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ये इंसिडेंट अप्प्रोक्स ८ साल पुराना है. जब मैं लखनऊ में क्लास १२थ की स्टडी कर रहा था. वैसे तो मैं लखनऊ को बिलोंग करता हु, बट दिस टाइम आई ऍम गवर्नमेंट सर्वेंट एंड माय पोस्टिंग इस इन बंगलोर. तो बात तब की है, जब मैं अपनी स्टडी के बीच में वीकेंड पे अपने गाँव को जाया करता था.

मेरा घर ३ फ्लोर वाला एक बड़ा सा हाउस था, तो मैं इवनिंग में अक्सर घर की टेरेस पे वाक करने के लिए चले जाता था. एकदिन मैं अपना म्यूजिक सिस्टम अपने इअर्स में लगाये हुए था और घर के एक किनारे से दुसरे किनारे तक चक्कर लगा रहा था, कि मेरी नज़र मेरे गाँव में घर से थोड़ी दूर के एक घर पर पड़ी. वहां पर एक लड़की मेरी तरफ देख के खड़ी हुई थी. जब मैंने उसे अपनी तरफ देखते हुए देखा, तो मैं थोडा सा शॉक हुआ, क्यों वो मेरी तरफ देख रही है?

थोड़ी देर बाद, मैं नीचे आ गया; क्युकि डिनर का टाइम हो गया था और मेरी माँ मुझे आवाज़ दे रही थी. अगले दिन अर्ली मोर्निंग में, मैं वापस लखनऊ चला गया. लखनऊ पहुचकर भी, मेरे दिमाग में सिर्फ उस लड़की का ख्याल बार-बार आ रहा था कि कौन लड़की थी वो और वो मुझे इस तरह से क्यों देख रही थी. फिर तो मैं आने वाले वीकेंड का वेट बड़ी ही बेसब्री से करने लगा. जब वीकेंड आया, तो मैं तुरंत ही घर चले गया और फिर घर पहुचकर शाम को अपनी छत पर.

मैं उसका वेट ही कर रहा था. कि थोड़ी देर बाद वो भी अपनी टेरेस पर आ गयी. हम दोनों ने एक दुसरे को देखा और स्माइल दी. अगले कुछ दिनों तक, ऐसे ही चला. फिर मेरे एग्जाम आ गये और मैं १ मंथ के लिए घर नहीं जा पाया. फाइनली, मेरे एग्जाम ख़तम गुए और मैं अपनी समर की छुट्टियों के लिए एक लम्बी छुट्टी पे अपने गाँव आ गया.

फिर, हम दोनों डेली इवनिंग में घर की टेरेस पर आने लगे और देर शाम टेक एक दुसरे को देखकर स्माइल करते थे और साथ में हाथ हिलाना और हाथ हिलाकर एक दुसरे को बुलाने की कोशिश करते थे. फिर एक दिन, इशारो में उस से उसका मोबाइल नंबर माँगा. तो उसने अपने हाथ की फिंगर से इशारा करके बताया. फिर हम दोनों के बीच मेसेज और मोबाइल पर बातो का सिलसिला चालू हो गया. तब मुझे पता चला, कि उसका नाम पिंकी था.

बड़ी सेक्स बम थी वो. क्या मस्त फिगर था ३४-२८-३४. उसके बूब्स देख के तो मन करता था कि बस उसको पकड़कर डायरेक्ट मुह से स्क़ुईज़ कर दू. बात करते-करते एक दिन मैंने उसको थोडा सा सेक्सी मेसेज सेंड कर दिया. पहले तो वो थोडा नाराज हुई, बट बाद मैं वो भी सेक्सी मेसेज में चैट करने लगी. एक दिन बात करते हुए, मैं उससे मोबाइल पर बात कर रहा था तो मैंने उससे कहा, मैं तुमसे मिलना चाहता हु. तो वो बोली - मिलके क्या करना है?

मैं तुमसे डेली बात करती हु ना, मुझे नहीं मिलना है. ये सुनकर मैं थोडा उदास हो गया. क्युकि, मैं उसकी सेक्सी बॉडी का जूस पीना चाहता था. मैंने भी हार नहीं मानी और कोशिश करता रहा. फाइनली, एकदिन मुझे सक्सेस मिल ही गयी. क्युकी समर में मंगो का सीजन होता है, तो मैंने एकदिन उससे कहा, कि मुझे तुम्हारे साथ मंगो के गार्डन में जा के मंगो खाने का दिल कर रहा है, तो वो बोली, कि इसमें क्या प्रॉब्लम है.

और कहा, कि अभी मेरे पास टाइम नहीं है. इसलिए इवनिंग में चलूंगी. ये सुनने के बाद मैं अपनी प्लानिंग बनाने लगा, कि कैसे उसकी चुदाई करनी है. क्युकि मैं ये चांस अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता था. जिस शाम का मुझे इंतज़ार था, वो आ गयी और मैं उसके साथ गाँव के बाहर थोड़ी दूर पर उसके मंगो के गार्डन में पहुच गया. चुकी शाम का टाइम था, इसलिए बाग़ में कोई नहीं था सिवाए मेरे और पिंकी के.

थोड़ी देर इधर-उधर की बातें करने के बाद, उसने कहा की जल्दी से बताओ, कि कौन सा वाला मंगो खाना है. तो मैंने कहा, जो तुम्हारे पास है. पहले तो वो समझ नहीं पायी; बट समझी तो थोडा सा शर्मा गयी और बोली - बहुत बदमाश हो. मैंने कहा, कि तुम्ही ने तो मुझे बदमाश बनाया है. तो वो बोली, कि मैंने क्या किया है? मैंने तो कुछ भी नहीं किया इस बारे में.

उसके पास गया और कहा, कि अगर कुछ नहीं किया है. तो आज कर लो ना. मैं तो तुम्हारे पास हु और मैंने उसकी गर्दन पर और गालो पर किस किया. वो थोड़ी सी नाराज़गी दिखाने लगी और बोली, कि ये क्या कर रहे हो. तो मैंने कहा कि मैं तुमसे प्यार करता हु. "आई लव यू", तो उसने भी हाँ में उत्तर दिया. फिर क्या था. मैंने तुरंत ही उसे अपनी बाहों में भर किया और पागलो की तरह किस करने लगा.

पहलों तो उसने कोई रेस्पोंस नहीं दिया. लेकिन, थोड़ी देर के बाद वो भी मेरा साथ देने लगी. किस करते-करते कब मेरे हाथ उसके बूब्स पर पहुच गये, मुझे पता भी नहीं चला. थोड़ी देर बाद, वो भी एक्साइट हो गयी और तब मैंने अपना एक हाथ उसके सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया. क्या बताऊ दोस्तों, कि उसकी चूत कितनी ज्यादा गरम थी. कुछ देर तक मैं ऐसे ही सहलाता रहा.

फिर मैंने उसको अपनी गोद में उठाया और गार्डन के दुसरे किनारे पर ले गया, जहाँ पर थोड़ी सी डार्कनेस थी. मैंने उसको वहां पर लिटा दिया और उसकी सलवार को खोल दिया. मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसको और उसकी चूत को किस कर रहा था. उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसकी पेंटी को निकाला और अपने पेनिस को उसकी चूत पर टच करते हुए एंटर करवाने लगा. बट मुझे सक्सेस नहीं मिल पा रही थी.

ये मेरा फर्स्ट सेक्स एक्सपीरियंस था. तो मैंने पिंकी से कहा, कि मेरे पेनिस को सही रास्ता दिखाओ. तो उसने अपने हाथ से मेरे पेनिस को पकड़ा और उसे अपनी चूत के निशाने पर रखा. धीरे से जोर लगाया, तो वो दर्द के मारे आवाज़ करने लगी. तो मैंने अपने हाथ से उसके मुह को बंद किया और एक बार फिर से जोर से धक्का मारा. जिससे मेरा आधा पेनिस उसकी चूत की गहराई में उतर चूका था. मैंने कुछ गरम-गरम सा अपने पेनिस पे महसूस किया.

मैंने अपने पेनिस को बाहर निकाला और उसे मोबाइल की लाइट में देखा, तो पता चला कि वो ब्लड था. तो मैं जान गया, कि पिंकी पूरी तरह से अनछुई वर्जिन थी. थोड़ी देर बाद, मैंने फिर से अपने पेनिस को अन्दर धकेला और उसकी चूत को पेलता रहा. पिंकी भी मस्त होके चुदाई का मजा ले रही थी. थोड़ी देर के बाद, हम दोनों एक साथ फुल ओर्ग्सम में पहुचे और अपना-अपना माल निकाल दिया.

फिर, जल्दी से हम दोनों ने अपने कपडे पहने और कुछ मंगो तोड़कर अपने साथ रखे और घर की ओर निकल पड़े. हम दोनों ही इस चुदाई से खुश थे और उसने मुझसे कहा, कि मैं अब जब भी गाँव आऊंगा, तब वो मुझसे मिलने जरुर आएगी. फिर उस दिन के बाद मैंने बहुत बार पिंकी की चुदाई की. बट अब उसकी शादी हो गयी है और वो अपने पति के साथ रहने लगी है. लेकिन जब भी वो गाँव आती है, तो मुझसे मिले बिना नहीं जाती है और वो मुझे अपना पहला पति कहती है.
 
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