अनुप्रिया चिल्ला पड़ी

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Antarvasna, hindi sex story: मेरी जॉब अभी कुछ दिनों पहले ही लगी थी और मैं अपनी दीदी के साथ रहता था। मैं भोपाल में जॉब करता हूं कुछ महीने तो मैं अपनी दीदी के साथ रहा और उसके बाद मैंने अपने ऑफिस के ही एक दोस्त के साथ रूम ले लिया और हम दोनों साथ में रहने लगे। मैं अपनी जॉब से काफी ज्यादा खुश हूं मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगता है जब भी मैं अपनी दीदी से मिलने के लिए जाता हूं। एक दिन मैं दीदी को मिलने के लिए गया उस दिन दीदी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मुझे उन्हीं के घर पर रुकना पड़ा। मैं दीदी को डॉक्टर के पास भी लेकर गया क्योंकि घर पर कोई भी नहीं था दीदी को डॉक्टर ने आराम करने के लिए कहा था उस दिन मैंने बाहर से ही खाना ऑर्डर करवा दिया था। रात के वक्त जब मैंने दीदी को पूछा कि दीदी आप खाना खाएंगे तो उन्होंने मुझे मना कर दिया और कहने लगी नहीं विनय मेरा खाने का मन बिल्कुल भी नहीं है। मैंने अकेले ही खाना खाया और उसके बाद मैं सोने के लिए रूम में चला गया। अगले दिन जब मैं उठा तो मैं छत पर गया मैंने छत पर देखा कि एक लड़की कपड़े सुखा रही थी। मेरी नजरें उस लड़की से हट ही नहीं रही थी मैं उसकी तरफ देखता रहा मुझे उस लड़की को देखकर काफी अच्छा लग रहा था लेकिन मैं उसके बारे में ज्यादा जानता नहीं था।

उसके बाद मैं छत से नीचे आ गया उस लड़की से मेरी मुलाकात तो हो नहीं पाई लेकिन काफी समय बाद मैं जब दीदी के घर पर गया तो मुझे उस लड़की से बात करने का मौका मिला और उसका नाम भी मैं जान पाया उसका नाम अनुप्रिया है। अनुप्रिया से बात कर के मुझे अच्छा लगा और अनुप्रिया को भी मुझसे बात करना अच्छा लगने लगा। हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें करने लगे थे मैं अनुप्रिया के साथ होता तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगता। एक दिन मैंने अनुप्रिया को फोन पर मैसेज भेजा और उससे मिलने की बात कही, मुझे उम्मीद नहीं थी कि वह मुझसे मिलने आ जाएगी लेकिन वह मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गई। हम दोनों बातें कर रहे थे हम दोनों जिस रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे वहां पर मेरे दोस्त ने हम दोनों को देख लिया था। हालांकि उस वक्त उसने मुझे कुछ नहीं कहा लेकिन उसने मुझे ऑफिस में इस बारे में पूछा। मेरे और अनुप्रिया के बीच की नजदीकियां बढ़ने लगी थी हम दोनों एक दूसरे से फोन पर काफी बातें करने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे को डेट भी करने लगे थे। इस बात से मैं काफी खुश था कि अनुप्रिया मेरी जिंदगी में आ चुकी है अनुप्रिया के मेरी जिंदगी में आने से मेरी जिंदगी पूरी तरीके से बदल चुकी थी। मैं बहुत ज्यादा खुश था और जब भी मुझे अनुप्रिया के साथ समय बिताने का मौका मिलता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता। हम दोनों एक दूसरे के काफी करीब आ चुके हैं और अब यह बात मेरी दीदी को भी मालूम चल चुकी थी। दीदी ने मुझसे कहा कि विनय क्या तुम अनुप्रिया से शादी करना चाहते हो तो मैंने दीदी से कहा दीदी मैं अनुप्रिया को बहुत प्यार करता हूं और उससे मैं शादी भी करना चाहता हूं।

दीदी ने मुझे कहा ठीक है विनय मै इस बारे में अनुप्रिया के पापा मम्मी से बात करती हूं। दीदी ने अनुप्रिया के पापा मम्मी से इस बारे में बात की, वह लोग मुझसे एक बार मिलना चाहते थे मैं जब उनको मिलने के लिए उनके घर पर गया तो उस दिन दीदी भी मेरे साथ थी। उन लोगों ने मेरे और अनुप्रिया के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था मैं इस बात से बहुत ज्यादा खुश हो गया था कि अनुप्रिया और मेरे रिश्ते को उन लोगों ने स्वीकार कर लिया है। उसके बाद अनुप्रिया और मैं एक दूसरे से काफी ज्यादा मिलने लगे थे क्योंकि अब हम दोनों के रिश्ते को अनुप्रिया के परिवार वाले भी स्वीकार कर चुके थे और मेरी फैमिली को मैं इस बारे में बता चुका था। सब लोग इस बात के लिए तैयार हो चुके थे और मैं काफी ज्यादा खुश था कि अब सब लोग हम दोनों के रिश्ते को स्वीकार कर चुके हैं। मैं चाहता था कि अनुप्रिया और मेरी इंगेजमेंट हो जाए मैंने जब अनुप्रिया से इस बारे में कहा तो अनुप्रिया भी इस बात के लिए तैयार थी और हम दोनों ने अब इंगेजमेंट करने का फैसला कर लिया था। हम दोनों की इंगेजमेंट हो चुकी थी और हम दोनों ही बहुत खुश थे कि हम दोनों की इंगेजमेंट हो चुकी हैं। मैं जब भी किसी परेशानी में होता तो हमेशा ही अनुप्रिया मेरा साथ दिया करती और मुझे काफी अच्छा लगता जब भी अनुप्रिया और मैं साथ में बैठकर एक दूसरे से बातें किया करते हैं। मुझे उसके साथ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता है और अनुप्रिया को भी मेरे साथ समय बिताना काफी अच्छा लगता। एक दिन अनुप्रिया और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

अनुप्रिया ने मुझे कहा कि विनय क्या अब हम लोगों को शादी कर लेनी चाहिए तो मैंने अनुप्रिया से कहा कि अनुप्रिया मुझे थोड़ा समय और चाहिए क्योंकि मैं चाहता था कि मैं भोपाल में ही एक घर ले लूं और भोपाल में ही मैं अनुप्रिया के साथ रहूं। अनुप्रिया ने भी मेरी इस बात को मान लिया और वह कहने लगी कि ठीक है विनय जैसा तुम्हें ठीक लगता है। अनुप्रिया और मेरी मुलाकात तो हर रोज होती रहती थी और अब मैं घर भी खरीद चुका था। अनुप्रिया मुझसे मिलने के लिए घर पर आ जाया करती थी। जब भी अनुप्रिया और मैं साथ में होते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी अच्छा समय बिताया करते। एक रात अनुप्रिया और मैंने फोन पर गरमा-गरम बात कि उस दिन जब हम दोनों की गरमा गरम बातें हो रही थी तो हम दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे। अनुप्रिया अपने आपको रोक नहीं पा रही थी कहीं ना कहीं अनुप्रिया मेरे साथ सेक्स करना चाहती थी और मैं भी अनुप्रिया के साथ शारीरिक सुख का मजा लेना चाहता था और मैंने ऐसा ही किया। मैंने जब अनुप्रिया को अगले दिन घर पर बुलाया तो अनुप्रिया घर पर आ गई और वह इस बात के लिए पूरी तरीके से तैयार थी। अनुप्रिया और मैं साथ में बैठे हुए थे हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे मैंने अपने हाथ को आगे बढ़ाया और अनुप्रिया के हाथों को अपने हाथों में ले लिया।

मैंने अनुप्रिया के स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया मैं उसके स्तनों को चूस रहा था मुझे मजा आने लगा था। अनुप्रिया और मै एक दूसरे के लिए इतना ज्यादा गरम हो चुके थे मैं अब एक पल के लिए भी रह नहीं पा रहा था। मैंने अनुप्रिया को कहा मैं तुम्हारी योनि में अब लंड डालना चाहता हूं। मैंने अनुप्रिया की चूत को चाटना शुरू किया। अनुप्रिया की चूत को चाटकर मुझे अच्छा लग रहा था उसकी योनि से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। उसकी चूत का पानी बाहर आ चुका था। मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगाया और अंदर की तरफ डाला। जब मैंने उसकी चूत मे अपने मोटे लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा और अनुप्रिया को भी मजा आने लगा। मैं और अनुप्रिया एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे। मैंने अनुप्रिया के दोनों पैरों को खोल लिया था अनुप्रिया मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैंने अनुप्रिया के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था और अनुप्रिया को मैं तेज गति से चोदने लगा।

मैं उसे जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उससे वह बहुत ही ज्यादा मजे मे आ गई थी वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी को तुमने पूरी तरीके से बढा कर रख दिया है। मैंने अनुप्रिया की चूत में अपने माल को गिरा दिया था। अनुप्रिया खुश हो चुकी थी और अनुप्रिया चाहती थी हम दोनों एक बार और शारीरिक संबंध बनाए। मैंने अपने लंड को अनुप्रिया की चूत मे दोबारा से घुसा दिया मेरा लंड अनुप्रिया की चूत में घुस चुका था। मैं उसकी चूत बड़े ही अच्छे तरीके से मार रहा था मै जिस प्रकार से अनुप्रिया की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था। अनुप्रिया को भी बड़ा मजा आ रहा था अब हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे ले रहे थे। मैंने अनुप्रिया के दोनों पैरों को खोला हुआ था वह जोर से चिल्ला रही थी। वह मुझे कहती मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे ले रहे थे और मैं अनुप्रिया की योनि के अंदर अपने माल को गिरा चुका था।
 
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