चलो ना कहीं सेक्स करते हैं

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antarvasna, hindi sex kahani मैं बेंगलुरु का रहने वाला हूं मेरे ऑफिस में मेरा दोस्त मोहन भी काम करता है मोहन और मैं एक दूसरे को 3 वर्षों से जानते हैं मोहन से मेरी मुलाकात मेरे चाचा के घर पर हुई थी और उसके बाद उस से मेरी दोस्ती होने लगी। मोहन से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती है और वह बहुत अच्छा लड़का भी है हम दोनों को ऑफिस में काम करते हुए दो वर्ष हो चुके हैं। हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है क्योंकि मोहन का परिवार मेरे चाचा जी और उनके परिवार को अच्छी तरीके से जानता है और वह लोग एक दूसरे को कई वर्षों से जानते हैं। एक दिन मोहन मुझे कहने लगा कल हमारे घर पर एक छोटा सा प्रोग्राम हम लोगों ने रखा है तो तुम्हें भी मेरे साथ चलना होगा मैंने मोहन से कहा क्यों नहीं मैं तुम्हारे साथ जरूर चलूंगा। मैं मोहन के घर पर चला गया जब मैं मोहन के घर पर गया तो उसके आसपास के काफी लोग आए हुए थे मैंने मोहन से कहा तुम तो मुझे कह रहे थे कि छोटा सा प्रोग्राम है लेकिन यहां पर तो काफी ज्यादा भीड़ है।

मोहन कहने लगा तुम्हें तो मालूम है कि कॉलोनी में कोई भी प्रोग्राम करो तो भीड़ हो ही जाती है मैंने मोहन से कहा चलो कोई बात नहीं। मुझे मालूम पड़ा कि मोहन के पापा का रिटायरमेंट हो चुका है इसलिए उन लोगों ने अपने ही घर पर एक छोटा सा फंक्शन रखा था उन लोगों ने सारे कुछ अरेंजमेंट अपने घर की छत पर किया हुआ था। मोहन और मैं आपस में बात कर रहे थे तभी एक महिला हमारे पास आई और वह कहने लगी मैंने तुम्हें कहीं देखा है मोहन मेरी तरफ देखने लगा मैंने मोहन से पूछा कि यह महिला कौन है। उसने मुझे बताया की वह हमारे पड़ोस में ही रहती हैं लेकिन ना जाने उन्होंने ऐसा क्यों कहा कि वह मुझे जानती हैं। मैं तो इस बात से हैरान था की आंटी मुझे कैसे जानती है क्योंकि मैं उनसे कभी आज तक मिला ही नहीं था तभी मुझे मेरे चाचा जी भी दिखे वह भी उनके घर के फंक्शन में आए हुए थे। मैंने चाचा जी से कहा आजकल आप घर ही नहीं आ रहे हैं चाचा कहने लगे बेटा तुम्हें क्या बताऊं ऑफिस के काम में इतना बिजी हो जाता हूं कि अपने लिए भी समय नहीं मिल पाता। मैंने चाचा से कहा चलिए कोई बात नहीं चाचा मुझसे कहने लगे भैया कैसे हैं मैंने उन्हें कहा पापा तो अच्छे हैं।

उस पार्टी को हम लोगों ने काफी इंजॉय किया जब मैं घर आया तो मैंने इस बारे में सोचा था कि उस महिला ने ऐसा क्यों कहा कि उसने मुझे कहीं देखा है। इस बात को काफी समय हो चुका था और शायद मैं इस बात को भूल ही चुका था लेकिन एक दिन एक व्यक्ति मुझे मिले वह मुझे कहने लगे मैंने आपको कहीं देखा है। मैं फिर इस बात से चौक गया और मैं सोचने लगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है सब लोग मुझे कह रहे हैं कि हमने आपको कहीं देखा है। उसी दौरान मुझे एक लड़की मिली वह लड़की मुझे कहने लगी अरे सुरेश कैसे हो मैंने उसे कहा मेरा नाम सुरेश नहीं है मेरा नाम राघव है वह मुझे कहने लगी तुम क्या बात कर रहे हो तुम तो सुरेश ही हो। वह लड़की मानने को तैयार नहीं थी कि मैं सुरेश नहीं हूं लेकिन जब मोहन ने उस लड़की को समझाया कि यह मेरा दोस्त राघव है आपको कोई गलतफहमी हुई है तब वह कहने लगी आपकी शक्ल तो हुबहू सुरेश से मिलती है। मैंने उसे कहा ऐसा कैसे हो सकता है कोई व्यक्ति किसी की तरह एकदम कैसे दिख सकता है लेकिन वह मुझे कहने लगी आप बिल्कुल उसी की तरह दिखते हैं। उसने मुझे जब सुरेश की तस्वीर दिखाई तो मैं भी इस बात से चौक गया मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार मेरे साथ हो क्या रहा है लेकिन इस बात से मैं भी बहुत हैरान था की आखिरकार मेरी शक्ल का कोई व्यक्ति कैसे हो सकता है। मैंने उस लड़की का नंबर ले लिया था और उसे मैंने कहा कि यदि मुझे कभी तुम्हारी जरूरत होगी तो मैं तुम्हें जरूर फोन करूंगा वह मुझे कहने लगी हां ठीक है तुम मुझे जरुर फोन करना। उस लड़की का नाम शोभिता है मेरी शोभिता से फोन पर कई बार बात होती रहती थी मैंने उसे कहा क्या तुम मेरी मुलाकात सुरेश से करवा सकती हो फिर उसने मुझे सुरेश से मिलवाया।

जब मैं सुरेश से मिला तो काफी हद तक हम दोनों की शक्ल एक दूसरे से मिलती थी मैंने जब उसको देखा तो मैं पूरी तरीके से चौक गया कि वह बिल्कुल मेरी तरह ही दिखता है। उसकी कद काठी बिल्कुल मेरे जैसी ही थी और दिखने में भी लगभग वह मेंरे जैसे ही था मुझे सुरेश से मिलकर अच्छा लगा और हम दोनों के बीच दोस्ती हो गयी। हम दोनों उसके बाद कम ही बार मिले मेरे और शोभिता के बीच सुरेश की वजह से शायद नज़दीकियां पैदा होने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे। हालांकि सुरेश कोलकाता का रहने वाला है लेकिन वह काफी वर्षों से बेंगलुरु में रह रहा है और उसकी शोभिता के साथ काफी अच्छी दोस्ती है। अब शोभिता और मेरी नजदीकियां बढ़ चुकी थी तो हम दोनों एक साथ अपना समय बिताया करते। शोभिता भी एक अच्छी कंपनी में जॉब करती है और वह मुझे बहुत पसंद करने लगी थी मैंने शोभिता को अपने परिवार वालों से मिलवाया तो उन्हें भी शोभिता बहुत पसंद आई। शोभिता का नेचर और उसका व्यवहार काफी अच्छा है मेरी मम्मी और पिता जी तो शोभिता को अपनी बहु बनाने के लिए तैयार हो चुके थे वह हमेशा मुझे कहते कि शोभिता हमारे घर की बहू बन जाएगी तो कितना अच्छा होगा। मेरी मम्मी शोभिता से बहुत ज्यादा प्रभावित हो चुकी थी और उसे वह घर की बहू बनाना चाहती थी मैं और मोहन ऑफिस में जब लंच के समय फ्री होते तो वह मुझसे शोभिता के बारे में पूछा करता था। मैं उसे शोभिता के बारे में बताया करता क्योंकि मोहन मेरा दोस्त है इसलिए वह चाहता था कि मैं शोभिता के साथ जल्द से जल्द शादी कर लूँ।

मैंने उसे कहा मैं शोभिता से कुछ समय बाद शादी करने के बारे में सोच रहा हूं लेकिन अभी मुझे थोड़ा समय चाहिए। जब मैंने यह बात मोहन से कहीं तो मोहन कहने लगा तुम शोभिता से शादी कर लो क्योंकि तुम्हें उस जैसी लड़की नहीं मिल पाएगी वह तुम्हारा बहुत ध्यान रखेगी और मुझे मालूम है कि वह तुमसे बहुत प्यार भी करती है। मैं जब शोभिता को कुछ दिनों बाद मिला तो मैंने शोभिता से कहा की मोहन कह रहा था कि तुम शोभिता से शादी कर लो तो वह मुस्कुराने लगी। वह कहने लगी इतनी भी जल्दी क्या है हम दोनों थोड़ा समय लेते हैं ताकि एक दूसरे को अच्छे से पहचान सके। एक दूसरे के साथ जब हम दोनों समय बिताएंगे तो एक दूसरे को हम लोग जान पाएंगे मैंने शोभिता से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो। हम दोनों ने थोड़ा समय और लिया क्योंकि शोभिता चाहती थी कि हम दोनों कुछ समय और साथ में बिताएं ताकि हम दोनों एक दूसरे के बारे में और भी चीजें जान सके। सुरेश भी मुझे कभी कभार मिल जाया करता था क्योंकि वह भी अपने काम में बिजी रहता था इसलिए उससे मेरी मुलाकात काफी कम हुआ करती थी लेकिन जब भी हम लोग मिलते तो सब लोग हमें जुड़वा भाई समझा करते थे। शोभिता को मेरे नजदीक लाने में कहीं ना कहीं सुरेश का ही हाथ है यदि वह मेरा साथ नहीं देता तो शायद शोभिता से मेरी नजदीकियां नहीं बढ़ पाती और उससे मेरा रिलेशन नहीं चल पाता। शोभिता और मैं एक दूसरे को अक्सर मिला करते थे एक दिन मै शोभिता को मिला तो वह मुझे कहने लगी आज तुम बड़े खुश नजर आ रहे हो।

मैंने उसे कहा हां मेरी खुशी का कारण तुम ही हो क्योंकि आज मैंने तुम्हारे बारे में सोचा तो मुझे लगा जब से तुम मेरे जीवन में आई हो तब से मेरा जीवन पूरी तरीके से बदल चुका है और मैं बहुत खुश हूं। मैने शोभिता का हाथ पकड़ लिया जब मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वह मुझे कहने लगी मैं भी तुम्हारे साथ रिलेशन में खुश हूं। हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत खुश हैं जब मैंने शोभिता से कहा मुझे तुम्हारे साथ अकेले में समय बिताना है तो वह समझ गई और कहने लगी अकेले में हम दोनों क्या करेंगे। मैंने उसे कहा क्या मेरा इतना अधिकार भी तुम पर नहीं है कि हम दोनों अकेले में समय बिता पाए। वह मुझे कहने लगी ठीक है हम लोग कहां चले मैं उसे अपने घर पर ले आया करीब आधे घंटे तक हम दोनों बात करते रहे लेकिन मैंने जैसे ही शोभिता की जांघ को सहलाना शुरू किया तो वह मचलने लगी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और शोभिता ने उसे अपने हाथों में ले लिया उसने जैसे ही अपने मुंह के अंदर मेरे लंड को लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मेरे अंदर एक अलग ही जोश पैदा होने लगा मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगा।

मैं बहुत ज्यादा खुश था मैंने शोभिता की योनि को चाटना शुरू किया तो उसके अंदर और भी ज्यादा उत्तेजना जागने लगी। मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा किया और उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया मेरा लंड उसकी योनि में जाते ही वह मचलने लगी और उसके मुंह से चीख निकली। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर बाहर करना शुरू किया वह मुझे कहने लगी राघव मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैं उसे लगातार तेजी से धक्के देता जा रहा था वह पूरी तरीके से जोश मे आ जाती जब वह झडने वाली थी तो उसने अपनी योनि को टाइट कर लिया और मुझे अपने पैरों के बीच में जकड लिया मैं हिल भी नहीं पा रहा था लेकिन मैंने उसे बड़ी तेजी से धक्के दिए। मैं उसे इतनी तेजी से धक्के मारता की मेरा वीर्य उसकी योनि में बड़ी तेजी से गिरा जैसे ही मेरा वीर्य उसकी योनि में गिरा तो उसे बड़ा मजा आया। हम दोनों ही एक दूसरे के साथ संभोग कर के खुश है मैंने जब भी शोभिता की चूत की कल्पना करता तो मुझे बड़ा अच्छा लगता। मैंने उसकी चूत पहली बार बडे ही अच्छे से मारी और उसकी चूत का भोसडा बना दिया था।
 
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