अब मैं आपको अपना/अपनी बीवी का एक कारनामा बता रहा हूँ, आप कमेन्ट्स करके अपने विचार मुझे बताइएगा।
हम दोनों एक पर्यटन यात्रा पर जा रहे थे, हम रेल गाड़ी में थे, हमारी ट्रेन रात सवा आठ बजे चली थी, अगली सुबह 6-7 बजे मंजिल पर पहुँचना था।
हमें साइड की ऊपर नीचे की बर्थ मिली थी। कुछ खास नहीं हुआ बस सफ़र कट रहा था।
शुरू में हम दोनों नीचे वाली बर्थ पर ही बैठे आपस में बात कर रहे थे। मेरी बीवी रुखसार ने झीनी सफ़ेद लेगी और ऊपर कसी बेबी पिंक कलर की कॉटन की कुर्ती पहनी हुई थी, कुर्ती के साइड के कट काफ़ी ऊपर तक थे तो पूरी लेगी उन कट्स में से नजर आ रही थी। मेरी बीवी उस पोशाक में काफ़ी गर्म माल नजर आ रही थी।
लेकिन हमारे आस पास सामने की बर्थ पर कोई मजेदार लोग नहीं थे, कुछ मध्यम आयु वर्ग के स्त्री पुरुष थे, एक दो बुजुर्ग किस्म के और एक दो मिडल स्कूल के से दिखने वाले बच्चे थे।
हमें लग रहा था कि रात से सुबह तक का यह सफ़र काफ़ी ऊबाऊ होने वाला है क्योंकि वहाँ पर कोई भी ऐसा युवा लड़का या पुरुष नहीं दिख रहा थ जिसे मेरी बीवी अपनी अदाएँ दिखा कर मेरा और उसका मन बहला सके, ललचा सके।
तो हम दोनों मायूस से होकर अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए और सोने की कोशिश करने लगे।
लेकिन कुछ घन्टे के सफ़र के बाद करीब चार बजे सुबह मेरी नींद खुल गई और साथ ही मेरी बीवी रुखसार भी पेशाब करने के लिए ऊपर की बर्थ से नीचे उतर कर आई।
जब वो टॉयलेट से वापिस आई तो मैंने उसे मेरे साथ ही नीचे की बर्थ पर बैठने के लिये कहा।
मैं देख रहा था कि हमारे आसपास के सभी लोग गहरी नींद में सोये हुए थे। तो मैंने अपनी बीवी के साथ कुछ मस्ती करनी शुरू कर दी, मैं उसके वक्ष को सहलाने लगा, चूचियाँ दबाने लगा, थोड़ा बहुत उसके गालों को चूमने लगा।
मुझे पूरा यकीन था कि सब लोग गहरी नींद में सोये हुए हैं तो कोई भी हमें ये हरकतें करते नहीं देख रहा होगा। लेकिन यही तो हमारे लिए दुःख की बात थी कि कोई हमें देख नहीं रहा था।
कुछ देर बाद मुझे साथ वाले कूपे की सबसे ऊपर वाली बर्थ पर कुछ हलचल महसूस हुई। मैंने देखा कि एक प्रौढ़ सा आदमी पूरी नींद में नहीं है और उसकी पोजिशन ऐसी थी कि वो हमें आसानी से देख सकता था।
मुझे यकीन था कि उस नीम अंधेरे में वो सब कुछ स्पष्ट तो नहीं देख पाएगा लेकिन वो इतना तो समझ ही जाएगा कि कुछ ना कुछ तो चल रहा है।
यह विचार आते ही मैंने रुखसार को बताया और हम दोनों एकदम काफ़ी उत्तेजित से हो गए।
रुखसार कुछ ज्यादा ही साहसी निकली, उसने मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने ऊपर उसकी लेगी में हाथ घुसा दिया और मस्ती लेने लगा।
कोई दस मिनट बाद वो आदमी बर्थ से नीचे उतरने लगा। मैंने रुखसार से कहा कि यह आदमी जरूर ही हमारी तरफ़ को आएगा यह देखने के लिए कि यहां चल क्या रहा है, इसलिये जैसे बैठी हो, जो कर रही हो, करती रहना, बिल्कुल भी यह आभास मत देना कि हम सतर्क हो गए हैं।
हम दोनों एक पर्यटन यात्रा पर जा रहे थे, हम रेल गाड़ी में थे, हमारी ट्रेन रात सवा आठ बजे चली थी, अगली सुबह 6-7 बजे मंजिल पर पहुँचना था।
हमें साइड की ऊपर नीचे की बर्थ मिली थी। कुछ खास नहीं हुआ बस सफ़र कट रहा था।
शुरू में हम दोनों नीचे वाली बर्थ पर ही बैठे आपस में बात कर रहे थे। मेरी बीवी रुखसार ने झीनी सफ़ेद लेगी और ऊपर कसी बेबी पिंक कलर की कॉटन की कुर्ती पहनी हुई थी, कुर्ती के साइड के कट काफ़ी ऊपर तक थे तो पूरी लेगी उन कट्स में से नजर आ रही थी। मेरी बीवी उस पोशाक में काफ़ी गर्म माल नजर आ रही थी।
लेकिन हमारे आस पास सामने की बर्थ पर कोई मजेदार लोग नहीं थे, कुछ मध्यम आयु वर्ग के स्त्री पुरुष थे, एक दो बुजुर्ग किस्म के और एक दो मिडल स्कूल के से दिखने वाले बच्चे थे।
हमें लग रहा था कि रात से सुबह तक का यह सफ़र काफ़ी ऊबाऊ होने वाला है क्योंकि वहाँ पर कोई भी ऐसा युवा लड़का या पुरुष नहीं दिख रहा थ जिसे मेरी बीवी अपनी अदाएँ दिखा कर मेरा और उसका मन बहला सके, ललचा सके।
तो हम दोनों मायूस से होकर अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए और सोने की कोशिश करने लगे।
लेकिन कुछ घन्टे के सफ़र के बाद करीब चार बजे सुबह मेरी नींद खुल गई और साथ ही मेरी बीवी रुखसार भी पेशाब करने के लिए ऊपर की बर्थ से नीचे उतर कर आई।
जब वो टॉयलेट से वापिस आई तो मैंने उसे मेरे साथ ही नीचे की बर्थ पर बैठने के लिये कहा।
मैं देख रहा था कि हमारे आसपास के सभी लोग गहरी नींद में सोये हुए थे। तो मैंने अपनी बीवी के साथ कुछ मस्ती करनी शुरू कर दी, मैं उसके वक्ष को सहलाने लगा, चूचियाँ दबाने लगा, थोड़ा बहुत उसके गालों को चूमने लगा।
मुझे पूरा यकीन था कि सब लोग गहरी नींद में सोये हुए हैं तो कोई भी हमें ये हरकतें करते नहीं देख रहा होगा। लेकिन यही तो हमारे लिए दुःख की बात थी कि कोई हमें देख नहीं रहा था।
कुछ देर बाद मुझे साथ वाले कूपे की सबसे ऊपर वाली बर्थ पर कुछ हलचल महसूस हुई। मैंने देखा कि एक प्रौढ़ सा आदमी पूरी नींद में नहीं है और उसकी पोजिशन ऐसी थी कि वो हमें आसानी से देख सकता था।
मुझे यकीन था कि उस नीम अंधेरे में वो सब कुछ स्पष्ट तो नहीं देख पाएगा लेकिन वो इतना तो समझ ही जाएगा कि कुछ ना कुछ तो चल रहा है।
यह विचार आते ही मैंने रुखसार को बताया और हम दोनों एकदम काफ़ी उत्तेजित से हो गए।
रुखसार कुछ ज्यादा ही साहसी निकली, उसने मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
तो मैं भी कहाँ पीछे रहने वाला था, मैंने ऊपर उसकी लेगी में हाथ घुसा दिया और मस्ती लेने लगा।
कोई दस मिनट बाद वो आदमी बर्थ से नीचे उतरने लगा। मैंने रुखसार से कहा कि यह आदमी जरूर ही हमारी तरफ़ को आएगा यह देखने के लिए कि यहां चल क्या रहा है, इसलिये जैसे बैठी हो, जो कर रही हो, करती रहना, बिल्कुल भी यह आभास मत देना कि हम सतर्क हो गए हैं।