अब ना तड़पाओ मुझे राजा

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Antarvasna, hindi sex story: अपनी बहन से मिलने के लिए मुझे ट्रेन से सफर करना पड़ा लेकिन ट्रेन का सफर बड़ा ही कष्टदायक होने वाला था। जब मैं ट्रेन के जनरल डब्बे में घुसा तो वहां पर बहुत ही ज्यादा भीड़ थी ट्रेन पूरी तरीके से खचाखच भरी हुई थी और बैठने तक को सीट नहीं थे यह पता ही नहीं चल रहा था कि सीट कहां पर है। मुझे एक घंटे का सफर करना था और आखिरकार एक घंटे का सफर मेरा कट ही गया और मैं अपनी बहन के घर जा पहुंच गया। जब मैं अपनी बहन के घर पहुंचा तो वहां जाकर मुझे पता चला कि वह बहुत ज्यादा परेशान है और उसकी चिंता की वजह उसके पति हैं। उसके पति चाहते थे कि वह दूसरी शादी कर ले और दूसरी शादी कर के वह अपनी दूसरी पत्नी को भी अपने साथ ही रखें लेकिन यह बात मेरी बहन को मंजूर नही थी। उसने मुझे फोन किया तो मैंने सोचा अपने जीजा जी से इस बारे में बात करूं लेकिन उनके सर पर तो इश्क का भूत सवार था वह कहां किसी की बात मानने वाले थे।

वह मुझे कहने लगे देखो मोहित अभी तुम छोटे हो और तुम इन चक्करो में ना पड़ो तो ही ठीक रहेगा। मैंने उनसे कहा मैं इतना भी छोटा नहीं हूं कि सही और गलत में अंतर ना देख सकूँ यदि आपने दूसरी शादी की तो आप उसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहिएगा। वह मुझे कहने लगे कि क्या तुम मुझे धमकी देने के लिए यहां आए हो मैंने उन्हें कहा देखिए मेरी बहन की जिंदगी के साथ आप खिलवाड़ नहीं कर सकते हम लोगों ने अपनी बहन को आपके घर इसलिए नहीं भेजा कि आप उसे परेशान करते रहे और आपने तो उसे घर का नौकर बना कर रख दिया है। मुझे इस बात का बहुत ही गुस्सा था की मेरे जीजा जी ने मेरी बहन को कभी अपना माना नहीं हम लोगों से जितना हो सकता था उतना हम लोगों ने अपने जीजा जी को दहेज में दिया लेकिन उन्होंने मेरी बहन की जिंदगी पूरी तरीके से बर्बाद कर दी थी और वह किसी भी सूरत में हमारी कोई बात मानने को तैयार नहीं थे। जब यह फैसला पंचायत में गया तो पंचायत ने भी मेरे जीजा जी का ही साथ दिया और मेरी दीदी को उन्होंने मुआवजा देने की बात की। मेरे जीजाजी ने दूसरी शादी कर ली हमारी बहन और उसकी सौतन एक साथ ही रहते थे आखिरकार मेरी बहन भी कब तक बर्दाश कर पाती वह भी हर रोज हमें फोन कर दिया करती थी।

मैं जब भी अपनी बहन से मिलने जाता तो वह मेरे सामने रोती थी मुझे उसे देख कर बहुत ही बुरा लगता था लेकिन अब मेरे पास भी कोई ऐसा रास्ता नहीं था जिससे कि मेरे जीजाजी मेरी बहन को प्यार दे पाते। वह तो अपनी दूसरी पत्नी के इश्क में पूरी तरीके से गिरफ्तार हो चुके थे और मेरी बहन को उन्होंने घर में अपनी कठपुतली बना कर रख दिया था। मेरी बहन भी इस बात से बहुत परेशान रहने लगी थी और उसकी मानसिक स्थिति भी अब खराब होने लगी थी वह अंदर ही अंदर घुटने लगी थी। एक दिन वह घर चली आई हमारे गांव में ऐसा माहौल नहीं था कि कोई भी इस बात को स्वीकार कर पाता। दीदी के घर आने पर मेरे माता पिता ने उसे कहां कि बेटा अब तुम्हारा घर तुम्हारा ससुराल ही है लेकिन मैंने अपने माता-पिता से कहा देखिए आपको दीदी को घर पर तो रखना ही पड़ेगा वह कैसे अपने पति के साथ रह सकती है जो पति उसे प्यार ही नहीं करता। मेरी बहन भी मुझसे गले मिलकर रोने लगी मुझे भी बहुत बुरा लगा क्योंकि उसके साथ बहुत ही गलत हुआ था उसे घर पर आए हुए करीब दो महीने हो चुके थे। मैंने सोचा कि क्यों ना मैं काम करने के लिए पटना चला जाऊं और मैं काम करने के लिए पटना चला गया। पटना से मैं हर महीने अपनी तनख्वाह में से कुछ पैसे घर भेज दिया करता था और अपनी मां से मैं कह दिया करता कि तुम इसमें से कुछ पैसे दीदी को भी दे दिया करना। मैं काफी समय बाद अपने घर पर गया था मैंने देखा मेरे घर पर मेरे माता पिता और मेरी बहन मुझे मिलकर बहुत खुश थे आखिरकार मैं इतने समय बाद जो घर आया था। मेरी बहन ने मुझे बताया कि उसके पति को बीमारी ने जकड़ लिया है और वह अब अच्छे से चल भी नहीं पाते हैं। मैं अपनी दीदी से कहने लगा दीदी यह सब किस्मत का ही खेल है जीजा जी ने भी तुम्हारे साथ कुछ ठीक नहीं किया उन्होंने तुम्हें कभी अपना नहीं माना यदि ऐसा ही था तो उन्हें तुमसे शादी नहीं करनी चाहिए थी लेकिन इसमें तो उनकी ही गलती है।

मेरी दीदी के पास भी मेरी बात का कोई जवाब नहीं था लेकिन वह अंदर से बहुत ही ज्यादा दुखी थी मेरी दीदी मुझे कहने लगी कि मैं तुम्हारे साथ पटना आना चाहती हूं मैं भी कुछ काम करना चाहती हूं। मैंने उसे कहा लेकिन तुम मेरे साथ वहां आकर क्या करोगी वह कहने लगी कि मैं यहां पर भी क्या करूं मैं तुम्हारे साथ रहूंगी तो तुम्हारे लिए खाना ही बना दिया करुंगी और दो पैसे कमा भी लुंगी जिससे कि मेरा खुद का भी जीवन आगे चल पाए। मैं अपनी बहन को अपने साथ लेकर नहीं जाना चाहता था परंतु उसकी जिद के आगे मैं भी विवश था और मुझे उसे अपने साथ ले जाना ही पड़ा। मैं उसे अपने साथ पटना ले आया मेरी दीदी मेरे साथ ही रहती थी और मुझे हमेशा कहती थी थी कि तुम मुझे कहीं नौकरी लगवा दो लेकिन मैं उसे नौकरी कहां लगाता। मैंने उसे कहा तुम घर पर ही रहा करो परंतु मैंने उसकी नौकरी की बात फैक्ट्री में कर ली थी क्योंकि वह ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं थी इसलिए मैंने उसकी बात फैक्ट्री में कर ली और वह वहां पर नौकरी करने लगी थी। कुछ ही समय बाद हमारे पड़ोस में रहने वाले माधव जी ने कहा तुम अपनी बहन की दूसरी शादी क्यों नहीं करवा देते मैंने माधव जी से कहा भला मेरी बहन से कौन शादी करेगा। वह मुझे कहने लगे कि तुम कहो तो मैं उसके लिए कोई लड़का देखूं मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं यदि आपकी नजर में उसके लिए कोई लड़का हो तो आप मुझे बता दीजिए इससे अच्छा क्या हो सकता है कि उसका घर दोबारा से बस जाए।

कुछ ही समय बाद माधव जी ने एक लड़के से मेरी बात करवाई तो वह उम्र में 38 वर्ष का था वह मेरी बहन से शादी करने को तैयार था और उसका नाम सुरजीत है। मुझे भी कोई आपत्ति नहीं थी मैंने अपने मां बाप को गांव से पटना बुला लिया उन लोगों ने भी सुरजीत को देखा और सुरजीत से उन लोगों ने सारी बात कर ली थी सुजीत को भी कोई आपत्ति नहीं थी वह मेरी दीदी से शादी करना चाहता था। कुछ ही समय बाद उन दोनों की शादी हो गयी मेरी बहन भी अब खुश थी और वह भी अपनी पुरानी जिंदगी को भूलकर अब आगे बढ़ चुकी थी। मुझे इस बात की खुशी थी कि मेरी बहन ने अब अपनी पुरानी यादों को भूल कर आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है और सुरजीत उसे बहुत खुश रखते हैं। मेरी दीदी भी अब अपने जीवन में खुश थी लेकिन शायद मेरी किस्मत भी अच्छी थी कि सुरजीत की ममेरी बहन रेखा से जब मैं मिला तो मुझे वह सेक्स की भूखी लगी। उसे देखकर मैं भी अपने सेक्स की इच्छा पूरी करना चाहता था और वह भी मेरे साथ अपनी इच्छा पूरी करवाने के लिए मेरे रूम में आ ही गई। जब वह मेरे रूम में आई तो मुझे कहने लगी जब से मैंने तुम्हें देखा है तबसे तुम्हें देखकर मुझे बड़ा अच्छा लगता है मैं सोचती थी कि तुम बड़े शर्माते हो लेकिन तुम्हारी दीदी तुम्हारी बड़ी तारीफ करती है। मैंने रेखा से कहा देखो रेखा दीदी मेरे बारे में क्या कहती है और क्या नहीं लेकिन इस वक्त तो हम दोनों अपनी ही बात करें तो ज्यादा बेहतर होगा। मैंने रेखा के बदन को छूना शुरु किया तो उसके बदन के अंदर से जैसे गर्मी बाहर की तरफ निकल आई थी वह मेरे लिए तड़प रही थी।

मैंने भी उसके नरम और मुलायम होठों पर जैसे ही अपने होठों का स्पर्श किया तो वह बड़ी उत्तेजित हो गई और मुझे भी बड़ा अच्छा लगने लगा। काफी देर तक हम दोनों के बीच चुंबन होता रहा लेकिन जैसे ही मैंने रेखा के स्तनों को अपने मुंह में लिया तो उसे भी अच्छा लगने लगा और मुझे भी आनंद आने लगा। काफी देर तक हम दोनो एक दूसरे को महसूस करते रहे और मैंने रेखा के स्तनों का बड़े ही अच्छे तरीके से रसपान किया। अब रेखा की बारी थी तो रेखा कैसे पीछे रह सकती है उसने अपनी अदाओं को मुझे दिखाना शुरू किया और जिस प्रकार से उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लिया तो मैं भी उत्तेजित होने लगा। मैंने रेखा से कहा तुम मेरे लंड को ऐसा ही चूसती रहो वह बड़े ही अच्छे से मेरे लंड को अपने गले के अंदर तक लेती जा रही थी। मैंने जब रेखा के पैर को चौड़ा करते हुए अपने लंड को रेखा की योनि पर सटाया तो उसकी चूत से गीलापन बाहर निकल रहा था। जैसे ही मैने अपने लंड को धक्का देते हुए अंदर घुसाया तो मेरा लंड अंदर घुस गया तो वह चिल्ला उठी।

उसके मुंह से तेज चीख निकल पड़ी और उसी चीख के साथ मैंने उसे बड़ी तेजी से चोदना शुरू कर दिया वह भी बड़ी खुश होती। वह मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो मैंने रेखा को अब घोड़ी बना दिया था। घोड़ी बनाने में मुझे बड़ा मजा आता है मैंने जिस प्रकार से उसकी चूत के अंदर अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया उससे तो मेरे लंड के बुरे हाल हो चुके थे लेकिन रेखा को बड़ा मजा आने लगा था। रेखा मुझे कहने लगी मैं शायद अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी मैंने रेखा से कहा थोड़ी देर की बात है फिर तो मेरा भी वीर्य गिर ही जाएगा। रेखा कहने लगी जल्दी से गिरा दो काफी देर हो चुकी है तुम्हारे लंड से तो जैसे माल बाहर गिर ही नहीं रहा है। मैने रेखा से कहां बस थोड़ी देर की बात है और मैं रेखा को तेजी से धक्के मारने लगा कुछ ही देर बाद मेरा वीर्य बाहर की तरफ निकला वह रेखा की योनि के अंदर जा गिरा।
 
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