sexstories

Administrator
Staff member
Ek Chudaai Aisi Bhi

नमस्ते दोस्तो। मैंने इस कहानी में किसी व्यक्ति या स्थान का नाम नहीं लिया है। ऐसा इसलिए ताकि मेरे इलाक़े के लोग जब यह कहानी पढ़ेंगे, तब उन्हें कहानी में हुई घटना के बारे में पता नहीं चलना चाहिए।

दोपहर के वक़्त मैं कॉलेज से घर लौटा था। घर पहुँचकर मैंने देखा कि मेरी माँ की सहेली कोमल आंटी घर पर आई हुई थी। माँ ने मुझे खाना परोसा और वह कोमल आंटी के साथ बातें करने चली गई।

मैं खाना खाकर अपने कमरे में मेरी गर्लफ्रेंड के साथ मोबाइल फ़ोन पर चैट कर रहा था। तभी मेरे कमरे में माँ आकर मुझसे कहने लगी कि कोमल आंटी को बैंक में कुछ काम है और मैं उनके साथ उनकी मदत करने चला जाऊ।

वैसे भी मेरी गर्लफ्रेंड तुरंत रिप्लाई नहीं कर रही थी, इसलिए मैंने सोचा कि कोमल आंटी के साथ बैंक चला जाता हूँ। मैंने अपनी मोटर बाइक निकाली और कोमल आंटी को आवाज़ लगाई।

मुझे लगा था कि आंटी आम औरतों की तरह बाईं या दाईं ओर चेहरा करके बैठेंगी, लेकिन वह तो मेरे पीछे अपने पैर फ़ैलाकर चिपककर बैठ गई। रास्ते पर जब भी मैं ब्रेक लगाता था, तब आंटी अपनी मोटी चूचियाँ मेरी पीठ पर दबा देती थी।

बैंक में पहुँच ने के बाद, मैंने फ़ॉर्म भरकर आंटी को दे दिया और क़रीब १५ मिनट बाद, आंटी का नंबर लगभग आ ही गया था। मैं थोड़ी दूर बैठे आंटी को देखते हुए उसके चूचियों के स्पर्श के बारे में सोच रहा था।

तभी मैंने देखा कि कोमल आंटी के आगे जो औरत खड़ी थी उसके बेटे ने अपनी मम्मी की सोने की अंगूठी उँगली से निकालकर उससे खेलने लगा। औरत काउंटर पर अधिकारी से बात कर रही थी, इसलिए उसका ध्यान अंगूठी पर नहीं गया।

मैंने देखा कि कोमल आंटी ने बड़ी चतुराई से बच्चे के हाथ से वह सोने की अंगूठी छीन ली। अपना काम किए बग़ैर कोमल आंटी लौट आई और मुझे घर चलने को कहा। मैंने घटना का फ़ायदा उठाते हुए एक प्लान बनाया और आंटी के साथ बैंक से निकल गया।

कोमल आंटी के घर के सामने मोटर बाइक रुकाकर मैंने अपनी चाल चल दी थी। मैंने उसे सीधे पूछ लिया कि वह उस अंगूठी को बेचेगी कि अपने पास रखेगी। मेरी बात सुनकर कोमल आंटी डर गई और लंबी-लंबी साँसे लेने लगी।

आंटी को वह बात सीधे बता दिया था कि मैंने उसको अंगूठी चोरी करते हुए देखा है। इसपर मैंने एक झूठ भी बोल दिया था कि वह घटना मैंने अपने मोबाइल फ़ोन में क़ैद भी किया है। कोमल आंटी की गाँड़ फ़ट गई थी। उसने मुझे घर के अंदर चलकर बात करने को कहा।

घर के अंदर जाकर मैं सोफ़े पर बैठ गया और कोमल आंटी ने फ़र्श पर बैठकर मेरे पैर पकड़ लिए। वह मुझसे कहने लगी कि अंगूठी बेचकर हम दोनों पैसों को बाट लेते है करके।

लेकिन मैंने कोमल आंटी को अपने इरादे के बारे में बताया। मैं उसकी चुदाई करना चाहता था और वह चुपचाप बैठे रही। मैंने कोमल आंटी के कंधो को पकड़कर उसे खड़ा किया और अपने हाथ उसके सुडौल कमर पर रखकर सहलाने लगा।

[मैं:] देखो आंटी ज़्यादा सोचो मत। अंगूठी आप रख लो और मुझे सिर्फ़ आपकी चूत एक बार मारने दो। घर का मामला है और किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।

मैंने आव देखा न ताव, सीधे कोमल आंटी पर लपक पड़ा और उसकी कमर को कसके पकड़कर उसके होंठों की चुम्मियाँ लेने लगा। चुम्मियाँ लेते वक़्त, मैंने कोमल आंटी की मोटी चूतड़ को पकड़कर उसे दबाना शुरू किया।

मैंने कोमल आंटी की लेग्गिंग के अंदर अपने हाथों को घुसा दिया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ लेते समय निकलती गरम साँसे मुझे उत्तेजित कर रही थी। मैंने उसे ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ़ दबाने लगा।

कोमल आंटी की गाँड़ पसीने से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी उँगली को कोमल आंटी की गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। उसने अपनी कुर्ती उतार दी और मुझे फिरसे कसकर पकड़ लिया।

मैंने अपना एक हाथ कोमल आंटी की लेग्गिंग से निकालकर उसकी चूची दबाने लगा। उसने अपना टाइट ब्रा निकालकर अपने चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी मोटी लटकती चूचियों को देखकर मेरा लौड़ा उठ गया था।

कोमल आंटी ने मेरी पैंट के अंदर हाथ ड़ालकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया और उसे हिलाते हुए एकदम कड़क कर दिया। मेरी गोटियों को सहलाते हुए उनकी मालिश की। अपने दोनों हाथों से मैं उनकी चूचियाँ दबाकर कोमल आंटी को गरम कर रहा था।

मैंने उनकी निप्पल को बारी-बारी करके चूसना शुरू किया। शायद उत्साह में आकर या तो फिर जानबूझकर उसने मेरी गोटियाँ दबा दी थी। मैं दर्द के मारे फर्श पर बैठ गया और कोमल आंटी मेरी पैंट उतारकर मेरे सामने बैठ गई। मेरी गोटियों को अपने मुँह में भरकर उन्हें ज़ुबान से चाटने लगी।

मैं कोमल आंटी की नंगी और मोटी गाँड़ देखकर बावला हो गया था। मेरा उसकी गाँड़ से मन नहीं भरा था, इसलिए उसकी गाँड़ को अपने मुँह के ऊपर रखकर, मैंने कोमल आंटी को मेरे ऊपर चढ़ाकर बिठा दिया।

मैं उसकी चूतड़ों को फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। कोमल आंटी मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसकी चूत की पँखुड़ियों को मैं अपनी उँगली से फैलाकर रगड़ रहा था।

कोमल आंटी जोश में आकर चीख़ने लगी और साथ में अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर तेज़ी से घिसने लगी। थोड़ी देर बाद, कोमल आंटी की चूत से पानी छूटने लगा था। मैंने उसे ज़मीन पर लेटा दिया और उसके पैरों को अपने कंधो पर रख दिया।

अपने लौड़े की नोक को कोमल आंटी के चूत की दरार पर रखकर रगड़ने लगा। फिर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गरम चूत में घुसा दिया। धीरे-धीरे धक्के मारकर मैं कोमल आंटी के ऊपर चढ़ गया। चुदाई शुरू करते हुए कोमल आंटी की सिसकियाँ निकलने लगी थी।

उसके चूचियों को पकड़कर मैं उन्हें दबाने लगा। कोमल आंटी मेरी गाँड़ को पकड़कर उसे दबा रही थी। धीरे से चुदाई करते समय हम दोनों सिसकियाँ लेने लगे थे।

मैंने कोमल आंटी के मंगलसूत्र को अपने हाथ में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मंगलसूत्र के साथ उसको चोदने में मुझे मज़ा आ रहा था। मैं कोमल आंटी की चुम्मियाँ लेने के साथ-साथ उसके बगल सूँघने लगा था।

मैंने मंगलसूत्र की माला को कोमल आंटी के मुँह में डाल दिया और उसपर चढ़कर उसके मुँह को चाटने लगा। अपने हाथों से उसकी टाँगे पकड़कर मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदना जारी रखा था।

कुछ देर बाद, कोमल आंटी ने मंगलसूत्र की माला को थूक दिया और मेरे मुँह को पकड़कर चाटने लगी। ज़ोर की चुदाई के मज़े लेते हुए हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद, मैं फ़र्श पर लेट गया और कोमल आंटी को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसा दिया और धीरे से उसपर बैठ गई। वह धीरे से उठकर-बैठकर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया।

फिर कोमल आंटी मेरे लौड़े पर ज़ोर-ज़ोर से उछलने लगी थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। कोमल आंटी अपनी गाँड़ उठा-उठाकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। उसकी चीख़ों की आवाज़ सुनकर मुझसे और रहा नहीं जा रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचकर गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर, ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। कोमल आंटी की चीख़ों को रोकने के लिए मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह के अंदर घुसा दिया था।

उसकी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर आंटी को अपने लौड़े पर पटकता रहा। कुछ देर तक ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने के बाद मेरे लौड़े का माल निकलने वाला था। मैंने कोमल आंटी को अपने ऊपर से हटाकर उसे घोड़ी बना दिया।

कोमल आंटी की चूतड़ों को फैलाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। पसीने से गीली उसकी गाँड़ की छेद की महक तो मनमोहक थी। मैंने अपनी दो उँगलियों को कोमल आंटी की गाँड़ की छेद के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

मैंने उसकी गाँड़ की छेद को खींचकर चौड़ा किया और उसके अंदर थूक मारी। मुझे अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसाना था लेकिन कोमल आंटी विरोध करने लगी। इसलिए मैंने अपने लौड़े को उसकी मोटी चूतड़ों के बिच घुसाकर हिलाने लगा।

मैं आगे झुककर एक हाथ से कोमल आंटी की चूची दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गीली चूत को उँगलियों से रगड़ रहा था। आंटी चीख़ते चिल्लाते हुए अपने उत्साह को व्यक्त कर रही थी। मेरा लौड़ा भी उसकी गाँड़ की दरार में घुसकर अपना माल छोड़ने ही वाला था।

जैसे ही मेरे लौड़े का पानी छूटने को आया, मैंने कोमल आंटी की गाँड़ की छेद के पास अपने लौड़े की नोक को रख दिया। मेरे लौड़े से निकला गरम चिपचिपा पानी जाकर कोमल आंटी की गाँड़ की छेद के ऊपर गिरा।

कोमल आंटी ज़ल्दी से अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में भाग गई। कुछ दिन बाद, मुझे घर के काम से ख़ुद बैंक जाना पड़ा था। पैसा जमा करने के काउंटर पर लाइन लगाकर मैं खड़ा था।

तब संयोग से मेरे पीछे, वही औरत अपने बच्चे के साथ आकर खड़ी हो गई थी। थोड़ी देर बाद, मैंने एक आदमी को बोलते हुए सुना-

[एक आदमी:] अरे मैडम, आप अपने बच्चे को सोने की अंगूठी के साथ कैसे खेलने दे सकती हैं?

[वह औरत:] जी वह अंगूठी नकली है। इसे मेरी उँगली से अंगूठी निकालकर खेलना अच्छा लगता है। (वह औरत अपने बेटे से कहती है) - बेटा, पिछली बार की तरह यह वाली अंगूठी भी खो मत देना।

मेरी तो ऐसी हसी निकली कि लोगों को लगने लगा था कि मैं पागल हो गया हूँ।
 
Back
Top