कंपनी के बहाने चुत में दाखिला

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको नागरी नाम की २५ साल की लड़की की चुत - चमेली कीकहानी सुनाने जा रहा हूँ जिससे मेरी मुलाकात राह चलते ही हुई थी और मैंने तब से ही उसकी चुत को जमकार चोदने का निर्णय कर लिया था | दरसल बात यूँ हुई की नागरी एक कंपनी में काम करती थी और उसी कंपनी में मुझे दाखिला दिलाने की बात चली थी जिसे मैंने खीचते हुए मुलाकतों में बदल दिया | अब हम नए मशहूर पार्कों में मिलते और काम के सिलसिले से बात करते हुए रोमांटिक बातें भी करने लगते जिसपर मेरा लंड खड़ा हो जाता और वो वही अपनी गोरो चिकी टांगों पर अपनी उँगलियाँ फेरने लगती और इसी बहाने मुझे मस्त वाला गरमा भी दिया करती |

नारगी मुझे अपने काम के समय में ही मिलने आय करती थी इसीलिए हमेशा उप्पर कमीज़ और नीचे एक श्होती सी स्कर्ट पहना करती थी जिनके नीचे दिख रही टांगों की बदौलत वो मुझे हमेशा गरमा दिया करती थी | ऐसे तो अमीन कई बार उसकी तारीफ़ की पर जब हम एक शाम के अँधेरे में अकेले ही पार्क के किसी कोने में बात कर रहे थे तो मैं अपने आप को रोक ना सका और करदी सारी हद्दें पार | अब मैं उसकी टांगों पर हाथ फिराते हुए उसे गर्माना शुरू कर दिया | दोस्तों अब मेर बार आ चुकी थी और मैं किसी भी हालत मैं अपने आप को रोकने नहीं वाला था | जब वो भी मस्त में मस्होश हो गयी तो मैंने उसके ब्रा के हुक को भी खोल दिया और उसके गोरे - गोरे चुचों को मसलते हुए मुंह में मस्त में पीने लगा |

अब तो मैंने ज्यादा ना सोचते हुए बड़ी तेज़ी से उसकी स्कर्ट को उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजू से ही उसकी चुत पर अपनी हटली रगड़ते हुए ऊँगली देना शुरू कर दिया | मैं अपनी उँगलियाँ मस्त वाली रफ़्तार से अंदर डालने लगा | अब मैंने भी अपनी पैंट को खोल दिया और अपने लंड को उसके हाथ में थम अदिया जिसे वो अपने हथेली में पकड़ी हुई मेरे सुपाडे को अंदर मुंह में किसी रसगुल्ले की तरह चूसने लगी | अब तो मैंने थक - हार हर कर फिर भी जोश में उसकी टांगों को खोल अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत पर टिका दिया और उसकी ज़ोरदार झटका जिससे लंड तो एक बार में उसकी चुत में जाने लगा जिसपर मीरा ही उत्तेजित होती हुई मटक -मटक कर सिस्कारियां ले रही थी |

मैं अब उसके उप्पर किसी खुल्ले सांड की तरह चढ गया और उसकी चुत छोड़ने में सारा ध्यान लगते हुए उस पूरी शाम बस उसके उप्पर चढ अरह | उस खुल्ले मौहल में भी उसकी बढती हुई चींखें और हमारे अनोखे चुदाई के द्रश्य को देखने वाला कोई ना था | हम दोनों ने अपने मिलाना को अपरम्पार रखा और आखिर में झटके से मेरे लंड की पिचकारी उसकी चुत के जा गिरी | मुझे पल ही सुकून मिला और अब मैं नागरी की शान्ति के लिए उसकी चुत को मसलने लगा जिससे कुछ ही दूर में उसकी चुत के भरके आंसूं निकल आये |
 
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