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हेलो फ्रेंड, मेरा नाम हितेश है और मैं रोहतक हरियाणा का रहने वाला हु. मेरी हाइट ५.१० इंच है और कोई भी लड़की एक बार मुझे देख ले, तो सोचने को मजबूर हो जाती है और अब मैं आप को बोर ना करते हुए, सीधे कहानी पर आता हु. बात आज से एक साल पहले की है, जब मैं नया - नया दिल्ली आया था. मेरी जॉब दिल्ली में विकासपुरी में एक कॉल सेण्टर में थी. मेरी जॉब के ट्रेनिंग टाइम के दौरान, एक लड़की श्वेता जिसकी फिगर ३४-२८-३४ होगी, मेरी मस्त दोस्त बन गयी. शुरुवात में तो, मुझसे उससे बात करने में थोडा अजीब लगता था, पर जैसे - जैसे वक्त बीतता गया, हम अच्छे दोस्त बन गये. वो दिल्ली एक पेइंग गेस्ट में रहती थी. धीरे - धीरे हमने एक दुसरे से अपने फ़ोन नम्बर एक्सचेंज कर लिए और हम फ़ोन पर बात करने लगे थे. कॉल सेण्टर में ज्यादा एक - दुसरे से बात करना एलाऊ नहीं था. एक दिन हमारे मेनेजर ने उसे डाट दिया और वो रोने लगी. थोड़ी देर बाद, मैं उसके पास गया और उसे चुप करवाया और बोला, कि मैं तेरी हेल्प करू? और वो इस बात से बहुत खुश हुई और हम पास - पास बैठने लगे. हम और भी अच्छे दोस्त बन गये थे और हम दोनों हर बात शेयर करने लगे. हमारा मेनेजर हमारे काम से बहुत खुश था.

एक महीने बाद, मेरी और उसकी पहली सैलरी आई. वो और मैं बहुत खुश थे. मैंने उसे बोला, मुझे पार्टी कब दे रहे हो? तो उसने बिना शर्माए बोला, जब आपका मन करे, तब ले लेना. वैसे भी, आपने मेरी बहुत हेल्प करी है. हमने सैटरडे का दिन फ़ाइनल किया. क्योंकि सन्डे को हमारी छुट्टी होती है. सैटरडे को वो और मैं एक साथ ऑफिस से बाहर निकले और ग्रामीण सेवा पकड़ कर, मेरे फ्लैट पर चल दिए. रास्ते में, मैंने पूछा - कुछ ड्रिंक लेना पसंद करोगी? उसने बोला - हाँ, थोड़ी वोडका ले लुंगी. मैंने रास्ते से एक बोटेल वोडका और कुछ खाने का सामान लिया और मेरा फ्लैट पर चल दिए. वहां जाकर, हमने २-२ पेग लिए और बातें करने लगे और उसने मुझे हेल्प करने के लिए थैंक्स बोला. वो बात करते - करते रोने लगी और बोली - अगर, आप नहीं होते. ये जॉब नहीं होती मेरे पास. मैंने उसे चुप करवाया. उसके आंसू पूछे और वो एकदम सा मेरे गले लग गयी. उसकी चूची मेरी छाती पर लगने लगी. पहले मुझे कुछ अजीब सा लगा. फिर बाद में, मुझे भी मज़ा आने लगा. मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पा घुमाने लगा और उसे समझाने लगा. मेरा ऐसा करने से शायद वो गरम हो गयी थी.

उसने एकदम से मेरे होठो पर किस किया और बोला - हितेश अब मुझे छोड़ कर कहीं मत जाना. मैं आपके बिना नहीं रह पाऊँगी. फिर उसने मुझे दोबारा किस करना शुरू कर दिया. मैं भी किस कर रहा था. मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए थे. फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मुझे नीचे लिटा दिया और वो मेरे ऊपर आ गयी. वो मुझे किसी झल्ली की तरह मस्ती में किस कर रही थी. अब मैंने भी उसकी शर्ट उतार दी. वो अब सफ़ेद रंग की ब्रा और नील रंग की पेंटी में थी. हम दोनों पर वोडका और सेक्स का जोश चड़ा हुआ था. थोड़ी ही देर में हम दोनों, बिलकुल नंगे थे और एक दुसरे की बाहों में झूल रहे थे. उसने मेरा लौड़ा मेरे मुह में ले लिया और उसको चूसने लगी. मैंने तो मानो सातवे आसमान पर था. फिर मैंने उसे बोला - मेरा निकलने वाला है. पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा और २-३ मिनट बाद, मेरा पूरा पानी उसके मुह में निकल गया. जिसे वो पूरा का पूरा पी गयी. अब मैंने उसे नीचे लिटा कर, उसकी चूत को चुसना शुरू कर दिया. मुझे उसकी चूत में से बड़ी गन्दी बदबू आ रही थी. पर फिर भी, मैं उसकी चूत चूस रहा था. कभी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल देता, तो कभी उसकी गांड में और वो भी मस्ती भरी सिसकिया ले रही थी. वो अपने हाथो से मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी.

फिर कुछ ही देर में, उसका पानी निकल गया. अब हम ६९ अवस्था में आ चुके थे. मेरा ;लौड़ा फिर से सलामी दे रहा था और श्वेता भी गरम हो चुकी थी. अब उसने बोला - हितेश अब नहीं रहा जा रहा है. डाल दो अपना लौड़ा मेरी चूत में. मैंने भी सही मौका देखते ही, अपना लौड़ा उसकी चूत में मुह पर लगा दिया. उसकी चूत का छेद काफी छोटा था. जिसकी वजह से मेरा लंड बार - बार फिसल जाता था. अब मेरा लौड़ा बार - बार उसकी चूत पर लगाने से वो और भी गरम हो गयी. फिर उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया. मैंने भी जोरदार धक्का मारा और आधा लौड़ा उसकी चूत में घुसा दिया. वो एकदम से चीख पड़ी. मैंने उसके मुह पर अपना हाथ रख दिया. वो रोने लगी और मुझसे छुटने की नाकाम कोशिश करने लगी. थोड़ी देर बाद, जब उसका दर्द कम हुआ. मैंने एक और जोरदार धक्का मारा और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया. वो दर्द के मारे रोने लगी थी. पर कुछ ही देर में, वो चूत उठा - उठा कर मेरा साथ देने लगी. अब चेहरे पर आंसू और मुस्कान होने थे. मुझे बड़ा मजा रहा था उसे चोदने में. मैं उसे चोदते हुए, कभी किस करता, तो कभी उसके बूब्स दबाता. वो २ बार झड़ चुकी थी.

२० मिनट की चुदाई के बाद, मेरा भी पानी निकलने वाला था. तो मैंने उसे बोला, मेरा तो होने वाला है. कहाँ निकालू? तो उसने बोला - अन्दर ही निकाल दे. मैं आई - पिल ले लुंगी. फिर मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया. जब मैंने लौड़ा उसकी चूत से बाहर निकाला. तो देखा, मेरे लंड पर खून लगा हुआ था. उसकी चूत सूज कर फूल चुकी थी. हम दोनों नहाने चले गये. श्वेता से चला भी नहीं जा रहा था. मैं उसे अपनी गोद में उठा कर वाशरूम तक ले गया और वहां फिर हम दोनों एक साथ नहाये. फिर मैंने दोनों ने मिलकर खाना बनाया. हम दोनों बिलकुल नंगे थे. हमने फिर से २-२ पेग वोडका के मारे और खाना खाया. खाने के बाद, एक बार फिर से हम चुदाई के लिए तैयार थे. मैंने अपने लौड़े को उसके मुह में घुसा दिया और वो मेरे लौड़े को चूसने लगी. फिर, मैंने अपने लौड़े को उसके शरीर पर घुमाना शुरू किया और मेरा लंड उसके मुह से चल कर, उसके बूब्स से होता हुआ, उसकी सूजी हुई चूत तक पहुच गया. मैंने उसे फिर घोड़ी बनाया और पीछे से लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

अब वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी. मैंने अब उसे चोदते हुए, अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाल दी. वो मजे लेकर चुदवा रही थी और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकल गया. उसने मुझे लौड़ा बाहर निकालने को बोला. मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाला और उसकी गांड में डालने की कोशिश की. पर उसकी गांड बहुत टाइट थी. उसने कहा - पीछे वाला नहीं, बहुत टाइट है. मैं मान गया और फिर मैंने क्रीम ली और अपनी लंड को और उसकी गांड को क्रीम से लेप लिया और फिर मेरा लंड उसकी गांड में आराम से चले गया. फिर, मैंने उसकी गांड को रौंदते हुए, उसके छेद को अपने माल से भर दिया. फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गये.
 
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