चचेरी भाभी की चुत की सेवा का मौका

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आरव है, दिल्ली का रहने वाला हूँ।
मैं जाट हूँ और 24 वर्ष का हूँ 5’9″ हाइट है और स्लिम बॉडी है। मेरे लंड का साइज 7″ है।
मैं घर में रहकर अभी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ। यह कहानी मेरी और मेरी चचेरी भाभी के बीच की है। हमारा एक संयुक्त परिवार है।

बात उस समय की है जब मैं अपने बी.टेक के फाइनल ईयर में था। उस समय मेरी उम्र 21 वर्ष थी। मेरी फैमिली में 4 सदस्य है, मम्मी पापा बड़ा भाई और मैं। भाई की अभी शादी नहीं हुई है और वो बिजनेस करता है।
हमारे साथ हमारे चाचा भी रहते हैं। उनकी फैमिली में चाचा चाची और उनके दो बेटे हैं. बड़े वाले लड़के की शादी हो चुकी है और उसके एक दो साल की बेटी थी जो अब 5 साल की हो चुकी है। मेरी चचेरी भाभी बड़ी ही मस्त माल है, मैं शुरू से ही उसे चोदना चाहता था लेकिन शादी के 3 साल होने के बाद भी मुझे कोई मौका नहीं मिल पाया था। मैं बस हमेशा अपनी किस्मत को कोसता रहता था. वैसे तो मैं अपनी 3 गर्लफ्रेंड को चोद चुका था पर भाभी की तो बात ही कुछ और थी।
उनका फिगर 34-30-34 था गोल गोल चुच्चे, मस्त गांड और गोरा चिट्टा बदन। कुल मिलाकर वो मस्त माल थी।

कभी कभी मैं उन्हें चोरी छुपे नहाते हुए भी देखता था. मैं उनके गोल गोल चुच्चे का दीवाना था और उन्हें मुँह में लेकर चूसना चाहता था।

उनके पति एक शॉप के ओनर था तो सुबह से शाम तक बाहर ही रहते थे। मैं बस उनकी चुदाई की तलाश में था पर मौका नहीं मिल पा रहा था।
फिर मैंने एक प्लान बनाना शुरू किया, मैं धीरे धीरे भाभी के नज़दीक जाने लगा और उनसे बात करने के मौके तलाशने लगा, चूँकि मैं घर में सबसे छोटा था तो किसी को मुझ पर शक भी नहीं था तो मैं अब उनसे रोज बात करने लगा कभी छत पर तो कभी उनके रूम में जाकर।

भाभी भी अब मुझसे घुल मिल गई थी और वो भी अब खुद आकर मुझसे बात करती।

भाभी हमेशा डीप नैक के सूट पहनती थी जिसमें से उनके आधे चुच्चे साफ़ दिखाई देते थे. वो मेरे सामने कभी चुन्नी नहीं लेती थी क्योंकि वो मुझे अभी छोटा समझती थी और मैं उनके चुच्चे देखकर हमेशा अपनी आँखें सेकता रहता था। जब कभी वो नीचे बैठ कर सब्जी काटती तो मैं उनके चुच्चे को निहारता रहता था और एक बार तो मैंने उनके चुच्चों की फोटो भी ले ली थी और कई बार उसे देख कर मुठ भी मारी लेकिन मेरा अब मुठ मारने से काम नहीं चल रहा था तो मैं धीरे धीरे भाभी के सभी काम करने लगा और उनके लिए कभी कुछ तो कभी कुछ लाकर देता, जिससे भाभी बहुत खुश हो जाती. इससे मैंने उनके दिल में अपने लिए जगह बना ली थी।
अब भाभी भी मुझसे काफी फ्रैंक हो गई थी.

एक रात को जब मैं भाभी के साथ बैठकर बात कर रहा था तो मैंने अचानक उनसे पूछा कि भाभी शादी से पहले क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड था तो उन्होंने साफ़ साफ़ मना कर दिया.
मेरा तो दिल ही बैठ गया, इतने में मेरे मुँह से निकल गया कि कभी हमें भी सेवा का मौका देकर देखो.
भाभी ने यह सुन लिया और बोली- क्या बोला तूने?
मेरी तो गांड ही फट गई, लेकिन जब भाभी मेरी तरफ पीछे पलटी तो उनके चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल थी जो भाभी छुपाने की कोशिश कर रही थी। मैंने मौका देखकर भाभी का एक चूचा हल्के से दबा दिया तो भाभी थोड़ी नाराज हुई और अपने कमरे में चली गई जिससे मेरी गांड और ज्यादा फट गई और मैं भी अब नीचे आ गया।
सारी रात मुझे नींद नहीं आई यही सोचकर कि भाभी ये बात घर में न बता दे।

अगले दिन सब कुछ नार्मल रहा तो मेरी जान में जान आई।

अब भाभी मेरी तरफ देखकर थोड़ा स्माइल कर रही थी तो मुझे लगा कि रास्ता साफ है। शाम को जब घर में कोई नहीं था तो मैं मौका देखकर उनके पास चला गया। अब वो मुझसे बिल्कुल नार्मल बात कर रही थी तो मैं थोड़ा शरारत के मूड में आकर उन्हें छेड़ने लगा. वो भी मजाक में मुझे मारने लगी। अब मारने के बहाने से मैंने उनके चुच्चे को भी दबा दिया जिसका उन्होंने कोई विरोध नहीं किया।

अब मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गई तो मैंने उनका हाथ पकड़ कर मरोड़ दिया और उन्हें दीवार के सहारे लगा दिया और दूसरा हाथ धीरे से उनके चुच्चे पर रख दिया तो भाभी बोलने लगी- मुझे दर्द हो रहा है.
मैं धीरे धीरे अपने हाथ का दबाव बढ़ा रहा था तो अब भाभी को सब समझ में आ गया था, वो बोली- मुझे छोड़ और यहाँ से जा!

पर मेरे ऊपर वासना चढ़ चुकी थी तो मैंने उन्हें बेड पर गिरा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर उनके होंठों को चूमने लगा. पर भाभी मुझे चूमने नहीं दे रही थी।
इतने में किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी और मैं दरवाज़े पर देखने चला गया तो वह कोई कोरियर बॉय आया था जिस पर मुझे बहुत गुस्सा आया।
उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया। उसके बाद मेरी भाभी से कोई बात नहीं हुई।

अगले दिन भाभी मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी। मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बोला कि वो शाम को बताएंगी.
शाम होने पर वो मेरे रूम में आई और बोली कि भैया को उनकी शॉप में काफी दिनों से नुकसान हो रहा है जिसकी वजह से उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
तो मैंने उनसे पूछा कि मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ तो उन्होंने बोला कि उन्हें 5000 रूपए की जरूरत है क्योंकि उन्हें कुछ अर्जेंट सामान खरीदना है और वो मुझे पैसे बाद में लौटा देंगी।

मेरे दिमाग में आईडिया आया तो मैंने भाभी को कहा- मैं आपको पैसे बिना उधार ही दे दूंगा, आप चाहे तो उन्हें रख भी सकती है लेकिन बदले में आपको मेरी सेवा करनी पड़ेगी।
भाभी मेरी बात का मतलब समझ चुकी थी और हल्की सी स्माइल देकर बोली- उसके बारे में बाद में सोचेंगे।
मैं समझ गया था कि रास्ता साफ हो चुका है तो मैंने झट से अपनी अलमारी से उन्हें पैसे निकल कर दे दिए। चूँकि मैं कॉलेज में था तो मेरे पिताजी मुझे अच्छी पॉकेट मनी देते थे जिसके चलते मुझे पैसों की कोई दिक्कत नहीं होती थी।

मैंने पैसे उनके हाथ में पकड़ा दिए और एक आँख मार दी तो भाभी भी नॉटी स्माइल देकर वहाँ से चली गई।

अब मैं भाभी के रिस्पांस का इंतज़ार कर रहा था लेकिन दो दिन बीत गए और भाभी की तरफ से कोई रिस्पांस नहीं मिला, मुझे लगा मेरा चूतिया कट गया है।
अगले दिन में भाभी के पास गया और उनसे पूछा की मेरी सेवा कब होगी?
तो वो बोली- ये सब सही नहीं है, मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे लौटा दूंगी.

लेकिन मैंने बोला- मुझे पैसे नहीं चाहिए, मुझे तो बस सेवा चाहिए.
और यह बोल कर मैं वहां से आ गया।

अब मैं भाभी से बात नहीं कर रहा था और दो दिन निकल चुके थे तो शाम के टाइम भाभी का मेरे पास फ़ोन आया और बोली- मेरे रूम में आओ।
मैं काफी गुस्से में था तो मैं जाकर बोला- अब क्या काम है?
भाभी बोली- क्या बात है तुम मुझसे बात क्यों नहीं करते?
तो मैंने साफ़ साफ़ बोल दिया कि आपने मेरे साथ ठीक नहीं किया।

भाभी बोली- तुझे क्या चाहिए?
मैंने बोल दिया- मुझे तो आपकी सेवा चाहिए.
भाभी ने एक मिनट तक सोचा और बोली- ठीक है, कर लो जो करना है।

मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। उस समय घर पर भाभी के अलावा सिर्फ चाची थी जो बाथरूम में नहा रही थी। भाभी का रूम ऊपर छत पर था तो मुझे चाची के आने का कोई डर नहीं था तो मैं भाभी के पास गया और उनके होठों को चूमने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब मैंने धीरे से उनकी सलवार का नाड़ा पकड़कर खोलने लगा तो भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ?

तो उनका चेहरा शर्म से लाल हो चुका था। मैं समझ गया था कि उन्हें बहुत शर्म आ रही है.

मैंने उनका हाथ पकड़कर हटाया और एक झटके में नाड़ा खोल दिया। अब मैंने उनको हल्का सा धक्का दिया तो वो बेड पर लेट गई लेकिन अभी तक उनकी आँखें बंद थी। मैं उनकी सलवार को पकड़कर नीचे करने लगा तो उन्होंने अपनी गांड उठाकर सलवार निकलने में मेरी मदद की। उन्होंने ग्रे कलर की डिजाईन वाली पैंटी पहनी थी जो उनकी गोरी गोरी जांघों पर बहुत मस्त लग रही
थी।
अब मैंने धीरे से उनकी पैंटी भी उनके शरीर से अलग कर दी। उनकी चिकनी चूत बड़ी कमाल की दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि उन्होंने आज ही शेव की है। उनकी चूत एकदम गोरी थी और बीच में सावले रंग की दो पंखुड़ियाँ बहुत अच्छी लग रही थी। मेरा मन भाभी की चूत चाटने का कर रहा था लेकिन समय की नजाकत को देखते हुए मैंने ऐसा करना ठीक नहीं समझा।

भाभी की चूत में मैंने अपनी एक उंगली डाली जिससे वो सिहर उठी। उनकी चूत अभी तक बहुत टाइट थी क्योंकि उनकी बेटी आपरेशन से हुई थी। मैंने अपनी उंगली एक मिनट तक आगे पीछे की और समय न गंवाते हुए उनके ऊपर आ गया।

अब मैंने भाभी का शर्ट ऊपर किया और अपना हाथ पीछे करके ब्रा का हुक खोल दिया। अब उनके गोल गोल चुच्चे मेरी आँखों के सामने थे, मैं उन्हें चूसने लगा जिनमें से अभी भी थोड़ा थोड़ा दूध आ रहा था जो टेस्ट में थोड़ा मीठा सा था।

भाभी काफी गर्म हो चुकी थी। अब मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत पर सेट किया और हल्का सा धक्का लगाया तो लण्ड का टोपा अंदर चला गया। उनकी चूत काफी टाइट थी उसके बाद मैंने एक जोरदार धक्का लगाया जिससे उनके मुँह से ‘उऊई मैय्या!’ निकल गया।

भाभी ने आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा और बोली- तेरा बहुत बड़ा है, धीरे धीरे कर!
अब मैंने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के के साथ भाभी के चुच्चे भी ऊपर नीचे हो रहे थे जो बड़े मस्त लग रहे थे।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब मुझे चुदाई करने में बहुत मज़ा आ रहा था। ऐसा मज़ा मुझे अपनी किसी भी गर्लफ्रेंड के साथ अभी तक नहीं आया था। अब मैं जल्दी जल्दी कर रहा था क्योंकि मुझे चाची का भी डर लग रहा था कि कहीं वो बाथरूम से बाहर न आ जायें।

अब मैं भाभी के होठों को जोर जोर से चूस रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। जल्दी जल्दी में मैंने अपना पानी भाभी की चूत में ही निकल दिया और निढाल होकर उनके ऊपर गिर गया।
मैं उठा तो भाभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराई और बोली- बस देवर जी, इतना ही जोश था? इतनी सी ही सेवा चाहिए थी?
तो मैं बोला- सेवा तो दुबारा लूंगा आज तो थोड़ा जल्दी की वजह से मैंने अपना पानी निकाल दिया।

यह सुनकर भाभी ने मुझे एक जोरदार होठों पर किस किया और खड़ी हुई तो उनकी चूत से मेरा वीर्य बह रहा था, उन्होंने साइड में पड़े कपड़े से उसे साफ़ किया और अपने कपड़े पहनने लगी।
मैं भी जल्दी से अपने कपड़े पहन कर वहाँ से निकल आया। उसके बाद मैंने अगली बार भाभी को उन्हीं के कमरे में फुरसत से चोदा और उनकी चूत भी चाटी और भाभी को पूरे मजे दिए.

लेकिन मुझे कभी उनकी गांड मारने का अवसर नहीं मिला.

भाभी की चूत में अलग ही नशा है। भाभी मुझे हमेशा बोलती हैं- तेरे लण्ड में सच में बहुत जान है, जो एक बार इससे चुदाई करवा ले, वो इसकी दीवानी हो जाती है।
अभी तक मैंने भाभी को 17 बार चोदा है। अब भाभी प्रेग्नेंट है तो काफी टाइम से मुझे उनकी चूत नसीब नहीं हुई।

तो दोस्तो, यह थी मेरी और मेरी चचेरी भाभी की चुदाई की कहानी। उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी ये कहानी जरूर पसंद आई होगी।
 
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