कहानी - सपनो की चुदासी रानी की

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आज मैं आपको आपको गार्गी मेरे चुदाई के सपनो की रानी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ पर मेरे साथ किस्सा उल्टा इस कार्ड हो चला की अक्सर लोगों को अपनी महबूबा से मिलने से पहले उसके सपने आते हैं और मुझे उसकी चुदाई करने के बाद अभी तक सपने आते हैं | इसीलिए आज दोस्तों मैं आपके साथ गार्गी की हसीं चुदाई की गाथा बांटना चाहता हूँ | दोस्तों मैं उन दिनों गुजरात में रह रहा था और वहीँ मेरा छोटा सा कार्यलय भी था और सामने ही एक बड़ा सा कॉलेज भी था जहाँ रोज छोटी छोटी स्कर्ट पहनकर आयदिन लडकियां कॉलेज जाया करती थी | मानो मेरी सुबह तो रोज इनकी खूबसूरत टांगों को निहारते हुए ही हुआ करती थी | मेरे सभी मर्द सहयोगी बुआ इन लड़कियों पर मौका मारने निकल जाया करते थे पर मेरे बॉस काम से फुर्सत ही कहाँ थी |

एक दिन मेरे कार्यलय में एक खुस्बुरत सी चिकनी टांगों वाली लड़की जिसका नाम गार्गी था, वो आई जिसे अपने घर फोन करना था पर कहीं आस पास नहीं था | उसने पहले अपने घर फोन किया और जब मेरा शुक्रिया किया तो मैंने कहा की अगर वो चाहे तो शाम को मुझे मिलकर मेरा शुक्रिया अदा कर सकती है और मुस्कुरा का चल दी | मुझे अपने उप्पर पूरा भरोसा था की वो आएगी और वो शाम को आई भी | बस मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी उसके बाद गार्गी को पटाने की | हम उस दिन मिले और पहली दफा में ही मैंने उससे रोमांटिक बातें भी करते हुए उसे चूम लिया और कई बार तो उसकी गोरो चिकनी टांगों पर अपनी उँगलियाँ फेरते हुए उसे अपने इरादे ज़ाहिर कर दिए |

कुछ दिनों यूँही मिलकर रोमांस करने के बाद मैंने गार्गी को अपने काम के खतम होने के बाद बुलाया और अपने एक सहयोगी के घर पर ले गया जो की खाली ही था | गार्गी भी समझ चुकी थी आज उसकी चुत का पिटारा खुलने वाला है | हम वाहन बैठ बिस्तर पर बात चित कर रहे थे और कारनामे को आगे भ्धाते हुए गार्गी की टांगों पर हाथ फिराते हुए उसे गर्माना शुरू कर दिया और जब गार्गी भी मस्त में मदहोश हो गयी तो मैंने उसके टॉप को उतारकर उसके ब्रा के हुक को भी खोल गोरे - गोरे चुचों को मसलते हुए मुंह में निचोड़ने लगा | अब मैंने मचलते हुए तेज़ी से उसकी स्कर्ट को उतार दिया और उसकी पैंटी के उतार चुत पर अपनी हथेली को रगड़ते हुए ऊँगली देना शुरू कर दिया था | गार्गी डगमगाती हुई मिसमिसा रही थी और अपनी उँगलियाँ मस्त वाली रफ़्तार से अंदर डालने लगा |

अब मैंने भी अपने सांवले लंड को को गार्गी के चुत के सामने ले आया | उसे दर था की कहीं वो दर्द से मर ही ना जाए तभी मैंने उसके चूतडों पर एक प्यारे सी चुम्मी भरते हुए उसकी टांगों को खोल अपने लंड के सुपाडे को उसकी चुत पर टिका दिया | अब बस फट से एक ज़ोरदार झटका दिया जिससे लंड एक बार में उसकी चुत में जाने लगा और गार्गी भी हलके दर्द से गुज़रती हुई संन्य हो गयी और अब जब मैंने अपने लंड को लिए उसपर घोड़े की तरह चढा जा रहा था तो उसकी जंगली जवानी काफी बखूबी तरीके से बहार आ रही थी | उन दिनों गार्गी के साथ चुदाई का मौसम ही कुछ निराला था और दिन मैं भी गुजरात से दिल्ली आ गया और बस रोज हमारी हंसी चुदाई की कहानी को याद कर उसे अपने लंड को मसलता हूँ |
 
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