नमस्कार दोस्तों,
मैं आपको आज अपने घर के नीचे अंगूर बेचने वाली औरत के अंगूर निचोड़ने और फिर उसकी पिलपिली चुत मारने की अनजान कहनी सूनाने जा रहा हूँ | दोस्तों मेरे घर के नीचे अक्सर ही अंगूर बेचने वाला आया करता था पर पीछे उच्च महीनो से अब उसकी उसकी बीवी ही अंगूर बेचने आया करती है जिसकी चुत मैंने कुछ दिनों पहले ही अपने बेड - रूम में ठोक - बजकर मारी | दोस्तों मेरे बच्चों को अंगूर बहुत ही पसंद है इसलिए मैं पहले से ही हर दम उससे अंगूर ख़रीदा करता था और जब से उसकी बीवी आने लगी तो मुझे अब अंगूर खरीदने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी आने लगी थी रो इसी बहन इतनी मस्त पिलपिले चुचों वाली नारी से मेरी बात भी हो जाया करती थी |
कुछ दिन बाद ही मेरी बीवी अपने बच्चों को लेकर अपने मैके चली गयी और करीब एक सप्ताह बाद ही लौटने वाली थी और उस दिन की शाम को मेरे दिमाक में अंगूर वाली औरत विचार चलने लगे | मैंने उस दिन उसे शाम को अपनी बालकोनी से आवाज़ देकर अपने घर में २ पेटी अंगूर लेकर बुला लिया जिसपर वो खुश होकर मेरे घर को आ गयी | मैंने भी अब उसकी दुक्ग्नी रकम देकर कहा की अगर वो आज मुझे खुश कर दे तो मैं रोज उससे उतने ही अंगूर लिया करूँगा जिसपर वो अपने बच्चों के अच्छे - खासे पेट को पालने पर ना नहीं कर पाई | मैंने तभी उसकी साडी का दुपट्टा खोल दिया और उसके पुरी साडी को खोल अपने से लपेट लिया और और साथ ही उसे एक कामुक मुस्कान दी |
मैंने कुछ ही पल में उसके ब्रा के उप्पर से ही उसके चुचों के मसलते हुए उसके ब्रा को खोल दिए जिससे उसके नंगे चुचे मेरे सामने ही आ गए और मैं उन्हें अपने होंठों में दबाकर पीने लगा | मैंने अब उसके होठों को कसके अपने होठों से चूसने लगा जिससे वो भी अब गरम होकर अच्छे - खासे मुड में आ गयी | मैंने उसकी मत्सानी पैंटी पर हाथ मारते हुए उसकी पैंटी को भी उतार दिया हथेली उसकी चुत पर रख लिया | मैंने पहले तो उसकी चुत को यूँही मसला और धीरे - धीरे अपने लंड को उसके मुंह में भी दे दिया जिसे वो मुझे खुश करने के लिए चूसने लगी | कुछ देर बाद जब मैं मैं उसकी चुत में ऊँगली के सहारे खुजली करने लगा और फिर अपने लंड को उसकी चुत में आगे - पीछे करना शुरू कर दिया |
वो भी मेरे मन को मोह लेने वाली सिसकियाँ ले रही थी और साथ ही अपनी चुत को उप्पर से मसलते हुए मेरे लंड को लेने के लिए धकेल रही थी | मैंने भी उसकी मुराद को पूरी करते हुए उसकी चुत में अपने लंड की तेज़ी बढाते हुए उसे आसमान की सैर कराने लगा जिसकी चींखें अब सच में आसमान तक ही पहुँचने लगी | मैंने कुछ देर फिर अपने लंड को मसलते हुए उसकी चुत में अरौन्धाया तो मेरे लंड का भी मुठ छूट पड़ा और अब मैं उसके उप्पर निढाल लेटते हुए उसकी चुत में वहीँ चाटने लगा और उसकी चुत का रस भी छूट पड़ा | उस दिन के बाद से मैं रोज ही उससे २ पेटी अंगूर खरीदने के बहाने उसकी चुत मारा करता |
मैं आपको आज अपने घर के नीचे अंगूर बेचने वाली औरत के अंगूर निचोड़ने और फिर उसकी पिलपिली चुत मारने की अनजान कहनी सूनाने जा रहा हूँ | दोस्तों मेरे घर के नीचे अक्सर ही अंगूर बेचने वाला आया करता था पर पीछे उच्च महीनो से अब उसकी उसकी बीवी ही अंगूर बेचने आया करती है जिसकी चुत मैंने कुछ दिनों पहले ही अपने बेड - रूम में ठोक - बजकर मारी | दोस्तों मेरे बच्चों को अंगूर बहुत ही पसंद है इसलिए मैं पहले से ही हर दम उससे अंगूर ख़रीदा करता था और जब से उसकी बीवी आने लगी तो मुझे अब अंगूर खरीदने में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी आने लगी थी रो इसी बहन इतनी मस्त पिलपिले चुचों वाली नारी से मेरी बात भी हो जाया करती थी |
कुछ दिन बाद ही मेरी बीवी अपने बच्चों को लेकर अपने मैके चली गयी और करीब एक सप्ताह बाद ही लौटने वाली थी और उस दिन की शाम को मेरे दिमाक में अंगूर वाली औरत विचार चलने लगे | मैंने उस दिन उसे शाम को अपनी बालकोनी से आवाज़ देकर अपने घर में २ पेटी अंगूर लेकर बुला लिया जिसपर वो खुश होकर मेरे घर को आ गयी | मैंने भी अब उसकी दुक्ग्नी रकम देकर कहा की अगर वो आज मुझे खुश कर दे तो मैं रोज उससे उतने ही अंगूर लिया करूँगा जिसपर वो अपने बच्चों के अच्छे - खासे पेट को पालने पर ना नहीं कर पाई | मैंने तभी उसकी साडी का दुपट्टा खोल दिया और उसके पुरी साडी को खोल अपने से लपेट लिया और और साथ ही उसे एक कामुक मुस्कान दी |
मैंने कुछ ही पल में उसके ब्रा के उप्पर से ही उसके चुचों के मसलते हुए उसके ब्रा को खोल दिए जिससे उसके नंगे चुचे मेरे सामने ही आ गए और मैं उन्हें अपने होंठों में दबाकर पीने लगा | मैंने अब उसके होठों को कसके अपने होठों से चूसने लगा जिससे वो भी अब गरम होकर अच्छे - खासे मुड में आ गयी | मैंने उसकी मत्सानी पैंटी पर हाथ मारते हुए उसकी पैंटी को भी उतार दिया हथेली उसकी चुत पर रख लिया | मैंने पहले तो उसकी चुत को यूँही मसला और धीरे - धीरे अपने लंड को उसके मुंह में भी दे दिया जिसे वो मुझे खुश करने के लिए चूसने लगी | कुछ देर बाद जब मैं मैं उसकी चुत में ऊँगली के सहारे खुजली करने लगा और फिर अपने लंड को उसकी चुत में आगे - पीछे करना शुरू कर दिया |
वो भी मेरे मन को मोह लेने वाली सिसकियाँ ले रही थी और साथ ही अपनी चुत को उप्पर से मसलते हुए मेरे लंड को लेने के लिए धकेल रही थी | मैंने भी उसकी मुराद को पूरी करते हुए उसकी चुत में अपने लंड की तेज़ी बढाते हुए उसे आसमान की सैर कराने लगा जिसकी चींखें अब सच में आसमान तक ही पहुँचने लगी | मैंने कुछ देर फिर अपने लंड को मसलते हुए उसकी चुत में अरौन्धाया तो मेरे लंड का भी मुठ छूट पड़ा और अब मैं उसके उप्पर निढाल लेटते हुए उसकी चुत में वहीँ चाटने लगा और उसकी चुत का रस भी छूट पड़ा | उस दिन के बाद से मैं रोज ही उससे २ पेटी अंगूर खरीदने के बहाने उसकी चुत मारा करता |