आकांक्षा से मेरी मुलाकात

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Antarvasna, desi kahani: मैं कुछ महीनों बाद मुंबई आया था जब मैं मुम्बई आया तो मुम्बई में मेरी मुलाकात आकांक्षा के साथ हुई। आकांक्षा मेरे साथ कॉलेज में ही पढ़ा करती थी और जब वह मुझे मिली तो मुझे उससे मिलकर अच्छा लगा था। आकांशा हमारी कॉलोनी में ही रहती है और आकांक्षा ने मुझे बताया कि उसकी इंगेजमेंट हो चुकी है। मैंने आकांक्षा को कहा कि चलो यह तो बड़ी खुशी की बात है कि तुम्हारी इंगेजमेंट हो चुकी है। आकांक्षा के साथ कॉलेज के दिनों में मेरी काफी अच्छी बनती थी अब आकांशा एक अच्छी कंपनी में मुंबई में जॉब करती है। मैं पुणे में जॉब करता हूं इसलिए मैं घर कम ही आया करता हूं लेकिन काफी लंबे अरसे बाद जब मैं घर पर आया तो मुझे काफी अच्छा लगा था और पापा मम्मी से मिलकर मैं बहुत ज्यादा खुश भी था जिस तरीके से मैं अपने घर पर था। काफी लंबे अरसे के बाद मैं अपनी फैमिली के साथ अच्छे से समय बिता पाया था।

एक दिन मैं और मां शॉपिंग कर के घर लौट रहे थे तभी मुझे आकांक्षा दिखी और आकांक्षा से मैंने कुछ देर बाद की फिर आकांक्षा ने मुझे कहा कि रजत मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी। उस दिन मैं मां के साथ था इसलिए आकांक्षा के साथ ज्यादा बात ना कर सका और मैं घर पर चला आया। जब मैं आकांक्षा को मिलने के लिए अपनी कॉलोनी के पार्क में गया तो वहां पर हम दोनों ने एक दूसरे से बातें की। मैंने आकांक्षा से कहा कि क्या हुआ तो वह मुझे कहने लगी कि उसकी इंगेजमेंट टूट चुकी है। मैंने आकांक्षा को जब इसके बारे में पूछा तो आकांक्षा ने मुझे कहा कि जिस लड़के से उसकी सगाई हुई थी उस लड़के का किसी और लड़की के साथ ही रिलेशन चल रहा है और जब उसने आकांक्षा को इस बारे में बताया तो आकांक्षा ने उससे इंगेजमेंट तोड़ दी।

मैंने आकांक्षा को कहा कि लेकिन तुम्हें इंगेजमेंट तोड़ने की क्या जरूरत थी तो वह मुझे कहने लगी कि रजत अब तुम जानते ही हो कि ऐसे ही मैं किसी से कैसे शादी कर सकती थी और मुझे जो सही लगा मैंने वही किया। मैंने उस वक्त आकांक्षा को समझाया और कहा कि कोई बात नहीं सब कुछ ठीक हो जाएगा और आकांक्षा के साथ मैं उस दिन काफी देर तक बैठा रहा। मैं आकांक्षा के साथ काफी देर तक बैठा हुआ था और हम लोगों की बहुत देर तक बातें हुई क्योंकि कुछ दिनों के बाद मुझे अपने काम पर वापस लौटना था। मैं कुछ दिन बाद पुणे वापस लौट चुका था और फिर मैं अपनी जॉब पर जाने लगा था। मैं अपनी जॉब पर जाता और शाम के वक्त मैं घर लौटा आता था। मेरी जिंदगी में सब कुछ बड़े ही नॉर्मल तरीके से चल रहा था लेकिन कुछ समय बाद मुझे मुंबई की एक कंपनी से जॉब का ऑफर आया तो मैंने भी वहां जॉब करना ठीक समझा। मैं चाहता था कि मैं भी पापा मम्मी के साथ रहूं और अब मैंने मुंबई की कंपनी ज्वाइन कर ली थी और मैं मुंबई में ही जॉब करने लगा था। मेरी नौकरी से मैं बहुत ज्यादा खुश था और अपनी फैमिली के साथ भी मैं समय बिता पा रहा था इस बात की मुझे बहुत ज्यादा खुशी थी मेरी जिंदगी में अब सब कुछ अच्छे से चल रहा था।

एक दिन मैं और आकांक्षा कॉफी शॉप में बैठे हुए थे क्योंकि आकांक्षा से मेरी मुलाकात हो ही जाती थी और जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों एक दूसरे के साथ में काफी अच्छा टाइम बताया करते थे। आकांक्षा ने मुझे अपने कुछ पुराने दिनों की बात याद दिलाई और हम दोनों उस दिन साथ में ही थे। मैंने आकांक्षा को कहा कि क्यों ना हम लोग हमारे कॉलेज के दोस्तों को मिलकर ही एक गेट टूगेदर पार्टी करें तो आकांक्षा मुझे कहने लगी कि हां यह तो तुम ठीक कह रहे हो। हम लोगों ने उस दिन इस बारे में सोच लिया था आकांशा ने हीं सब कुछ मैनेज किया और आकांक्षा ने हमारे कॉलेज के पुराने दोस्तों से बातें की। जब सब लोग इस बात के लिए तैयार हो गए तो हम लोग गेट टू गेदर पार्टी करवाने के लिए तैयार हो चुके थे। पार्टी के दौरान मैं अपने पुराने दोस्तों से मिला तो मुझे भी काफी ज्यादा अच्छा लगा और आकांक्षा को भी बड़ा अच्छा लगा था। हम सब लोगों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया था उस दिन हम लोगों को बहुत ही अच्छा लगा और सब लोग बड़े खुश थे। जब हम लोग उस दिन घर लौटे तो आकांक्षा मेरे साथ ही थी हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे और हम दोनों उस दिन घर भी साथ ही लौटे थे।

रास्ते में हम लोगों की काफी बातें हुई और मैंने आकांक्षा को उसके घर तक छोड़ दिया था फिर मैं वहां से अपने घर चला आया। अगले दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी तो इसलिए मैं शाम के समय आकांक्षा को मिला। आकांशा और मेरा मिलना अक्सर होता ही रहता था और हम दोनों जब भी एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को ही बहुत ज्यादा अच्छा लगता। हम दोनों ने उस दिन साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया और मुझे बहुत ही अच्छा लगा। आकांशा और मेरे बीच मिलना होता ही रहता था यही वजह थी कि हम दोनों की दोस्ती बहुत ज्यादा बढ़ती चली गई थी और हम दोनों एक दूसरे से प्यार भी करने लगे थे। मैं आकांक्षा से प्यार भी करने लगा था और मुझे उससे मिलना बहुत ही अच्छा लगता हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते थे। जब भी हम दोनों साथ में होते तो हम लोगों को ही काफी ज्यादा अच्छा लगता था। आकांक्षा मुझे अच्छी तरीके से समझती है और मैं भी आकांशा को काफी अच्छे से समझता हूं। जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं तो हम दोनों को बहुत अच्छा लगता है। हमारा रिलेशन अच्छे से चल रहा था और हम दोनो बहुत खुश थे। हमारी फोन पर भी बाते होती थी एक दिन हमारी फोन पर गरम बाते हुई जिस वजह से हम दोनो सेक्स करने के लिए तैयार थे। हम दोनो एक दिन साथ मे थे हम दोनो सेक्स करने को तैयार थे। उस रात को हम साथ में लेटे हुए थे। जब मैंने आकांक्षा के होंठों को चूमना शुरू किया तो वह पूरी तरीके से रोमांटिक हो गई वह गर्म होने लगी थी। मैंने आकांक्षा को कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपना लंड डालना चाहता हूं।

वह मुस्कराने लगी मैंने आकांक्षा के सामने अपने लंड को किया तो वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी थी जिस तरीके से वह मेरे मोटे लंड को चूस रही थी उस से मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी और आकांक्षा की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी। मैं और आकांक्षा बहुत ही ज्यादा गरम हो चुके थे। मैंने आकांक्षा के स्तनो को दबाया वह गरम हो गई थी उसने अपने बदन से अपने कपड़े उतार दिए थे। अब वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी। उसके नंगे बदन को देखकर मैं बड़ा खुश था मैं उसके स्तनों को चूसने लगा था। मुझे उसके गोरे स्तनों को चूसने मे मजा आ रहा था मैं उसकी गर्मी को बढाए जा रहा था। अब आकांक्षा भी गरम हो चुकी थी वह मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो चुकी थी उसकी चूत से पानी निकल आया था। मैंने भी उसकी योनि को चाटना शुरू किया उसकी योनि से मैंने बहुत पानी बाहर निकाल कर रख दिया था। उसकी चूत से बहुत ही अधिक मात्रा में पानी बाहर निकलने लगा था। मैंने उसके पैरो को खोला और उसकी चूत में लंड घुसा दिया। मेरा मोटा लंड आकांक्षा की चूत मे जाते ही वह बड़ी जोर से चिल्लाई और मुझे बोली मेरी योनि में दर्द होने लगा है। उसकी चूत में बड़ा दर्द होने लगा था और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था।

मैं उसे बहुत तेज गति से धक्के मारे जा रहा था। जिस तरीके से मैं उसे चोद रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था और आकांक्षा को भी बड़ा अच्छा लग रहा था जब वह मेरा साथ दे रही थी और गरम सिसकारियां ले कर मेरी आग को और भी बढा रही थी। हम दोनों एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे। हमने काफी देर तक शारीरिक सुख का मजा लिया जब आकांक्षा की चूत से कुछ ज्यादा ही गर्म पानी बाहर की तरफ निकलने लगा तो वह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की गर्मी को झेल नहीं पा रहा था। मैंने आकांक्षा की चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया था। मेरा माल आकांक्षा की चूत के अंदर जा चुका था वह मुझे बोली मुझे दोबारा शारीरिक सुख का मजा लेना हैं। मेरी भी इच्छा अभी तक पूरी नहीं हुई थी मैंने आकांक्षा की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था और मैने अपने लंड को उसकी योनि में डाल दिया।

आकांक्षा को मजा आ गया था मैं उसे तेजी से चोदने लगा था। आकांक्षा की चूत से बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था वह मुझे कहने लगी तुम मुझे ऐसी ही धक्के मारते रहो मुझे मजा आ रहा है। मैंने आकांक्षा को तेजी से चोदना शुरु किया वह भी मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी चूत में अपने माल को गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा कर दिया था और आकांक्षा की इच्छा भी पूरी हो गई थी। उसके बाद हम दोनों ने और भी सेक्स का मजा लिया था आकांक्षा को मेरा लंड लेने मे मजा आया था और मुझे भी उसे चोदने मे मजा आया था। जब भी हम दोनों को मौका मिलता तो हम दोनो एक दूसरे के साथ शारीरिक सुख का मजा ले लिया करते थे और एक दूसरे को संतुष्ट कर दिया करते थे।
 
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