ट्रेन का सफ़र पिछले सात सालों में मेरे लिए बहुत फायदेमंद रहा हैं. पहले तो मैंने एक हॉट मारवाड़ी भाभी को बेंगलोर जाते हुए चोदा था और फिर एक आंटी ने एसी कोच में मुझे ब्लोजोब भी दिया था. लेकिन आज की कहानी एक गे सेक्स सबंध पर आधारित हैं. जी नहीं मैं गे नहीं हूँ लेकिन भूख लगे तो कभी कभी वेज खा लेता हूँ. यह बात तब बनी जब मैं पुणे से दिल्ली जा रहा था. ट्रेन में एक पतले गुजराती लड़के के साथ यह गे सेक्स हुआ था. चलिए अब आप को ट्रेन के वही डिब्बे में ले चलूँ जहाँ उस वक्त हम दोनों थे.
ट्रेन का चिकना लड़का
हिलती हुई ट्रेन में मैंने अपना इंडिया टुडे निकाल के पढ़ना चालु किया. पुणे से निकले हुए एक घंटा हो चूका था और बिच में ट्रेन ने आलरेडी दो स्टॉप कर लिए थे. हालांकि मैं लॉन्ग जर्नी करता हूँ लेकिन मेरे पास कभी ज्यादा सामान नहीं होता हैं. मैगज़ीन को पढ़ते पढ़ते पता ही नहीं चला की कब अगला स्टेशन भी आ गया. मेरे पास साइड लोवर बर्थ थी. अगले स्टेशन पर ट्रेन में एक जवान लड़का चढ़ा जिसके पास कुछ 3-4 बेग्स थी. वो दिखने में हल्का गोरा और एकदम पतला था. उसकी हिंदी बता देती थी की वो एक गुज्जू था. सामान चढाने के लिए उसके साथ दो नौकर थे शायद. उसने सामान रख के मेरी और देखा और फिर मेरे सामने की ही विंडो सिट पर बैठ गया. उसकी सिट साइड अपर थी.
हाई, मैं अनिकेत हूँ अहमदाबाद से.
ओह हल्लो, मैं गुलाबचंद ठाकुर, पुणे से.
आप कहा जा रहे हो?
जी मैं दिल्ली जा रहा हूँ.
फिर तो अच्छा हैं मेरे लिए, पूरी जर्नी की कम्पनी मिल गई.
वो भी दिल्ली जा रहा था और उसने बातों बातों में मुझे बताया की वो मोबाइल के स्पैर पार्ट्स का काम करता हैं. उसके सामान में वही चीजें भरी हुई थी. उसके साथ मैंने वेरियस टोपिक्स में बातें की और बातों के इस धमासान में पता ही नहीं चला की कब शाम हो गई. खाने का ऑर्डर भी हम लोगों से साथ ही दिया. उसने भी मेरी तरह वेज मंगवाया.
खाने के बाद मुझे सिगरेट की तलब लगी और मैंने उसे कहा की मैं साइड में दरवाजे के पास सिगरेट पी के आता हूँ. उसने मुझे कहा की वो भी सिगरेट पी लूँगा साथ में.
हम दोनों ही दरवाजे के पास खड़े सिगरेट निकाल के पिने लगे. समर का टाइम था इसलिए खुले दरवाजे पे भी किसी को कोई एतराज नहीं था. अनिकेत के पास गोल्ड फ्लेक किंग ही था. सिगरेट के कस खींचते खींचते मैंने कहा, साला ट्रेन में जैसे सब मरे पड़े हैं. एकाद आंटी या भाभी होती तो मजा आ जाता.
अनिकेत कुछ नहीं बोला वो सिर्फ हंसा.
मैंने उसे देख के कहा, सही कहा ना मैंने?
अनिकेत ने कहा, आंटी या भाभी होती तो क्या होता?
मैंने उसे अपना ट्रेन में हुए ब्लोजोब का किस्सा बताया. उसका हँसना अभी भी चालु ही था.
मैंने पूछा, तुम्हें कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ ट्रेन में. तुम भी तो अक्सर सफ़र करते हो.
अनिकेत ने जो बात कही उस से जैसे मेरे पाँव के निचे की जमीन ही खिसक गई.
वो बोला, मैं एक गे हूँ, और अभी तक गे सेक्स का कोई अनुभव नहीं हुआ हैं मुझे. हां कभी कभी कोई भाभी लाइन देती हैं मुझे लेकिन मेरा कोई फायदा नहीं हैं इसमें.
मैंने उसकी बात को हंस के उड़ा डाली, चलो यार अब मजाक मत करो. तुम दिखने में मस्त हो और बातें भी सयानी करते हो फिर कहाँ से ये गे वाला एंगल सेट कर रहे हो.
अनिकेत बोला, क्यूँ गे सिर्फ बूढ़े और बदसूरत लोग ही होते हैं क्या?
उसकी बात पे मैं हँसे बीना नहीं रुक पाया.
मैं अभी भी यकीन नहीं करता की तुम गे हो, आई मिन यू डोंट लुक लाइक वन.
अनिकेत बोला, तो क्या यह साबित करने के लिए मुझे तुम्हारा लंड लेना पड़ेंगा?
वाऊ..इस से पहले मैंने कभी गे सेक्स नहीं किया था. और अभी एक लड़का जवान गोरा मुझे गे सेक्स के लिए इनडायरेक्ट इनवाईट कर रहा था.
मैं कहा, क्या तुम ले लोंगे अगर मैंने हाँ कहा तो?
अनिकेत की आँखों में यह सुन के चमक सी आ गई. उसने हाँ में मुंडी हिला दी. मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था. मेरे सामने ऑप्शन बिलकुल खुला था गे सेक्स का. मैंने सोचा की साला वैसे भी आंटी और भाभी तो कोई हैं ही नहीं तो क्यूँ ना इसके साथ ही कुछ देर के लिए मस्ती कर ली जाएँ. फिर मैंने सोचा की साला कंडोम तो हैं ही नहीं अपने पास.
मैंने उस से कहा, मेरे पास कंडोम नहीं हैं.!
मेरे पास अलग अलग चार फ्लेवर के हैं.
इतना सुनते ही मैंने अनिकेत का हाथ पकड़ा और उसे खिंच के मैं टॉयलेट में ले गया. अंदर से सक्कल लगा के मैंने फट से अपनी ज़िप खोल दी. अनिकेत सीधा ही मेरे लंड को बहार निकाल के उसे सहलाने लगा. फिर वो अपने घुटनों के ऊपर जा बैठा और मेरे लौड़े को किस करने लगा. वो मेरे लंड के सुपाडे को किस दे रहा था और फिर लंड की शाफ्ट को भी चुम्मा दे रहा था. मेरे लिए गे सेक्स का अनुभव बिलकुल ही नया था लेकिन यह लौंडा गे सेक्स का पक्का खिलाडी लग रहा था.
टॉयलेट में ब्लोजोब और गे सेक्स
देखते ही देखते उसने मेरे लंड को अपने मुहं में डाल लिया और उसे जोर जोर से चूसने लगा. मैंने हाथ से चलती ट्रेन की दिवार पकड ली. अनिकेत किसी प्रोफेशनल कोक सकर की तरह मुझे गे ओरल सेक्स का मजा दे रहा था. उसके लंड चूसने से मेरी एक एक नस को जैसे की बड़ी उत्तेजना मिल रही थी. ऐसा मजा तो मुझे ट्रेन के ब्लोजोब में आगे भी नहीं आया था. अनिकेत मेरा लंड चूसते चूसते अपनी पेंट की ज़िप खोलने लगा. उसने फट से अपनी पेंट को निकाल के वही पर टांग दिया. वो लंड चूसते चूसते ही अपनी पेंट की जेब से कंडोम का पेकेट निकालने लगा. उसने बनाना फ्लेवर का कंडोम निकाला और मेरे कड़े हुए लंड के ऊपर लगा दिया. मैं भी अब उसके साथ गे सेक्स करने के लिए मरा जा रहा था.
अनिकेत अब उठ खड़ा हुआ और वो अपनी गांड को मेरी और कर के झुक गया. उसने अपने हाथ से पानी की पाइप को पकडे रखा और दुसरे हाथ से मेरे लंड को पकड लिया. उसने लंड को सीधे अपनी गांड के छेद पर रख दिया. उसकी गांड किसी जवान चूत के जैसी ही चिकनी थी. उसने रेजर से एक एक बाल को जैसे चुन चुन के काटा हुआ था. मेरा लंड थोड़ी देर घिसने के बाद उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मैंने जैसे ही एक झटका मारा मेरा लौड़ा उसकी गांड में घुस गया. यह मेरा प्रथम गे सेक्स शॉट था. अनिकेत के मुहं से आह निकल गई.
आह गुलाबचंद आप का लंड तो बड़ा मोटा हैं, मजा आ गया इसे लेने में..आह आह.
इतना कह क्र उसने अपनी गांड को हिलाना चालू कर दिया. मैंने भी उसकी कमर को अपनी हाथ से पकड़ा और लंड के झटके उसकी गांड में देने लगा. अनिकेत उठ उठ के अपनी गांड को उठा रहा था और मेरा लंड उसकी गांड में अंदर बहार हो रहा था. उसके मुहं से हलकी हलकी सी सिसकियाँ चालू ही थी. मुझे भी अपने पहले गे सेक्स अनुभव में काफी मजा आ रहा था. अनिकेत की गांड ऐसे ही पांच मिनिट हिलती रही. मैं अपने लंडको उसकी गांड के अंदर बहार होते हुए देखता ही गया. तभी अनिकेत के झटके बढ़ने लगे. मैंने अपनी स्पीड को भी बढ़ा दिया. अनिकेत ने लंड को गांड में कस के दबाया और मेरी छुट हो गई. इस हॉट गुजराती लड़के ने धीरे से लंड को बहार निकाला और फिर कंडोम निकाल के मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया. जब वो सुपाड़ें को चूस रहा था तब मुझे क्या मजा आ रहे थे मैं लिख नहीं सकता हूँ.
अनिकेत ने अपनी पतलून पहनी और मैंने भी लंड को अंदर कर के ज़िप बंध कर दी. हम दोनों चुपचाप टॉयलेट से निकल के अपनी सिट पर जा बैठे. अनिकेत के साथ गे सेक्स कर के मुझे भी बड़ा मजा आया था.
उस रात अनिकेत ने मुझे बड़ा सुख दिया. रात के दो बजे उसने मेरी सिट पे आके मेरी चद्दर में घुस के मेरा लंड चूसा. अनिकेत दिल्ली उतरा तब उसने मुझे अपना नम्बर दिया और कहा की जब भी गे सेक्स करना हो मैं पुणे में ही रहता हूँ. अब सोच रहा हूँ की अगली बार उसकी गांड उसके घर जाके ही मारू.
ट्रेन का चिकना लड़का
हिलती हुई ट्रेन में मैंने अपना इंडिया टुडे निकाल के पढ़ना चालु किया. पुणे से निकले हुए एक घंटा हो चूका था और बिच में ट्रेन ने आलरेडी दो स्टॉप कर लिए थे. हालांकि मैं लॉन्ग जर्नी करता हूँ लेकिन मेरे पास कभी ज्यादा सामान नहीं होता हैं. मैगज़ीन को पढ़ते पढ़ते पता ही नहीं चला की कब अगला स्टेशन भी आ गया. मेरे पास साइड लोवर बर्थ थी. अगले स्टेशन पर ट्रेन में एक जवान लड़का चढ़ा जिसके पास कुछ 3-4 बेग्स थी. वो दिखने में हल्का गोरा और एकदम पतला था. उसकी हिंदी बता देती थी की वो एक गुज्जू था. सामान चढाने के लिए उसके साथ दो नौकर थे शायद. उसने सामान रख के मेरी और देखा और फिर मेरे सामने की ही विंडो सिट पर बैठ गया. उसकी सिट साइड अपर थी.
हाई, मैं अनिकेत हूँ अहमदाबाद से.
ओह हल्लो, मैं गुलाबचंद ठाकुर, पुणे से.
आप कहा जा रहे हो?
जी मैं दिल्ली जा रहा हूँ.
फिर तो अच्छा हैं मेरे लिए, पूरी जर्नी की कम्पनी मिल गई.
वो भी दिल्ली जा रहा था और उसने बातों बातों में मुझे बताया की वो मोबाइल के स्पैर पार्ट्स का काम करता हैं. उसके सामान में वही चीजें भरी हुई थी. उसके साथ मैंने वेरियस टोपिक्स में बातें की और बातों के इस धमासान में पता ही नहीं चला की कब शाम हो गई. खाने का ऑर्डर भी हम लोगों से साथ ही दिया. उसने भी मेरी तरह वेज मंगवाया.
खाने के बाद मुझे सिगरेट की तलब लगी और मैंने उसे कहा की मैं साइड में दरवाजे के पास सिगरेट पी के आता हूँ. उसने मुझे कहा की वो भी सिगरेट पी लूँगा साथ में.
हम दोनों ही दरवाजे के पास खड़े सिगरेट निकाल के पिने लगे. समर का टाइम था इसलिए खुले दरवाजे पे भी किसी को कोई एतराज नहीं था. अनिकेत के पास गोल्ड फ्लेक किंग ही था. सिगरेट के कस खींचते खींचते मैंने कहा, साला ट्रेन में जैसे सब मरे पड़े हैं. एकाद आंटी या भाभी होती तो मजा आ जाता.
अनिकेत कुछ नहीं बोला वो सिर्फ हंसा.
मैंने उसे देख के कहा, सही कहा ना मैंने?
अनिकेत ने कहा, आंटी या भाभी होती तो क्या होता?
मैंने उसे अपना ट्रेन में हुए ब्लोजोब का किस्सा बताया. उसका हँसना अभी भी चालु ही था.
मैंने पूछा, तुम्हें कभी ऐसा अनुभव नहीं हुआ ट्रेन में. तुम भी तो अक्सर सफ़र करते हो.
अनिकेत ने जो बात कही उस से जैसे मेरे पाँव के निचे की जमीन ही खिसक गई.
वो बोला, मैं एक गे हूँ, और अभी तक गे सेक्स का कोई अनुभव नहीं हुआ हैं मुझे. हां कभी कभी कोई भाभी लाइन देती हैं मुझे लेकिन मेरा कोई फायदा नहीं हैं इसमें.
मैंने उसकी बात को हंस के उड़ा डाली, चलो यार अब मजाक मत करो. तुम दिखने में मस्त हो और बातें भी सयानी करते हो फिर कहाँ से ये गे वाला एंगल सेट कर रहे हो.
अनिकेत बोला, क्यूँ गे सिर्फ बूढ़े और बदसूरत लोग ही होते हैं क्या?
उसकी बात पे मैं हँसे बीना नहीं रुक पाया.
मैं अभी भी यकीन नहीं करता की तुम गे हो, आई मिन यू डोंट लुक लाइक वन.
अनिकेत बोला, तो क्या यह साबित करने के लिए मुझे तुम्हारा लंड लेना पड़ेंगा?
वाऊ..इस से पहले मैंने कभी गे सेक्स नहीं किया था. और अभी एक लड़का जवान गोरा मुझे गे सेक्स के लिए इनडायरेक्ट इनवाईट कर रहा था.
मैं कहा, क्या तुम ले लोंगे अगर मैंने हाँ कहा तो?
अनिकेत की आँखों में यह सुन के चमक सी आ गई. उसने हाँ में मुंडी हिला दी. मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था. मेरे सामने ऑप्शन बिलकुल खुला था गे सेक्स का. मैंने सोचा की साला वैसे भी आंटी और भाभी तो कोई हैं ही नहीं तो क्यूँ ना इसके साथ ही कुछ देर के लिए मस्ती कर ली जाएँ. फिर मैंने सोचा की साला कंडोम तो हैं ही नहीं अपने पास.
मैंने उस से कहा, मेरे पास कंडोम नहीं हैं.!
मेरे पास अलग अलग चार फ्लेवर के हैं.
इतना सुनते ही मैंने अनिकेत का हाथ पकड़ा और उसे खिंच के मैं टॉयलेट में ले गया. अंदर से सक्कल लगा के मैंने फट से अपनी ज़िप खोल दी. अनिकेत सीधा ही मेरे लंड को बहार निकाल के उसे सहलाने लगा. फिर वो अपने घुटनों के ऊपर जा बैठा और मेरे लौड़े को किस करने लगा. वो मेरे लंड के सुपाडे को किस दे रहा था और फिर लंड की शाफ्ट को भी चुम्मा दे रहा था. मेरे लिए गे सेक्स का अनुभव बिलकुल ही नया था लेकिन यह लौंडा गे सेक्स का पक्का खिलाडी लग रहा था.
टॉयलेट में ब्लोजोब और गे सेक्स
देखते ही देखते उसने मेरे लंड को अपने मुहं में डाल लिया और उसे जोर जोर से चूसने लगा. मैंने हाथ से चलती ट्रेन की दिवार पकड ली. अनिकेत किसी प्रोफेशनल कोक सकर की तरह मुझे गे ओरल सेक्स का मजा दे रहा था. उसके लंड चूसने से मेरी एक एक नस को जैसे की बड़ी उत्तेजना मिल रही थी. ऐसा मजा तो मुझे ट्रेन के ब्लोजोब में आगे भी नहीं आया था. अनिकेत मेरा लंड चूसते चूसते अपनी पेंट की ज़िप खोलने लगा. उसने फट से अपनी पेंट को निकाल के वही पर टांग दिया. वो लंड चूसते चूसते ही अपनी पेंट की जेब से कंडोम का पेकेट निकालने लगा. उसने बनाना फ्लेवर का कंडोम निकाला और मेरे कड़े हुए लंड के ऊपर लगा दिया. मैं भी अब उसके साथ गे सेक्स करने के लिए मरा जा रहा था.
अनिकेत अब उठ खड़ा हुआ और वो अपनी गांड को मेरी और कर के झुक गया. उसने अपने हाथ से पानी की पाइप को पकडे रखा और दुसरे हाथ से मेरे लंड को पकड लिया. उसने लंड को सीधे अपनी गांड के छेद पर रख दिया. उसकी गांड किसी जवान चूत के जैसी ही चिकनी थी. उसने रेजर से एक एक बाल को जैसे चुन चुन के काटा हुआ था. मेरा लंड थोड़ी देर घिसने के बाद उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मैंने जैसे ही एक झटका मारा मेरा लौड़ा उसकी गांड में घुस गया. यह मेरा प्रथम गे सेक्स शॉट था. अनिकेत के मुहं से आह निकल गई.
आह गुलाबचंद आप का लंड तो बड़ा मोटा हैं, मजा आ गया इसे लेने में..आह आह.
इतना कह क्र उसने अपनी गांड को हिलाना चालू कर दिया. मैंने भी उसकी कमर को अपनी हाथ से पकड़ा और लंड के झटके उसकी गांड में देने लगा. अनिकेत उठ उठ के अपनी गांड को उठा रहा था और मेरा लंड उसकी गांड में अंदर बहार हो रहा था. उसके मुहं से हलकी हलकी सी सिसकियाँ चालू ही थी. मुझे भी अपने पहले गे सेक्स अनुभव में काफी मजा आ रहा था. अनिकेत की गांड ऐसे ही पांच मिनिट हिलती रही. मैं अपने लंडको उसकी गांड के अंदर बहार होते हुए देखता ही गया. तभी अनिकेत के झटके बढ़ने लगे. मैंने अपनी स्पीड को भी बढ़ा दिया. अनिकेत ने लंड को गांड में कस के दबाया और मेरी छुट हो गई. इस हॉट गुजराती लड़के ने धीरे से लंड को बहार निकाला और फिर कंडोम निकाल के मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया. जब वो सुपाड़ें को चूस रहा था तब मुझे क्या मजा आ रहे थे मैं लिख नहीं सकता हूँ.
अनिकेत ने अपनी पतलून पहनी और मैंने भी लंड को अंदर कर के ज़िप बंध कर दी. हम दोनों चुपचाप टॉयलेट से निकल के अपनी सिट पर जा बैठे. अनिकेत के साथ गे सेक्स कर के मुझे भी बड़ा मजा आया था.
उस रात अनिकेत ने मुझे बड़ा सुख दिया. रात के दो बजे उसने मेरी सिट पे आके मेरी चद्दर में घुस के मेरा लंड चूसा. अनिकेत दिल्ली उतरा तब उसने मुझे अपना नम्बर दिया और कहा की जब भी गे सेक्स करना हो मैं पुणे में ही रहता हूँ. अब सोच रहा हूँ की अगली बार उसकी गांड उसके घर जाके ही मारू.