़ चुका होता, अपनी बहनो की सील खोल चुका होता. नंदानी दीदी ना उसे इतना प्यार दे रही होती.

ऐसी नेचर की ही वजा से टीचर भी राज से चुड कर कभी मज़े लेती तो कभी राज को बुरा भला सुना दिया करती थी. एक औरत के साथ कोई ज़बरदस्ती कैसे कर सकता हा. अगर करता तो क्या वो गाओं मे रह सकता था. नही रह सकता था.

सब को राज का अंदाज़ भा भी गया था. और सब राज से चालू भी थे. पर कोई भी नरेन जैसा बर्ताओ नही कर पाई थी. नरेन के बर्ताओ ने राज को झंझोर कर रख दिया.

उंज़ा और नरेन दोनो राज को उसी हालत मे छ्चोड़ कर चली गई. ज़्यादा देर वो रुक भी नही सकती थी. और उंज़ा भी नरेन को छ्चोड़ नही सकती थी. नरेन गई तो उंज़ा को भी जाना पड़ा. उसे भी तो नरेन से माफी माँगनी थी. वो भी नरेन की कसूरवार थी.

कुछ देर बार बिन्नी और जूरी आए और राज को झंझोड़ने लगे..

बिन्नी--- राज क्या हुआ हा तुझे.

जूरी --- बाजी ने तो कुछ नही कहा तुझे. सेयेल जूरी को अपनी बहें से ज़्यादा राज की फ़िक्र होने लगी थी.

बार बार झंझोड़ने पर राज होश मे आया और दोनो को देखने लगा. फिर आस पास नरेन को देखने लगा.

राज कुछ नही बोला. दोनो को छ्चोड़ कर बाहर निकल पड़ा. राज के अंदर भी तूफान आए हुए थे. एक तूफान उसका घर मे इंतेज़ार कर रहा था. और वो तूफान भी कॅम नही था. राज की ज़िंदगी का बोहुत कुछ बदल चुका था नरेन की बातों के कारण. बाकी का अब बदलने वाला था.
 
राज का मॅन नही हो रहा था, कहीं और जाने को, राज गाओं से बाहर जाने लगा. गोन से बेर बैठ क्र वो सोचों मे गुम हो गया. नरेन की बातों ने उसके अंदर हुलचल सी मचा दी थी. छुदाई उसके लिए आम बात थी. पर ऐसा पहले कभी नही हुआ था उसके साथ.
राज बोहुत से विचारो मे उल्हजा रहा.

बोहुत देर हो गई थी उसे बेते हुए. बिन्नी दौड़ते हुए आया और राज को कंधे से पकड़ के झंझोड़ने लगा.

बिन्नी ----- राज तेरे घर मे कोई लाफद हो गया हा. टा चला हा, बोहुत देर से सब रो रहे हाँ. राज ज नरेन की बातों से उलझा हा था.बिन्नी की बात सुनकर झटके से उठ खड़ा हुआ.

राज---- क्या बकवास कर रा हा तू..

बिन्नी -- घबरा के.. मूज़े न्ही पता यार.. राज ने कुछ और न्ही पोछा, दौड़ता हुआ घर जाने लगा. घर पोनचा तो चाचा के भी सब वही थे. राज सब को देख कर हेरान नही हुआ. सबको दुखी देख कर हेरान था. राज प्र सबकी नज़र पड़ी, पर कुछ न्ही बोला.

राज सबके बीच पोनच के वजा जानने लगा.

दीपिका घुस्से मे आ कर राज को कुछ सुनने ही वाली थी. आरती ने उसे रोक दिया.

चाची ---- राज बेटा तेरी दीदी की शादी टूट गई हा.

राज --- क्या.. पर कैसे.. राज बड़ा हेरान हुआ.

दीपिका खड़ी हुई और राज का हाथ पकड़ कर अंदर लेजाने लगी. दीपिका बड़े घुस्से मे थी. कमरे मे पोनची, भावना भी पीछे ही आ गई थी. आज वो भी घुस्से मे आई हुई थी. नंदानी आँसू बहा क्र राज को देख रही थी.

कमरे मे पोनचे, डोर को लॉक लगा कर दीपिका ने राज के मोह्न पर 2 थप्पड़ लगा दिए.

दीपिका--- हर घर मे एक मर्द हुआ करता हा हरामी. हमारे घर मे एक मर्द हा, पर उसे सिवाए ंसती मज़ाक के कुछ और सूझता ही नही हा. ना अपनी मा को माफी देता हा और ना ही अपनी बहनो. जब दिल चाहा, जिसपर मॅन बना उसे नंगा कर दिया.

राज का दिमाग़ पहले ही गर्म था. दीपिका को अपनी बहुँ मे भर के कस्स लिया.

राज--- जो भी कहना हो दीदी कह देना. पर मुझे पहले सब बता दो.

भावना--- तू सुनना ही चाहता हा तो सुन.. अंजलि की शादी टूट गई हा. राज ने भावना को देखा, तो दीपिका के गिर्द लिपटी अपनी बाहें ढीली कर बैठा. हैरत से उसका मो खुला रह गया था.

राज----- क्य्ाआआआ.. ये केसे हो सकता दीदी..

राज को सब बता दिया भावना और दीपिका ने. उसकी मा ने भाग कर शादी करी थी. ये सुनकर राज डोप कदम पीछे हट गया था. एक ही दिन मे दो बार राज को बड़े झटके लग रहे थे.

राज----- चेखता हुआ.. मुझे पहले किसी ने क्यू नही बताया. मेरे ननिहाल वेल भी हाँ.

दीपिका--- तू क्या कर लेता हरामी. तुझे बता के भी तो कोई फयडा नही था. तुझे लंड छूट के सिवा कुछ दिखता ही कहाँ था. पैदा हुआ तो मा की छूट मे उंगली करके तूने दूण्या देखनी श्रु की. फिर हम सब के साथ च्छेद च्छाद करने लगा. फिर गाओं मे जिसे मान चाहा, पकड़ लिया.

भावना --- सब बता के भी कुछ हासिल नही होना था. कौनसा तूने कोई तीर मार लेना था. रहता तो तू वेसा ही, जेसा तू अब हा.

दीपिका--- बड़ा मज़ा आता हा ना तुझे हम सब को नंगा करके. बड़ी चाह हा ना तेरे दिल मे हुमें छोड़ने की.. दीपिका तो जैसे पागल होने लगी थी. अंजलि दीदी की शादी क्या टूटी थी. उसके दिमाग़ का फ्यूज़ ही उड़ गया था. दीपिका नंगी हो गई और खट्टिया पर लेट कर दोनो पैर खोल कर राज को अपनी छूट दिखाने लगी. आ छोड़ ले मुझे.. आज तुझे मैं नही रॉकोंगी.

राज के दिमाग़ का फ्यूज़ भी उड़ गया.. उसका घुस्सा हवा हो गया.. राज ज़िंदगी मे पहली बार इमोटिओनल हो रहा था. नरेन की बातों ने, अंजलि की टूटी शादी ने, अपनी मा की हक़ीक़त ने राज को अंदर से हिला कर रख दिया था. दीपिका और भावना की आग उगलती बातें भी राज से सह्न नही हो रही थी.

राज ------ सही कहा आपने दीदी मुझे सब बता कर हासिल भी क्या होना था. बड़ा प्रेशन किया हा ना मैने आप सब को. रातों की नींद भी आप सब की हराम की हा मैने. मेरे कारण आप सब चैन से सो भी नही सके कभी. आप सब को भी भोगने का मॅन भी हा मेरा. मुझे आप सब के जिस्मो से, गाओं वेल ही क्या, दूण्या की हर नारी के जिस्म को देख कर अपनी भूक बढ़ती हुई महसूस होने लगती हा. आपने तागें खोल जैसे मुझे मेरी औकात बटी हा आपने दीदी. मुझे बता दिया हा आपने दीदी, मेरी सोच कभी इस जगा से आयेज बढ़ ही नही सकती.

राज ने एक लंबी साँस ली.. फिर आयेज बोला.. मैं कसम ख़ाता हों दीदी, अब आप सब को मैं अपनी सूरत तब दिखाओगा, जब मैं सब ठीक कर डोंगा. मैं ना केवल दीदी की टूटी शादी फिरसे जोरोंगा. अपने ननिहाल वालून के साथ टूटे रिश्ते भी जोड़ कर रहूँगा. मा सालों से अपने मा पिता से, अपने भाई बहनो से, अपने सभी रिश्तेदारो से डोर रही हाँ ना. मैं कुछ ऐसा करूँगा. सब फिरसे एक हो जाएँगे.

राज के बदले भाव, बदले विचार देख कर दीपिका ने अपनी खुली टाँगें बंद कर ले थी. वो उठ कर बैठ गई थी. भावना का घुस्सा भी ठंडा पड़ने लगा था. राज के जाने का सुनकर दोनो का घुस्सा झाग की तरह बह गया था. देपिका झटके से उठी और राज के मो पर थापर मार दिया.

दीपिका रोते हुए बोली... ग़लती मुजसे हम सब से भी हुई हा भाई. प्ल्ज़ तू जाने की बात मत कर. टुजे कुछ हो गया तो..

भावना--- ना भाई तू कही नही जाएगा. तू जाएगा तो हुमें हर दूं धड़का लगा रहेगा.

राज के जाने की बात पर दोनो पहले का सब भूल गई. अजीब मोहब्बत थी सब की राज से.
राज दोनो को देखने लगा.

राज--- जाना पड़ेगा मूज़े दीदी. जौंगा नही तो केसे सब ठीक होगा. मैं नही जनता, मैं सब ठीक कर पौँगा भी क न्ही. पर मे अब कसम खा चुका हों. जब तक मा को नाना का परिवार माफ़ न्ही कर देता, सब मिल नही जाते. दीदी का टूटा रिश्ता फिरसे जुड़ नही जाता लौटूँगा नही.

इस बार भावना ने राज के मो पर थप्पड़ मार दिया.

भावना-- तुझे साँझ नही आ रही. तू कहीं नही जाएगा. जैसे तेरा मॅन क्रे, कर लेना हमारे साथ. पर तू कहीं नही जाएगा.

दीपिका--- भाई हम तुम्हारे बिना जीने की आदत नही हा.

राज---- और अंजलि दीदी का क्या. क्या वो अब कभी खुश रह पाएँगी. मा का क्या, क्या वो ये सह्न कर पाएँगी. उनके बीते कल के कारण उनकी बेटी का घर बनने से पहले ही टूट गया. एक नही चार चार बेटियाँ हा उनकी. सब की प्रेशानि मा को कहीं का नही छ्चोड़ेगी दीदी. मूज़े जाना ही होगा..

******

राज--- सुनो तुम सब मई जेया रहा हों, मेरी मा और बहनो का ख़याल रखना. किसी को कुछ ना तो फिर मेरा तुम सब जानते ही हो.

राज को सबने बड़ा रोका था. पर राज नही रुका था. रत के 2 बजे ही राज घर से निकल पड़ा था. अपने ननिहाल वालून के बारे मे सब जान लिया था उसने. अब रेलवे स्टेशन पर खड़ा अपने दोस्तो को अपने परिवार का ख़याल रखने को बोल रहा था.

विक्की भी शाम को लौट आया था. चारो लफंगे एक साथ थे. राज को खुद से डोर जाते हुए देख कर आँसू बहाने लगे थे.

बिन्नी-- तू जा राज, तेरे घर वालून का हम ढयन रखेंगे.

जूरी--- राज जल्द लौट कर आना यार. तेरे बिना गाओं मे मज़ा नही आएगा.

विक्की-- सेयेल तूने मेरे घर मे भी छुदाई कर डाली. मेरे को घुस्सा नही आया. जब भी तेरे दिल करे तू मेरे को बोल देना, मैं घर वालून को लेके निकल जया करूँगा. पर तू जल्दी लौट कर आना. तेरे बिना गाओं मे मूज़े भी मज़ा नही आएगा.

राज को भी अपने हरामी दोस्तो पर नाज़ था. सब उसके जैसे हरामी थे, पर यारों के यार थे. ताज सबसे मिलकर ट्रेन पर सॉवॅर हो गया. ट्रेन देल्ही जाने वाली थी. और राज का गाओं उप मे था.

ट्रेन ने राज को सुबह के 9 बजे देल्ही पोनचा दिया. ट्रेन का पूरा सफ़र राज ने शरीफो के जैसे बिताया था. रत का समय भी था. राज ने कोई भी हरामीपन नही किया.

एक टॅक्सी करके राज देल्ही से बाहरी इलाक़े मे जाने लगा. शहर से बाहर ही एक मोहल्ले मे उसके ननिहाल वेल रहा करते थे.

राज के घर मे फिरसे सब का रोना धोना मचा हुआ था. सब राज के लेटर को पढ़ कर रो रहे थे. सुबह राज के बेड पर लेटर पढ़ा मिला था आराधना को. लेटर मे राज ने वो बातें लिखी थी. जो राज ने कभी नही करी थी. राज ने अपनी मा बहनो, चाचा, चाची और सबके लिए ढेरों बातें लिखी थी. सब पढ़ कर बोहुत रोए थे. सबसे बुरी हालत तो नंदानी की हुई थी. वो अपने पेट पर हाथ फेर कर रह गई थी. राज ने नंदानी के होने वेल बच्चे के लिए नाम भी लिख डाला था. नंदानी का प्यार राज के लिए और भी बढ़ गया था. राज की दूरी पर वो भी तड़प गई थी.

राज टॅक्सी मे बैठा अपने ननिहाल के मोहल्ले मे पोनचा.कराया देकर टॅक्सी वेल को रुखसत कर दिया. एक छाई वेल के पास बैठ कर छाई का ऑर्डर दिया.

छाई के साथ केक खाते हुए राज आस पास भी सब देख रहा था. एक लड़के को बुला कर राज उससे बोला... यहाँ प्रोफ संजय शर्मा का घर कौनसा हा.

लड़का 20 साल का था. वो राज के पूच्छने पर सोचने लगा. फिर वो बोला.. यहाँ तो कोई प्रोफ संजय शर्मा नही रहते.

राज----- तुम यहीं रहते हो.

लड़का--- हन मे तो यही पैदा हुआ हों. पर यहाँ कोई संजय शर्मा नही रहते.

राज निराश होके होटेल से निकल पड़ा. एक बाग था उसके पास, जिसके कपड़े वगेरा थे, बाग कंधे पर लटका कर राज मोहल्ले की गलियों के चक्कर काटने लगा. एक गली से गुज़रते हुए राज राज को एक बाबा चारपाई पर बेता हुआ दिखा.

राज ---- बाबा जी यहाँ पर प्रोफ संजय शर्मा रहा करते थे.

बाबा घोर से राज को देखने लगा. राज को अपने साथ बैठने को कहा. राज बैठा तो बाबा बोला.. बेटा तुम कों हो. और मास्टर साब के बारे मे क्यू पूच्छ रहे हो.

राज--- बाबा जी मैं उनका डोर का रिश्तेदार हों. उनसे मिलने आया था, पर पता चला इस नाम का यहाँ कोई नही रहता.

बाबा--- बेटा वो तो सालों पहले ही यहाँ से चले गये थे. इसी गली मे उनका घर था. बाबा एक घर को देखते हुए बोले. तो राज भी उसी घर को देखने लगा. घर बड़ा विप बना हुआ. 3 फ्लोर का घर था.

राज ---- अब कहाँ रहते हाँ वो बाबा जी..

बाबा-- नही पता बेटा, वो सब कहाँ चले गये.

राज-- ऐसा क्यू बाबा जी. राज साँझ तो गया था, ज़रूर उसकी मा के भाग जाने के कारण ही सबने यहाँ का घर बेचा होगा.

बाबा--- बेटा क्या बताओ, बेटियाँ लाद प्यार का ग़लत फयडा उठा लेती हाँ. अपने ही मा बाप की इज़्ज़त मिट्टी मे मिला देती हाँ. मास्टर जी की बेटी ने भी कुछ ऐसा ही किया था. किसी के साथ भाग गई थी. बेकःरे मास्टर साब की नज़रें झुक गई थी. केसे वो यहाँ रहते. घर बेच कर सब यहाँ से चले गये.

राज प्रेशन हो गया था. वो बोला.. बाबा जी कुछ तो पता होगा आपको, वो सब कहाँ गये होंगे.

बाबा सोचों मे गुम हो गये. जेसे अपनी मेमोरी को खंगाल रहे थे. कुछ देर बाद वो बोले. बेटा ...... मोहल्ले मे उनका एक दोस्त हुआ करता था. अब भी वो वही रहता हा क नही, नही जनता. वो ज़िंदा भी हाँ क नही. ये भी नही जनता. तुम वहाँ जा के पता करो.

राज बाबा को धन्यवाद बोल कर निकल पड़ा. एक रिक्कशे करवा कर राज अपने नाना के दोस्त के मोहल्ले मे जा पोनचा. लोगों से पूच्छ कर वो उस मकान तक जा पोनचा, वो वही रहते थे. राज ने डोर नॉक किया तो अंदर से एक लड़की निकली. सूरत देख कर ही राज साँझ गया. घर के हालत सही नही हाँ.

राज ----- मुझे मास्टर जी से मिलना हा.. नाना के दोस्त भी टीचर थे. लड़की ने राज को घोर से देखा, फिर साइड होके राज को अंदर आने दिया. घर मे 4 कमरे थे, और सालों से रंग नही किया गया था. जगा जगा से पलस्तेर भी उखड़ा हुआ था. राज लड़की के साथ के कमरे मे जा पोंचा. अंदर एक खट्टिया पर एक हड्डियों का ढाँचा लेता हुआ था. राज को मास्टर जी की हालत देख कर दुख हुआ.

लड़की--- यही हाँ मास्टर जी, दद्दू आपने ये लड़का मिलने आया हा. मास्टर जी आँखें बंद कर पड़े हुए थे. अपनी पोती की आवाज़ प्र आँखें खोल कर देखा. लड़की बाहर चली गई. राज ने कुर्सी घसीटी और बाबा के पास बैठ गया.

मास्टर--- कों हो बेटा तुम...

राज--- बाबा जी मुझे आपके दोस्त प्रोफ संजय शर्मा के बारे मे जानना हा.

मास्टर--- क्यू? कों हो तुम.. मास्टर राज को घोर से देखते हुए बोले

राज--- जी मे उनका डोर का रिश्तेदार हों. सालों बाद देल्ही मिलने आया तो पता चला वो पुराना घर बेच कर कहीं और चले गये हाँ.

मास्टर के होंटो पर स्माइल आ गई.

मास्टर -- डोर का रिश्तेदार.. उनके डोर का कोई रिश्तेदार ऐसा नही जिसे मे ना जनता हों. तुम ज़रूर आराधना के बेटे होगे. राज बाबा की बात प्र हेरान रह गया. राज का मोह्न खुल गया था.

राज --- आपने केसे अंदाज़ा लगाया मास्टर जी.

मास्टर --- 25 साल से उपर हो गये हाँ संजय को वो घर बेचे हुए, पहले कभी कोई उसका पता करने नही आया. अब तुम आए हो. ज़रूर तुम सब ठीक करने आए होगे.

राज--- जी मास्टर जी. लड़की ट्रे मे छाई ले आई.

राज-- इसकी क्या ज़रूरत थी..

लड़की कुछ नही बोली. मास्टर जी बोले.

मास्टर---- तुम मेहमान हो बेटा ले लो. राज ने कप पकड़ा तो लड़की चली गई.

मास्टर --- बेटा अच्छा किया जो तुम आ गये. तुम्हारी मा के अपनी मान मर्ज़ी की शादी क्र लेने से संजय टूट गया था. उसका सर झुक गया था. स्माअज मे वो किसी को मो दिखाने लायक नही रहे थे. बोहुत समय वो बीमार भी रहे. आराधना बेटी के भाग जाने से अपनी दूसरी दोनो बेटियो की शादी भी जल्दी और उनकी मर्ज़ी की बिना कर दी. तुम्हारे नाना दर गे कहीं वो दोनो भी ना भाग जाएँ. इसलिए जल्दी जल्दी रिश्ते ढूंड कर दोनो की शादी करदी. ऐसे ही फ़ैसले संजये ने और भी किए, सबपर सख्ती बढ़ा दी. जिस कारण सब उससे डोर होने लगे. मेरा यार बोहुत टूट गया था, बोहुत दर गया था, आराधना बेटी के भाग जाने से. कोई और सख्ती झेल नही पाया. तेरे तीनो मामा भी अपनी अपनी पत्नियो और बच्चों के साथ अलग रहने लगे. तुम्हारी मौसीयन भी तुम्हारे नाना के फ़ैसले से खुश नही थी. उन्हे बच्चे तो हो गये पर उन्हे उनकी मान मर्ज़ी की ज़िंदगी नसीब नही हुई. आज भी सब अपने घरों मे बिन मर्ज़ी की ज़िंदगी जी रही हाँ. तुम्हारे दोनो मौसा पैसे वेल तो बन गये, पर तुम्हारी मौसीयो को खुश नही रख पाए. तुम साँझ रहे हो बेटे. टन का सुख भी चाहिए होता हा एक नारी को. जो सही से उन्हे नसीब नही हुआ. उपर से तुम्हारे नाना ने उनके बच्चों पर सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी. जिसका रिज़ल्ट ये निकला वो भी सब तुम्हारे नाना से डोर हो गये. अब तुम्हारे नाना और नानी दोनो एकएले जी रहे हाँ. कभी कभी खारीयत पूच्छने के लिए आ जाते हाँ. वरना तो वो अपनी ज़िंदगी की आखरी साँसे ही पूरी कर रहे हाँ. क्या नाम हा तुम्हारा बेटा.

राज--- जी मास्टर जी मेरा नाम राज हा.

मास्टर : राज बेटा, मुझे तुम दूसरो से अलग दिखते हो. कुछ ऐसा करो राज बेटा, मेरा यार पहले जैसा हो जाए. आराधना बेटी ने ग़लती करके भी नही की, जीवन मे प्रेम किसी को भी हो जाता हा. और ऐसी ग़लती भी हो जया करती हा. सुनने मे आया था, आराधना बेटी एक बार मिलने भी आई थी, पर सब वहाँ का सब बेच कर चले गये थे. मेरे बारे मे वो नही जानती थी. मेरे पास आती भी तो मैं नही बताता. मूज़े तेरे नाना ने कसम भी दी थी. राज बेटा मैं भी मरने से पहले अपने दोस्त को पहले जैसा देखना चाहता हों. बोहुत दुख झेले हाँ उसने. तुम चाहो तो बोहुत कुछ कर सकते हो.

राज ने एक लंबी साँस ली. फिर वो बोला... मास्टर जी मैं नही जनता मैं क्या कुछ कर सकता हों. पर हालत को ठीक करने के लिए मुझे कुछ भी करना पड़ा मैं करूँगा.

अपने नाना का पता मास्टर जी से लेकर राज निकल पड़ा. घर मे कोई और नही था, सब कामो मे निकले हुए थे, लड़की की मा भी घर मे नही थी. राज निकला तो लड़की झुक कर घर के कामो मे लगी हुई थी. झुकने से उसके दोनो अनार राज को दिखने लगे. राज था तो बोहुत बड़ा हरामी. पर यहाँ वो खुद पर काबू पा गया. वरना कोई ना कोई हरकत किए बिना वो यहाँ से ना जाता. लड़की भी राज को देख कर खड़ी हो गई थी.

राज बाहर निकल कर चॉक मे गया, वहाँ से रिक्कशे मे बैठा मैं रोड पर आया, वहाँ से एक टॅक्सी करी और देल्ही शहर के दूसरी र जाने लगा.

राज जब अपने नाना के घर पोनचा, जो एक मोहल्ले मे था. राज पूरा बदला हुआ था. रास्ते मे ही राज एक डीसेंट लड़का बन गया था. मास्टर जी ने कहा था, नाना से मिलना हा तो पढ़े लिखे, सुलझे हुए स्टूडेंट बन कर वहाँ जाना, वरना वो देखेंगे भी नही.

राज एक सुलझा हुआ लड़का बन कर अपने नाना के दो मंज़िला मकान के दरवाज़े पर खड़ा होके बेल बजाने लगा. कुछ देर मे एक 10 साल के लड़के ने दरवाज़ा खोला राज को देख के साइड हो गया. राज की नज़र अंदर पड़ी तो देखा उसके नाना कुछ बच्चो को पढ़ा रहे थे.

नाना से कुछ फ़ासले पर नानी भी बैठी हुई थी. नानी को देख कर राज को लगा जेसे वो अपनी मा को देख रहा हो. राज की मा और नानी की सूरतें बोहुत मिलती थी एक दूसरे से.
राज को देख के नाना ने सर हिला कर अंदर आने को कहा.

रन ने जाते ही सबसे पहले नाना के पावं च्छुवे फिर नानी के भी पैरों को च्छुवा. अपनी मा, चाचा, चाची या गाओं मे किसी और बड़े के कभी पावं नही च्छुए थे राज ने. पर यहाँ आ कर राज संस्कारी बन गया था. सूरत भी से राज संस्कारी ही दिख रहा था. हरामी था पूरे दीनो का. इतनी आक्टिंग तो कर ही सकता था. नाना और नानी राज को देख कर, उसके संस्कार देख कर खुश हुए.

नाना --- केसे आना हुआ बेटा. एक लड़की को कुर्सी लाने को बोल दिया था नानी ने.

राज---- मैं देल्ही मे नया हो दद्दू.. यहाँ पढ़ना चाहता हों. रहने को कोई जगा नही थी. आपके बारे मे सुना तो दिल किया आपके पास ही रह लोन और आपसे मूज़े स्टडी मे भी हेल्प मिल जाएगी.

राज नाना को नाना तो बोल नही सकता था. कहीं शक ना हो जाए. बड़े मीठे अंदाज़ मे वो अपने नाना को दद्दू बोल गया. नानी और नाना दोनो राज के मीठे बोल और दद्दू के शब्द पर मोहित हो गये. कुर्सी आ चुकी थी. राज को कुर्सी पर बैठने के लिए कहा गया. राज हरामी था कोई ना हरामीपन तो उसने करना ही था.

राज कुर्सी पर ना बैठ कर अपनी नानी के पैरों मे बैठ गया और घुटनो पर सर धार के नाना को देखने लगा. नानी और नाना बरसों से प्यार के लिए, सम्मान के लिए तरस रहे थे. राज की इस नौटंकी पर जज़्बाती हो गये. नानी तो आँसू बहाने लगी और नाना आँखें भींच कर दूसरी और देखने लगे. दर्द तो राज के दिल मे भी उमड़ आया था. हरामी था, पर दिल वाला भी था. मतलब परसात भी था. पर दूसरो का एहसास भी दिल मे रखता था. सेक्स का भूका था, तो प्यार की भूक भी उसके अंदर थी.

नानी का हाथ राज के सर पर आया और राज के सर को थपथापने लगी.

नानी-- कों हो तुम बेटा. कहाँ से आए हो.

राज-- आपका ही बच्चा हों..एमेम-- मेरा मतलब हा दादी मेरे दादा दादी नही हाँ. मुझे अपना पोटा ही साँझ लें और रहता मे .... के एक गोन मे हों. राज ने ग़लत पता बता दिया.

नाना --- बेटा तुम्हे और तुम्हारे संस्कार देख कर अच्छा लगा. तुम खुशी से यहाँ रह सकते हो, पर तुम्हे मेरे कुछ रूल्स अपनाने होंगे. उसके बाद ही तुम यहाँ रह सकते हो. कराए की भी हुमें कोई चिंता नही है. भगवान की कृपा से पेन्षन और उपर वेल पोस्टीओं का कराया ही बोहुत हा हमारे लिए. तुमसे हुमें कुछ भी नही चाहिए बेटा. रहने के लिए कमरे भी फालतू हाँ.

नानी --- तुम मुझे अच्छे लगे हो बेटा. पर अपने दद्दू को, उनके उसूलों को पहले साँझ लेना. तुम्हारे लिए और हमारे लिए आसानी बने रहेगी. तुम्हारे दद्दू को प्यार सौर सम्मान से ही लगाओ हा. अपने रूल्स टूटते हुए भी नही देख सकते. अब तुम्हे क्या बताएँ बेटा. बोहुत दुख भी देखे हाँ हुँने और आज तक देख-----

नाना ---- मल्टी... नाना ने नानी को आयेज बोलने से रोक दिया..

राज ---- मुझे तो बस आप दोनो का प्यार चाहिए दादी और कुछ नही. पढ़ाई भी होती रहेगी और साथ मे मुझे दादा दादी का प्यार भी मिलता रहेगा.

नाना, नानी को राज का कमरे दिखाने का बोल कर फिरसे बच्चो को पढ़ने लगे.

नाना मॅन मे सोचने लगे. जाने क्यू बच्चा अपना अपना सा लग रहा हा. दिल को कितना सुकून मिल रहा हा. कितने सालों से दिल को सुकून नही मिला, आज मिला हा.

नानी राज को एक कमरे मे ले गई.

नानी --- बेटा तुम्हारा नाम तो मैने पूचछा ही नही.

राज --- जी दादी मेरा नाम राज हा.

नानी --- राज बेटा ये तुम्हारा कमरा हा. सुकून से रहो, बस उपर कभी मत जाना. उपर परिवार रहता हा. तुम्हारे दद्दू भी ऐसे मामले मे बोहुत सख़्त हाँ.

राज -- खुश होके.. ज़रूर ख़याल रखूँगा... नानी जाने लगी. राज फिरसे बोला.. दादी मैं आपके हाथ चूम सकता हों. नानी तो मचल कर पीछे मूडी और हेरात से राज को देखने लगी. नानी की आँखें फिरसे चिलमिल करने लगी.

राज आयेज बढ़ा और बड़े प्यार से नानी के दोनो हाथ अपने हाथो मे लेकर चूम लिए.

नानी -- बस इंता ही बोल सकी.. सदा सुखी रहो मेरे बच्चे. नानी वापिस मूडी और कमरे से चल दी. नानी की आँखों मे आँसू बहने तेज़ हो गये थे. राज की आँखें भी ज़िंदगी मे दूसरी बार नाम हो गई थी. कमरे को अंदर से कुण्डी करके राज ने बाग एक जगा फेंका और बिस्तर पर ढेर हो गया.. अपना मोबाइल निकल कर देखने लगा. जो साइलेंट पर था. घर से बोहुत सी मिस्ड कॉल भी आई हुई थी. राज ने कॉल नही की, बस मेसेज कर दिया. और कॉल खुद से करना का बोल दिया था. कोई कॉल करता और नाना नानी सुन लेते तो गड़बड़ हो सकती थी. वहाँ भी राज का मेसेज देख कर सब को चैन मिल गया था. वरना कॉल पिक ना होने के कारण सब बेहद प्रेशन थे.

आराधना--- राज बेटा सफल होके लौटना. मुझसे हुई भूल को सुधार सको तो सुधार देना. अब वहाँ पोनच ही चुके हो तो पूरी कोशिश करना मैं फिरसे अपने परिवार मे लौट सकूँ.

चारों भी आँखों मे आँसू लिए ऐसी ही पररथना करने लगी. राज की दूरी पर जहाँ तड़प उठी थी. वही अब राज की कामयाबी के लिए दुआ कर रही थी. अंजलि जो अपने रिश्ते के टूटने से घंज़ड़ा थी. अब एक आस उसके दिल मे जानम ले चुकी थी. वो भी अपने ननिहाल वालून मे शामिल होने के लिए बेताब हो उठी थी.
 
राज का मिशन कोई आम मिशन नही था. राज एक हरामी इसनन था. और हरमियो के लिए शरीफ बनके रहना बड़ा मुश्किल कम होता हा. राज को बी अपने नाना नानी के पास शरीफ बनके रहना था.

एक ग़लती और काम बिगड़ा. राज कमरे मे बिस्तर पे लेता हुआ ही सो गया था. 2 बजे के करीब उसकी आँख खुली तो उसने कमरे की खिड़की खोल के बाहर देखा. सामने नज़र पड़ी तो पड़ोसी के घर की च्चत पर नज़र गई. वहाँ एक औरे कपड़े तार प्र दल रही थी.राज को उसके चुचे नज़र आने लगे.

राज--- कसम से शहर का माल कितना लज़्ज़तदार हा यार. साली के चुचे कितने गोरे और बड़े बड़े हाँ. औरत 35 साल की थी, उसकी नज़र राज पे न्ही गई. राज उसे देखते हुए लंड को मसालने लगा. ज़्यादा देर न्ही गुज़री थी, किसी ने दरवाजा खटखटा दिया. राज जेसे होश मे आया. उसकी नज़र अपने लंड पे गई. जो खड़ा हो चुका था.

राज---- साला मे बी ना.. लगता हा मे मामला सुधरूगा न्ही. और बी बिगड़ दूँगा. साला यहाँ आते ही फिरसे हरामी पं करने ल्गा. राज ने जल्दी से अपने लंड को अंडरवेर मे कसा, जो औरत को देखते हुए साइड से निकल लिया था. राज दौड़ कर डोर खोलने लगा. याद आया खिड़की तो बंद ही नही की. झटके से रुका, फॉरन पलटा और खिड़की को बंद कर दिया. फिरसे दौड़ कर डोर खोला तो उसकी कुछ फ़ॉल चुकी थी. बाहर नानी थी.

नानी राज को देखने लगी. राज की फूली सांस देख क्र कुछ हेरान रह गई.

नानी --- क्या कर रहे थे राज बेटा. साँस क्यू फूल रही हा तुम्हारी.

राज को पहले तो कुछ न्ही सूझा, फिर दिमाग़ की बत्ती जाली तो झट से बोल पड़ा.

राज---- अब मे आप को क्या बातों. राज तोड़ा सा शर्मा गया. नानी और बी हेरान हुई. फिर उसे कुछ और लगा तो पोच्छने लगी.

नानी ---- क्या मतलब मे कुछ समझती.. नानी राज को शक की नज़रों से देखने लगी.

राज---- सर झुका क्र... दादी वो मे अंडरवेर पह्न के वर्ज़िश क्र रहा था. राज कुछ शरमाने की आक्टिंग करते हुए बोला. दादी राज की बात पर हल्के से हास पड़ी. नानी राज के इस बहाने पे नॉर्मल हो गई थी.

नानी--- चलो आओ तुम्हारे लिए लंच बनाया हा मैने. बाहर वेल बातरूम मे फ्रेश हो लो. फिर बाहर चुप मे अपने दद्दू के पास बैठ के लंच कर लेना.

राज हन बोल कर निकल पड़ा. बातरूम एक दरवाज़े के साथ ही था. राज वो बातरूम पहले भी देख चुका था. कुछ देर मे फ्रेश होके राज अपने दद्दू के साथ चारपाई मे बेता हुआ था.

नाना --- सो गये थे क्या राज बेटा.. नानी ने नाना को राज का नाम बता दिया था.

राज--- जी दद्दू लेता तो नींद आने लगी फिर मे सो गया.

नाना -- अछा काइया बेटे तुमने जो सो लिए. नानी ने दोनो के बीच लंच रखा तो राज ने नानी का हाथ पकड़ लिया.

नाना और नानी दोनो राज को देखने लगे.

राज--- दादी आप का खाना नही हा यहाँ.

नानी --- आज मे अंदर खा लूँगी बेटा, तुम पहले अपने दद्दू के साथ खा लो.

राज खड़ा हुआ और नानी को पकड़ दद्दू के सामने बिता दिया. दद्दू बड़े घोर से राज को देख रहे थे. उनकी आँखों मे चमक बढ़ गई थी राज को देख के.. ऐसे ही प्यार और सम्मान के लिए वो तरस रहे थे.

राज भी चारपाई के किनारे पर गंद टीका के बैठ गया.

राज ने पहला नीवाला अपने नाना के मो मे डाला दूसरा नानी को खिला दिया. दोनो की आँखें च्चालकने लगी थी. दोनो राज को खिलाने भूल गये. दोनो राज को बस देखते ही रहे. नाना की नज़र पड़ी तो खाना तोड़ा सा ही रह गया था. नाना ने राज का हाथ पकड़ लिया.

नाना--- बॅस मेरे बच्चे. तुम सारा लंच हुमें ही खिला दोगे क्या. खुद से कुछ नही खाओगे. नाना बड़े प्यार से बोला. नानी ने इस बार नाना के सामने ही राज के सर को चूम लिया. नाना ये देख कर स्माइल करने लगे.

नानी---- राज बेटा अब तुम भी खा लो.

राज---- नानी मैं कितना हटता कटता हों, एक टाइम ना खाने से मुझे कोई फ़र्क नही पड़ेगा. आप दोनो को आज खिला कर मेरे मॅन की आरज़ू भी पूरी हो गई हा. मेरा कोई बड़ा नही हा ना इसलिए. पहले काबी किसी को खिला नही सका. ये बात राज के दिल से निकली थी. प्यार बाँटने से बढ़ता हा. राज नाटक करते करते सच मे ही जज़्बाती होने लगा था. उसके दिल मे भी कुछ कुछ होने लगा था. अपना नाना नानी से प्यार तो सभी को होता हा. राज को भी था. पर पहले के मुक़ाबले मे अब की बार राज के अंदर का मौसम कुछ बदला हुआ था.

नानी --- पेट की भूक से बड़ी भूक होती हा प्यार की भूक राज बेटा. हम तो तुम्हारे हतु से खा पर प्यार अपने पेट मे उतार रहे थे. पेट अब भरे या बाद मे. कुछ घंटे तो हम भी रह सकते हाँ. नानी ने एक नीवाला राज मे मो मे डाल दिया. राज नाना को देखते हुए खाने लगा.

नानी --- राज बेटा पा हा, हमारा बोहुत बड़ा परिवार हा. मेरे बेटे हाँ, बेतिया हाँ, उनके बच्चे हाँ. पर कोई भी हमारे साथ न्ही रहता. राज हेरनी वेल भाव चेहरे पे ला के देखने ल्गा

नानी --- बड़े दुख मे हम अपनी आखरी साँसे पूरी कर रहे हाँ राज बेटा. आस पास वालून से हुमें सम्मान तो मिल जाता हा. पर उतना न्ही जितना तुमसे हुमें मिल रहा हा.

राज--- ऐसा क्यू दादी.

नाना बोले-- मेरी वजा से बेटे. मेरी वजा से सब मुजसे डोर हो गये. संस्कारी हों ना तो सबसे संस्कारो भारी बातें करता हों. बेटियो को अच्छी सीख के साथ साथ हद मे रहने वाली ज़िंदगे देने को कहता हों.

नाना दुखी होके बोले.

राज--- ये तो बोहुत अच्छी बात हा दद्दू. इस बात पे किसी को बुरा कैसा लग सकता हा.

नानी--- सब समझते हाँ, बेटियो पर दब्ाओ बना के उनके खवाबो को कुचल दिया जाता हा. तेरे दद्दू की बातों का यही मतलब होता हा राज बेटा. तेरे दद्दू चाहते हाँ, फिरसे कभी किसी की बेटी घर से ना भाग जाए. फिरसे किसी का सर ना झुक जाए.

राज की आक्टिंग कमाल पर थी.

राज---- क्या मतलब मे कुछ समझा न्ही.

नाना -- तेरी दादी ने बात खोल ही दी हा राज बेटा तो सुनो.. मेरी भी एक बेटी किसी के साथ भाग गई थी. तब से मेरा झुका सर कभी उठ न्ही सका.

राज को एक बार तो लगा नाना से कह दे, नाना खवाब पूरे ना हों तो ऐसे कदम उठ ही जया करते हाँ. संस्कार तो अब बी मा के अंदर कूट कूट कर भरे हुए हाँ. सालों से बिना पति के जी रही हाँ. सालों से मेरे लंड से प्रेशन हाँ, फिर भी वो मेरा लंड ले के अपनी छूट की आग न्ही बुझा सकी. पर ऐसे बात राज कह न्ही सकता था. और नाना को बदलना नही था. नाना के हिसाब से चलते हुए कोई हाल निकलना था.

और फिर यहाँ तो पूरा परिवार ही बिखरा पड़ा था. सब को समेटना भी था.

राज --- आम सॉरी दद्दू मूज़े न्ही पता था, आप इतने दुखी हाँ. राज साद होके बोला.

नानी --- उसके बाद तेरे दद्दू ने दूसरी दो बेटियो की शादी जल्दी और उनकी पसंद के बिना कर दी. तीनो बेटे बी तेरे दद्दू के लेक्चर सुन सुन के तंग आने लगे. फिर अपने अपने बीवी बच्चों को लेके अलग रहने लगे.

राज-- ये तो बड़ी गॉल्ट बात हा दादी. कितना ग़लत किया सब ने. माता पिता से बढ़कर भी कोई होता हा.

तोड़ा सा लंच बचा था, वो बचा ही रह गया. नाना नानी दोनो दुखी हो गये थे. नाना और नानी बूढ़े हो चुके थे. राज का प्यार मिला, सम्मान मिला तो भावनाओं मे बह गये और राज को अपना दुख बता गये. राज भी दोनो के साथ दुखी हो गया.
 
4 बजे के करीब राज, नाना और नानी फिरसे सहन मे बेते हुए थे. इस बार वो दूसरी दिशा मे बेते थे. धूप की दिशा बदल जाने से दूसरी साइड की दीवार के साथ चारपाई पर बेते हुए थे. राज अपने नाना और नानी से और बी खुल गया था. बोहुत सी बातें राज ने अपने नाना नानी से कर ली थी.

संजय शर्मा या उसकी पत्नी बी इतनी जल्दी राज के करीब यौंही न्ही हो गये थे. राज उनकी बेटी का बेटा था. अपनापन तो मिलना ही था. दोनो तासरे हुए भी थे और राज खुद बी संस्कारी और डीसेंट लड़का बन कर दोनो से मिला था.इसलिए भी दोनो राज से बड़ी जल्दी घुल मिल गये थे. राज नानी के साथ जा के सब्ज़ी भी ले आया था.

सब मोहल्ले वेल देख के हेरान बी हुए थे. नानी बड़ी खुश थी राज को अपने साथ ले जा के.

अब राज नीचे बैठा हुआ अपने सर मे नानी से मालिश करवा रहा था. तीनो हास कर बातें बी कर रहे थे.

सामने दूसरे पड़ोसी के घर की च्चत पर एक लड़की छड़ी जो कुछ मॉर्डन टयपर की थी. खुली शर्ट पहने हुए थी. वो राज को देखने लगी. राज ने भी उसे नज़र भर के देखा, फिर फॉरन ही अपना सर भी झुका गया. संजय शर्मा लड़की के च्चत पर आने के बाद बड़े ढयन राज को देखने लगे थे. राज ने फॉरन ही सर झुका जाने से उन्हे बड़ी खुशी मिली थी. ऐसे ही संस्कार तो वो देखना चाहते थे. संजय शर्मा के दिल मे राज के लिए कुछ डाउट ख़तम हो गया था. अपनापन राज से मिला था. पर अंदर से राज के लिए भी वही सोच बी थी. कहीं ये बी औरों के जैसा तो न्ही हा. लड़की बाज़ तो न्ही हा.

पर राज को नज़रे झुकते देख कर संजय शर्मा के विचार कुछ बदल से गये थे.

नानी बी लड़की को देख के बोली... बड़ी ही बेशरम लड़की हा. देख भी रही हा, नज़रो के सामने एक लड़का हा, फिर भी च्चत से नीचे न्ही उतार रही.

नाना--- ठंडी आ भरते हुए... बेशार्मो के बारे मे क्या बात करनी मल्टी. कितनी सीख दी थी मेने, तुमने उसे. पर जब बड़ी हुई तो आना ही छ्चोड़ गई.

राज ने फिरसे सर उठा के लड़की को देखा जो अब बी राज को देख रही थी. राज उसके फिगर को देखने लगा. अच्छे से देख के राज ने फिरसे सर झुका लिया.

राज--- मेरी बहन ऐसे कपड़े पह्न के काबी च्चत पर जाए तो मे तो उसका सर ही काट दूं.
नाना नानी से तो राज ने ये बोला.. पर मॅन मे वो बोला. साली शहर की लड़कियो की बात ही अलग होती हा. कितने बड़े बड़े मुममे हाँ इसके. दूसरे पड़ोस वाली आंटी से भी बड़े. और रंग मे भी उससे बढ़के हा.

नाना राज की बात से खुश होके.. शाबाश राज बेटा. ऐसे ही विचार सदा रखना. मूज़े खुशी हुई तुम्हारे विचार जान के.

नानी के हतु मे प्यार बढ़कर राज के सर मे उतरने लगा.

रत के खाने के तीनो नाना के कमरे मे थे. राज एक चक्कर मोहल्ले का लगा कर आया था.

तीनो बेड पे थे. नाना नानी लेते हुए थे, राज बीच मे बेता हुआ दोनो का एक एक पैर दबा रहा था. साथ मे बातें बी चल रही थी. अब तो नाना नानी बी राज को न्ही टोक रहे थे. राज लड़का था, दिखने मे संस्कारी भी था. दोनो को बड़ा सम्मान बी दे रहा था. दोनो के पैर दबाने ल्गा तो एक बार के बाद फिरसे राज को न्ही रोका.

राज---- दद्दू मूज़े सब के बारे मे बताएँ आप.

नाना--- राज बेटा क्या करोगे तुम सब जान के. और अब मूज़े उनकी बातें करना भी अच्छा न्ही लगता. क्या कुछ न्ही किया था मेने सबके लिए. उमर भर कमा के खिलाया सबको. फिर भी सब मुझे छ्चोड़ गये. कभी कभी चक्कर लगाने आ जाते हाँ.. ऐसे जेसे हुंपे एहसान कर रहे हों.

नानी--- बड़ी तकलीफ़ होती हा राज बेटा, जब बी वो आते हाँ. वो तो बस रस्मी ही मिलने आते हाँ. वरना अब बी वो तेरे दद्दू की बातें सुनना न्ही चाहते. कहते हाँ, पापा आप आज बी न्ही बदले. वही के वही रह गये.

नाना--- एक बाप केसे अपने बच्चू को सलाह देने से बाज़ आ सकता हा. एक बाप तो आखरी सांसो तक अपने बच्चू को सीख ही देगा.

नानी--- ऐसी बातें ना पहले किसी ने सुनी और ना ही एब्ब सुनने को त्यआर हाँ. बड़ा दिल दुख़्ता हा मेरा राज बेटा. नानी दुखी होते हुए बोली.

नाना--- मेरा न्ही ख़याल रखना चाहते तो कम से कम अपनी मा का ही रख लिया करें. मेरे कारण वो अपनी मा से भी डोर हो गये हाँ. नाना ने नानी का हाथ पकड़ लिया.

राज--- दद्दू आपने तो पूरी ज़िंदगी किताबें ही पढ़ी हाँ. इंसानो को देखा और परखा हा. समय के साथ साथ बोहुत से लोगों मे बदलाओ भी आ जाता हा. हो सकता हा, उन सब मे भी बदलाओ आ जाए. एक बार फिरसे सब आप के पास आ जाएँ. अपने ग़लत बर्ताओ पर आप सब से माफी भी माँग लें.

नाना फेकि से हँसी हंस पड़े... ऐसा सब किताबो मे ही लिखा अच्छा लगता हा राज बेटा. हक़ीक़त की दूण्या मे ऐसा न्ही होता.

नानी--- होना होता तो कबका हो जाता राज बेटा. अब तो सालों बीट गये हाँ. जब हम मरेंगे तो हमारे मरने पर सब एक साथ आएँगे, फिर सब मिलके रोएंगे. पर माफी हुंसे तब भी न्ही माँगेंगे.

नानी आँसू बहाने लगी.

राज--- ऐसा न्ही हा दादी. अब आपका पोटा आ गया हा ना. आपकी अधूरी खुशियों को ज़रूर पूरा करेगा.

दोनो राज को देखने लगे. कुछ हेरात भी आ गई थी उनकी आँखों मे.

नानी-- राज बेटा तुम क्या कर सकते हो.

राज--- दादी कुछ बी असंभव न्ही होता. हिम्मत और लगान से कुछ भी किया जाए तो इंसान हर कम मे सफल रहता हा.

नाना--- बोहुत बड़ी बात की तुमने राज बेटा. हिम्मत और लगान साची हो तो कोई कम ऐसा न्ही जिसे पूरा ना किया जा सके. पर ये मामला कुछ हट के हा

राज--- हटके हा तो बी मैं इसे पूरा ज़रूर करूँगा दद्दू.. गाओं मे बी मुजसे किसी का दुख डेका न्ही जाता था दद्दू. और फिर आप तो मेरे बड़े बी हाँ. केसे मे आप दोनो का दुख डेक सकता हों.

नानी-- भगवान टुजे हर मंज़िल पे सफल करे राज बेटा. तुम बोहुत अच्छे हो.

राज--- दद्दू सामने वेल घर की लड़की हा, जो मूज़े देख के बी नीचे नही उतरी. अगर मे उसे सुधार दूं. वो आपके पास अच्छे कपड़ो मे आए और आप दोनो से माफी बी माँग ले तो

दोनो -- क्य्ाआअ.. ये केसे बात कर रहे हो तुम राज बेटा. ऐसा केसे हो सकता हा. तुम भला उसे केसे सुधार सकते हो.

नानी--- टा बी हा राज बेटा नेहा कितनी आयेज निकल चुकी हा. आज के तो उसके कपड़े बी कुछ ठीक थे. वरना तो इतने गंदे कपड़े पहती हा, देख के ही शरम आ जाए.

नाना-- राज बेटा तुम पढ़ने आए हो तो पढ़ो. ऐसे कामो मे अपना समय खराब मत करो.

राज-- दद्दू मेरा ये साल बी कुछ अपनू की वजा से ज़ाया हो गया.(राज झुत बोलने लगा) दादी एक साल ज़ाया हो गया तो अगले साल बी पढ़ाई की जा सकती हा. कुछ अपनू का बढ़ा दर्द कम करने के लिए एक साल और सही. दद्दू आप तो फिर हाँ ही मेरे साथ. आप मूज़े पढ़ा देंगे, मेरी पढ़ाई का लॉस भी जाता रहेगा. बस मूज़े सबके बारे मे बता कर मूज़े अपनी सेवा का मोका दें आप.

दोनो हेरात से राज को देखने लगे.

नानी--- राज बेटा तुम ये सब कर लोगे.

राज--- न्ही जनता. पर मूज़े पूरा विश्वास हा, मे सब कर गुज़ृूँगा. अच्छा करने वेल का साथ तो भगवान भी देता हा.

नाना --- शाबाश राज बेटा. तुम्हारी बातें सुनके मेरी खुशी और भी बढ़ गई हा. आज तक तुम जेसा मूज़े न्ही मिला. आज मिल के मैं बोहुत खुश हुआ हों. नानी नाना को खुश देख कर बोहुत खुश थी.

नानी--- राज बेटा, मे भी अपना दर्द अपने सीने मे च्छुपाए बैठी हों. राज बेटा एक मा अपने बच्चू से डोर काबी न्ही रह सकती. बच्चे जेसे बी हों, एक मा उनके बिना न्ही रह सकती. नानी रोने लगी. राज बेटा तुम ऐसा कर सको तो मे फिरसे जी उठोंगी और तेरे दद्दू भी. तेरे दद्दू पहले ग़लत न्ही थे. सिसकते हुए नानी बोली. मेरी बेटी के भाग जाने के बाद से ऐसे हो गये थे.

राज-- दादी मे सब ठीक कर दूँगा. राज ठोस लहजे मे बोला. वो आया बी तो इसी मकसद से था.

कुछ देर बाद राज अपने कमरे मे जा कर सो गया. और सोचने लगा केसे करना हा सब. जेसे उसके नाना की सोच थी. कुछ भी करना आसान न्ही था. काबी भी उसकी इमेज नाना नानी की नज़रो मे खराब हो सकती हा. सब बोहुत सावधानी से करना पड़ेगा. राज ये भी सोचने लगा.
 
राज जल्दी उठ गया. कमरे से निकल के फेर्श हुआ तो नानी भी बाहर निकलती दिखाई दी. राज ने जा के नानी के पावं च्छुवे

नानी-- खुश होके... राज बेटा तुम इतनी जल्दी, इतनी मे भी उठ गे

राज--- दादी गाओं से हों तो सुबह जल्दी उठने की आदत हा. फिर सीना चौड़ा करके. गाओं मे पाला बढ़ा हों दादी, सर्दी क्यू लगेगी मूज़े.

नानी हास पड़ी. राज बेटा मूज़े बड़ी खुशी हुई तुम्हे सुबह जल्दी उठते देख के.

राज-- दादी यहाँ पास मे कोई पार्क हा कोई. मूज़े सैर के लिए जाना हा. नानी ने राज को पार्क का बता दिया. राज कमरे मे जा के ट्राउज़र शर्ट,जॅकेट पह्न के निकल पड़ा. नानी राज को जाते हुए देखने लगी. कमरे मे जा के राज के बारे मे संजय शर्मा को बताया.

संजय-- घबरू जवान हा, गाओं का रहने वाला बी हा. सर्दी से क्यू डरेगा. नाना बी खुश हो गये थे राज के जल्दी उठ जाने पर.

राज पार्क मे पोनचा और जॉगिंग करने लगा. सर्दी मे भी उसका जिस्म पसीना छ्चोड़ने लगा था. कुछ मिंटो मे राज को नेहा भी दिखाई दे गई. राज उसे डेक के हेरान भी हुआ और खुश भी. नेहा अकेली थी. थोड़ी देर की वॉक के बाद वो भी दौड़ने लगी. तीसरे चक्कर मे राज ने उसे जा लिया. नेहा एक ऐसी जगा से गुज़र रही थी. जहा कोई और न्ही था. पास मे पेड़ पोदे भी थे.

राज नेहा के बराबर पोहच्ा तो नेहा राज को देख के हेरान हो गई

नेहा-- तुम वही हो ना. जिसे मेने शाम को शर्मा के घर मे देखा था.

राज-- हाँ वही हों. राज नेहा के ब्राबार हुए बोला.

नेहा--- ज़रूर फिर तुम बी उन दोनो के जेसे होगे. नेहा के चेहरे पे नागवरि क भाव आ गये थे.

राज-- क्यू तुम उनके जेसी न्ही हो

नेहा रुकते हुए--- अपनी लाइफ को फीका बनाने का मॅन न्ही हा मेरा. वो तो चाहते हाँ, मे संस्कारी लड़की बनके घर के बेती रहूं. अपनी लाइफ को एंजाय ना करू. मेरी लाइफ मे हा मे जेसे चाहे जियु, वो कों होते हाँ मूज़े बार बार सलाह देने वेल. जब बी मिलते हा, वही टिपिकल बातें करने लगते हाँ.

राज नेहा को उपर से नीचे तक देखने लगा. नेहा माल थी पूरी. गर्म ट्राउज़र जॅकेट पहने हुए थी.

राज ने साइड मे देखा और एकद्ूम से ही एक हाथ से नेहा की कमर को पकड़ के अपने साथ सता लिया. नेहा हैरत से राज को देखने लगी. राज होंटो प्र स्माइल लाते हुए उसे देखने लगा.

राज--- ऐसे ही ओपन्ली लाइफ जीने की आदि हो तुम. शामरा परिवार के दोनो बोढ़ू की बातों से तुम इररेतते हो जाती हो. मे बी तुम्हारे जेसी लाइफ जीने का आदि हों. योउ नो मिस नेहा, मैं तुमसे भी कहीं आयेज का हों. राज ने साइड मे देखा और फिर नेहा को उठा कर साइड मे पेड़ के नीचे ले गया. नेहा हड़बड़ा कर चीखने लगी. राज ने अपने होन्ट उसके होंटो पर सता दिए. हल्का सा किस नेहा के होंटो पर कर दिया.

नेहा दर भी गई थी, शॉक्ड भी थी.

राज नेहा की कमर को पकड़ कर तोड़ा सा पीछे को पेड़ के साथ लगा कर बोला.. जेसी लाइफ तुम जी रही हो, जीती रहो, थोड़ी सी खुशी अगर उन दोनो को भी तुम दे दो तुम्हे क्या फ़र्ज़ पद जाएगा. जिओ अपनी लाइफ, पर उन्हे थोसा सा सम्मान देकर खुश कर दो.

राज जनता था, नेहा केसी लड़की हा. लड़कियों की तो राज ने Pह्ड कर रखी थी. र्जा ने देर न्ही की और नेहा के ट्राउज़र मे हाथ घुसा कर नेहा की छूट मे उंगली डाल दी. नेहा को एक झटका लगा. वो हेरात से राज को देखने लगी. सेक्स की शैदाई वो बी थी, वो से ल्दकों से रीलेशन उसने भी बना रखे थे. पर राज के जैसा किसी ने उसके साथ न्ही किया था. राज तो सब कुछ ओपन्ली ही कर रहा था. राज सूरत से डीसेंट और शरीर से एक स्ट्रॉंग मान भी था.

राज की उंगली से नेहा सिसकने लगी. आहह हरमाई सेयेल कुत्ते ये क्या कर रा हा आहह मा.. राज ने दूसरे हाथ से नेहा का चुचा पकड़ लिया और दबाने लगा.

राज-- क्यू मज़ा न्ही आ रहा क्या. सुबह सुबह तुम्हे तुम्हारे मतलब का सब मिल रहा हा. ऐसे खुले मे एक स्ट्रेंजर तुम्हारे इस सुंदर से शरीर के सुंदर से पार्ट्स के मज़े ले रहा हा. इहणी पार्ट के गर्मी के कारण कल शाम तुम च्चत पार्स मूज़े देख के भी नीचे न्ही उतरी थी. राज की उंगली से नेहा की सिसकियाँ बढ़ने लगी.

पास से एक लड़की गुज़र रही थी. उसकी नज़र पड़ी तो वही से बोल पड़ी. नेहा आज सुबह सुबह ही फाँस लिया किसी को. राज और नेहा हड़बड़ा कर लड़की को देखने लगी. लड़की स्माइल करते हुए आयेज बढ़ गई.

राज-- सही अंदाज़ा लगाया ना मैने. तुम भी कम चालू न्ही हो. वेसए वो लड़की तुम्हारे आयेज कुछ भी नही. राज ने फिरसे अपने होन्ट नेहा के होंटो से जोड़ दिए. चुचे दबाते हुए नेहा की छूट मे उंगली की स्पीड राज ने और भी बढ़ा दी.

नेहा अब मस्त हो चुकी थी. किस मे राज का साथ देने लगी. बड़े जोश से वो राज को किस करने लगी. जब नेहा की छूट मे बारह आने लगी और नेहा के झटके बढ़े तो राज ने नेहा के ट्राउज़र के आंद्र से हाथ निकल कर डोरी लूस करते हुए ट्राउज़र पनटी समेत नीचे कर दिया. नेहा राज के ऐसा करने से कुछ घबराई भी. पर छूट की भयंकर आग ने उसे प्रेशन भी कर दिया था.

राज झुका और बिना देरी के नेहा की चूत मे जीब डाल दी. नेहा की मत ही मारी जा चुकी थी. वो आहें भारती हुई राज के सर को अपनी छूट पर दबाने लगी.

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ह उफफफफ्फ़ उम्म्म्ममममम सीईईईईईईई ओह नेहा सिसकने लगी और नेहा नेहा की छूट मे जीब के साथ साथ एक उंगली भी घुसा कर नेहा की मत मरने लगा. देर न्ही लगी और नेहा झड़ने लगी. राज ने नेहा को पकड़ के वही बिता दिया. सर्दी मे भी नेहा पसीने पसीने हो चुकी थी. नेहा की तेज़ चल रही साँस को देख के राज उसे स्माइल से देखने लगा. जितनी देर मे नेहा रिलॅक्स हुई, उतनी देर मे राज अपने लंड को निकल चुका था.

"मी गोद!! इतना बड़ा और स्टॉर्णग डिक"

आवाज़ सुनके नेहा और राज ने देखा तो वही लड़की पेड़ की दूसरी साइड पे खड़ी थी.

नेहा--- साली मे जानती थी तू ज़रूर आएगी. नैना भी चलती हुई राज जे पास पोनची और बैठ के राज के लंड को पकड़ लिया.

नैना-- नेहा कितनी खुश किस्मत हा तू, जो तुझे इतना पवेरफूल लंड मिलने जा रहा हा.

राज के लंड को देख हेरान तो नेहा भी थी. पर राज के लंड को देख उसकी आँखों मे चमक बोहुत बढ़ गई थी. ऐसे ही लंड के लिए नज़ाने वो काब्से तरस भी रही थी. अब तक इतना ब्डा और मोटा लंड उसकी छूट मे कभी न्ही गया था. उसके क्सि भी बाय्फ्रेंड का लंड राज के लंड ज़िंटा नही था.

नेहा--- हहहे तू चाहे तो ले सकती हा. और ये मेरा बाय्फ्रेंड भी न्ही हा.

नैना--- वहतत्त क्या कह रही हो. ब्फ नही हा तो फिर इतना सब.

नेहा-- बोहुत बड़े वाला हरामी हा ये नैना. ये शामरा सिर के घर मे आया हुआ हा.

नैना---- क्या उनके घर मे आया हुआ हा. फिर भी ये ऐसा हा. वो न्ही जानते क्या इसके बारे मे.

राज --- भला जिसके पास ऐसा लंड हो. वो केसे शरीफ हो सकता हा. और रहता मे वहाँ इसलिए हों. वो दोनो जेसे भी हाँ, हमदर्दी के लायक तो हाँ ही ना. राज ने पूरी बात न्ही बताई दोनो को.

नैना राज के लंड को मसालने लगी.

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नेहा--- ले ले साली मो मे अगर लेना हा तो, नही तो मुझे टेस्ट करने दे. देर बी हो रही हा. कोई इस ओर ना आ जाए.

नेहा की बात पे नैना को ऐसा लगा जेसे राज का लंड उससे डोर होने वाला हा. वो झुकी और राज के लंड को मो मे भर लिया. मोटा लंड मुश्किल से उसके मोह्न मे समाया. पर वो न्ही रुकी मो मे लेके चूसने लगी. पीछे से राज ने उसके त्रोसेर मे हाथ डाला और गंद के च्छेद को ढूंड के उसमे उंगली डालने लगा. राज जनता था, जेसी दोनो लड़कियाँ हाँ, ज़रूर इनके दोनो च्छेद खुले होंगे. हुआ भी ऐसे ही, राज की उंगली थोड़ी मुश्किल से सही, पर नैना की गंद मे घुस गई थी. नैना ने मो से लंड निकल कर राज को देखा. उसकी आँखें भी लाल हो गई थी. राज गंद और छूट के च्छेद से खेलने लगा. नैना फिरसे राज के लंड को मो मे ले चूसने लगी. नेहा खड़ी होके चारों ओर देखने लगी. कोई न्ही दिखा तो वो भी झुक के बैठी और नैना को राज के लंड से हटा के खुद मो मे ले गई. कुछ देर राज के लंड के टेस्ट को अच्छे से चेक करने के बाद वो सीधी हो गई.

नेहा--- मस्त हा तुम्हारा, बोहुत मस्त. दो दो लड़कियों के चूसने पर भी माल नही छ्चोड़ा इसने. लेने मे मज़ा आएगा.

नैना--- हन नेहा मे भी वही देख रही हों. क्या ख़याल हा फिर.

नेहा--- अभी तो न्ही ले सकती. टाइम निकल के लेना पड़ेगा.

नैना-- राज से बोली.. नाम क्या हा तुम्हारा.. राज ने अपना नाम बता दिया.

नेहा-- राज तुमसे मिलके बोहुत अच्छा लगा. ऐसे ही लड़के मुझे बोहुत पसंद हाँ. अरे लड़की के साथ मस्ती, मज़े करने के लिए शरम करने वेल भी कोई लड़के होते हाँ. सेयेल शामराते रहते हाँ. शरम तो हम लड़कियों को न्ही आती और आज कल के लड़के शर्मणे लगते हाँ. नेहा हेस्ट हुए बोली.. वेसए तुम हो बोहोट बड़े वेल कामीने.. नेहा आयेज बढ़के राज को किस करने लगी.

नैना--- सुनके मे हेरान तो हुई हों नेहा, पहली ही मुलाक़ात मे राज ने तुम्हे पकड़ कर इतना सब कर दिया.

नेहा--- नैना मे तुझे बता न्ही सकती, पहले मे कितना घबरा गई थी, कितना दर गई थी. मूज़े लगा मेरा रेप हो जाएगा. पर तो इतना ट्रैन्नेड़ हा सेक्स के मामले मे, मज़ा ही आ गया. कहीं से लगने ही नही दिया राज ने मुझे, जेसे वो ज़बरदस्ती कर रहा हो, कुछ सेकेंड्स मे ही मेरी छूट मे आग लगा दी राज ने.

राज---- रनदिओ मेरे लंड को ठंडा नही करूगी तुम दोनो.

नैना--- हाहाहा देखा नेहा इसका बोलना भी हमारे हिसाब से हा. सच मे पूरा हरामी हा ये तो.. नैना भी हेस्ट हुए बोली तो नेहा राज को ब्दे प्यार से देखने लगी.

नेहा--- मान तो बड़ा हा राज अभी के अभी इसे अपनी छूट मे लेके इतना उछलो कह धमाल मचा के रख दूं. पर न्ही ले सकती.

राज ने नेहा के मो अपने लंड कर दबा दिया लंड नेहा के मो मे घुसा तो नेहा राज के लंड को चूस्टे हुए मसालने लगी. साथ नैना के साथ भी च्छेद च्छाद करने लगा.

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कुछ मिंटो मे राज के लंड का माल नेहा के मो मे भर गया. फिर तीनो उठे और कपड़े पह्न के पार्क से बाहर जाने लगे. राज नेहा को लाइन पे ले आया था, साथ नैना जेसी रंडी भी उसे मिल गयी थी.

नेहा-- राज तुम्हे दर न्ही लगा, अगर मे शर्मा जी की घर जा के अभी का सब कुछ बता दूं तो.

नैना-- हहा तू अभी भी नही समझी इसे नेहा. राज को कोई फ़र्क न्ही पड़ने वाला.

राज-- सही कहा तुमने मेरी जान. मे तो इतना बेशर्म हों तुम दोनो के घर मे घुस के तुम दोनो के सामने तुम दोनो की मा को छोड़ डालूं. वो भी ज़बरदस्ती.

नैना-- हाए राज किसी दिन तुम मेरी भाभी को भी ऐसे ही छोड़ डालो, तो कसम से मज़ा ही आ जाए. साली हा तो मेरी भाभी पर मुझे उसकी वजा से बड़ी परेशानी भी रहती हा.

राज---- क्यू ऐसी क्या बात हा. तुम तो पूरी रंडी हो, और रंडी भी भला किसी से डरती हा.

नैना-- न्ही ना, रंडी हों तो क्या पूरे घर मे धंडोरा पीट्टी फ़िरों. राज सब कुछ उनकी नज़रों मे रहते तो न्ही किया जा सटका ना.

नेहा-- राज नैना की भाभी ने एक बार नेहा को देख लिया था, तब से इसे अपने नीचे दबा के रखती हा.

राज--- अब मेने सब का ठेका तो नही ले रखा. मुझे क्या मिलेगा तुम्हारी भाभी को छोड़.

नैना-- हहहे एक छूट और एक गांद. तुम न्ही जानते राज, मेरी भाभी भाई के सिवा किसी और के साथ सेक्स नही करती. और भाई भी बस आवें ही हा. 4 साल हो गये हाँ शादी को और भी अभी तक भाभी को मा भी न्ही बना सके.

राज--- तो असल आग तुम्हारी भाभी को इस बात पर लगी हा.

नेहा-- ये बात भी हा राज. पर वो शर्मा जी के जैसे विचारो वाली हा.

राज-- फिर तो वो वहाँ भी आती ही होंगी.

नैना-- कभी कभी. पर मास्टर जी की रेस्पेक्ट के साथ साथ उसके कुछ आकर भी हा. हुंसे ज़यादा पैसे वेल परिवार से हा ना.

राज-- चलो पहले तुम दोनो को छोड़ लूँ फिर देखता हों क्या करना सही रहेगा. नैना अगली गली से मूड गई तो राज और नेहा एक साथ घर वाली गली मे दाखिल हो गये. दोनो को एक साथ देख के कुछ हेरान हुए. कल वो सब राज को मल्टी शर्मा के साथ देख चुके थे. आज नेहा के साथ देखा तो सोचने लगे, शर्मा जी के साथ रहने वेल की सोच भी उनके जेसी ही होगी. फिर ये लड़का क्यू नेहा के साथ हा.

नेहा-- राज तुमने थ्र्ींसोमे भी किया हा कभी.

राज को लास्ट किया थ्रीसम याद आ गया. पर वो थ्रीसम था ही कहाँ. वो भी दोनो को अलग अलग करके छोड़ा था राज ने. उससे पहले भी राज कई के साथ थ्रीसम कर चुका था.

राज-- टाइम आने दो, फिर दिखा भी दूँगा थ्रीसम मे मई कितना मास्टर हों. राज हरामी स्माइल से नेहा को देखते हुए बोला.

नेहा-- 3 बजे तुम मूज़े पार्क के बाहर मिलना. मे और नैना वही तुमसे आ के मिलेंगी. फिर चलेंगे एक ठिकाने पे. वही दिखना अपना असली हरामीपन.

घर आया तो नेहा अपने घर चली गई और राज अपने नाना के घर.
 
मदिर से हम वापस होटल के लिए चल दिए, हमारे पास करने के लिए कुछ खास था नहीं, जब से हम दोनों के बीच सेक्स शरू हुआ था तब से सारा ध्यान एक दूसरे के जिस्म से खेलने में ही लगा हुआ था, घूमना तो जैसे भूल ही गए थे, ऊपर से अब ये उमड़ उमड़ के चन्द्रमा के लिए जो प्यार मेरे दिल में हिलोरे मार रहा था उसे शान्ति तो बस चन्द्रमा की बाँहों में समां कर ही मिलती थी, मंदिर से निकल जब बाहर रोड पर आये तब तक बाजार में खासी चहल पहल होने लगी थी,

कुछ देर हम दोनों उसी बाजार में घूमते रहे चन्द्रमा को एक जोधपुरी चुन्नी पसंद आयी तो वो मैंने उसको दिला दी, मुझे भी एक दूकान पर अपनी माँ के लिए एक सूट पसंद आया तो मैंने अपनी मम्मी के लिए भी एक सूट खरीद लिया, मेरी माँ सलवार सूट ही पहनती थी पंजाबी महिलाओं की तरह, साड़ी उनसे संभालती नहीं थी, मैंने चन्द्रमा को भी कुछ और लेने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया, चन्द्रमा ने एक साड़ी पसंद की मेरी मम्मी के लिए, मैंने चन्द्रमा को बताय नहीं की मेरी मम्मी साड़ी नहीं पहनती, मैंने बिना बोले वो साड़ी भी खरीद ली,

बाजार में ही मुझे एक बढ़िया मिठाई की दूकान नज़र आयी तो मैंने कुछ मिठाई भी खरीद ली, मुझे मिठायों का बड़ा शौक़ है, मैं जिस किस शहर जाता हूँ वहा की मशहूर मिठाइयां ज़रूर लाता हूँ, हमे बाजार में घूमते और शॉपिंग करते लगभग ४ बज गए थे, थोड़ी भूख भी लग आयी थी तो हमने उसी मिठाई शॉप के ऊपर बने एक मारवाड़ी भोजनालय में खाना खाया, वहा थाली सिस्टम था, आप चाहे एक रोटी खाये या दस रोटी थाली अलग अलग लेनी होगी, मजबूरी में हम दोनों ने एकएक थाली ली और खाना खाया, देसी घी में बना खाना बिना लहसुन प्याज़ डाल कर बनाया गया था लेकिन स्वाद गजब का था, हम दोनों ने भूख से ज़्यदा खाना खा लिया, फिर हम वापस अपने होटल पहुंच गए।

अपने कमरे में पहुंच कर चन्द्रमा फ्रेश होने चली गयी और मैं जूते उतार कर सोफे पर ढेर हो गया और टीवी ऑन कर लिया, कुछ नहीं था टीवी में बस मैं चैनल बदलता रहा, चन्द्रमा ने कपडे चेंज कर लिए थे, उसने वो सूट उठा आकर करीने से पैक कर लिया था और एक ओर रख दिया, उसने एक पतला सा टॉप और एक लोअर डाल लिया था और बिस्तर में लेट गयी थी, मैंने जाते समय रूम क्लीनिंग का टैग लगा दिया था इसलिए रूम बिलकुल साफ़ सुथरा था और बिस्तर पर भी साफ़ चादर बिछा दी गयी थी,

कुछ देर मैं भी वाशरूम जा कर फ्रेश हो आया और कपडे चेंज कर लिए, मैंने भी एक हलकी सी टी शर्ट और डाल ली थी, कुछ देर बाद मैं भी चन्द्रमा के बगल में आकर लेट गया, चन्द्रमा भी शायद इसी के इन्तिज़ार में थी बस फिर क्या था हो गए शुरू हम दोनों और लग गए अपनी रासलीला में, इस बार पहली बार के जैसे ज़यादा दिक्कत नहीं हुई लेकिन फिर भी नयी चूत थी तो मेहनत बहुत करनी पड़ी, इस बार चन्द्रमा को कल से ज़्यदा मज़ा आया था, अभी शरुवात थी जैसे जैसे चुदाई होती रहेगी वैसे वैसे मज़ा बढ़ने वाला था, खैर इस चुदाई ने भी अच्छा खासा थका दिया था इस लिए हम दोनों फिर से नंगे एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर सो गए।

शाम करीब सात बजे मेरी आँख खुली, चन्द्रमा अभी सो रही थी, मैंने फ़ोन में देखा मेरी कुछ कॉल और मेसेजस आये थे, मैंने अपना लैपटॉप ऑन कर लिया, लेकिन इंटरनेट नहीं चल रहा था, मैंने रिसेप्शन पर कॉल किया तो जानकारी मिली की सर्वर ख़राब है, रिपेयर होने में कुछ समय लगेगा तब तक हम चाहे तो बार में बैठ कर काम कर सकते है वहा का इंटरनेट चल रहा है, तब तक चन्द्रमा भी उठ गयी थी, मैंने उसको बताय तो उसने कहा की मैं बार में चला जाऊ वो भी चेंज करके वही आजायेगी, मैं बिना कपडे चेंज किये बार में चला गया, और एक टेबल पर बैठ कर अपना काम निबटने लगा,

सोमवार का दिन था इसलिए बार में कुछ खास भीड़ नहीं थी, मैं ड्रिंक नहीं करता इसलिए मुझे कोई खास लेना देना ही नहीं था, थोड़ी देर में चन्द्रमा मुझे ढूंढती हुई आगयी, अभी हमे बैठे हुए थोड़ी देर ही हुई थी की एक वेटर हमारे पास आर्डर के लिए आया, मैंने मना कर दिया तो उसने कहा की होटल की ओर से कम्प्लीमेट्री है, आप को इंटरनेट की असुविधा हुई इसीलिए, आप कोई भी नॉन अलकोहलिक ड्रिंक अपने और मैडम के लिए आर्डर कर सकते है, आपको कोई चार्ज नहीं देना होगा, मैंने चन्द्रमा की ओर देखा और उसे ऑडर करने के लिए बोल दिया,

उस समय मेरा धयान अपने काम पर था, थोड़ी देर में हमारा आर्डर आगया और तभी बार के बीचोबीच बने स्टेज पर म्यूजिक का प्रोग्राम शरू हो गया, कोई लोकल सिंगर था जो वह के लोकगीत गा रहा था फिर उसने मशहूर हिंदी गाने भी गाना स्टार्ट कर दिया, मैंने भी अपना काम ख़तम कर लिया और म्यूजिक एन्जॉय करने लगा, अच्छा प्रोग्राम था, मैंने कुछ स्नैक्स भी माँगा लिया और ड्रिंक पीते पीते एक खूबसूरत शाम का मज़ा लेने लगे, मैंने चन्द्रमा से खाने के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया, मुझे भी कुछ खास भूक नहीं थी, म्यूजिक का प्रोग्राम ख़तम हुआ, तो चन्द्रमा ने चलने का इशारा किया लेकिन मेरी एक ज़रूरी ईमेल आगयी, मैंने उसको रुकने के लिए कहा लेकिन चन्द्रमा कुर्सी से उठ गयी और मुझे जल्दी से काम ख़तम करके कमरे में आने के लिए कहा, मैंने भी जल्दी जल्दी काम निबटा के लगभग १५ मिनट में अपने कमरे के गेट पर आगया,

कमरा अंदर से बंद था, मैंने बेल बजायी तो झट से दरवाज़ा खुला, चन्द्रमा ने हल्का सा गेट खोल कर बहार झाँका और मुझे देख कर मेरा हाथ पकड़ा और कमरे के अंदर खींच लिया, चन्द्रमा शायद नहा कर आयी थी, बाल अभी हलके गीले थे और उसके जिस्म पर वाइट होटल वाला बाथरोब था

मैं : अरे ये बाथरोब कहा से मिला
चन्द्रमा : वही से जहा आपने छुपाया था,
मैं : मुझे क्या पता ? मैं क्यों छुपाऊंगा कुछ ?
चन्द्रमा : रहने दो, आप अंदर से बहुत चालक हो, बस सामने से भोले बनते हो,
मैं : अच्छा तुमको कैसे पता लगा बाथरोब का ?
चन्द्रमा : जब आपके पास बार आरही थी तब मैंने एक रूम के खुले हुए डोर से देखा, वह एक लड़की बाथरोब में थी, बस आपके पास से वापस आके मैंने वार्डरॉब चेक किया तो मिल गया
मैं : हम्म अच्छा किया, अच्छा ये लैपटॉप मेरे बैग में रख दो तब तक मैं भी नहा लेता हूँ फिर आराम से बैठेंगे,
चन्द्रमा : हाँ ठीक है , मैंने पानी का टेम्प्रेचर सेट कर दिया था आप बस ऑन करना और बाकी छेड़छाड़ मत करना नहीं तो मुझे फिर आना पड़ेगा आपकी हेल्प करने
मैं : अरे मेरी सुपर गर्ल, मैं तो चाहता ही हूँ की तुम हर बार उसी तरह से मेरी हेल्प करने आओ, ऐसे होने लगे तो मैं रोज़ नहाते टाइम ऐसी गड़बड़ करू
चन्द्रमा : बस बस, बुड्ढे होने को आये हो लेकिन रोमांस १६ साल के बच्चों जैसे करा लो,
मैं : ( दिल में बुड्ढा सुन कर बुरा लगा ) मेरी जान रोमांस की कोई उम्र थोड़ी होती है, जब प्यार करने वाली मिल जाये तब कर लो रोमांस, और जब तुम जैसी सुन्दर सुकोमल सुंदरी हो प्यार करने के लिए तो मैं तो अस्सी साल की उम्र में भी कर लू रोमांस।
चन्द्रमा : बस करो, कितना बोलते हो
मैं : चुप करना चाहती हो तो किस कर लो हो जाऊंगा चुप, मेरी बात ख़तम होती उस से पहले चन्द्रमा ने अपने गुलाबी होंठ मेरे होठो से लगा दिए और मेरे होंटो का रास पीने लगी, मैंने भी पूरी गरम जोशी से उसके चुम्बन का जवाब दिया, कुछ देर ऐसे किस करते रहने के बाद चन्द्रमा ने मुझे बाथरूम में धक्का दे दिया और दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया, मैंने भी जा कर नहाया और फिर शरीर को पोंछ कर अपना बाथरोब शरीर पर डाल लिया। मैंने आज अंदर कुछ नहीं पहना था, मैंने वाशरूम का दरवाज़ा खोलने के लिए हाथ लगाया तो दरवाज़ा खुल गया शायद चन्द्रमा ने शावर की आवाज़ सुन कर चुपके से दरवाज़ा खोल दिया होगा,

कमरे में साइड के दोनों टेबललैंप ऑन थे और मैं लाइट्स ऑफ थी, मेरे लैपटॉप पर एक गाना हलकी आवाज़ में बज रहा था

लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले से ...

ये मेरा फेवरेट गाना था जो मेरे लैपटॉप के डेस्कटॉप पेज पर ही डाला हुआ था मैंने

चन्द्रमा बेड के साइड में खड़ी बड़े शीशे में देख कर अपने बालों में कंघी कर रही थी, चन्द्रमा ने बिना मुड़े मुझे शीशे में देखा और मुस्कुरायी, मैं भी गाने की धुन गुनगुनाता हुआ उसके पीछे जा पंहुचा, मैंने हौले से उसकी कमर को अपनी हाथो में लिया और अपना सर उसके कंधे पर रख दिया, चन्द्रमा ने भी हाथ बढ़ा कर कंघा बेड की ओर उछाल दिया और मेरी ओर पलट कर अपने हाथ मेरी कमर में लपेट दिए, उसका चेहरा मेरी छाती में घुसा हुआ था

लैपटॉप पर बज रहा था

हमको मिली हैं आज, ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो ना हो
फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो ना हो

हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में लिए हलके हलके म्यूजिक की धुन पर अपनी पैर को थिरकते हुए स्लो सालसा डांस करने लगे, हम दोनों ही डांस में कच्चे थे लेकिन उस समय हम दोनों गाने और रोमांस की दुनिया में खोये होये एक दूसरे की बाहों में लिपटे अपने जीवन का सबसे खूबसूरत पल जी रहे थे, सेक्स अपने आप में एक बेमिसाल सुख है लेकिन सारी दुनिया के सारे दुःख दर्द भूल कर अपने प्रियतमा को अपनी बाहों में समेत कर एक दूसरे में खो जाने से अधिक सुख किसी चीज़ में नहीं है, प्रेम ही में भगवान का वास् होता है, और जिस क्रिया में भगवान निहित वो क्रिया सबसे सुखदायी होना स्वाभाविक है।

हम दोनों गाने के मधुर संगीत और शब्दों के अनोखे संगम में डूबे एक दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे, उस समय हमारी आँखों में एक दूसरे के लिए निश्छल प्रेम था शायद ऐसा ही जैसा राधा ने कृष्ण में देखा हो या मजनू ने लैला में देखा हो।

पास आइये कि हम नहीं आएंगे बार-बार
बाहें गले में डाल के हम रो लें ज़ार-ज़ार
आँखों से फिर ये प्यार कि बरसात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो

होटल के मंद रौशनी से भरे कमरे में हम दोनों बिना एक शब्द भी बोले एक दूसरे से प्रेम का इज़हार कर रहे थे और जब ये शब्द हमारे कानो में पड़े तो मैंने देखा की चन्द्रमा की आँख के कोने एक मोटा सा आंसू फिसलता हुआ उसके गालो तक आगया, मैंने बैचनी की साथ उसके गाल पर फिसलते आँसूं पर अपने होठ रख दिए और उसके आंसू को पी गया, मैंने फिर से चन्द्रमा की ओर देखा वो आंख बंद किये हौले हौले अपने शरीर को संगीत की धुन पर लहरा रही थी, मैंने उसकी आँखों पर धीरे धीरे किस करता रहा

लग जा गले कि फिर ये हस्सीं रात हो ना हो
शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो ना हो
लग जा गले कि फिर ये हस्सीं रात हो ना हो

अंतिम पंक्ति के बाद गाना बंद हो गया, चन्द्रमा ने आँख खोला मैंने उसके माथे पर किस कर लिया, उसकी थोड़ी को अपनी ऊँगली से उठा कर ऊँचा किया, उसके होंटो पर एक हलकी सी किस की और कहा " चन्द्रमा जैसे मैंने मंदिर में भी कहा अगर तुमको मैं पसंद हूँ तो ये आखरी मुलाक़ात नहीं बल्कि ये शुरुआत की मुलाक़ात होगी और हम सारी ज़िन्दगी ऐसे ही एक दूसरे साथ जीवन गुज़ार सकते है "

चन्द्रमा ने भी जवाब में मेरे होंटो पर एक किस कर दी और नज़रे झुका कर बोली " अगर पसंद नहीं होते तो क्या इतना सब कुछ कर पाती आपके साथ, आप खुद सोचो मेरे कुंवारेपन के पीछे इतने लोग पड़े थे फिर मैंने ये जिस्म केवल आपको ही दिया, अगर पसंद ना होते तो शायद आप मुझे छू भी नहीं सकते थे "

चन्द्रमा की इतनी सटीक बात सुन कर मेरा दिल दिमाग ख़ुशी से झूम उठा, सच ही कह रही थी चन्द्रमा आखिर बेचारी ने क्या क्या नहीं झेला था इस जिस्म के लिए और यही जिस्म उसने मुझे थाली में सजा कर भोगने के लिए परोस दिया था, मैं मारे ख़ुशी के बोल उठा

" ओह्ह चन्द्रमा आई लव यू , आई लव यू सो मच बेबी "
चन्द्रमा का भी जवाब आया
" आई लव यू तू समीर, आप बहुत अच्छे इंसान हो, इतना प्यार और केयर करने वाला इंसान बड़ी मुश्किल से मिलता है"

कह कर चन्द्रमा ने लपक कर मेरे होंटो को अपने होठो में दबा लिया और मैंने भी मस्ती में डूब कर चन्द्रमा के रसीले होंटो का रस पीने लगा, जैसे जैसे हम एक दूसरे के किस कर रहे थे हमारी कामुकता बढ़ती जा रही थी, मैंने किस करते करते चन्द्रमा के बूब्स को बाथरोब के ऊपर से ही दबाया लेकिन बूब्स दबाते ही चन्द्रमा एक कदम पीछे हट गयी, मुझे बेड पर धक्का दे कर गिरा दिया और खुद बाथरोब की डोरी खोल कर अपने दोनों हाथो को अपने कंधे पर ले गयी और एक झटके में अपने कंधो से बाथरोब को सरका दिया, बाथरोब उसके कोमल चिकने बदन से फिसलता हुआ ज़मीन पर था और चन्द्रमा मेरे सामने जन्मजात नंगी खड़ी थी,

कमरे की मंद रौशनी में चन्द्रमा का शरीर कामदेवी के जैसे मालूम पड़ता था, मनो साक्षात् काम देवी चन्द्रमा में समां गयी हो, मैं बेड पर बैठ गया और बेड से उतरने की कोशिश करने लगा ताकि मैं भी अपना बाथरोब उतार के नंगा हो सकू, लेकिन चन्द्रमा ने रोक लिया और और वही बिस्तर के कोने पर बैठे रहने के इशारा किया, खुद एक अदा से चलता हुई मेरे क़रीब आयी औरमेरे सर को दोनों हाथ से थाम कर मेरे होंटो को किस करते हुए मेरी गोदी में बैठ गयी, अपने दोनों हाथो से उसने मेरे बाथरोब की गाँठ खोली और और उसको अपने हाथो से बाथरोब को मेरे शरीर से अलग कर दिया,

अब मैं भी मादरजात नंगा था, और चन्द्रमा अपने जिस्म को मेरे शरीर पर रगड़ रही थी और चुम रही थी, मैं भी बीच बीच में चन्द्रमा को किस कर रहा था लेकिन इस पूरी सिचुएशन कर कण्ट्रोल चन्द्रमा के हाथ में था, वो किसी काम कला में माहिर खिलाडी की तरह मेरी जिस्म से खेल रही थी और मैं उसके हर एक क्रिया को महसूस कर उत्तेजित हो रहा था, मेरा लण्ड आने वाले पल की कामना करके उत्तेजना से झटके खा रहा था और चन्द्रमा भी अपनी चूत को लैंड पर रगड़ कर उसकी उत्तेजना को भड़का रही थी, मुझसे सबर करना मुश्किल हो रहा था, आखिर मैंने हाथ बढ़ा आकर उसकी मस्त कड़क चूचियों को अपने हाथो में थाम ही लिया, चूचियों के हाथो में आते ही चन्द्रमा मस्ती से बिलबिला उठी, मैंने भी मौके का फ़ायदा उठा कर उसकी चूचियों को कस कस कर रगड़ दिया, चन्द्रमा मस्ती से भर कर दोहरी होने लगी और और मुँह से "ओह्ह्ह मम्मी, ओह्ह समीर, ओह्ह माय बेबी " की सीत्कार निकलने लगी

मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया, चन्द्रमा ने भी मेरे सर को अपनी चूचियों पर दबा दबा कर अपनी यौवन भरा रास पिलाने लगी, मैं बिस्तर के कोने पर बैठा और चन्द्रमा मेरी गोद में लैंड के ऊपर रस छोड़ती चूत टिकाये लण्ड को तड़पा रही थी और दूसरी ओर मेरा बया हाथ चन्द्रमा की दायी चूचियों को रगड़ रहा था और मैं उसकी बायीं चुकी को मुँह में डाले चूस चूस को चन्द्रमा को मस्ती के आसमान में सैर करा रहा था, चन्द्रमा के मुँह से सिसकारियां रुकने का नाम नहीं ले रही थी और मैं अपनी पूरी तन्मन्यता से उसके कोमल जिस्म से खेल रहा था,

कुछ देर ऐसी चला और फिर मैंने अपने दाये हाथ को उसके जिस्म से ससार कर उसके गांड तक पहुंचाया और उसकी गांड को सहलाने लगा, चन्द्रमा समझ गयी की अब मैं शायद उसकी छूट या गांड में ऊँगली पेलुँगा और वो इसके लिए तैयार नहीं थी, उसका मन तो और ही कुछ था, उसने एक पल के लिए खुद को संभाला और मुझे फिर धक्का दे कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद लण्ड अपने हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी, उसने लण्ड हिलाते हुए एहसास हुआ की मेरे लैंड से कुछ रस टपक गया है, मैंने उसको रुकने का इशारा किया और बिस्तर से उठने लगा अपने बैग से कंडोम निकलने के लिए, चन्द्रमा ने मुझे वही रोका और पास की टेबल से हाथ बढ़ा कर कंडोम उठाया और मेर लैंड पर पहना दिया, ये कंडोम शाम में नहीं था, शायद चन्द्रमा ने ये तैयारी बार से आने के बाद की होगी या जब मैं नहाने गया था तब रखा होगा,
मैं वापस बेड पर लेट गया, चन्द्रमा ने मेरे कंडोम चढ़े लैंड को अपने मुँह में डाल लिया और मज़े से चूसने लगी, मैं आँखे बंद किये लण्ड चुसवाने का मज़ा लेने लगा

लेकिन ये मज़ा दो चार बार में ही ख़तम हो गया मैंने आँख खोल कर देखा तो पाया चन्द्रमा मुझ पर चढ़ी लैंड हाथ में पकडे अपने चूत में घुसाने की कोशिश कर रही है, मैंने उसे रुकने का इशारा किया और एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर सीधा किया लण्ड सीधा होते ही चन्द्रमा ने ना आव देखा न ताव और झट से अपनी चूत लैंड पर टिका कर एक झटके से लण्ड पर बैठ गयी,

बैठने को तो वो बैठ गयी लेकिन आधा लण्ड अंदर जाते ही उसे गलती का एहसास हो गया दर्द के मारे एक चीख उसके मुख से निकली और उसे एक शिकायती नज़र से मेरी ओर देखा, मैंने हाथ बढ़ा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया और उसको होंटो को चूमने लगा, साथ में उसकी चुच्यों को दबा रहा था और मसल रहा था, कुछ देर इसी पोज़ में हमने एक दूसरे को प्यार किया जब मुझे लगा की चन्द्रमा को दर्द काम है उसकी अपने बाँहों में कास कर पकड़ा और नीचे पूरी ताकत लगाकर कर लण्ड उसकी चूत में उतार दिया,

धक्का ज़बरदस्त था चन्द्रमा अंदर तक हिल गयी लेकिन आधा फसा लैंड अब पूरा चन्द्रमा की चूत में था, चन्द्रमा की कुछ पल के लिए साँस अटकी लेकिन फिर मैंने जैसे ही नीचे से हलके धक्के लगाना स्टार्ट किया चन्द्रमा का मज़ा बढ़ने लगा, कुछ दो तीन मिनट धक्के मारे होंगे की चन्द्रमा वापिस अपने जोश में आगयी, अब वो मेरे शरीर के ऊपर से उठ गयी थी और अब मेरे लैंड पर बैठी ऊपर नीचे हो कर धक्के लगा रही थी, हर धक्के से चन्द्रमा की चूचियों थिरकने लगती और और वो एक कामुक अंदाज़ में अपनी गोरी चूचिओं को सहलाती हुई एक मुस्कान मेरी ओर उछाल देती, कण्ट्रोल चन्द्रमा के हाथ में था तो वो अब अपनी इच्छा अनुसार मेरे लैंड पर कूद रही थी, अभी एक दिन पहले की चुदी हुई चूत थी लेकिन जिस कला से वो अपनी छूट उठा उठा कर मेरे लैंड पर पटक रही थी लग रहा था मनो सालो से चुदती आरही हो

इधर मैं मज़े से बेहाल था, चन्द्रमा ने धीरे धीरे स्पीड बढ़ी थी, अब उसकी सिसकिया भी तीज होने लगी
"ओह्ह बेबी, कितना मस्त है ये "
ओह्ह समीर, फ़क में यार, समीर मार ना धक्के, तेज़ धक्के मार"

मैं भी उसकी कामुक बातों से जोश में भर गया और नीचे से जोर जोर से धक्के मरने लगा, लगता था चन्द्रमा की चूत से बहुत रस निकला था क्यूंकि अब धके मरने में आसानी हो रही थी और लण्ड सटासट चन्द्रमा की चूत में अंदर बहार हो रहा था, मैंने आगे हाथ बढ़ा कर चन्द्रमा के चूतड़ों को थमा और नीचे से कमर उठा आकर आठ दस कस कस के धक्के छूट की जड़ तक पेल दिए, चन्द्रमा चिल्लाई

" हाँ समीर ऐसे ही, हाँ बेबी ऐसे ही मारो अंदर तक, ओह्ह मम्मी बहुत मज़ा आरहा है" ऐसे और करो ना मेरी जान "

मैंने फिर से उसकी कमर को पकड़ा और फिर से पांच सात धक्के उसकी छूट में पेल दिया, मेरा ऐसा करना था की चन्द्रमा भरभरा कर झड़ गयी और धम से मेरी छाती पर पड़ गयी, मेरा अभी नहीं निकला था इसलिए मेरा लण्ड अभी भी चन्द्रमा की छूट में घुसा ठुमके लगा रहा था, दो तीन मिनट चन्द्रमा ऐसे ही मेरी छाती पर पड़ी रही, मैंने चन्द्रमा की हालत देखने के लिए सर उठाया तो देखा सामने शीशे में मेरे ऊपर चन्द्रमा का नंगा शरीर है और मेरा लण्ड चन्द्रमा की चूत में फसा हुआ है, चन्द्रमा की चूत से कुछ रस बहार टपक गया था जो मेरे लैंड और गोटियों को भीगा रहा था, अगर सामने शीशा न होता तो मैं ऐसा कामुक सीन नहीं देख पता, इस अनोखे दृश्य को देख कर अचानक मेरे मुँह निकला,

"क्या सेक्सी लग रही हो मेरी जान, क्या लण्ड फसा है इस करारी चूत में " चन्द्रमा जो अब मेरी ओर ही देख रही थी उसने भी मेरी नज़रो की दिशा में गर्दन घुमा कर देखा तो शर्मा गयी और मेरे सीने पर मुक्का मार कर बोली " हाय बड़े बेशर्म हो "

मैं जवाब में है दिया, मैंने फिर से चन्द्रमा के शरीर से खेलना शरू कर दिया, कुछ मिनट की मेहनत में ही चन्द्रमा फिर से गरम हो गए और चूत उठा उठा आकर मेरा लण्ड चोदने लगी, मैं भी धीरे धीरे चोद रहा था ताकि ये खेल चन्द्रमा के दुबारा झड़ने तक चले, चन्द्रमा की मस्ती बढ़ती जा रही थी और वो अब तेज़ तेज़ मेरे लड़ पर उछल रही थी, शायद शीशे में चन्द्रमा को अपना शरीर भा गया था क्यूंकि अब मेरे लण्ड पर कूदते कूदते चन्द्रमा गर्दन घुमा कर खुद को शीशे में चुपके से निहार लेती, मैंने उसके चूतड़ों पर एक चपत लगायी, "क्यों लग रही हो ना एक दम सेक्सी काम देवी के जैसी ?"

चन्द्रमा : हम्म शीशा पीछे है अगर सामने होते तो ज़्यदा मज़ा आता,"

मैं: तोह इसमें कौन सी बड़ी बात है शीशा नहीं घूम सकता तो तुम घूम जाओ ?

चन्द्रमा : क्या मतलब ?

मैं : एक मिनट रुको और चन्द्रमा को अपने लण्ड पर से उतार कर घुमा दिया, अब चन्द्रमा की पीठ और चूतड़ मेरी ओर थे और उसका चेहरा और चूचिया शीशे की ओर, चन्द्रमा ने अपने चूतड़ उठा कर फिर एक बार मेरे लण्ड पर सेट किया और धीरे धीरे लण्ड पर बैठती चली गयी, इस बार बहुत हल्का दर्द हुआ और फिर एक दो मिनट धीरे धीरे अपनी चूत मेरे लण्ड पर हलके हलके पेलने के बाद तेज़ धक्के मारने लगी,

अब चन्द्रमा उछल तो मेरे लण्ड पर रही थी लेकिन नज़र सामने लगे शीशे पर थी, शीशे में अपने उछलती चूचियां और जिस्म को देख कर चन्द्रमा ज़ायदा ही उत्तेजित हो गए और कस कस कर धक्के मरने लगी, मैंने भी नीचे से ताल से ताल मिला कर उसकी चूत में धक्के पेल रहा था
कुछ देर ऐसे चोदने के बाद चन्द्रमा की आँखे बंद होने लगी तो मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी कमर को पकड़ा और नीचे ताकत लगा कर लण्ड उसकी चूत में जोर जोर से पेलने लगा, चन्द्रमा शायद बस निकलने वाली थी इसलिए बड़बड़ाने लगी
"समीर ऐसे मारो धक्के, अस्स समीर मेरी जान चोद मुझे "
" हाँ चन्द्रमा मेरी जान, ले अंदर तक"
आह क्या मस्त है ये चुदाई "
" बहुत मज़ा आरहा है " रुक मत बस पेलता रह समीर "
"ओह्ह चन्द्रमा देख पेल रहा हूँ मैं पूरी जान लग कर पेल रहा हूँ,"
" ओह्ह माय बेबी बस ऐसे ही कर , बस निकलने वाली हूँ मैं "
" हाँ बेबी मैं भी निकलने वाला हूँ , अजा मेरी जान "

इतना बोलते ही चंदमा पागलो की तरह मेरे लण्ड पर कूदने लगी और मैं भी नीचे से किसी मशीन के जैसे सटासट अपनी लुंड उसकी चूत में पेलता हुआ झड़ गया। चन्द्रमा की चूत ने भी रस छोड़ दिया और वो भी मेरी जांघ को अपने हाथो में थामे थामे झड़ गयी।
 
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