आतिथ्य-1

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(Aatithya-1)

दोस्तो नमस्कार !

आज मैं अपना एक सुखद अनुभव लिख रहा हूँ, जो मेरी चाची ने लगभग चार वर्ष पहले मुझे दिया था और जिसका स्मरण आज भी मुझे रोमांचित कर देता है ! घटना का विवरण करने से पहले मैं आप सबको अपने और चाची के बारे में कुछ बताना चाहूँगा ! मेरा नाम महेश हैं और मैं अलीगढ़ का रहने वाला हूँ, आजकल मैं कानपुर में आई आई टी से एम-टैक कर रहा हूँ। अब मेरी उम्र चौबीस साल है, कद पांच फुट ग्यारह इंच है, अच्छा खासा व्यक्तित्व है, मेरा लंड आठ इंच लम्बा है और दो इंच मोटा है। मेरी चाची का नाम अमिता है, अब उनकी उमर चौंतीस वर्ष, कद पाँच फुट पाँच इंच, वक्ष का फ़ुलाव छत्तीस है, उसके आकर्षक शरीर की आकृति का माप 36-26-38 है। चाची का रंग गोरा है, गाल गुलाबी और चेहरा अण्डाकार है, मोहक आँखें हिरणी जैसी हैं, होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे है और काले लम्बे घने बाल उसके नितम्बों तक आते हैं, जब वह मटक मटक कर चलती है तो अच्छे अच्छों को पागल कर देती है।

चाचा भी छत्तीस वर्ष के हैं और वे कानपुर में कपड़ों के एक बहुत ही बड़े थोक व्यापारी हैं। वे सुबह से लेकर रात तक व्यापार में ही व्यस्त रहते हैं और अक्सर उसी के कारण उन्हें कानपुर से बाहर भी जाना पड़ता है।

जब मेरे साथ यह घटना घटी थी तब मैं कानपुर आई आई टी में बी-टैक की पढ़ाई कर रहा था और कानपुर में ही अपने चाचा-चाची के पास पिछले छह माह से रह रहा था। उस समय मेरे चाचा-चाची की शादी को तीन वर्ष हो चुके थे और अभी तक उनके घर कोई संतान नहीं हुई थी। चाचा व्यापार के कारण जब भी बाहर जाते थे तब चाची को सारा दिन घर पर अकेले ही बिताना पड़ता था और कोई संतान ना होने के कारण उन्हें जीवन बहुत ही नीरस लगता था।

जब चाची को मेरी माँ से मेरे कानपुर आई आई टी में प्रवेश मिलने का समाचार मिला तो उन्होंने मेरी माँ और पापा को कह दिया कि वे मुझे हॉस्टल में नहीं रहने देंगी और अपने पास ही रखेंगी। चाची की सोच थी कि मेरा उनके साथ रहने से उसका अकेलापन कम हो जाएगा और जीवन का खालीपन भी दूर हो जायेगा क्योंकि उसका कुछ समय तो मेरे साथ और मेरी ज़रूरतें पूरी करने में व्यतीत हो जायेगा।

क्योंकि चाचा और चाची के पास पैसे की तो कोई कमी नहीं थी इसलिए वे दोनों खुद ही हमारे घर आकर मुझे अलीगढ़ से कानपुर लेकर आये !

चाचा का घर दो मंजिल का है, जिसमें नीचे एक बैठक-कक्ष, भोजन-कक्ष, रसोई, दो अतिथि-कक्ष और दो छोटे कमरे हैं।चाचा का ड्राईवर और चाची की नौकरानी, दोनों पति पत्नी थे, इन दो छोटे कमरों में ही रहते थे। चाची ने मेरे रहने की व्यवस्था ऊपर की मंजिल में अपने शयन-कक्ष के सामने वाले शयन-कक्ष में कर दी थी और मेरी पढ़ाई में कोई भी बाधा नहीं आये इसके लिए उसने मेरी सुख सुविधा की सब वस्तुओं का समायोजन उस कमरे में कर दिया था।

चाचा और चाची के लाड़ प्यार में और पढ़ाई में व्यस्त रहने के कारण छह माह कैसे बीत गए मुझे मालूम ही नहीं पड़ा ! पहले सेमिस्टर की परीक्षा समाप्त होने के बाद छुट्टियों में मैं माँ और पापा के पास रहने के लिए चला गया था।

मुझे कानपुर से अलीगढ़ आये अभी एक सप्ताह ही हुआ था कि माँ के पास चाची का फोन आया कि वह मुझे उसके पास भेज दें क्योंकि चाचा को व्यापार के सम्बंध में एक सप्ताह के लिए कानपुर से बाहर जा रहे थे। चाची के आग्रह पर माँ तथा पापा ने मुझे तुरन्त वापिस कानपुर भेज दिया।

मेरे कानपुर पहुँचने के एक दिन के बाद चाचा बाहर चले गए और चाची ने ड्राईवर और नौकरानी को भी चार दिनों की छुट्टी दे दी थी, इसलिए चाचा के जाने के अगले दिन सुबह ड्राईवर भी नौकरानी को लेकर अपने गाँव चला गया। अब घर में सिर्फ हम दो व्यक्ति ही रह गए थे, एक चाची और दूसरा मैं !

चाची सारा दिन घर का काम करती रहती और मैं ज़्यादा समय अपने कमरे में कम्प्यूटर पर ही व्यतीत करता, लेकिन बीच में थोड़े समय के लिए घर की सफाई में चाची का हाथ ज़रूर बंटा देता था। उस रात को खाना खाकर जब सोने का समय हुआ तब चाची ने घर के सब दरवाज़े आदि बंद किए और मुझे बताया कि क्योंकि घर खाली था इसलिए वे तो नीचे अतिथि-कक्ष में ही सोयेंगी।

चाची ने मुझे कहा कि मैं भी अपनी इच्छा के अनुसार अगर चाहूँ तो नीचे अतिथि-कक्ष में उसके साथ सो सकता हूँ या फिर ऊपर अपने शयन-कक्ष में सो जाऊँ !

जब मैंने चाची को बताया कि मैं भी नीचे ही सो जाऊँगा, तब चाची कहा- फिर तो दोनों बड़े वाले अतिथि-कक्ष में ही सो जाते हैं !

चाची ऊपर गई, नाईट गाउन पहन कर नीचे आ गई और उस कमरे को खोल दिया। चाची के कहने पर मैंने भी ऊपर अपने कमरे में जाकर कपड़े बदले और सब कुछ बंद करके नीचे सोने के लिए उस कमरे में आ गया।

जब अतिथि-कक्ष में घुसा तो इतने बड़े कमरे को देख कर अचम्भित हो गया ! उस कमरे में एक बहुत ही बढ़िया काश्मीरी गलीचा बिछा हुआ था और उसी के बीच में सात फुट लम्बा और सात फुट चौड़ा बड़ा डबल-बैड रखा था जिस पर बहुत ही नरम गद्दे वाला बिस्तर बिछा हुआ था !

बेड की बाएँ ओर एक बहुत ही कीमती सोफा सेट रखा हुआ था जिसके सामने एक शीशे के टॉप वाली मेज रखी हुई थी, बेड के दाएँ ओर दीवार में एक अलमारी थी और उसके साथ ही किनारे पर एक ड्रेसिंग टेबल रखी हुई थी! बैड के सामने दीवार पर एक शो-केस था, जिस के बीच में एक चालीस इंच का एलसीडी टीवी लगा हुआ था।

मैंने देखा कि चाची बैड के बाएँ तरफ लेट गई थी और मुझे इशारा करके दाईं तरफ सोने को कहा।

मैंने चाची से कहा- मैं सोफे पर सो जाऊँगा।

तो उन्होंने कहा- बैड काफ़ी चौड़ा है, इसलिए दोनों के सोने में कोई दिक्कत नहीं होगी!

उसकी यह बात सुन कर मैं दाईं तरफ की खाली जगह पर लेट गया और कुछ देर के बाद मुझे नींद आ गई।

अगले दिन सुबह मेरी नींद खुली तो मैंने चाची को बैड पर नहीं पाया, मैं उठ कर कमरे से निकला और ऊपर चला गया। उसी समय चाची अपने कमरे से नहा कर बाहर निकल रही थी, उसके गीले बाल खुले हुए थे, उनमें से पानी की बूँदें नीचे गिर रही थीं !वे एक अप्सरा जैसी लग रही थी, मैं उन्हें देखता ही रह गया !

मुझे देख कर चाची मुस्करा कर मेरे पास आई और मुझे अपने आलिंगन में लेकर मेरे गालों को चूम लिया और कहा- जल्दी से फ्रेश हो कर नाश्ते के लिए नीचे आ जाओ !

चाची की उस हरकत ने मुझे चकित कर दिया था क्योंकि आज से पहले चाची ने कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं किया था। चाची के नर्म गुंदाज शरीर के स्पर्श से मैं रोमांचित हो उठा था, उसके ठोस स्तनों का मेरी छाती पर जो दबाव पड़ा, उसे मैं बहुत देर तक महसूस करता रहा।

चाची ने गाउन पहना तो हुआ था लेकिन उनके शरीर के स्पर्श से यही लगा था कि उन्होंने गाउन के नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था। उनके शरीर की महक ने मुझे पागल सा कर दिया था और यह सोच कर ही कि वे गाउन के अंदर नग्न थी मेरा लिंग तन गया था।

मैं जल्दी ही फ्रेश होकर नाश्ते के लिए नीचे आ गया।

जब मैं भोजन-कक्ष में गया तो चाची को वहाँ मेरी प्रतीक्षा करते हुए देखा तो एक बार फिर उसे गले लगाने की इच्छा हुई। यह जानने के लिए कि चाची ने गाउन के नीचे कुछ पहना था या नहीं, मैं उसे टकटकी लगा कर देखता रहा !

जब चाची ने मुझे नाश्ता परोसने के लिए थोड़ा झुकी तब उसके गाउन का गला नीचे लटक गया और वहाँ से मुझे उसके जिस्म के सामने के सब अंग दिखाई दे गए थे ! यह पुष्टि हो गई थी कि चाची ने गाउन के नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था क्योंकि उसके गोल गोल गोरे स्तन और उन पर उठी हुई काली काली चुचूक, उसकी कमर के बीच में उसकी नाभि और उस नाभि के नीचे काले रंग के घने बालों का गुच्छा, सब दिखाई दिए !

मेरी हालत खराब हो रही थी लेकिन किसी तरह अपने आप को सम्भाल कर मैंने नाश्ता किया और फिर भाग कर अपने बाथरूम में गया और चाची के नाम की मुठ मारी !

उस दिन मुझे चाची के यौवन को देख कर उनके प्रति वासना का अनुभव हुआ, उनको नग्न देखने की इच्छा प्रज्ज्वलित हुई और उनके साथ यौन सम्बन्ध के विचार मेरे मन में आए !

शाम को मैं चाची को लेकर बाजार गया, वहाँ उन्होंने घर के लिए खरीदारी की तथा बाजार में ही एक आहार-गृह में हमने रात का खाना खाया। देर रात को जब घर आये तो चाची थके होने व कपड़े बदलने का बहाना बना कर अपने कमरे में चली गई तथा मुझे घर के दरवाज़े आदि बंद करने के लिए कह दिया।

मैं चाची के कहे अनुसार सब निपटा कर अपने कमरे में जाने से पहले बाजार से लाए हुए सामान में से अपना सामान निकलने लगा तो एक लिफाफे में मुझे कामसूत्र कंडोम का एक पैकेट मिले ! मुझे उसे देख कर पहले तो कुछ हैरानी हुई लेकिन फिर यह सोच कर कि चाची-चाचा प्रयोग करते होंगे तो ले आई होंगी। मैंने वे पैकेट वैसे ही रख दिए और अपना सामान लेकर अपने कमरे में कपड़े बदलने चला गया। कमरे में जब मैं कपड़े बदल रहा था तब मेरे मस्तिष्क में यह ख्याल आया कि चाचा और चाची की तो कोई संतान नहीं है तो फिर ये कंडोम इस्तमाल क्यों करते हैं !

जब मुझे कोई उत्तर समझ में नहीं मिला तो मैंने अपने सिर को झटका और कपड़े बदल कर नीचे अतिथि-कक्ष में सोने के लिए चला गया।

जब मैं अतिथि-कक्ष में पहुँचा तो देखा कि चाची बैड के बाएँ ओर लेटी हुई है और उसके गाउन के ऊपर के और नीचे के दो दो बटन खुले हुए थे, गाउन में से उनके गोरे वक्ष के बीच की गहरी घाटी तथा उसकी चिकनी टांगें साफ दिखाई दे रही थी !

चाची को इस अवस्था में लेटे देख कर पहले तो मैं थोड़ा झिझका लेकिन फिर मैं बैड के दाएँ ओर जा कर लेट गया। मेरे लेटते ही चाची ने मेरी ओर करवट कर ली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे थोड़ा अपने नज़दीक खींच लिया, वे बाजार में की हुई खरीदारी के बारे में बातें करने लगीं !

बातों-बातों में चाची ने एक टांग ऊंची करके खड़ी कर ली जिससे उसका गाउन उस पर से सरक गया और उसकी गोरे रंग की जांघें दिखने लगी।

यह देख कर मेरा ध्यान बातों से हट कर उन गोरी चिट्टी सुडौल जाँघों की ओर चला गया तथा चाची क्या बोले जा रही रही थी, मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था !

मैं उन चिकनी जाँघों को देखने में इतना मस्त था कि जब चाची ने मेरी बाजू पकड़ कर जोर झिंझोड़ कर पूछा 'कहाँ गुम हो गए?'

कहानी जारी रहेगी।
 
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