आकांक्षा के स्तनों का रसपान

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Antarvasna, hindi sex story: सार्थक और मैं साथ में बैठे हुए थे हम दोनों उस दिन एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैं काफी दिनों के बाद सार्थक को मिल रहा था क्योंकि मैं कुछ दिनों से अपने ऑफिस के काम के चलते बिजी था इसलिए मैं सार्थक से मुलाकात नहीं कर पाया था। जब उस दिन मेरी सार्थक से मुलाकात हुई तो मुझे काफी अच्छा लगा और मैं काफी खुश था कि सार्थक से इतने दिनों के बाद ही सही लेकिन मेरी उससे मुलाकात हो पा रही है। सार्थक ने मुझे बताया कि वह अब अपनी फैमिली के साथ दिल्ली में ही शिफ्ट हो चुका है। सार्थक पहले बीकानेर में रहा करता था और अब वह दिल्ली में अपनी फैमिली के साथ शिफ्ट हो चुका था। सार्थक मेरे कॉलेज का दोस्त है और हम दोनों एक दूसरे को काफी अच्छे से समझते हैं। जब उस दिन मैं और सार्थक साथ में थे तो सार्थक ने मुझे कहा कि सुभाष तुम मेरे घर पर आना तो मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए तुम्हारे घर पर जरूर आऊंगा।

थोड़ी देर बाद सार्थक घर से जा चुका था, सार्थक घर से चला गया था और अगले दिन मैं सार्थक के घर पर गया क्योंकि उस दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी तो मैंने सोचा कि सार्थक से मिल आता हूं और मैं उसके घर पर चला गया। जब मैं सार्थक के घर पर गया तो वहां पर एक लड़की आई हुई थी मैंने उसे पहली बार ही देखा था सार्थक की पत्नी से तो मेरा परिचय था लेकिन उस लड़की से मेरा कभी पहले परिचय नहीं हुआ था। सार्थक ने मेरा परिचय उस लड़की से करवाया। सार्थक ने मुझे कहा कि यह मेरी कजिन सिस्टर है। जब मैं पहली बार आकांक्षा को मिला तो मुझे आकांक्षा से मिलकर अच्छा लगा आकांक्षा से मेरी थोड़ी देर ही बात हो पाई।

मुझे सार्थक ने बताया कि आकांक्षा अब दिल्ली में ही नौकरी करने वाली है, मैंने सार्थक से कहा यह तो बड़ी ही अच्छी बात है। अब मैं आकांक्षा को भी मिलने लगा था जब भी मैं आकांक्षा से मुलाकात करता तो मुझे काफी अच्छा लगता और आकांक्षा को भी बहुत अच्छा लगता था जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से मुलाकात किया करते। एक दिन आकांक्षा और मैं साथ में थे जब हम दोनों साथ में बैठे हुए थे तो उस दिन मैं आकांक्षा से बातें कर रहा था आकांशा ने मुझसे कहा कि वह मेरे साथ मूवी देखने के लिए चलना चाहती है। मैंने आकांक्षा को कहा यह तो बड़ी ही अच्छी बात है और हम लोग उस दिन मूवी देखने के लिए जाना चाहते थे। हम दोनों जब मूवी देखने के लिए गए तो उस दिन हम दोनों को ही अच्छा लगा मुझे यह लगने लगा था कि आकांक्षा के दिल में मेरे लिए कुछ चल रहा है लेकिन मैं चाहता था कि मैं आकांक्षा से अपने दिल की बात कह दूँ।

मैंने जब आकांक्षा से पहली बार अपने दिल की बात कही तो उसे काफी अच्छा लगा और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से हम दोनों का रिलेशन चल रहा था। हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही प्यार करते हैं और अब आकांक्षा और मैं चाहते थे कि यह बात हम सार्थक को भी बता दें। मैंने जब इस बारे में सार्थक से बात की तो सार्थक को भी इससे कोई एतराज नहीं था और ना ही आकांक्षा के परिवार को कोई एतराज था। आकांक्षा अपने फ्यूचर को लेकर काफी सीरियस थी और वह जिस कंपनी में जॉब करती है वहां पर उसकी नौकरी काफी अच्छे से चल रही है। वह बहुत खुश है जिस तरीके से उसकी जॉब चल रही है मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ काफी खुश थे। एक दिन मैं और आकांक्षा साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम लोग कॉफी शॉप में बैठे हुए एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो आकांक्षा ने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जा रही है।

आकांक्षा का परिवार चंडीगढ़ में ही रहता है और वह कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जा रही थी। जब आकांक्षा चंडीगढ़ गई तो मैंने आकांक्षा से सिर्फ फोन पर ही बात की और हम दोनों की फोन पर ही बातें हो पाती थी। काफी दिनों तक आकांक्षा चंडीगढ़ में ही थी आकांक्षा अभी तक चंडीगढ़ से वापस नहीं लौटी थी और मेरी उससे मुलाकात भी नहीं हो पाई थी। मैंने आकांक्षा को फोन किया और कहा कि तुम वहां से वापस कब लौट रही हो तो आकांक्षा ने मुझे बताया कि वह वहां से बहुत जल्द वापस लौट रही है। जब आकांशा वापस लौटी तो मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ काफी खुश थे और हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे। जब हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिताते तो हमें काफी अच्छा लगता। हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे जिस तरीके से हमारी जिंदगी चल रही है। मेरा और आकांक्षा का मिलना तो होता ही रहता था और जब भी हम दोनों एक दूसरे से मुलाकात किया करते तो हम दोनों काफी खुश होते।

मैं और आकांशा चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे के साथ शादी के बंधन में बंध जाएं लेकिन मैं शायद इस बात के लिए तैयार नहीं था और ना ही मेरी फैमिली अभी मेरी शादी के लिए तैयार थी। मुझे लगता कि मैं काव्या से शादी कर लूं लेकिन मेरे परिवार को शायद यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं था। उन लोगों को जब यह बात पता चली तो वह लोग काफी गुस्सा हुए और पापा ने मुझे कहा कि हम लोग किसी भी सूरत में तुम्हारी शादी आकांक्षा से नहीं करवा सकते। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि आखिर वह लोग क्यों तैयार नहीं है लेकिन जब मुझे इस बारे में पता चला कि पापा और मम्मी चाहते हैं कि मैं उनके दोस्त की बेटी सुनीता से शादी करूं तो मैंने उन्हें कहा कि मैं आकांक्षा को प्यार करता हूं और उसी के साथ मैं अपना जीवन बिताना चाहता हूं। शायद यह बात पापा और मम्मी को बिल्कुल भी मंजूर नहीं थी इसी वजह से वह लोग मुझे अक्सर कहते कि हम लोगों को यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं है।

घर में इस बात को लेकर अब काफी ज्यादा झगड़े भी होने लगे थे लेकिन मैं चाहता था कि मैं आकांक्षा से ही शादी करूं और मैंने भी यह फैसला कर लिया था कि मैं आकांक्षा से शादी करूंगा। हम दोनों की शादी के लिए तो वह लोग तैयार नहीं थे लेकिन जब मैंने और आकांक्षा ने कोर्ट मैरिज की तो उसके बाद सब लोग हम लोगों की शादी के रिश्ते को मान चुके थे और अब आकांक्षा मेरी पत्नी बन चुकी थी। वह काफी खुश थी और हम दोनों का रिलेशन अब अच्छे से चल रहा था। हम दोनों का रिश्ता काफी अच्छे से चल रहा है और जिस तरीके से आकांक्षा और मैं एक दूसरे के साथ रिलेशन में है उससे हम दोनों काफी खुश हैं। आकांक्षा मेरा बहुत ध्यान रखती है और मुझे भी बहुत अच्छा लगता है जब आकांक्षा और मैं साथ में होते हैं और हम लोग साथ में समय बिताया करते हैं। आकांक्षा घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही थी और मैं इस बात से बड़ा खुश था आकांक्षा घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही है।

ब लोगों ने आकांक्षा को भी स्वीकार कर लिया था यह काफी अच्छा था। एक दिन आकांक्षा और मैं एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे उस दिन कहीं ना कहीं मेरे दिल में आकांक्षा के साथ सेक्स करने की इच्छा जाग रही थी। मैंने सोचा क्यों ना मैं आकांक्षा के साथ सेक्स करू और मैंने आकांक्षा के होठों को चूम कर उसकी गर्मी को बढ़ाना शुरू किया तो वह तड़पने लगी। वह अपने पैरों को आपस में मिला रही थी जिस तरह वह अपने पैरों को आपस में मिला रही थी उससे मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मैं काफी खुश था। हम दोनों की गर्मी बढ रही थी। मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो आकांक्षा ने उसे देखते ही अपने हाथों में ले लिया और वह उसे हिलाने लगी। आकांक्षा मेरे लंड को हिला रही थी तो मैं काफी ज्यादा गरम हो रहा था और आकांक्षा भी बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी। अब मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था लेकिन जैसे ही मैंने आकांक्षा के स्तनों को चूसना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा।

मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था वह बहुत ज्यादा खुश थी और हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। मैंने और आकांक्षा ने एक दूसरे की गर्मी को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया था। मैंने जब आकांक्षा की चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और बोली मुझसे रहा नहीं जा रहा है। अब मैं आंकाक्षा को तेजी से धक्के दिए जा रहा था। मैंने आकांक्षा को तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे और जिस तरीके से मैं आंकाक्षा को धक्के देता वह खुश हो जाती। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही मजा आ रहा है मैं और आकांक्षा एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे। जब मैं उसे चोदता तो उसकी सिसकारियां निकल आती और वह मुझे कहती मुझे और तेजी से धक्के दो। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत में तुम अपना वीर्य को गिरा दो। मैंने आकांक्षा के पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत के अंदर बाहर लंड को करने लगा लेकिन जब मेरा वीर्य बाहर की तरफ को निकालने को था तो मैंने आंकाक्षा को और भी तेजी से धक्के देने शुरू किए। जैसे ही आकांक्षा की चूत में मेरा वीर्य गिरा तो वह खुश हो चुकी थी। उसके बाद भी हम लोगों ने सेक्स के दो बार और मजे लिए। मैंने आकांक्षा को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था जिससे कि वह बहुत ज्यादा खुश थी।
 
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