ट्रेन मे मां और बहन के साथ मस्ती

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मै शादाब आज आपको अपनी एक कहानी बताने जा रहा हुं, जो मेरे साथ पिछले साल हुई थी। मै अपने पापा का बिजनेस संभाल रहे हुं, तो उसी सिलसिले में मुझे बहुत घूमना पडता है। घूमने के लिए मै अधिकतर बस का उपयोग करता हूं, और अगर ज्यादा दूर का सफर हो तो ट्रेन से चलता हूं। इस कहानी में पढिए, कैसे मुझे मेरी एक यात्रा के दौरान चुदाई का मौका मिला, और इस मौके का फायदा उठाकर मैने एक लडकी को और फिर उसकी मां को भी चोद दिया। मै शादाब दिल्ली का रहने वाला हूं, और मेरी उम्र अभी पच्चीस साल है।
अब आपको ज्यादा ना पकाते हुए, मै सीधे कहानी की तरफ ले चलता हूं। एक बार ऐसे ही बिजनेस के सिलसिले में मुझे केरला जाना पडा था। जाते समय तो मै ट्रेन से गया, और आते समय भी ट्रेन से ही आना था। सफर काफी लंबा होना था, इसलिए मैने अपने साथ कुछ मैगजीन रख ली थी। जिसे पढकर थोडा बहुत टाइम पास किया जा सके। मुझे सेक्स स्टोरीज पढने का बहुत शौक है, इसलिए मैने कुछ सेक्सी मैगजीन भी अपने साथ ले ली। ट्रेन में एसी के फर्स्ट क्लास वाली बोगी में मेरा रिज़र्वेशन था। तो मुझे कोई दिक्कत नही थी, बस साथ मे कोई एक और यात्री मेरे सामने वाली सीट पर आना था।
थोडी ही देर में ट्रेन चलने को हुई, तभी एक कमसिन लडकी मेरे वाली बोगी में आकर बैठ गई। उसने अपना सामान सही से रख दिया और फिर बैठकर आराम करने लगी। थोडी देर बाद, मैने ही कुछ बात करने के बहाने से केबिन का दरवाजा लगाने के लिए बोल दिया। तो उसने आगे बात बढाते हुए मुझसे नाम पूछा। फिर इसी तरह हमारी बातें आगे बढी, उसने उसका नाम रिया बताया। रिया की उम्र लगभग २० के आसपास होगी, दिखने में वो पूरी कयामत थी। उसका फिगर भी बहुत सही था, उसे देखकर लगता था, यह फिगर कमाने के लिए इसने काफी मेहनत की होगी।
थोडी देर बाद जब ट्रेन ने अपनी स्पीड पकड ली, तो वो अपनी सीट पर सुस्ताने लगी, और मै अपने साथ लाई हुई मैगजीन पढने लगा। अब मेरा मन भी मचलने लगा था,तो मैने एक सेक्सी मैगजीन निकाल ली, और उसे पढने लगा। मुझे लगा था कि, रिया सो गई है। तो मै पूरा बिनधास्त होकर आराम से मैगजीन पढते हुए अपने लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रहा था। इस बीच मैने रिया की तरफ देखा ही नही था। और जब मेरी नजर उस पर पडी, तब वो लेटे लेटे ही मेरी तरफ देखे जा रही थी। उसे अपनी तरफ देखते हुए पाकर मै थोडा डर सा गया था।
लेकिन उसके अगले ही पल उसने कहा, "ऐसा क्या पढ रहे हो जो आपको अपने औजार को धार देनी पड रही है?"
तो मैने उसे सीधा बोल दिया, "तुम्हे देखना है, तो तुम भी यहां आकर मेरे साथ यह पढ सकती हो।"
उसको बस यही सुनना था शायद। यह सुनते ही वो एक छलांग लगाकर ही मेरी सीट पर आ पहुंची, और मेरे साथ वह भी सेक्सी मैगजीन पढने लगी। अब हम दोनों एकसाथ बैठकर मैगजीन पढ रहे थे। मैगजीन का एक पेज पलटते ही अगले पेज पर एक लडके की नंगी फोटो थी, जिसे देखकर रिया के आंखों में एक चमक आ गई।
थोडी देर बाद रिया उस फोटो को देखते हुए बोली, "यह मैगजीन वाले भी ना कुछ भी बढा-चढाकर दिखाते है। कभी किसी का इतना बडा भी हो सकता है क्या?"
तो मैंने उसे बोल दिया, "अगर देखना है, तो तुम मेरा नापकर देख सकती हो। फिर अपने आप तुम्हे यकीन हो जाएगा।"

मेरे इतना बोलते ही उसने बिना कुछ बोले सीधे उठकर मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ रख दिया और बोली, "ऊपर से तो काफी तगडा लग रहा है।"
इतना कहते हुए उसने मेरी तरफ देखकर आंख मार दी। तो मैंने भी उसे कहा, "पैंट खोलकर अच्छे से देखकर अपने मन की तसल्ली कर लो। फिर ऐसा मौका नही मिलेगा।"
यह सुनकर उसने मेरा पैंट खोलना शुरू कर दिया, मैने भी उसकी सहायता करते हुए अपनी पैंट पूरी उतारकर बगल में रख दी। अब उसके सामने मै कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा बैठा हुआ था।
इस वक्त मेरा लंड सोया हुआ था। अगर खडा होता तो उसे देखकर तभी यकीन हो जाता। तो मैने उसे कहा, "लो, इसे अपने हाथ मे लेकर सहलाओ, इससे प्यार करो। फिर यह अपने असली रूप में आएगा, तब इसका साइज देख लेना।"
शायद वो भी अब चुदासी होने लगी थी, तो उसने भी बिना देर किए मेरे मूसल को अपने हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया। उसके हाथ लगाते ही मेरे लौडे में जान आने लगी। अब धीरे धीरे वो अपने असली रूप के आने लगा। जैसे जैसे वो उसे सहलाती, मेरा लंड भी अब उसके हाथ मे ही हल्के हल्के झटके मारने लगा था।
थोडी ही देर में मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था, तो उसने अब मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा दिया। और फिर अपने हाथों से उसे नापने लगी। उसने फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा, "हां तुम तो सच ही कह रहे थे। मै ही गलत सोचती थी।"
इतना कहकर वो मेरे लंड को छोडकर अपनी सीट पर जाने लगी। तो मैने उससे कहा,"तुम्हे मेरा लंड पसंद नही आया क्या? जो तुम अपनी सीट पर जा रही हो?"
तो उसने कहा, "वैसी बात नही है, तुम्हारा औजार तो बहुत ही शानदार है।"
उसके इतना कहते ही मै उसके पास गया और उसे अपने पास खींचते हुए उसके होठों पर अपने होंठ रखकर चूमने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी, अब मेरे हाथ उसके कपडों के ऊपर से ही उसके स्तनों को दबाने लगे थे, और उसके हाथ मेरे लंड के आसपास घूमने लगे थे।
अब हम दोनों पूरी तरह से एक-दूसरे में खोने लगे थे, कि तभी हमारे केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई। अगले ही पल एक महिला की आवाज आई, जो रिया को आवाज लगा रही थी। रिया ने मुझे अपनी सीट पर धकेलते हुए जवाब में कहा, "रुको मां, मै दरवाजा खोलती हूं।"
मैने बस अपने ऊपर एक चादर ओढ ली, और सोने का नाटक करने लगा। रिया की मां अंदर आई, और रिया से कहा, "तू जाकर मेरी सीट पर आराम कर ले। वहां पर जो महिला है, मैने उनसे बात कर ली है। तो तुझे कोई दिक्कत नही होगी।"
रिया ने मना करने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसकी मां ने आखिरकार उससे अपनी सीट बदल ही ली। अब रिया की मां मेरे केबिन में थी, रिया के जाते ही उन्होंने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया, और अपनी सीट पर सुस्ताने लगी थी। तभी उनकी नजर एक मैगजीन पर पडी, जो हम दोनों मिलकर पढ रहे थे। मैगजीन देखने के बाद वो मेरी तरफ ध्यान से देखने लगी, मै तो सोने का नाटक कर रहा था।
थोडी ही देर में वो मेरे पास आई, और मेरे लंड को चादर के ऊपर से ही घूरने लगी। शायद उसे पता चल गया कि, मैने नीचे पैंट नही पहनी हुई है। उसने धीरे धीरे करके मेरे ऊपर से पूरी चादर खींच दी, फिर भी मैने अपनी आंखें बंद रखी। अगले ही पल उन्होंने मुझसे कहा, "मुझे पता है, तुम सोने का नाटक कर रहे हो। तुम चाहो तो हम दोनों मिलकर मजे लूट सकते है।"
इतना कहते ही उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ मे भर लिया और उसे सहलाकर तैयार करने लगी। थोडी देर बाद, मेरा लौडा अपने पूरे जोश में आकर उसके हाथों में ही उछलने लगा। अभी कुछ देर पहले मेरी बाहों में एक लडकी थी, और अभी उसकी मां है।
अगले ही पल उसने नीचे झुककर मेरे लौडे को अपने मुंह मे भर लिया। लौडा उसके मुंह मे जाते ही और उछलने लगा। लौडे के उछलने से अब उसे भी मजा आ रहा था। उसने पहले तो टोपे के ऊपर की चमडी को खींचकर पीछे कर दिया और टोपे पर एक चुम्बन दे दिया। फिर अपनी जीभ बाहर निकालकर मेरे टोपे को चाटने लगी थी। मैने भी अब सोने का नाटक छोडकर अपने हाथों से उसके सर को और दबा रहा था, जिससे मेरा पूरा लंड उसके मुंह के अंदर तक चला जाये।
जैसे ही मेरा लंड पूरा उसके मुंह मे चला जाता, वो गुँ गुँ की आवाजें निकालती। मेरा लंड जाकर उसके गले तक पहुंच रहा था।

थोडी देर लंड चुसवाने के बाद मैने उसे उठाया और मेरी सीट पर अच्छे से लिटाकर उसकी चुत पर एक गहरा चुम्बन देकर मैने अपना लंड अपने हाथ मे लिया और अब मै अपना लौडा उसकी चुत में घुसाने के लिए बिल्कुल तैयार खडा था।
उसकी चुत काफी गहरी थी, तो वो आराम से मेरा लंड निगल गई। अब लंड पूरी तरह से अंदर जाने के बाद तो धकमपेल चुदाई चलती रही। उस सफर के दौरान मैने उसे बस एक बार ही चोदा। लेकिन गम यही था कि, मै उसकी लडकी को नही चोद पाया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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