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Cabin Mein Ghapa Ghap Chudaai

सभी पाठकों को मेरा प्रणाम। मेरा नाम भावेश शाह है। मैं कानपुर में एक स्थानीय बैंक का मैनेजर हूँ। यह कहानी मैंने इसलिए लिखी है ताकि लोगों को पता चले कि बैंक मैनेजर के पद का फ़ायदा उठाकर एक आदमी किस तरह से अय्याशी कर सकता है।

हाल ही में, मेरे ब्रांच में हेड केशियर की नौकरी-पद के लिए एक महिला इंटरव्यू देने आई थी। उसने अपना नाम शीतल व्यास करके बताया और वह शादी-शुदा थी। उसकी सुडौल आकृति को देखकर ही मेरा लौड़ा फ़नफ़नाने लगा था।

शीतल ने काली रंग की डिज़ाइनर कुर्ती पहनी थी और सफ़ेद रंग की लेग्गिंग। मेरे केबिन में आकर जब वह दरवाज़ा बंद करने के लिए घूमी, तब मेरी नज़र उसकी उभरी हुई गाँड़ पर पड़ गई।

उसकी मोटी जाँघे और गाँड़ देखकर मुझमें हवस का नशा चढ़ गया था। शीतल को मैंने बैठने के लिए बोला और वह आगे झुककर कुर्सी पर बैठ गई। झुकते समय, उसने अपनी गोरी चूचियों के दर्शन भी दे दिए थे।

अगले १५ मिनट मैंने शीतल को कई सवाल पूछे। उससे बातचीत करने के बाद मुझे पता चला कि वह उस नौकरी के लायक नहीं थी।

शीतल को भी शायद वह बात मालुम थी कि उसे वह नौकरी सिर्फ़ उसके शैक्षणिक योग्यता के आधार पर मिलने वाली नहीं थी। इसलिए जब मैंने उसे सच्चाई बताई तब वह खुलकर बातें करने लगी थी।

[शीतल:] क्या सर, अब आप ही सोचिए कि मेरे जैसी लड़की अगर आपके बैंक में काम करेगी तो माहौल कितना अच्छा हो जाएगा।

[मैं:] बात तो तुम्हारी ठीक है, लेकिन क्या तुम अपना घर चलाने के साथ-साथ बैंक में काम कर पाओगी?

[शीतल:] अगर मैं घर पर बैठी रहूँगी तो मेरा पति मुझे बच्चे पैदा करने की मशीन बना देगा। उसे मेरे ऊपर चढ़ने के अलावा और कोई काम आता नहीं है।

[मैं:] इसमें उस बेचारे की क्या गलती है? तुम हो ही इतनी खूबसूरत। मैं होता तो मैं भी वही करता।

[शीतल:] आपकी बात अलग है सर। आपके साथ करने से मुझे अगर काम मिलता है तो मैं ज़रूर करूँगी। मैं मेरी जवानी सिर्फ़ बच्चे पैदा करके खोना नहीं चाहती।

शीतल की बात सुनकर मुझे जोश आ गया था। मैं उठकर उसकी कुर्सी के पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधों पर हाथ रखकर सहलाने लगा। शीतल ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया।

मैं उसकी चूचियों पर हाथ घुमाते हुए उसे मस्त और गरम करने लगा था। कुछ देर तक हाथ घुमाने के बाद, शीतल उठकर खड़ी हो गई और मेरे सामने आ गई।

मैं सीधे शीतल पर लपक पड़ा। उसकी कमर को कसके पकड़कर उसके होंठों की चुम्मियाँ लेने लगा। चुम्मियाँ लेते वक़्त, मैंने शीतल की उभरी हुई गाँड़ को पकड़कर उसे दबाना शुरू किया।

मैंने शीतल की लेग्गिंग के अंदर अपने हाथों को घुसा दिया और उसके चुत्तड़ों को दबाने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ लेते समय निकलती गरम साँसे मुझे मदहोश कर रही थी। मैं उसे और ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ़ दबाने लगा था।

बाहर से आने की वज़ह से उसकी गाँड़ पसीने से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी उँगली को शीतल की गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। उसने अपनी कुर्ती उतार दी और मुझे फिरसे कसकर पकड़ लिया।

मैंने अपना एक हाथ शीतल की लेग्गिंग से निकालकर उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अपना टाइट ब्रा निकालकर अपने चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी मोटी लटकती चूचियों को देखकर मेरा लौड़ा पूरी तरह कड़क होकर उठ गया।

शीतल ने मेरी पैंट के अंदर हाथ ड़ालकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया। उसे सहलाते, हिलाते हुए मेरा मूड बना दिया। मेरी गोटियों को सहलाते हुए उनकी मालिश की। मैं अपने दोनों हाथों से शीतल की चूचियाँ दबाकर उसे गरम कर रहा था।

मैंने उसके निप्पल को बारी-बारी करके चूसना शुरू किया। मैं फर्श पर बैठ गया और शीतल मेरी पैंट उतारकर मेरे सामने बैठ गई। मेरी गोटियों को अपने मुँह में भरकर वह उन्हें ज़ुबान से चाटने लगी।

इस तरह बैठकर मैं उसकी चौड़ी गाँड़ तक पहुँच नहीं पा रहा था। मेरा उसकी मोटी गाँड़ से मन नहीं भरा था इसलिए उसकी गाँड़ को अपने मुँह के ऊपर टिकाकर, मैंने शीतल को मेरे ऊपर चढ़ाकर बिठा दिया।

मैंने उसके चुत्तड़ों को फैलाकर उसकी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। शीतल मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसकी चूत को मैं अपनी उँगली से फैलाकर रगड़ रहा था।

शीतल जोश में आकर चीख़ने लगी और साथ में अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर पटकने लगी। थोड़ी देर बाद, शीतल की चूत से पानी छूटने लगा था। मैंने उसे ज़मीन पर लेटा दिया और उसके पैरों को अपने कंधों पर रख दिया।

अपने लौड़े की नोक को शीतल की चूत की दरार पर रखकर रगड़ने लगा। फिर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गरम चूत में घुसा दिया। धीरे-धीरे धक्के मारकर मैं शीतल के ऊपर चढ़ गया।

उसकी मोटी चूचियों को पकड़कर मैं उन्हें दबाने लगा। शीतल मेरी गाँड़ को पकड़कर उसे दबा रही थी। धीरे से चुदाई करते समय हम दोनों सिसकियाँ लेने लगे थे।

मैंने शीतल के मंगलसूत्र को अपने हाथ में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मारने लगा। एक शादी-शुदा औरत को चोदने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने मंगलसूत्र की माला को शीतल के मुँह में डाल दिया और उसपर चढ़कर उसके मुँह को चाटने लगा। उसकी टाँगे फैलाकर मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदना जारी रखा।

कुछ देर बाद, शीतल ने मंगलसूत्र की माला को थूक दिया और मेरे मुँह को पकड़कर चाटने लगी। ज़ोर की चुदाई के मज़े लेते हुए हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद, मैं फर्श पर लेट गया और शीतल को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसा दिया और धीरे से उसपर बैठ गई। २-३ बार धीरे से उठकर-बैठकर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया।

फिर शीतल मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। शीतल अपनी गाँड़ उठा-उठाकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। उसकी चीख़ों की आवाज़ सुनकर मुझसे और रहा नहीं जा रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचकर गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर, ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। शीतल की चीख़ों को रोकने के लिए मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह के अंदर घुसा दिया था।

उसकी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर उसे अपने लौड़े पर पटकता रहा। कुछ देर तक ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने के बाद मेरे लौड़े का माल निकलने वाला था। मैंने शीतल को अपने ऊपर से हटाकर उसे कुतिया बना दिया।

शीतल के चुत्तड़ों को फैलाकर मैं उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। पसीने से भीगी हुई उसकी गाँड़ की महक तो मनमोहक थी। मैंने अपनी दो उँगलियों को शीतल की गाँड़ की छेद के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

मैंने उसकी गाँड़ की छेद को खींचकर चौड़ा किया और उसके अंदर थूक मारी। मुझे अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसाना था लेकिन शीतल विरोध करने लगी। इसलिए मैंने अपने लौड़े को उसकी मोटी चुत्तड़ों के बिच फसाकर हिलाने लगा।

जैसे ही मेरे लौड़े का पानी छूटने आया, मैंने शीतल की गाँड़ की छेद के पास अपने लौड़े की नोक को रख दिया। मेरे लौड़े से निकला गरम चिपचिपा पानी जाकर शीतल की गाँड़ की छेद के ऊपर गिरा।

अगले दिन से शीतल मेरे बैंक की सदस्य बन गई थी। अब हम दोनों हफ़्ते में २-३ बार मेरे केबिन में सेक्स के मज़े लेते है।
 
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