कैंपिंग ट्रिप में घमासान चुदाई

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Camping Trip Mein Ghamasan Chudaai

हेलो दोस्तो। मेरा नाम वैभव (उम्र १९) है। इस कहानी में मैं आप लोगों को मेरे कॉलेज के प्रोफेसरों के बिच हुई चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ। उनकी चुदाई देखकर तो मैंने और मेरे दोस्त ने जगह पर ही अपना लौड़ा हिलाया था।

पिछले महीने मेरी जूनियर कॉलेज की पिकनिक देहरादून में थी। २ दिन और २ रात की सैर थी। मेरी कक्षा का प्रत्येक छात्र और शिक्षण स्टाफ इस पिकनिक पर आया था।

उस वक़्त सबसे बड़ी खबर तो यह थी कि हमारे गणित शिक्षक मनीष तिवारी और हमारी हिन्दी शिक्षिका पूनम पांडे पिकनिक में आ रहे थे।

बात दरअसल यह थी कि हमारे जूनियर कॉलेज में अफवाह फैली हुई थी कि मनीष सर और पूनम मैडम के बिच चक्कर चालू है। पूनम मैडम तो दिखती भी एकदम गरम माल जैसी है।

ऐसा कोई छात्र नहीं होगा हमारे जूनियर कॉलेज में जिसने उनको याद करके अपना लौड़ा न हिलाया हो। वह तो कपड़े भी ऐसी पहनती है कि न चाहते भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है।

पूनम मैडम की मटकती गांड को देखकर ही उसे दबोचने का मन करता है। उनके अमरूद जितने बड़े स्तन से नज़र हठती ही नहीं है। कक्षा में सिखाते वक़्त पूनम मैडम जानबूझकर दोहरे अर्थ की बातें बोलती हैं।

मैं और मेरा दोस्त तो ख़ास इस वजह से पिकनिक जा रहे थे ताकि यह दोनों को रंगरलिया मनाते देख सके। पिकनिक के दिन हम सुबह हमारे कॉलेज से निकले थे और देहरादून दोपहर को पहुँच गए।

पुरुष और महिला छात्रों, शिक्षण स्टाफ के लिए अलग-अलग आवास थे। देहरादून पहुँचने के बाद, सभी अपने-अपने कैंपसाइट में चले गए और जलपान करने के बाद टहलने निकल गए।

मैं और मेरा दोस्त साथ में रहकर मनीष सर और पूनम मैडम पर नज़र रख रहे थे। वैसे तो यह दोनों साथ में ज़्यादा दिखे नहीं। हमने सोचा कि इनपर रात में नज़र रखेंगे क्यूँकि दिन के उजाले में यह दोनों एक दूसरे का हाथ भी नहीं पकड़ सकते थे।

रात में ठंड तो गांड सुन्न करने जितना थी। रात के १२: ३० बजे थे। मैं और मेरा दोस्त मनीष सर पर नज़र टिकाकर लेटे थे। इतनी बात तो पक्की थी कि यह अगर अपनी जगह से उठकर कहीं जाता है, तो उसकी प्रेमिका भी उसके पीछे आएगी।

आधे घंटे के बाद हलचल हुई। सभी लोग गहरी नींद में सोए थे इसलिए उन्हें मालुम नहीं पड़ा कि मनीष सर अपनी जगह से उठकर कहीं जा रहे थे। मैंने अपने दोस्त को मनीष सर का पीछा करने का इशारा किया।

उसकी जगह मनीष सर से नज़दीक थी। वह अपनी जगह से उठकर सर का पीछा करने लगा। मैं दबे पाँव चलकर दूसरी तरफ आ गया और अपने दोस्त के पीछे चलने लगा।

दोस्त के पास पहुँचकर मैंने देखा कि मनीष सर कैंपसाइट से बाहर जा रहा था। हम दोनों पीछा करते हुए कैंपसाइट के बाहर खड़ी हमारे कॉलेज की बस के पास पहुँच गए थे।

उस स्थान पर लगभग १०-११ बसें खड़ी थीं। मनीष सर सबसे दूर खड़ी बस के पास जाकर खड़ा था। मैं और मेरा दोस्त थोड़ा आगे चलकर मनीष सर के पीछे वाले बस के पास छिपकर खड़े हो गए थे।

रात के ०१: ४५ बजे थे। मैं और मेरा दोस्त दोनों परेशान हो गए थे। लेकिन हमसे ज़्यादा परेशान तो मनीष सर था। मोबाइल सिग्नल न मिलने की वजह से मनीष सर अपनी प्रेमिका को फ़ोन नहीं लगा पा रहा था।

गुस्से में आकर मनीष सर ने बस की टायर को लात भी मारी थी। करीब ०२: १५ बजे किसी के चलने की आवाज़ आने लगी थी। मनीष सर की गांड फट गई थी शायद उस आवाज़ को सुनकर, क्योंकि वह तुरंत बस के पीछे जाकर छिप गया था।

मेरी और मेरे दोस्त की हँसी छूट रही थी वह देखकर। कोई तो कंबल ओढ़े बस की तरफ आ रहा था। बस के पास खड़े होकर कोई तो 'मनीष' , 'कहाँ पर हो मनीष?' ऐसे पुकारने लगी थी।

[मनीष सर:] मैं यहाँ हूँ। इस तरफ से आओ।

कंबल ओढ़े पूनम मैडम चलकर आई थी अपने आशिक़ से चुदवाने के लिए। मैडम और सर बस के पीछे चले गए। मैं और मेरा दोस्त भी उनके पीछे वाली बस के पास जाकर खड़े हो गए। पूनम मैडम ने कंबल को ज़मीन पर बिछा दिया।

[मनीष सर:] कहाँ मर गई थी तुम। मैं कब से यहाँ पर खड़ा हूँ मालुम है?

[पूनम मैडम:] मेरी कैंपसाइट में सभी महिला गप्पे लड़ाकर आधे घंटे पहले सो गई, उसमे मैं क्या करती।

[मनीष सर:] अरे वहाँ कहाँ जा रही हो तुम?

[पूनम मैडम:] मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी है। आती हूँ रुको ज़रा।

[मनीष सर:] एक काम करो। मेरी हथेलियों पर पेशाब करो। ठंड की वज़ह से मेरे हाथ जम गए है।

पूनम मैडम ने हस्ते हुए मनीष सर के कंधे पर प्यार से झापड़ मारा। दोनों थोड़े आगे चलकर गए। पूनम मैडम ने अपनी लेग्गिंग उतारी और पेशाब करने बैठ गई। मनीष सर उनके आगे बैठकर अपनी हथेलियाँ मैडम की चूत के पास ले गए।

पेशाब की गरम धार से मनीष सर ने अपनी हथेलियाँ धोई। पूनम मैडम की पेशाब की धार रुक गई। दूसरी तरफ गरम हुए मनीष सर ने मैडम को उनके पैरों के बिच से हाथ ड़ालकर उठा लिया और कंबल पर लाकर लेटा दिया।

मनीष सर ने पूनम मैडम के चूतड़ों को दोनों हाथों से दबोचकर उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया। दोनों भी एक दूसरे के होठों को चूसकर गरम हो रहे थे।

मनीष सर ने बारी-बारी से अपनी उँगलियों को मैडम की गांड की छेद के अंदर घुसा दी। पूनम मैडम सर की पैंट से उसका लौड़ा निकालकर हिलाने लगी थी।

कुछ देर बाद, मनीष सर ने पूनम मैडम को कंबल पर लेटा दिया। उनके पैरों को फैलाकर अपने कन्धों पर रखा।

मैडम की चूत को थूक लगाकर गीला किया। मैडम गुदगुदी होने की वजह से हसने लगी थी। मनीष सर ने अपने लौड़े को घुसाकर ज़ोर-ज़ोर से मैडम की ठुकाई करनी शुरू कर दी।

मैडम की सिसकियाँ और हलकी चीखें सुनकर मैं और मेरे दोस्त ने अपना-अपना लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया था। मनीष सर ने मैडम को उनकी गांड से पकड़कर उठा लिया और अपने लौड़े पर उछालने लगे।

कुछ देर बाद, मैडम ने सर को धक्के मारकर कंबल पर लेटा दिया। अपनी थूक लगाकर लौड़े को अपने हाथों से थोड़ा हिलाया और फिर अपनी चूत में घुसा दिया। अब मैडम अपनी गांड उठा-उठाकर सर के लौड़े पर उछल रही थी।

मनीष सर ने मैडम की चूचियों को पकड़कर दबाना शरू कर दिया। एक-एक करके सर ने पूनम मैडम के निप्पल को चूसा। थोड़ी देर ऐसे चुदाई करने के बाद, मनीष सर ने मैडम को घोड़ी बनाकर कंबल पर लेटाया।

पूनम मैडम की गांड की छेद में अपनी ज़ुबान घूसाकर उसे चाट रहे थे। मैडम मस्त होकर अपनी गांड को हिलाने लगी थी। सर ने अपने लौड़े पर थूक लगाया, फिर मैडम की गांड की छेड़ पर थूक लगाकर उसे अंदर घुसा दिया।

धीरे-धीरे धक्के मारते हुए अपने लौड़े को गांड की छेद में पूरा अंदर घुसाने के बाद, चुदाई की रफ़्तार को बढ़ा दी थी। मैडम के स्तनों को पकड़कर उन्हें अपने लौड़े पर पटक रहे थे।

थोड़ी देर बाद, ज़ोर-ज़ोर से धक्के देकर मनीष सर ने पूनम मैडम की गांड की छेद में अपने लौड़े का पानी छोड़ दिया। सर ने अपने लौड़े को गांड की छेद से निकाला नहीं था। बल्कि उसने मैडम की गांड की छेद के अंदर ही थोडी-सी पेशाब कर दी थी।

जब मैडम से और सहा नहीं गया तब उन्होंने अपनी गांड से सारा पानी बाहर पाद दिया। २-३ पानी की पिचकारी मारकर मैडम ने गांड से सारा पानी कंबल पर छिड़क दिया। मनीष सर और पूनम मैडम एक दूसरे को गले लगाकर गीले कंबल पर नंगे लेटे थे।

उनकी चुदाई देखकर मैंने और मेरे दोस्त ने अपने लौड़े का पानी भी निकाल दिया था। तब मुझे मस्ती करने का मन हुआ था। मैंने झट से अपना मोबाइल निकालकर मनीष सर और पूनम मैडम की नंगी अवस्था में तस्वीर खींच ली थी।

मैं और मेरा दोस्त कुत्ते पीछे पड़े हो वैसे वहाँ से भागे। कुछ दिनों बाद, मैंने उस तस्वीर को मेरे दोस्त की मदत से कॉलेज में प्रसारित कर दिया था। अगले दिन से, पूनम मैडम और मनीष सर कॉलेज में आजतक दिखाई नहीं दिए।
 
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