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सभी दोस्तों को सूरज की तरफ से सप्रेम नमस्कार। मै सूरज आज आपके सामने मेरे एक दोस्त सुरभी की कहानी लेकर आया हूं। आज की कहानी आप सभी सुरभी की जुबानी ही सुनिए। इस कहानी में पढिए, कैसे सुरभि के कजिन भाई ने रात में उसे लंड दिखाकर मोहित करते हुए चुदाई के लिए उकसाया और सुरभी को कली से फूल बना दिया। कहानी शुरू करने से पहले मै आप सभी को सुरभी के बारे में बता देता हूं। सुरभी एक आज के जमाने की मॉडर्न लडकी है, जो खुद पर निर्भर होना चाहती है। उसने अपनी सारी पढाई शहर में किराए के मकान में रहकर ही कि हुई है, और अब गर्मियों की छुट्टियों में वो अपने घर यानी गांव आई हुई है। अब आगे की कहानी सुरभी की जुबानी सुनिए-
मेरा नाम सुरभी है, और मै अभी बारहवीं की परीक्षा देकर अपने घर गांव में आई हूं। अब बचपन से घर से बाहर रहकर पढाई करने की वजह से घर मे आते ही सब लोग मुझे घेरकर तरह तरह के सवाल पूछते रहते थे। और मुझे भी जबरन उन सभी सवालों के जवाब देने पडते थे। गांव में सारे लोग जॉइंट फैमिली में ही रहते है, तो मेरे घर मे भी सब लोग एक साथ ही रहते थे। मेरे घर मे मै, मेरे माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, और उनका एक बेटा रहते थे। चाचा-चाची का बेटा मेरी ही उम्र का था, लेकिन उसकी पढाई गांव के ही स्कूल में हुई थी। शायद इसी वजह से उसकी सोच मुझसे थोडी अलग थी।
सभी लोग एक साथ रहने की वजह से हमेशा घर भरा हुआ लगता था। रात का खाना सभी लोग एक साथ ही बैठकर खाते थे, और इसी समय दादाजी सबसे हाल-चाल पूछते थे। शुरू के कुछ दिनों तक मुझे सब लोग बहुत अच्छे से बात करते थे, लेकिन कुछ ही दिनों में मै भी उनके लिए रोज की तरह ही हो गई। खाना खाने के बाद, सभी लोग थोडी देर बाद ही सोने चले जाते थे। अब मै जब शहर में थी, तब इतनी जल्दी सोने की आदत नही थी, तो मै सबके सोने के बाद भी ऐसे ही इधर से उधर हिलते हुए जागती रहती थी। अब गर्मी होने की वजह से हम सभी घर के सदस्य घर के आंगन में बिस्तर बिछाकर सभी एक साथ ही सोते थे।
मुझे माफ़ कर दीजिएगा, मैने आपको मेरे कजिन भाई के बारे में तो बताया ही नही। मेरे कजिन भाई का नाम अनिल है,और वो मुझसे बस दो महीने से बडा है। हम दोनों एक ही कक्षा में पढते है, लेकिन वो पढाई में ज्यादा होशियार नही था, तो घरवालों ने उसे गांव के ही स्कूल में रखा और मुझे पढाई के लिए शहर में भेज दिया। मै उसे भैया कहकर ही बुलाती थी। भैया अपनी पढाई के साथ ही पापा और चाचा के कामों में उनका हाथ भी बटाते थे।
सोते समय कोई किसी के लिए जगह तय नही थी, कि यह इसी जगह पर सोएगा या यहां नही सोएगा। जिसे जहां जगह मिलती वह वहां सो जाता था। ऐसे ही एक दिन खाना खाने के बाद, हम सभी आराम से सो रहे थे। और रोज की तरह मै अपनी आंखे खोलकर आसमान में तारे गिन रही थी। तभी अचानक मुझे मेरी कमर पर कुछ महसूस हुआ, मै वो क्या है यह देखने के लिए मुडने ही वाली थी, कि एक हाथ मेरे मुंह पर आकर उसने मेरा मुंह बंद कर दिया। फिर धीरे से मुंह खोलकर मुझे बस हाथ की उंगली से चुप रहने का इशारा कर दिया।
मै पहले तो बहुत डर सी गई थी, लेकिन फिर हिम्मत करके पीछे मुडकर देखा, तो मेरे एक तरफ मेरा कजिन भाई सो रहा था। मै एक कोने में सो रही थी। तो मेरी दुसरी तरफ कोई नही था। भैया ने फिर आगे बढकर अपना बदन मेरे बदन से पूरी तरह से चिपका लिया। मै भैया की इस हरकत को देखकर दंग रह गई। मैने उनसे कभी ऐसी हरकत की उम्मीद नही की थी। लेकिन मै भी देखना चाहती थी की, यह कहां तक आगे बढते है। इसी वजह से मै चुप होकर लेट गई।
यह पहली बार था जब मुझे कोई मर्द इस तरह से छू रहा था। भैया की हरकतों की वजह से मेरे मन मे भी चिंगारी भडक चुकी थी, और अब मेरा मन भी मचलने लगा था।

अब भैया ने धीरे से अपना एक हाथ आगे लेकर मेरी कमर पर रख दिया, और खुद के शरीर को मेरे पास खिसका दिया। अब हम दोनों के शरीर आपस मे चिपके हुए थे। मै भैया के हर एक अंग को महसूस कर सकती थी। मुझे मेरी गांड पर कुछ चुभने लगा, शायद भैया का लंड होगा जो खडा होने की वजह से मुझे मेरी गांड पर दस्तक दिए जा रहा था। पहले तो मैने अपनी कमर और गांड आगे को खिसका दी, जिससे भैया का लंड मेरी गांड से दूर रहे। लेकिन फिर भैया ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे फिर से अपने करीब कर लिया, जिस वजह से अब फिर से मै भैया के लंड को अपनी गांड पर महसूस कर सकती थी।
अब भैया का हाथ मेरे शरीर के ऊपरी हिस्से पर चलने लगा था। भैया अब आराम से मेरे स्तनों को सहलाए जा रहे थे। और मै भी मजे लेकर अपनी चुचियां भैया से दबवा रही थी। भैया ने अब चुचियां मसलने के साथ ही मेरे पैरों के ऊपर अपना पैर डाल दिया, अब तो ऐसा लग रहा था जैसे भैया का लंड मेरे पैंट को फाडकर अंदर ही घुस जाएगा। तभी अचानक से भैया ने अपना हाथ मेरी कमर पर ले जाकर मेरे टॉप को थोडा सा ऊपर उठाया। अब भैया का हाथ सीधे मेरी नंगी कमर पर था। भैया ने कुछ देर अपना हाथ वहीं रखा और फिर ऊपर की तरफ बढने लगे। भैया ने फिर अपना हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसाकर मेरी चूचियों पर ले गए।
रात को सोते समय मै अपनी ब्रा उतारकर सोती हूं, तो अब टॉप के नीचे तो मेरी नंगी चुचियां थी। टॉप के अंदर हाथ घुसानी की वजह से भाई का हाथ सीधे मेरी नंगी चूचियों पर चला गया। भाई ने मेरी चूचियों को छूते ही उनके लंड ने मेरी गांड पर एक और दस्तक देते हुए मेरे स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। मेरा टॉप थोडा टाइट था, तो भैया अच्छे से चुचियां दबा नही पा रहे थे। इसलिए भैया ने मेरा टॉप और ऊपर को उठाते हुए मेरी चूचियों को टॉप से बाहर ही निकाल लिया। और अब आराम से मेरे स्तनों को अपनी हथेलियों में भरकर मसलने लगे।
अब तक मै भैया की तरफ पीठ करके ही सो रही थी। कुछ ही देर बाद भैया ने अपना हाथ मेरे स्तनों से हटा लिया, लेकिन अपना शरीर अब भी चिपकाए रखा। मै थोडी हैरान हो गई कि, भैया ने अपना हाथ कैसे हटा लिया। लेकिन फिर जब भैया ने अपना हाथ वापस मेरे स्तनों पर रखकर अपना पेट और छाती मेरी पीठ से चिपका ली। तब मैं समझ गई कि, भैया ने भी अपनी शर्ट उतार दी थी। मुझसे अब रहा नही जा रहा था, मेरी चुत भी पानी छोडे जा रही थी, और उस वजह से मेरी पैंटी भीग चुकी थी।
तो मैने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर भाई के लंड को पकड लिया। अब तक मैने सिर्फ ब्लू मूवीज में ही लंड देखा था, लेकिन आज मै असली लंड को छू रही थी। मेरे छूते ही भैया के मुंह से एक हल्की सी आह निकल गई। अब भैया ने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी पैंट का नाडा खोलने में लग गए। लेकिन नाडे की गांठ बंधी होने से भैया उसे खोल नही पाए। तो आखिर में मैने ही अपनी पैंट का नाडा खोल दिया, और अपनी पैंट को थोडा नीचे खिसका दिया। और भाई के पैंट की चेन को खोलने की कोशिश करने लगी, जिससे मै भैया के लंड को बाहर निकाल सकूं।
अगले ही पल भाई ने खुद ही अपनी पैंट नीचे खिसका दी, और मेरा हाथ पकडकर उनके लंड पर रख दिया। चड्डी के ऊपर से ही मैने भाई के लंड पर हाथ रखा हुआ था। भाई का लंड काफी बडा लग रहा था, और मोटा भी जिसे देखकर मै थोडा डर गई। फिर भैया ने मेरा हाथ पकडकर अपने चड्डी के अंदर घुसा दिया। हाथ चड्डी के अंदर जाते ही भैया का लंड मेरे हाथ से टकराने लगा। तो मैने उसे पकडकर पहले तो उसके साइज का अनुमान लगाया तो वो लगभग छह इंच का तो था, और काफी मोटा भी था। फिर मै उसे पकडकर सहलाने लगी।
फिर भैया ने मेरी पैंटी को साइड में करते हुए अपनी एक उंगली मेरी चुत के आसपास घूमाने लगे। तो मैंने धीरे से भैया से कहा, "अभी अंदर मत डालना, वरना मेरी चीख निकल जाएगी, यह सब फिर कभी मौका देखकर करेंगे।"
मेरी इस बात को भैया ने भी मान लिया और वो बस अपनी उंगली से मेरी चुत के आसपास के हिस्से को सहलाने लगे। फिर उन्होंने खुद की चड्डी को थोडा नीचे खिसकाया, और अपना लंड आजाद कर दिया।
अब भैया के लंड की गर्मी मै अपनी गांड पर महसुस कर सकती थी। तभी भैया ने उनके लंड को हाथ मे लेकर मेरी दो जांघों के बीच रख दिया, और फिर मेरी कमर को पकडकर धीरे धीरे धक्के लगाने लगे। इससे भैया को भी मजा आने लगा और उनका पानी भी निकल जायेगा। कुछ देर तक ऐसे ही रहकर धक्के मारने के बाद, भैया ने अपना वीर्य भी मेरी जांघों पर ही छोड दिया। जिस वजह से मेरी टांगे गीली और चिपचिपी हो गई थी। फिर मैने अपने कपडे ठीक किए, और बाथरूम जाकर अपनी टांगो को साफ कर दिया।
वापस आकर भैया को देखा तो वो नींद के आगोश में जा चुके थे। अगले भाग में लिखूंगा, कैसे भैया ने हमारी चुदाई को अंजाम दिया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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