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नमस्कार मित्रों मै राजेश आपके सामने अपनी एक सच्ची कहानी लेकर आया हुं। यह कहानी आज से तीन साल पहले की है, जब मै मुंबई में नौकरी करता था, और रोज अपनी नौकरी के लिए लोकल ट्रेन से जाता और वापिस भी लोकल ट्रेन से ही आ जाता। इस कहानी में पढिए कैसे मैने लोकल ट्रेन में एक लडकी को अपना लंड दिखाकर उसे कमरे में बुलाया और फिर किस तरह से घमासान चुदाई हुई।

मै आपको पहले मेरे बारे में बता दूं, मै राजेश मुंबई में नौकरी करता हुं। नौकरी से छह बजे लौटने के बाद रोज एक घंटा जिम जाकर कसरत करता हुं। इसलिए मेरा शरीर भी अच्छा बना हुआ है। मेरी उम्र २५ साल है।
अब ज्यादा समय ना लेते हुए मै सीधे कहानी पर आता हुं। एक दिन जब मै अपने ऑफिस से लौट रहा था, तो मैने मेरी रोज वाली लोकल मिस कर दी। तो वहीं प्लेटफार्म पर खडे रहकर मै अगली लोकल का इंतजार करने लगा। तभी एक खूबसूरत हुस्न की मल्लिका भी आकर वहीं खडी हो गई। वहां जितने भी मर्द थे, सबकी नजरें अब इसी हुस्न की परी के ऊपर मंडरा रही थी। सब अपनी हवस भरी नजरों से इसे घूर रहे थे। मै भी उसी की तरफ देख रहा था। तभी वह थोडा मेरी तरफ आई और मुझसे समय पूछा। अभी सात बजने को थे, और उसके चेहरे से लग रहा था कि, वो अभी थोडी जल्दी में है।
फिर मैने उससे बात आगे बढाने के लिए पूछा, "वैसे आपको देखकर लगता नही कि, आप मुंबई की हो?"
उसने फिर हंसकर मेरी तरफ देखते हुए कहा, "यह तरीके अब बहुत पुराने हो गए है, मिस्टर। कोई नया तरीका नही मिला क्या, बात करने का?"
उसकी बात पर मै भी हंस दिया और मैने अपना हाथ आगे बढाते हुए उससे कहा, "मेरा नाम राजेश है, यहां नौकरी के लिए रहता हुं।"
फिर उसने भी हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया और वो भी यहां नौकरी करने के लिए ही आई हुई थी। उसने अपना नाम प्रियंका बताया। नौकरी करने के लिए और घर से छुटकारा पाने के लिए वो यहां मुंबई आई हुई थी। उससे बात करते वक्त समय का पता ही नही चला, और हमारी लोकल ट्रेन हमारे सामने आकर खडी भी हो गई।
फिर सब लोगों की तरह हम दोनों भी जल्दी में अंदर घुस गए और जहां जगह मिले, वहीं खडे हो गए। वओ मेरे सामने खडी थी, उससे बातों बातों में पता चला कि, हम दोनों के ऑफिस की टाइमिंग एक ही है। और उसने भी आज अपनी ट्रेन मिस कर दी थी, इसका मतलब हम रोज मिल सकते थे। थोडी और बातें करने के बाद, भीड और बढने लगी। तो प्रियंका मेरी तरफ पीठ करके खडी हो गई। एक तो उसे देखकर मेरा लंड पैंट में ही तंबू बना चुका था, और ऊपर से भीड की वजह से वो मेरे इतने पास आ चुकी थी कि, मै उसके जिस्म की खुशबू को महसूस कर सकता था।
अब मेरा लंड उसकी गांड से टकराने को ही था, लेकिन जैसे तैसे करके मैने उसे रोका हुआ था। लेकिन कितनी देर मै रोके रखता, आखिर मेरा लंड उसकी गांड से टकरा ही गया। लेकिन जब उसने कोई रिएक्शन ही नही दिया, तो मुझे और हिम्मत मिली। मै अब उससे और सटकर खडा हो गया, जिससे मेरा लंड उसकी गांड की दरार में सही से फिट हो जाए। जैसे ही मै उसके पास जाने के लिए और थोडा सा खिसका, प्रियंका ने पीछे मुडते हुए मेरी तरफ देखा। मेरी तो तभी फट गई, लेकिन अगले ही पल उसने खुद ही अपना एक हाथ पीछे लाकर मेरे लंड को अपने हाथ मे भर लिया।
प्रियंका ने पीछे मुडकर मेरी तरफ देखते हुए ही हंसकर मेरे लंड को सहलाया और फिर खुद ही उसके हाथों से उसके चुतडों के बीच मेरा लौडा रख दिया। अब इतनी भीड होने की वजह से सारे लोग ही एक-दूसरे से चिपक कर खडे हो गए थे। तो यह सब किसी को पता नही चलना था। प्रियंका की इस हरकत से मै तो बहुत खुश हुआ और अब तो बिना किसी डर से मैने उसके चुतडों में अपना लंड रगडना शुरू कर दिया। अब तो प्रियंका भी मजे से अपनी गांड को मेरे लंड पर दबाए जा रही थी। बीच बीच मे मै अपना हाथ नीचे ले जाकर उसके चुतडों को भी मसल देता था। हम दोनों ही मस्त ऐसे ही एक दूसरे से छेडखानी करते हुए मजे ले रहे थे।
अभी हम दोनों का ही स्टेशन बहुत दूर था, और मेरे स्टेशन के बाद अगला स्टेशन ही प्रियंका का था। अचानक उसने अपनी पर्स से कुछ निकाला, फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लंड को हटाया और वहां कुछ करने के बाद फिर उसने अपना पर्स बंद कर दिया। थोडी देर बाद मैने अपना हाथ नीचे लेकर उसके चुतडों पर रखकर उन्हें दबाने लगा तो मुझे उसके दोनों पैरों के बीच एक छेद नजर आया। मैने उसमे उंगली घुसा दी, और अंदर उसकी चुत को ढूंढने लगा। फिर उसने अपने पैर थोडा और चौडे करके मुझे थोडी हेल्प कर दी। तो मैने भी उसकी पैंटी को साइड हटाकर उसकी चुत पर उंगली घूमाने लगा। तभी उसने एक हाथ पीछे लेकर मेरी पैंट की चेन खोलकर अपना हाथ अंदर डाल दिया। अब वो मेरे लंड को अपने कोमल हाथों में लिए हुए थी।

फिर थोडी देर ऐसे ही एक दूसरे से मजे लेने के बाद, भीड धीरे धीरे कम होने लगी थी। तो हम अपने आप को संभालते हुए थोडा अलग होकर खडे हो गए। तभी प्रियंका ने मुझसे कहा, "तुम्हारे कमरे पर अभी चल सकते है, या मेरे कमरे पे आओगे तुम?"
मै अपना कमरा बाकी दो और लोगों के साथ शेयर करता हुं, तो थोडी दिक्कत हो सकती थी, इसलिए मैने उसके घर चलने का बोल दिया। फिर हम ट्रेन से निकलकर उसके कमरे पर आ गए। कमरा ज्यादा बडा नही था, लेकिन दो लोगों के लिए ठीक ही था। कमरे में आते ही प्रियंका ने दरवाजा बंद कर दिया और शुरू हो गई।
उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, और मैने भी उसे पूरा अपने से चिपकाते हुए उसके टॉप के अंदर हाथ डालकर उसे निकालने लगा। धीरे धीरे करके हम दोनों ने एक-दूसरे के सारे कपडे उतार दिए, और हम दोनों अब एक-दूसरे के सामने नंगे हो चुके थे।

नंगे होते ही प्रियंका ने मुझे आने बिस्तर पर धकेल दिया और खुद मेरे ऊपर आ गई। फिर धीरे धीरे मेरे सर से लेकर नीचे की तरफ चूमते हुए जाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे उसपर चुदास पूरी तरह से हावी हो चुकी है। अब प्रियंका ने सीधे मेरे लंड को अपने हाथ मे लेते हुए मेरे अंडकोषों को अपनी जीभ से चाटने लगी। और फिर उसने मेरे लंड को भी चूमते हुए कब अपने मुंह मे ले लिया, मुझे समझ ही नही आया। एक बार लंड पूरी तरह से उसने मुंह मे लेने के बाद तो लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैने भी उसके बालों में हाथ डालकर उसके मुंह मे पूरा लंड घुसाना चाह रहा था। बीच बीच मे मै उसके बोबों को भी दबा देता। कभी उसके चूची को पकडकर खींच देता, जिससे उसके मुंह से सीत्कार निकल जाती। लेकिन वो जोर से चीख नही सकती थी, वरना बगल वाले सारे वहीं जमा हो जाते।
फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर चुत को मेरे लंड पर रख दिया और थोडा दबाव बनाने लगी। फिर आराम से वो पूरा ही मेरे लंड पर बैठ गई। अब उसकी चुत के अंदर मेरा पूरा लौडा प्रवेश कर चुका था। अब वो धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने के साथ ही ऊपर नीचे भी हो रही थी। थोडी देर बाद वो मेरे ऊपर झुक गई, और मेरे छाती पर अपना सर रखकर कमर उचकाने लगी। अब वो थोडा थक चुकी थी।
मैने फिर उसे अपने नीचे करके मिशनरी पोजिशन में चोदना जारी रखा। जब वो फिर से तैयार हो गई, तो मैने उसे घोडी बनाया और फिर से धकमपेल चुदाई शुरू कर दी। उस रात मै प्रियंका के कमरे पर ही रुका। हमने खाना बाहर से ही मंगवाया और खाना खाने के बाद भी हमने उस रात दो बार और चुदाई की। चुदाई की भूखी प्रियंका की चुुुत की प्यास उसने मुझसे और मेरे लौडे से अच्छे से बुझा ली।
सुबह सुबह उठने के बाद, प्रियंका फिर से मेरे नागराज के साथ खेलने लगी थी, तो सुबह वहां से निकलने से पहले हमने एक बार चुदाई की। और फिर साथ मे ही नहाकर एक साथ ऑफिस के लिए निकल गए। फिर हमने एक-दूसरे के नंबर ले लिए, और आगे भी जब हमारा मन करता हम मिलकर चुदाई करते है।
यह कहानी आपको कैसी लगी, हमे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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