गलती से कुँवारी चूत की चुदाई

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कुँवारी चूत का रस

आप सोच रहे हैं ऐसा गलती से कैसे हो सकता है तो मैं आपको बता दूँ की ये मेरे साथ हुआ है. बात है उन दिनों की जब सोशल मीडिया के नाम पर कुछ खास नहीं बल्कि सिर्फ ऑरकुट ही हुआ करता था, ज़्यादातर लोग अपनी प्रोफाइल पिक भी एक्टर एक्ट्रेसेस की लगाते थे लेकिन चैट के लिए अब भी गूगल टॉक ही इस्तेमाल करते थे. ऐसे में मैं ऑरकुट पर एक लड़की से जुड़ा हुआ था जो बड़ी अच्छी बातें करती थी और मेसेज में मुझे कविताएँ और गानों के लिंक भेजा करती थी, एक दिन उस ने मुझसे मेरा नंबर माँगा जो मैंने दे दिया.

उस रात उस लड़की का मुझे कॉल आया, उस ने अपना नाम दिव्या बताया ज्यादा बातचीत तो नहीं हुई क्यूंकि उस ने बताया की वो अपनी मम्मी के रूम में सोती है. इसी तरह अब हम ऑरकुट मेसेज की बजाए फ़ोन पर ज्यादा बात करने लगे, वो बड़ी हंसमुख लड़की थी जिसकी आवाज़ बड़ी मीठी थी सो मैं उसकी तरफ आकर्षित होता ही चला गया. अब तक मैंने भी किसी चूत का स्वाद नहीं चखा था और उसकी बातों से लगता था की वो भी इन सब चीज़ों से अब तक रु ब रु नहीं हुई थी, हालाँकि हमने आपस में कभी भी सेक्स की बातें नहीं की थी लेकिन कभी कभार हम एक दुसरे को फ़ोन पर ही किस कर दिया करते थे.

एक दिन मैंने दिव्या से कहा की मैं उस से मिलना चाहता हूँ तो उसने कहा की कल मिलेंगे, लेकिन करेंगे क्या. तो मैंने कहा की मूवी या कहीं घूमने चलेंगे इस पर वो खुश हो गई क्यूंकि उसे मूवीज बहुत पसंद थी. मैं बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार करने लगा क्यूंकि वैसे तो मैं अपनी दोस्तों के साथ कई बार घूमने गया था पर पहली बार कोई मेरी गर्ल फ्रेंड की हैसियत से मेरे साथ घूमने जाने वाली थी, मैं मन ही मन सोच रहा था की क्या कहूँगा क्या करूँगा.

सुबह उठते ही मैंने देखा तो उसका मेसेज आया पड़ा था जिस में लिखा था की आर के मॉल के सामने मिलना सुबह नौ बजे, मैंने रिप्लाई किया की पहचानूँगा कैसे तो रिप्लाई आया की अपनी गाड़ी का नंबर बता देना मैं आ कर बैठ जाऊँगी. मैंने गाड़ी नंबर मेसेज किया और तैयार होने चला गया, मैंने अच्छे से शेव किया रगड़ रगड़ के नहाया और एक दम चका चक तैयार हो कर अपनी बाइक ले कर आर के मॉल के सामने खड़ा हो गया. पांच एक मिनट बाद एक स्लिम सी लड़की जो हाइट में छोटी सी थी, फ्लोरल शोर्ट ड्रेस पहने मुस्कुराती हुई आई और मेरी बाइक के हैंडल पर टेंगा एक्स्ट्रा हेलमेट पहन कर मेरे पीछे बैठ गई.

मैंने हैरान था क्यूंकि वो लड़की काफी छोटी लग रही थी और मैं यहाँ तीस बरस का नौजवान था, मैंने उस से पूछा "तुम दिव्या ही हो न" तो वो बोली "क्यूँ कोई शक है या पसंद नहीं आई तुम्हे" मैंने कहा "नहीं वो बात नहीं है" तो वो बोली "अब जो भी बात है बाद में करेंगे अभी यहाँ से चलो मेरा कॉलेज पास में ही है लोग पहचान लेंगे तो लफड़ा हो जाएगा". वहां से निकल कर हम मूवी हॉल पहुंचे टिकेट लिया तो उसी ने जिद्द कर के कार्नर सीट ले ली, बहरहाल मूवी हॉल के सब से कोने के रेक्लायिनर सीट जो की सोफे की तरह होती है उस पर पसर गए.

मेरा दिल अभी भी ज़ोरों से धड़क रहा था लेकिन दिव्या तो जैसे मज़े में थी, उस ने मेरा बाजू पकड़ रखा था और मेरे कंधे पर सर टिका कर मज़े से मूवी देख रही थी. बीच में जब एक रोमांटिक सीन आया तो उस ने चुपके से मेरे गाल पर किस कर लिया, बदले में मैंने भी उसके फ़ोरहेड को चूम लिया जो शायद उसे बहुत अच्छा लगा और वो मुझसे और सटकर बैठ गयी. मूवी ख़त्म होने के बाद उस ने मुझसे पूछा "अब क्या करेंगे" मैंने कहा "तुम बताओ" तो बोली कहीं "शांति से बैठेंगे बातें करेंगे" मैंने जगह पूछी तो बोली "देखो कहीं गार्डन वगेरह में लोग या तो पहचान लेंगे या परेशान करेंगे तो तुम अपने रूम पर ही ले चलो".

मैंने दिमाग में कैलकुलेट किया की मेरे दोनों रूम मेट्स तो जा चुके होंगे और अब रात तक ही आयेंगे सो मैंने बाइक का रुख अपने फ्लैट की तरफ कर दिया, रस्ते भर उस ने मुझे टाइट जकड़े रखा और बार बार मेरे कंधे को चूमती रही. फ्लैट तक पहुँच कर मैंने दरवाज़ा खोला और उसे अन्दर ले गया, अन्दर जा कर मैंने उसे फ्रिज से कोक की बोतल दी और कुछ चिप्स वगेरह पड़े थे तो वो भी ले आया, हमने ये नाश्ता करते हुए कई बातें की जिस में मुझे पता चला की वो अभी फर्स्ट इयर में पढ़ती है और उसका अभी अभी ब्रेक अप हुआ है.

बातें करते करते वो मेरे काफी नज़दीक आ गयी थी, मेरे सीने से चिपक कर मुझसे से सटकर बैठी वो अपनी सहेलियों उनके बॉय फ्रेंड और जाने क्या क्या कहानिया सुना रही थी. अब मैं भी थोडा नार्मल था लेकिन मेरे मन में उसकी उम्र का ख्याल बना हुआ था, उस ने कहा "तुम घबराये हुए लग रह हो" मैंने कहा "नहीं बस यूँ ही" तो वो बोली "क्या हुआ मैं तुम्हे पसंद नहीं हूँ क्या" मैंने कहा "ऐसी बात नहीं है तुम बहुत सुन्दर हो और तुम्हारी खुशबु भी गज़ब की है" तो वो हंस पड़ी और उस ने चुपके से मेरे होठों पर हलकी सी पप्पी ले ली मैं संभालता उस से पहले ही दूसरी पप्पी और फिर तो उस ने मेरा उपरी होंठ ही अपने मुंह में ले लिया.

मैंने उसे धीरे से दूर किया और कहा "दिव्या तुम्हारी उम्र क्या है" वो बोली "अभी लास्ट मंथ ही एटीन की हुई हूँ" तो मुझे आश्चर्य हुआ क्यूंकि वो तो अभी अभी बालिग़ हुई थी. मैं थोडा रुका तो बोली "तुम्हे मेरी उम्र से फर्क पड़ता है क्या" और ये कह कर उस ने मेरा हाथ अपनी शोर्ट ड्रेस में से अपनी चिकनी जांघ पर रख दिया और धीरे से खिसका कर पेंटी तक ले गयी. मैंने कहा "नहीं लेकिन तुम मुझसे काफी छोटी हो और कहीं" वो बोली "डरो नहीं मेरे लास्ट बॉय फ्रेंड के साथ भी मैंने किया था, बस वो मेरी ही उम्र का था".

इतना कह का उसने मेरा हाथ अपनी पेंटी में डाल लिया, एक दम छोटी सी चूत अन्दर से गज़ब की गीली हो रही थी. दिव्या ने मेरा हाथ अपनी पेंटी से निकला और जो ऊँगली उसकी चूत को टच हुई थी निकाल कर सेक्सी तरीके से चाटने और चूसने लगी, मैं सब कुछ भूल कर उस पर पिल पड़ा तो बोली "धीरे धीरे आगे बढ़ो ना ऐसे क्या हमला कर रहे हो कभी सेक्स किया नहीं क्या". मैं अवाक् रह गया क्यूंकि एक छोटी लड़की मुझे सेक्स की शिक्षा दे रही थी. उसने मेरा हाथ अपनी ब्रैस्ट पर रख दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी, मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू किया वो इतने अच्छे से चूम रही थी की मुझे मज़ा आने लगा अब उसने अपनी जीभ से मेरी जीभ के साथ खेलना शुरू किया, मुझे ये खेल इतना अच्छा लगने लगा था की मैं इस में खो सा गया था.

पर दिव्या नहीं खोई क्यूंकि उसे तो और चाहिए था इसलिए उस ने मेरा हाथ अपने छोटे छोटे मौसंबी जैसे बूबिज़ पर रख कर उन्हें दबाना शुरू किया. मैंने उसकी खुशबु और इस फ्लो में ऐसा लयबद्ध हो गया था की बहता ही चला गया और उसके प्यारे गुलाबी बूबीज़ को चूमते और चूसते वक़्त मुझे उसके कॉलेज स्टूडेंट होने का ख़याल तक नहीं रहा, वो भी "ओह आह ऊह्ह और पियो निप्प्ल्स से खेलो" बोलती हुई और गरम होती जा रही थी. मैंने उसके निप्प्ल्स को अपने दांतों से थोड़ा चुभलाया तो वो बेड पर उछलने लगी, मैंने भी उसके उछलने से खुश हो कर उसकी ड्रेस खोल कर उसके लेफ्ट बूबी को अपने मुंह में पूरा भर लिया तो वो सिसक उठी और बोली "अब दूसरा भी लो ना ऐसे ही" तो मैंने दूसरा भी ले लिया.

दिव्या इस सब से इतनी गरम हो चुकी थी की उसकी पेंटी पूरी गीली नज़र आ रही थी, मैंने उसकी पेंटी नीचे खिसकाई और उसकी गुनगुनी चूत में अपनी ऊँगली सरकाई जिस से वो कराह उठी और बोली जितनी बड़ी तुम्हारी ऊँगली है उतना तो मेरे लास्ट बॉय फ्रेंड का लंड था. मैं हंस दिया तो बोली "हंसो मत उस ने इसे बहुत प्यार भी किया था और किस भी" तो मैंने कहा "चिंता मत करो मैं इसके साथ वो करूँगा जो तुम जीवन भर याद रखोगी" ये कह कर मैंने उसकी कुँवारी चूत पर चूमना शुरू किया और चूमते चूमते बीच बीच में उसकी जाँघों पर - चूत के साइड में - चूत और नाभि के बीच की जगह पर भी चूमा तो दिव्या में जैसे रह रह कर करंट के झटके आने लगे.

अब मेरी जीभ उसकी चिकनी गुलाबी चूत पर थी, पहले तो मैंने उसे एक आइस कैंडी की तरह नीचे से ऊपर तक चाटा - फिर एक एक कर के उसके चूत की फाँकों को चाट चाट कर चूसा और फिर दिव्या को बेड साइड पर बिठा कर उसकी टांगें अपने कन्धों पर रख कर उसकी जाँघों के बीच अपना सर घुसा कर ऐसे चाटा की दिव्या की हालत टाइट हो गई वो मेरे बाल खींच खींच कर मुझे "बास्टर्ड नाओ फक मी बास्टर्ड" चिल्लाने लगी. लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था मैंने उसकी कमर को टाइट जकड लिया और अपने जीभ के जलवे दिखाता रहा. एक जोर की सिसकारी और चीख के साथ उसने ढेर सारी पिचकारी में अपनी मलाई मेरे मुंह पर फैला दी.

वो थक कर निढाल हो चुकी थी और मैं भी हांफ रहा था सो बेड पर लेट गया लेकिन अब तो दिव्या एक भूखी रंडी की तरह मुझ पर कूद गई और मेरे पेट पर बैठ कर उस ने मेरे होठों को अपने मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. मैंने उस से कहा "अगर चूसना ही है तो इसे चूसो" जैसे ही दिव्या ने मेरा लंड देखा वो बोली "प्लीज़ इसे मेरी चूत में मत डालना" मैंने कहा घबराओ नहीं अभी सिर्फ चूसो. ये सुनकर दिव्या मेरे लंड को पकड़ कर बैठ गई सात इंच लम्बा और करीब दो इंच मोटा लंड उसके लिए आश्चर्य का विषय था क्यूंकि उसके लास्ट बॉय फ्रेंड का लंड तो उसके हिसाब से सिर्फ मेरी मिडिल फिंगर जितना लम्बा और मोटा ही था.

दिव्या हालाँकि एक नई लड़की थी और जितनी भी उसकी सेक्स लाइफ रही हो उसका इतना प्रोफेशनली लंड चूसना मुझे अजीब लग रहा था तो मैंने पूछ ही लिया "तुम अपने बी ऍफ़ का लंड भी ऐसे ही चूसती थी क्या" तो वो बोली "पहले शुरू शुरू में मुझे ओरल नहीं आता था लेकिन रजत ने मुझे विडियोज दिखा दिखा कर सिखा दिया, क्यूँ अच्छा नहीं लगा मेरा ओरल स्टाइल" मैंने कहाँ "अरे नहीं ये तो बेस्ट है जान, करती रहो और जो जो भी सीखा है वो सब करो". दिव्या वाकई वो सभी पैंतरे अपना रही थी जो पोर्न फिल्म्स में मंझी हुई पोर्न स्टार्स करती हैं.

मेरा लंड पूरा तना हुआ था और दिव्या लगातार उस पर अपने होंठों और जीभ का कमाल दिखा रही थी एक बार तो उस ने हद ही कर दी जब उस ने पूरा का पूरा लंड मुंह में ले लिया और फिर खाँसने लगी मैंने उस से कहा की छोटी उम्र में बड़ी रिस्क मत लो तो चिढ गयी और पागलों की तरह मेरा लंड चूसने लगी फिर जब थक गई तो लंड को ऐसा हिलाया की सारा माल मेरे अंडों में से उबल कर लंड के रास्ते उसके मुंह - गालों और नन्हे बूबीज़ पर छिटक गया. लेकिन उस ने चूसने का काम जारी रखा तो मैंने कहा "अब क्या तोड़ कर ही मानोगी चूत नहीं मरवानी क्या".

दिव्या ने कहा "तुम इस बड़े से लंड से मेरी चूत फाड़ दोगे" मैंने कहा "रानी तुम धीरे धीरे इतना सीखा गई हो तो ये दर्द सह कर तुम मज़ा लेना भी सीख ही जाओगी". बड़ी हील हुज्जत के बाद वो राज़ी हुई तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी कुँवारी चूत के मुहाने पर लगा कर हौले हौले रगड़ने लगा जिस में उसे बहुत मज़ा आरहा था. फिर मैंने धीरे से अपने लंड का टोपा कुँवारी चूत में डाला तो वो चिल्ला उठी "मम्मी" मैंने कहा "धीरे डालूँगा डरो मत" और धीरे से उसकी चूत में अपना आधा लंड और खिसकाया अब दिव्या ने चिल्लाकर कहा "प्लीज निकालो ना मैं मर जाऊँगी".

मैंने डर के मारे लंड निकाल लिया तो वो उठ कर बैठ गई उस ने खुद मुझ से कहा की एक काम करते हैं कोई आयल या क्रीम लाओ, मैं क्रीम ले आया तो उस ने अपनी चूत पर क्रीम लगा कर कहा "अब डालो मेरी जान अब पूरा डाल देना ओके". मैंने खुश हो कर कर लौंडिया तुम अभी उगी भी नहीं हो और तैयार हो पूरी जवान पट्ठी की तरह" वो हंस दी और बोली "बकवास मत करो और चोदो मुझे". मैंने उसकी बात मान कर तुरंत वापस अपने लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत के मुहाने पर लगाया और हौले से अपना लंड एक ही बार में अन्दर डाल दिया.

हालाँकि दिव्या चिल्ला रही थी लेकिन उसकी मुस्कान देख कर मुझे उसकी चुदने की ख़ुशी का अहसास हो रहा था, मैंने धक्कों की गति तेज़ की तो वो चिल्लाने लगी "वैरी गुड ब्रावो और चोदो जोर से चोदो मुझे चोद डालो ना" मैं उसके इस एक्साइटमेंट को देख कर और खुश हुआ अब मैं उसके बूबीज़ निचोड़ रहा था और धक्के की स्पीड लगातार बढ़ा रहा था.

दिव्या ने कहा "क्या तुम्हे डॉगी स्टाइल आता है" तो मैं हंस दिया और उसे कुतिया की तरह पोजीशन बनाने को कहा फिर उसके पीछे जा कर मैंने इस कदर चोदा कि उसकी कुँवारी चूत में से खून निकलने लगा. मैंने दिव्या को कहा "देखो तुम्हारी चूत में से खून निकल रहा है" तो बोली "डरो मत शायद मेरे चूतिये बॉय फ्रेंड से मेरी सील तक नहीं टूटी थी जो आज तुमने कर दिखाया, आह ऊओह्हह्ह अब रुको मत ना चोदते रहो मुझे". मैंने धक्के लगाने जारी रखे और स्पीड बढ़ाते ही वो झड गई लेकिन मैंने चोदना चालु रखा और दो ही मिनट में मैं भी झड गया लेकिन मैंने ध्यान रखते हुए अपना सारा माल उसकी पीठ पर निकाल दिया.

अपनी टी शर्ट से अपना माल पौंछ कर मैंने उसे अपनी बाहों में सुला लिया, वो मेरे चेस्ट पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी पर उसकी आँखों में आँसू थे, मैंने पूछा तो बोली "मुझे मेरे बी ऍफ़ के जाने का दुःख तो है लेकिन तुम्हारे साथ चुदने की ख़ुशी भी है. अब तुम मुझे हमेशा चोदोगे न, कभी छोड़ोगे तो नहीं". मैंने कहा "नहीं जान तुम्हे कभी नहीं छोडूंगा". और वाकई मैंने किया भी यही मैंने उसकी एक लम्बे समय तक चुदाई की जब तक की उसका कॉलेज कम्पलीट हो कर उसकी शादी नहीं हो गई, शादी के वक़्त वो बहुत दुखी थी लेकिन मैंने उसे समझाया कि चिंता मत करो अब तुम्हारा पति तुम्हे चोदेगा और ना जाने कितने अलग तरीके से चोदे, कितना बड़ा लंड हो उसका" ये सुनकर वो मेरे गले लग गई और बोली "कोई मुझे अब कैसे भी चोदे लेकिन तुमसे इतना चुद कर मैंने जीवन भर की चुदाई का सुख पा लिया है".
 
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