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we mayसभी पाठकगण को रश्मि की ओर से नमस्कार। आज मै आपके सामने अपनी एक और आपबीती रखने जा रही हूं। आशा करती हूं, की आपको यह कहानी पसंद आएगी मुझे ऑफिस में चौकीदार रमेश ने बहुत बार बॉस के साथ देखा था, और उसे शायद पता भी था हमारे बीच के सेक्स सम्बंधों के बारे में।

लेकिन मैने कभी नही सोचा था कि, उसकी इतनी हिम्मत होगी की वो इस बारे में आकर मुझसे कुछ कहे। रमेश एक हट्टा-कट्टा नौजवान मर्द है, जिसे देखकर मन डोलने लगे। कसरती शरीर, चौडा सीना और उसकी आँखों मे जादू था, जो किसी भी लडकी को उसकी ओर आकर्षित कर सकता था।

काम के सिलसिले में मै बॉस के साथ लखनऊ गई थी।जहां बॉस और मैने काफी मजे किए। लखनऊ से वापस आने के बाद कुछ दिन बॉस ने छुट्टी ले ली। तो एक दिन मै अब अपना काम खत्म करके ऑफिस से निकलने वाली ही थी कि, रमेश अंदर आ पहुंचा। वो रोज इसी समय पर अंदर आता था, तो मैने ज्यादा ध्यान न देते हुए कहा, "बस ५ मिनट और लगेंगे।"
वो फिर मेरे पास आकर रुक गया। मेरा काम खत्म होते ही मै निकलने लगी तो उसने पीछे से मेरे चुतड़ों पर हाथ फेरकर उन्हें दबा दिया। इससे मै गुस्सा हो गई, मैने कभी नही सोचा था की, इसकी इतनी हिम्मत होगी। मैने उसकी तरफ मुडकर उसे एक थप्पड मारने के लिए हाथ उठाया; लेकिन उसने मेरा हाथ पकड लिया। और हाथ पकडकर अपनी तरफ खींच दिया।
उसके ऐसे अचानक खींचने से मै जाकर सीधा उसके शरीर पे गिर गई। रमेश एक भी मौका छोडना नही चाहता था, उसने इसी मौके का फायदा उठाते हुए मुझे जोर से गले लगा लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर फिर से मेरे चूतड दबा दिए। अब तो जैसे मेरा गुस्सा सांतवे आसमान पर था, मैने उसे जोर से चिल्लाकर ऊंची आवाज में बात करते हुए कहा, "तुम नही जानते इसका अंजाम क्या होगा? बॉस को आने दो, फिर तुम्हे पता चलेगा।"
पता नही मै गुस्से में और भी क्या क्या कहने लगी थी। लेकिन वो था कि, मुझे छोडने की बजाय और अपने से चिपकाए जा रहा था। मेरी लाख कोशिशों के बावजूद मै उसकी मजबूत पकड से नही छूट पाई। आखिर में मैने हार मानकर उससे कहा, "तुम मुझसे क्या चाहते हो? क्यूं ऐसा कर रहे हो मेरे साथ?"
तो उसने मुझे छोडते हुए अपना फोन निकाल लिया और उसमें एक वीडियो चला दिया। वो वीडियो मुझे दिखाते हुए कहने लगा, "यही करना चाहता हूं मै भी तुम्हारे साथ।"
उस वीडियो में मै और बॉस थे, और मै मजे से बॉस का लंड चूस रही थी। यह वीडियो देखकर मै एकदम से घबरा गई, मेरी हालत तो भीगी बिल्ली की तरह हो गई थी कि, काटो तो खून नही। एक पल को तो मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, मै क्या करूं ? लेकिन अगले ही पल मै रमेश के सामने गिडगिडाने लगी कि, प्लीज इसे डिलीट कर दो। लेकिन वह टस से मस नही हुआ था। फिर उसने कहा, "तुम्हे पहली बार देखते ही मै समझ गया था, तो तबसे तुम पर नजर रखे हूं। आज बहुत मुश्किल से हाथ लगी हो, ऐसे तो छोडने से रहा।"
मैने उसे समझाते हुए कहा, "मै वैसी लडकी नही हूं, ये वीडियो कहीं किसी ने देख लिया, तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।"
यह सुनते ही रमेश के चेहरे पे विजयी मुस्कान आ गई। और वो बोलने लगा, "तुम भी अगर मेरा साथ दोगी, तो बाहर किसी को कुछ पता नही चलेगा। बदनामी भी नही होगी और तुम भी मजे करोगी।"
अब मेरे पास दूसरा कोई रास्ता नही था। और अब मै भी समझ चुकी थी, यह मुझे चोदे बिना मानने वाला है नही। तो मै भी अब अपना मन बनाने लगी थी। वैसे मै भी यही चाहती थी, लेकिन बदनामी से डर रही थी। उसकी बात सुनने के बाद मैंने अपनी आंखें नीचे झुका ली और शांत खडी रही।
उसने इसी को मेरी हां मानकर मेरे और पास आ गया। मेरे पास आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपनी तरफ खींच लिया। और एक हाथ मेरे बालों में घुसाकर मेरे बंधे हुए बालों को खुला कर दिया। फिर मेरे बालों को पकडकर मेरे सर को अपनी तरफ ले लिया और मेरे नाजुक कोमल से होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वो मेरे होठों को चुम कम चूस और काट ज्यादा रहा था।
किस शुरू करने के बाद वह रुकने का नाम ही नही ले रहा था। पांच-छह मिनट के बाद मैने ही उसे अपने से दूर धकेल कर अलग करते हुए कहा, "रमेश आज मुझे जाने दो, अब बहुत लेट हो गया है। तुम्हे मेरे साथ जो करना है, कल कर लेना।"
लेकिन वह कुछ सुनने के मूड में कहां था। वह तो बस अपने मे ही मस्त लगा था। उसने मुझे फिर से अपने पास खींचते हुए चूमना चालू कर दिया। वह बहुत ही जोर जोर से मेरे होठों को चूस रहा था, जिससे बहुत जल्द ही वह दर्द करने लगे थे। होठों के बाद उसने मेरे चेहरे पे ऐसी एक भी जगह नही छोडी जहां उसने किस ना किया हो। कोई भी जगह नही बची थी, जहां उसने काट खाया न हो। मेरा पूरा चेहरा उसके चूसने और काटने से लाल पड गया था।
चेहरे के बाद फिर उसने पहले तो मुझे घुमा दिया, जिससे मेरी पीठ उसके सामने आ गई। फिर रमेश ने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पे रखकर मेरे आमों को मसलना शुरू कर दिया। यह सब वो बहुत जोर जोर से कर रहा था, जिससे मुझे एक अजीब सा दर्द हो रहा था। लेकिन मजा भी बहुत ज्यादा आ रहा था, तो मै भी उसका साथ दे रही थी।
वो मेरे स्तनों को मसलते हुए अपना लंड मेरी गांड की दरार में रगड रहा था और अपने होठों से मेरी गर्दन पर चुम रहा था। चूमते चूमते पता नही उसने न जाने कितनी बार मेरी गर्दन पे काटा, जिससे मेरे मुंह से एक आह निकल जाती थी। उसके इस तरह मुझे छूने से, सहलाने से, मसलने से मुझ पर एक अलग ही नशा सा छाने लगा था। फिर उसने अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को अपनी हथेली में भींच लिया। उसके मेरी चुत को इस तरह सहलाने से भी मुझे एक अलग ही अहसास की अनुभूती हो रही थी।
फिर उसने मुझे एक झटके से अलग करके टेबल पर बिठा दिया और मेरी कमीज को उतारने के लिए नीचे से उसे उठाने लगा। अब तक तो मै भी मस्त हो चुकी थी, लेकिन थोडा विरोध तो करना ही था। तो मैने उससे कहा, "जो करना है, ऊपर से ही करो। कोई आ गया तो गडबड हो जाएगी।"
उसने कहा, "टेंशन ना ले, आते वक्त मैं गेट को अंदर से लॉक करके आया हूँ। तो अंदर कोई नही आ सकता।"
और इतना कहकर उसने मेरी कमीज कंधो तक उठा दी, जिससे मुझे हाथ उठाकर उसकी सहायता करनी थी। मेरे हाथ उठाते ही उसने कमीज को निकालकर साइड में रख दिया और एक भूखे शेर की तरह मेरे आमों को देखने लगा। उसको ऐसा घूरते हुए देखकर मै बोल पडी, "अब सिर्फ देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?"
इस पर जैसे उसकी नींद खुली, उसने हंसकर मेरी तरफ देखा और फिर सीधा मेरे स्तनों के ऊपर से ब्रा को भी हटाकर अपना मुंह लगा दिया। रमेश ने ब्रा को निकाला नही था, बस उसके कप को उठाकर स्तनों के ऊपर कर दिया और नीचे से स्तनों को बाहर निकाल दिया। अब रमेश मस्त होकर मेरे स्तनों को चूस रहा था, और तभी उसने थोडी देर बाद अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया, जिससे ब्रा नीचे गिरकर हम दोनों के बीच आ गई। रमेश ने ब्रा को भी मेरी कमीज के पास रख दिया और फिर से स्तनों को मसलने लगा।
थोडी देर बाद उसने मुझे टेबल से उठाया और खुद अपनी पैंट निकाल दी। पैंट निकालते ही अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लंड का साइज साफ पता चल रहा था। वह अपने पूरे जोश में था। उसने फिर मुझे पकडकर नीचे को बिठाया, जिसका मतलब मै समझ गई। मैने नीचे बैठते हुए पहले अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को अच्छे से सहलाते हुए नाप लिया। और फिर उसके अंडरवियर को एक झटके में नीचे खिसकाकर लंड को आजाद कर दिया।
अंडरवियर को नीचे खिसकाते ही रमेश का लंड एक झटके के साथ बाहर निकल आया और हवा में लहराने लगा। उसका लंड बहुत बडा था, बॉस के लंड से लम्बा भी था। फिर मैंने धीरे से पहले उसके लंड को हाथ मे पकडकर सहलाया। उसका लंड करीब ८ इंच का होगा। सहलाते हुए उसके अग्रभाग पर मैने एक चुम्मा दे दिया, जिससे उसका लंड और उछलने लगा।

आपको यह कहानी कैसी लगी, यह जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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