एक्सप्रेस ट्रैन में एक्सप्रेस चुदाई

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Express Train Mein Express Chudaai

हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम दिशा सोलंकी (उम्र २०) है। मैं नई दिल्ली की रहने वाली हूँ। जिस घटना के बारे में मैंने यह कहानी लिखी है, वह पिछले हफ़्ते नई दिल्ली से मुंबई जाने के सफर के दौरान हुई थी।

मैं अपने मम्मी-पापा के साथ एक्सप्रेस ट्रैन से मेरी नानी के घर गई थी। हमने दोपहर की ट्रैन पकड़ी थी और हमारी टिकट फर्स्ट क्लास स्लीपर की थी। ट्रैन में मम्मी-पापा अपने बातों के बीच मशगूल हो गए थे और मैं अपने मोबाइल फ़ोन पर दोस्तों के साथ चैट कर रही थी।

मेरे मम्मी-पापा विंडो बर्थ पर एक दूसरे के साथ चिपककर बैठे थे। उन दोनों को रोमांस करते हुए देखकर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए मैं ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गई।

मम्मी-पापा साथ में टॉयलेट जाते और बर्थ पर लौटने के बाद टॉयलेट में किए मस्ती के बारे में बातें करते थे। मेरा ध्यान अपने मोबाइल स्क्रीन से ज़्यादा मम्मी-पापा की बातों पर था। उन दोनों की बकवास बातें सुनकर मुझे नींद आ गई थी।

शाम ०६: ०० बजे मेरी आँख खुली। मैंने और मम्मी-पापा ने हल्का-फुल्का स्नैक्स खाया और खिड़की के बाहर का नज़ारा देखते-देखते रात कब हुई पता ही नहीं चला। हमारी बोगी में वैसे तो ५-६ लोग थे जो रात ११: ३० बजे के बाद, अपने-अपने स्टेशन पर उतर गए थे।

रात को ट्रैन में थोड़ी-थोड़ी देर के बाद मेरी नींद खुल रही थी। कुछ देर बाद, मैंने सोच ही लिया था कि अब नहीं सोऊँगी करके। मैंने निचे झाँककर देखा तो पता चला की मम्मी पापा की गोद में बैठे सोने की कोशिश कर रही थी।

पापा का एक हाथ मम्मी की छाती पर था और दूसरा हाथ उसकी कमर के पास। पापा ने अपना हाथ मम्मी की गाँड़ पर रखकर सहलाना शुरू कर दिया।

[पापा:] तुम्हें जीन्स पैंट ही पहनकर आना था? मुझे तो कुछ महसूस ही नहीं हो रहा है।

[मम्मी:] मैं अगर दूसरा कुछ पहनती तो आप न जाने कितनी बार मेरी चूत रगड़कर उसे गीला कर देते। यह जीन्स पैंट आपको कण्ट्रोल में रखने के लिए है।

[पापा:] ज़रा उधर चलो न। तुम्हें कुछ दिखाना है।

[मम्मी:] (हस्ते हुए) मैंने टॉयलेट में सब कुछ देख लिया है। अब जो कुछ दिखाना है वह घर पहुँचकर दिखाना, ठीक है।

पापा मम्मी को उठाकर बोगी के पास वाले दरवाज़े की ओर ले गए। मैं अपने बर्थ पर से उठकर धीरे से दरवाज़े के नज़दीक वाली बर्थ पर चली गई। दोनों तरफ़ के दरवाज़े को अंदर से लॉक करके पापा ने मम्मी को पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया।

दोनों एक दूसरे की होंठों की चुम्मियाँ लेने लगे। मम्मी को उसकी गाँड़ से पकड़कर पापा ने उसे उठा लिया और उसके होंठों को अपने मुँह में भरकर चुमना जारी रखा।

मम्मी की मोटी जीन्स पैंट की वज़ह से पापा उसकी गाँड़ को अच्छी तरह दबा नहीं पा रहे थे। मैंने घर पर बहुत बार देखा है कि पापा मम्मी के चुत्तड़ों को फ़ैलाकर उसे उकसाते हैं। मम्मी अपनी टी-शर्ट खोलकर गोल-मटोल चूचियों को पापा की छाती पर दबाने लगी।

थोड़ी देर बाद, पापा ने मम्मी को नीचे उतार दिया और अपनी पैंट की ज़िप खोलकर अपने लंबे लौड़े को बाहर निकाल दिया। मम्मी पापा के लंबे लौड़े को पकड़कर हिलाने लगी और उनकी गोटियों पर अपनी उँगलियाँ घुमाने लगी।

जब उनका लंबा लौड़ा पूरी तरह तनकर कड़क हो गया, तब मम्मी ने उसे अपने मुँह में ड़ालकर चूसना शुरू किया। वह पैरों के बल बैठकर पापा के लंबे लौड़े को चूस रही थी। पापा मम्मी का चेहरा पकड़कर उसके मुँह में अपना लंबा लौड़ा अंदर-बाहर घुसा रहे थे।

मम्मी पापा की पैंट को थोड़ा निचे उतारकर उनकी गोटियों को चूसने लगी थी। पापा अपनी आँखें बंद करके मज़े ले रहे थे। वह मम्मी के बालों को उसके मुँह में जाने से रोकने के लिए उसे पकड़कर खड़े थे।

थोड़ी देर बाद, मम्मी खड़ी हो गई और अपनी जीन्स पैंट उतारने लगी। मम्मी की मोटी चर्बीदार गाँड़ देखकर पापा दीवाने हो जाते हैं। मम्मी की गाँड़ को पकड़कर पापा ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया।

उसकी गाँड़ को दबाते हुए पापा उसकी चुम्मियाँ ले रहे थे। मम्मी की गाँड़ की दरार में अपनी उँगली फ़साकर पापा ने उसके चुत्तड़ को फैलाना शुरू किया।

कुछ देर तक उसकी गाँड़ की छेद में उँगली घुसाने के बाद, पापा ने मम्मी को फिरसे उसकी गाँड़ से पकड़कर उठा लिया था। मम्मी ने पापा का खड़ा हुआ लंबा लौड़ा पकड़ा और उसे अपनी चूत की दरार पर पर घिसना शुरू किया।

उसने लंबे लौड़े को अपनी चूत के अंदर धीरे से घुसा दिया और अपनी चूचियों को पकड़कर पापा के मुँह पर घिसने लगी। पापा मम्मी की गाँड़ पकड़कर उसे अपने लंबे लौड़े पर उछाल रहे थे।

उनका मोटा और लंबा लौड़ा मम्मी की चिकनी गीली चूत में फ़िसलकर पूरा अंदर घुस गया। उसकी गाँड़ में बिच की उँगली घुसाकर उसे भी अंदर-बाहर कर रहे थे। मम्मी एक-एक करके अपनी चूचियों को पापा के मुँह में घुसाकर उन्हें उत्साहित कर रही थी।

पापा मम्मी को अपने लंबे लौड़े पर इतनी ज़ोर से पटककर उसकी चूत मार रहे थे कि 'फट-फट' आवाज़ आने लगी थी। मम्मी सिसकियाँ लेकर पापा को उकसाह रही थी।

पापा तेज़ी से मम्मी के चूत में अपना लंबा लौड़ा घुसाकर उसे ऊपर-निचे उछाल रहे थे। कुछ देर बाद, पापा ने अपना लंबा लौड़ा मम्मी की चूत से निकाल दिया। मम्मी अपनी उँगली चाटकर अपनी गाँड़ की छेद को चौड़ा कर रही थी।

उसने पापा का लंबा लौड़ा पकड़कर उसकी नोक को अपनी गाँड़ की छेद पर रख दिया। धीरे-धीरे ज़ोर ड़ालते हुए, पापा ने अपना लंबा लौड़ा मम्मी की गाँड़ में घुसा दिया।

अब पापा मम्मी के चुत्तड़ फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपना लंबा लौड़ा अंदर-बाहर कर रहे थे। मम्मी की हलकी-सी चीख़े निकलने लगी थी। कोई उसकी आवाज़ न सुन ले इसलिए पापा ने उसके होंठों को अपने मुँह में भर दिया।

मम्मी के होंठों को चूसते हुए पापा ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ की चुदाई करने लगे। कुछ देर बाद, पापा ने मम्मी को अपने ऊपर से उतार दिया। मम्मी पैरों के बल निचे बैठकर पापा के लंबे लौड़े को अपने मुँह में ड़ालकर चूसने लगी थी।

अपने हाथों से वह अपनी चूत को फैलाकर उसमें उँगली घुसाने लगी। कुछ देर तक उँगली घुसाने के बाद, मम्मी पापा से कहने लगी, "सुनिए, मुझे ज़रा उठा दीजिए मुझे पेशाब आई है। मैं इस बेसिन के अंदर कर देती हूँ"।

पापा ने मम्मी को उसकी जाँघों से पकड़कर उठा लिया था। मम्मी अपनी चूत की पँखुड़ियों को फ़ैलाकर बेसिन के अंदर पेशाब की धार छोड़ने लगी। पेशाब की धार निकालने के बाद, मम्मी नीचे उतरकर दरवाज़े का हैंडल पकड़कर खड़ी हो गई।

वह अपनी मोटी चर्बीदार गाँड़ झुलाकर पापा को उकसाह रही थी। पापा ने मम्मी के चुत्तड़ों पर थप्पड़ मारे और नीचे झुककर उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगे। मम्मी की गाँड़ की छेद को थूक लगाकर उसमें अपनी ज़ुबान घुसाने लगे।

उत्तेजना के मारे मम्मी अपनी गाँड़ ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी थी। पापा खड़े हो गए और अपने लंबे लौड़े की नोक को मम्मी की गाँड़ की छेद के पास ले जाकर उसे दबा दिया। मम्मी की कमर पकड़कर पापा उसकी गाँड़ की छेड़ में अपना लंबा लौड़ा घुसाने लगे थे। ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए, पापा मम्मी की तेज़ी से चुदाई कर रहे थे।

आगे से उसकी चूचियाँ पकड़कर उन्हें दबाने लगे जिसके कारण मम्मी की चीख़ें निकलनी शुरू हो गई थी। पापा ने अपने हाथ को मम्मी के मुँह पर रख दिया और ज़ोर-ज़ोर से उसकी गाँड़ में लंबा लौड़ा घुसाना जारी रखा।

थोड़ी देर बाद, जब पापा अपने लंबे लौड़े को मम्मी की गाँड़ की छेड़ में घुसा रहे थे तब बाहर से किसी के तो दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आने लगी थी। बाहर हो रही हलचल को देखकर पापा ने अपने लंबे लौड़े को मम्मी की गाँड़ के अंदर दबा दिया।

अपने लौड़े के माल को मम्मी की गाँड़ की छेद के अंदर निकालकर पापा ने अपना लंबा लौड़ा बाहर निकाल लिया। मम्मी और पापा जल्दी से कपड़े पहनकर अपने बर्थ पर आकर लेट गए।

मैं जिस बर्थ पर लेटकर मम्मी-पापा की चुदाई देख रही थी, उसी बर्थ पर लेटी रही क्यूँकि वह दोनों अचानक से चुदाई करके लौट गए थे।

मैंने पापा को मम्मी से यह बात कहते हुए सुना, "अरे सुनो, मेरे लौड़े का माल अपनी गाँड़ में सँभालकर रखना। सुबह मेरे हाथों में निकाल देना, ठीक है?" । मम्मी शर्माते हुए "ठीक है, अभी चुप रहो ज़रा" ऐसे बोलकर सो गई।
 
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