कट्टो की बिना बाल वाली इंडियन गांड कहानी मजदूरन की [भाग-1]

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दोस्तों इंडियन गांड मारने का क्रेज आजकल इतना बढ गया है कि सब लोग इसका मजा लेना चाहते हैं पर मेरी यह कहानी सबके अनुभव से हट कर है। मैं अपने गांव में गया हुआ था सेमेस्टर की छुट्टीयों में। वैसे तो मैं खेतों पर कम जाता हूं पर उस दिन मैं चला गया घूमने। वहां धान की कटाई हो रही थी। मेरे खेत में कट्टो एक कमसिन अठारह साल की लौंडिया, उसकी मां और उसका बाप तीनों धान काट रहे थे। बारी बारी से वो धान का गठ्ठर बांध रहे थे और ढो ढो कर दूर ले जाकर खलियान में रख रहे थे। उस दिन मैं चला गया तो उन लोगों ने गटठर उटाने में मेरी मदद मांगी। मैं तो कब से कट्टो की नुकीली चूंचियों को देख रहा था, फ़टी हुई फ़्राक मे भी वो सालिड दिख रही थीं, खूबसूरती और जवानी उसके फ़टे कपड़ों से छन कर बाहर आ रही थी। मैने उसकी मां और बाप का गठठर उठा दिया और जब वो चले गये तो मैने कट्टो को देखा। वो खड़े हो कर मुझे अपना गठ्ठर उठाने का इंतजार कर रही थी, मैने उसे गठ्ठर उठाते समय जानबूझकर लड़खड़ा गया और उसके चूंचे जोर से पकड़ लिये। वाह मुठ्ठी भर के चूंचे दबाते ही एक दम स्पंज टेनिस बाल की तरह मस्त लगे। कट्टो के दोनों हाथ गठ्ठर पर लगे हुए थे, वो बेबस थी और मैने मजा ले लिया। वो हंस कर अपनी सुडौल इंडियन गांड मटकाते हुए गठ्ठर के बोझ से और मटकते हुए चली गयी। मेरी काली नजर उसके मस्त पिछ्वाड़े पर पड़ गयी। दूसरे राउंड में मैने कट्टो को इशारा कर के पांच सौ का नोट थमा दिया धीरे से और कहा जब तेरे बाप मां दूर चले जाएं तो तुम रुकी रहना। जब वो चले गये गठ्ठर लेकर तो मैने बड़ा गठ्ठर बंधवाया और फ़िर उसकी आड़ में कट्टो को दबोच लिया। दूर दूर तक कोई नहीं था और कट्टो मेरी बाहों में थी। मैने उसके चूंचे रगड़ते हुए कहा, बड़ी सयानी हो गयी है तू। वो बोली छोड़ो ना मालिक कोई देख लेगा। मैने कहा तेरा बाप तो चला गया अभी आध घंटे देर है तो क्या ईरादा है। उसकी चूंचियां काफ़ी गोल गोल अनछुई दिख रही थीं मैने दबा के जोर से भींच लिया और उसके फ़्राक में हाथ डाल कर देखा तो साली ने चड्ढी न पहनी थी, पूछा तो बोली कि एक ही है साफ़ कर दिया है। न ब्रा न पैंटी। खुला मैदान देसी कमसिन जवानी का।

मेरा लंड खड़ा था, मैने वहीं उसे अपना लौड़ा पकड़ा दिया और कहा कि तू इसके साथ खेल। फ़िर उसे जमीन पर लिटा कर उसकी चूत देखी, एक दम कोरी, चिपके हुए फ़ांकों वाली बिना बाल की, हल्के भूरे रोयें। मैने उसकी भग, चूत की घुंडी मसल दी, वो सिस्कार उठी। आह। मैने फ़िर उसकी चूत में एक उंगली करते हुए उसकी इंडियन गांड का नजारा लेने को उसे पेट के बल लिटा दिया।अब वह अपने सुडौल नितम्ब मेरे सामने कर चुकी थी, मैं पिछ्वाड़ा मारने वाला इंडियन गांड का दीवाना पागल आदमी ठहरा, आज तो कंवारी चूत के साथ कंवारी और देसी इंडियन गांड मिल गये थे जिसमें एक भी बाल न था। मैने उसकी गांड पर ढेर सारा थूक मारा। एक दम से उंगली से मिला कर अपनी एक उंगली अंदर की। साली की गांड आज तक मराई न थी, केवल सुबह शाम काम आयी थी। मैने उसमें उंगली कर के उसके मुह में डाल दी, जब उसने चूस लिया तो फ़िर दो उंगलियां डाल कर अंदर बाहर करने लगा, उसे दरद हो रहा था। फ़िर अपना लौड़े का सुपाड़ा उसके गांड के छेद पर रखा और उसकी गर्दन दबोच ली जिससे वह हिले नहीं। वह एक दम फ़्रीज हो गयी। उसके गांड पर बैठते हुए गर्दन को दबोचे मैने जोरदार धक्का लगाया और मोटा सुपाड़ा अंदर। वह चिल्लाई लेकिन सुनसान वीराने में चीख गूंज कर रह गयी मैने उसकी मूंडी मिट्टी में भींच दी और दूसरा धक्का मारा आधा लंड सट्ट से अंदर। वह फ़िर चीखी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं। कहानी के भाग 2 में पढिये कैसे मैने उसकी बिना बाल वाली इंडियन गांड को मारा और इसके बाद उसकी सील वहीं खलिहान में खोली।
 
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