झोपडी हिलाई सांवली चुत के साथ

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नमस्कार दोस्तों,

मैं राजू आज आपको चुन्कक्का नाम की तेलुगु लड़की की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ और उसकी गज़ब की निराली चुत की खानी आपको खूब पसंद आयगी | अमिन अक्सर ही किसी काम से तेलुगु लोगों के मौहल में आ जाया करता था जिसके दौरान मेरी जान - पहचान वहाँ के कसबे में रहने वाले तेलुगु लोगों से होती चली गयी और खासकर एक जवान घुबरे हुए चुचों वाली लड़की जिसका नाम चुन्कक्का था और वो व्यवार से अपने बहुत ही चंचल थी | उसे हिंदी नहीं आती थी और मुझे तेलुगु नहीं आती थी इसीलिए हम इशारों में बात करते हुए एक दूसरे को हिंदी और तेलुगु सीखाने का प्रयत्न करते रहते थे |

वो बहुत ही मस्तानी थी और जब कभी मैं उसका मजाक उड़ाता तो वो मुझे हल्क्से से अपने हाथ से मारा करती जिसपर मैं गरमा जाया करता और उसे भी इसी बहाने छू लिया करता | एक दिन दोपहरी को हम उसके छोटी से झोपडी के नादर यूँही मस्ती कर रहे थे जिसपर जैसे ही उसने मुझे अपने हाथस इ मारा तो मैंने उसके हाथ को चूम लिया और वो शांत ही बनी रही रही जिसपर मैंने उसके घुरीले बालों को संवारते हुए उसे वहीँ लेटकर चूमना शुरू कर दिया | मैंने अब अपने सारे कपड़े खोलते हुए उसके कमीज़ और घागरे को उतारते हुए उसे उसकी पैंटी को भी उतार फेंका जिसपर उसने मेरा कतई भी विरोध ना किया |

मेरा हौंसला बढ़ने लगा तो मैंने अपना लंड उसके हाथ में दे दिया जिसे वो मसलकर थूक लगा अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगी | मैंने वहीँ अबउसकी जाँघों को चुमते हुए खोल दिया और वहीँ अपने लंड को भी मसलते हुए खड़ा करने लगा और अब उसकी चुचियों केरस पीते हुए अपने लंड को नीचे उसकी जाँघों पर मलना शुरू कर दिया | मेरा लंड अब उसकी गीली चुत में अपनी जगह बनाते हुए अंदर को जा रहा था और वो भी उस मज़े का मस्त में आनंद ले रही थी | मैंने अब अपने आप को और जोश में लेट उसकी चुत में पागलों में माफिक पने लंड को रौंधाना शुरू कर दिया जिसपर इधर - उधर अपने पॉंव को झटक रही थी और इस बेदर्दी को मैंने उसके चुचों को चूसते हुए शांत कर रहा था |

हम बेचैन हुए थे तो मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी जिसपर अब उसे दर्द और वासना का भुत बढ़ता ही जा रहा था पर वो किसी भी तरह से चुदाई के मौहोल से अपने आपको बचाना नहीं चाहती थी और चाहती भी तो मैं उसे नहीं छोड़ने वाला नहीं था | मैंने उसके अब एक जांघ और कुछ चौड़ा दिया और उसकी चुत में थाप्प्प थाप्प्प करके भारी भारी झटके देने लगा जिससे चुदाई का मज़ा और आनंदित होता चला गया और वो अपनी कमर को को थामे हुए थी | हमारे झटकों से मनो अप पूरी झोपडी ही हिल रही थी और मैंने आखिर के झटकों में अपने मुठ को उस तेलुगु सांवली चुत पर ही छोड़ दिया और वो वो ठंडी बरतते हुए उसे अपनी चुत पर ही मसलने लगी |
 
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