कवारी दुल्हन की कोरी कोरी चूत

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ये कहानी मेरे दोस्त अरमान की है जो चूत मारने में उस्ताद है। वह एक ऐसा शख्स है जिसके लौड़े ने दुबारा कभी एक ही फुद्दी न चखी। यह वाकया उसने मुझे सुनाया जो कुछ यूं है। मैं अपने दोस्त की बहन की शादी में गया हुआ था। वहां तीन चार दिन पहले से पहुच कर मैंने सहयोग और परस्पर का जो माहोल बनाया तो मैं पूरे परिवार से घुल मिल गया। काफ़ी ढेर सारी लडकियां आयी हुईं थीं और मेरा मन ललच रहा था लेकिन सलमा को सजे धजे देख कर मेरा मन ज्यादा उसी की तरफ़ आकर्षित हो रहा था मैं जानता था कि वह शादी होने वाली है उसकी और जाने वाली है घर छोड़कर लेकिन जब भी मैं उसके बारे में सोचता मेरा लंड खड़ा होने लगता।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यूं हो रहा है लेकिन ऐसा ही था। आखिर में शादी से पहले वाली रात हम सब छत पर सो रहे थे, गरमियों के दिन थे और सारे लोग शादी के कार्यक्रम से थके मांदे बेफ़िकर सो रहे थे। सलमा भी एक किनारे अपनी अम्मी के साथ सोई हुई थी। मैं धीरे से उठ कर सलमा के पास गया, वो सो रही थी, उसका गोरा बदन अंधेरे में भी चांद की तरह चमक रहा था। मैने उसका हाथ छुआ छूते ही मुझे करंट सा लगा। मैंने उसका पेटीकोट उठाकर अंदर झांक लिया। उसकी हल्की हल्की बाल वाली रोएंदार चूत मुझे पागल बना गयी। मैने उसका पेटीकोट उठाये ही उसकी जांघों को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया। मैं अंजाम भूल चुका था और आगाज कर चुका था। सलमा में कोई हरकत न देख मेरी हिम्मत में इजाफ़ा हुआ और मैने धीरे धीरे उसकी फ़ुद्दी की तरफ़ रुख किया।

उसने चड्ढी न पहनी थी और इसलिये मैने अपनी जीभ की नोक उसके चूत के इर्द गिर्द फ़िरानी शुरु कर दी। कोई हलचल नहीं मुझे अच्छा लगा। मैने तुरत उसकी फ़ुद्दी का किनारा अपनी जीभ से सहलाना शुरु किया उसने अपनी टांगें खोल दीं मैने जीभ को दोनो फ़ांकों के बीच घुसेड़ दिया और आराम से उपर नीचे करने लगा। जीभ मेरी उसके फ़ांकों के बीच में फ़ुद्दी की घुंडी से लेकर गांड तक फ़िसल रही थी। उसकी फ़ुद्दी से कामरस टपकना शुरु हो चुका था और तभी मैने महसूस किया मेरे सर पर दो हाथ आकर मेरे सिर को चूत की तरफ़ दबाने लगे, मैं डर गया देखा तो वह बैठ कर मेरा सर चूत की तरफ़ कोंच रही थी। मेरी तो लाटरी निकल गयी। मैने उसे चूम लिया और सलमा ने मुझे नीचे चलने का इशारा किया। हम दोनों नीचे वाले कमरे में गये और फ़िर सलमा की चूत को उजाले में देखने का मौका मिला। वह वाकैई जन्नत का नजारा था और वो मानो नंगी कोई हूर लग रही थी।

मेरी तकदीर में यह मुकद्द्स हुस्न लिखा था, यह जानकर मैं खुश हुआ और तुरत सलमा को अपनी बाहों में भर लिया। वो मुझे बोली भैया, मेरी शादी तो तलाक्शुदा मरद से हो रही है वो दो बच्चों का बाप है, उसने तो जिंदगी के मजे बहुत लीये होंगे पर मैं तो अभी एक बार भी कुछ नहीं की हूं। मेरा तो हक बनता है, कुछ कर गुजरने का। मेरे लंड की सहानुभूति जीत चुकी थी वो, मैने उसकी चूत को चूम लिया और कहा हां सलमा तुम्हें हक है। कहानी के भाग 2 में पढिये कैसे मैंने सलमा को उसकी शादी से पहले उसकी कोरी चूत का कव्वाल बनाया।
 
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