अब तक आपने पढ़ा..
मैं अपनी विवाहित साली के शहर में उसके साथ था और अब उसकी चूत मुझसे चुदने के लिए उतावली दिख रही थी
अब आगे..
मेरी साली बोली- कल रात को तुम्हें नींद नहीं आ रही थी क्या?
मैंने कहा- नहीं तो.. अच्छी नींद आई थी.. क्यों कोई बात है?
वो बोली- नहीं.. मैंने तुम्हें रात में बालकनी में देखा था।
मैंने कहा- हाँ अन्दर थोड़ी बेचैनी हो रही थी.. तो टहलने गया था।
मेरी साली मेरे प्यार के लिये उतावली हो रही थी
फिर वो मुस्कुराने लगी तो मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
वो बोली- अगर तुम मुझसे प्यार करते हो या मुझे चाहते हो तो मुझसे कह क्यों नहीं देते?
यह सुनते से ही मैं तो सकपका गया, मैंने कहा- नहीं पलक.. ऐसी कोई बात नहीं है।
तो वो बोली- मेरे सर पर हाथ रख कर कसम खाओ और कहो कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते।
मैं बात को टालने लगा.. तभी वो उठ कर मेरे सामने खड़ी हो गई और उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मुझे भी उठाया और मेरे गले में अपनी बाँहें डाल कर रोने लगी।
फिर मैंने भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी कमर और उसके बालों को सहलाते हुए उसे चुप कराने लगा।
मगर यह क्या, मेरे पैंट में फिर हलचल होने लगी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ।
फिर धीरे-धीरे मैं अपने मुँह को उसके महकते हुए बालों में उलझाने लगा और उसके कान के पास मैंने एक धीरे से किस कर लिया और हल्के से काट लिया।
आज मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ
वो अचानक से ‘आआहह..’ भरने लगी और बोली- मैं तुम्हें तभी से प्यार करती थी.. जब तुम्हारी शादी नहीं हुई थी मगर दीदी की वजह से कभी बोल नहीं पाई.. आज मैं तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ.. मुझे अपना बना लो डियर जीजा जी!
यह कहकर उसने अपने होंठ मेरे होंठों के सामने कर दिए। अब हम दोनों की गरम साँसें एक-दूसरे की सांसों में मिल रही थीं। उसकी आँखें बंद थीं.. उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था.. जो मैं अपने सीने पर महसूस कर पा रहा था।
फिर मैंने अपने होंठों को उसके काँपते हुए होंठों पर रख दिए और हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में और होंठों में खो गए।
धीरे धीरे अचानक से ही उसके हाथ मेरी गांड पर रेंग रहे थे और मैंने भी पाया कि मेरे हाथ उसकी पीठ, कमर, और उसकी गांड को सहला रहे हैं और वो नीचे से अपनी चूत वाले भाग को ज़ोर लगा कर मेरे लंड पर दबा रही थी।
तभी हम दोनों एक झटके से बिस्तर पर गिर पड़े.. जिससे वो मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे आ गया।
वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। उसकी आँखों में वासना साफ़-साफ़ झलक रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो जाने कितने जन्मों से सेक्स की प्यासी हो।
वो मेरी शर्ट उतार कर मेरे निप्पल्स के आस-पास अपने होंठ फिराने लगी और हाथ नीचे ले जाकर मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने भी अपने हाथ उसकी नाइटी के अन्दर घुसेड़ दिए और अपने हाथ से मैं उसकी नंगी पीठ, कमर, और जाँघों को सहला रहा था। इसके साथ ही उसके मुँह से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह….’
मैं अपनी विवाहित साली के शहर में उसके साथ था और अब उसकी चूत मुझसे चुदने के लिए उतावली दिख रही थी
अब आगे..
मेरी साली बोली- कल रात को तुम्हें नींद नहीं आ रही थी क्या?
मैंने कहा- नहीं तो.. अच्छी नींद आई थी.. क्यों कोई बात है?
वो बोली- नहीं.. मैंने तुम्हें रात में बालकनी में देखा था।
मैंने कहा- हाँ अन्दर थोड़ी बेचैनी हो रही थी.. तो टहलने गया था।
मेरी साली मेरे प्यार के लिये उतावली हो रही थी
फिर वो मुस्कुराने लगी तो मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
वो बोली- अगर तुम मुझसे प्यार करते हो या मुझे चाहते हो तो मुझसे कह क्यों नहीं देते?
यह सुनते से ही मैं तो सकपका गया, मैंने कहा- नहीं पलक.. ऐसी कोई बात नहीं है।
तो वो बोली- मेरे सर पर हाथ रख कर कसम खाओ और कहो कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते।
मैं बात को टालने लगा.. तभी वो उठ कर मेरे सामने खड़ी हो गई और उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मुझे भी उठाया और मेरे गले में अपनी बाँहें डाल कर रोने लगी।
फिर मैंने भी अपने हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी कमर और उसके बालों को सहलाते हुए उसे चुप कराने लगा।
मगर यह क्या, मेरे पैंट में फिर हलचल होने लगी थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ।
फिर धीरे-धीरे मैं अपने मुँह को उसके महकते हुए बालों में उलझाने लगा और उसके कान के पास मैंने एक धीरे से किस कर लिया और हल्के से काट लिया।
आज मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ
वो अचानक से ‘आआहह..’ भरने लगी और बोली- मैं तुम्हें तभी से प्यार करती थी.. जब तुम्हारी शादी नहीं हुई थी मगर दीदी की वजह से कभी बोल नहीं पाई.. आज मैं तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ.. मुझे अपना बना लो डियर जीजा जी!
यह कहकर उसने अपने होंठ मेरे होंठों के सामने कर दिए। अब हम दोनों की गरम साँसें एक-दूसरे की सांसों में मिल रही थीं। उसकी आँखें बंद थीं.. उसका दिल ज़ोर से धड़क रहा था.. जो मैं अपने सीने पर महसूस कर पा रहा था।
फिर मैंने अपने होंठों को उसके काँपते हुए होंठों पर रख दिए और हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में और होंठों में खो गए।
धीरे धीरे अचानक से ही उसके हाथ मेरी गांड पर रेंग रहे थे और मैंने भी पाया कि मेरे हाथ उसकी पीठ, कमर, और उसकी गांड को सहला रहे हैं और वो नीचे से अपनी चूत वाले भाग को ज़ोर लगा कर मेरे लंड पर दबा रही थी।
तभी हम दोनों एक झटके से बिस्तर पर गिर पड़े.. जिससे वो मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे आ गया।
वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। उसकी आँखों में वासना साफ़-साफ़ झलक रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो जाने कितने जन्मों से सेक्स की प्यासी हो।
वो मेरी शर्ट उतार कर मेरे निप्पल्स के आस-पास अपने होंठ फिराने लगी और हाथ नीचे ले जाकर मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने भी अपने हाथ उसकी नाइटी के अन्दर घुसेड़ दिए और अपने हाथ से मैं उसकी नंगी पीठ, कमर, और जाँघों को सहला रहा था। इसके साथ ही उसके मुँह से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह….’