दीदी कंडोम पहना रही थी अपने यार के लंड को

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(Didi Condom Pahna Rahi Thi Apne Yar Ke Lund Ko)

नई हिंदी सेक्सी कहानी दोस्तों में एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और में अपनी 12th क्लास की पढ़ाई खत्म करने के बाद में अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए अपनी बुआ के घर पर चला गया. में उनसे बहुत समय के बाद मिल रहा था, जहाँ पर मेरी दीदी और बुआ रहती थी और साथ में उनका पूरा परिवार था. दोस्तों मेरी दीदी का नाम प्रियंका था और उनका फिगर 35-30-38 था और वो हर दिन जिम जाती थी, जिसकी वजह से उनका पूरा बदन दिखने में बहुत अच्छा था और जैसा उनका बदन वैसा ही उनका चेहरा भी था. Didi Condom Pahna Rahi Thi Apne Yar Ke Lund Ko.

अपने चेहरे से वो बहुत सुंदर और आकर्षक है. फिर मैंने जब पहली बार उनको देखा तो देखता रह गया, क्योंकि में उनसे बहुत दिनों के बाद मिला था, जब में पिछली बार उनसे मिला था तो वो इतनी हॉट सेक्सी नहीं थी, लेकिन अब तो वो कुछ ज्यादा ही हॉट लग रही थी, इससे पहले मैंने उन्हें बचपन में देखा था, लेकिन अब वो 24 साल की थी और मुझे देखते ही उन्होंने मुझे हग किया तो उनके बड़े आकार के बूब्स का उभार मुझे मेरी छाती पर महससू हुआ, लेकिन मैंने उसको अपनी बहन समझकर उनके मुझसे छू जाने पर इतना ज्यादा ध्यान नहीं दिया. दोस्तों उनका शुरू से ही मुझसे बहुत अच्छा व्यहवार था और हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब थे, हंसी मजाक करना हमारे बीच कभी भी चलता रहता था.

फिर कुछ दिनों तक में लगातार अपने कॉलेज जाता रहा, जहाँ पर मेरे बहुत सारे नये नये दोस्त बने और मैंने वहां पर देखा कि मेरे उन सभी दोस्तों की अपनी अपनी गर्लफ्रेंड है. फिर मैंने भी एक दिन सोचा कि मेरी भी कोई गर्लफ्रेंड होनी चाहिए और इसलिए में उस दिन से उन पर ज्यादा ध्यान देने लगा था और एक दिन मुझे पता चला कि वो देर रात तक फोन पर किसी से बात करती रहती थी और मैंने उनके मोबाईल से उनके कुछ मैसेज भी पढ़े, क्योंकि में रात को उनके साथ सोता था और तब मुझे पता चला कि उनका एक बॉयफ्रेंड है और उनके उस बॉयफ्रेंड का नाम अरविन्द था, जो कि उनके ऑफिस में जहाँ पर वो नौकरी किया करती थी तो वो उनका सीनियर था और वो दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते है.

एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे तुम कल सुबह 7 बजे पास की कॉलोनी में छोड़ देना. फिर मैंने उनसे कहा कि हाँ ठीक है और फिर में सुबह करीब 5 बजे उठ गया, लेकिन में फिर भी पलंग पर लेटा रहा और तब मैंने देखा कि वो सुबह करीब 6 बजे उठकर नहाने बाथरूम में चली गई और जब वो नहाकर बाहर आई तो उन्होंने एक सफेद रंग का टावल अपने गोरे सेक्सी बदन पर लपेटा हुआ था और वो अब उस कांच के सामने जो बाहर दीवार पर लगा हुआ था. उसके सामने खड़ी होकर अपने हर एक गोरे चिकने अंग पर क्रीम लगाने लगी और करीब 6:30 बजे तक वो तैयार हो गई थी. तब उन्होंने मुझे उठाया और में मुहं धोकर उन्हें छोड़ने चला गया.

वो मेरे पीछे स्कूटी पर मुझसे एकदम चिपककर बैठी हुई थी, जिसकी वजह से मेरे बदन पर उनके बूब्स पीछे से मुझे छूकर गरम कर रहे थे. दोस्तों करीब तीन किलोमीटर चलने के बाद वो एक गली के बाहर उतर गई और उन्होंने मुझे 200 रूपये देकर मुझसे कहा कि तू कॉलेज चला जाना और कुछ खा पी लेना. में उनकी इस बात से बहुत खुश हुआ. अब वो उस गली में मटकती हुई ठुमकती हुई चली जा रही थी और में वहीं एक तरफ छुपकर उन्हें जाते हुए देख रहा था, क्योंकि में यह देखना चाहता था कि वो कहाँ जाती है? और अब कुछ देर बाद वो एक घर के सामने रुक गई, उन्होंने इधर उधर देखकर दरवाजा खटखटाया और कुछ ही देर बाद मैंने देखा कि वो दरवाजा खुला और उसके बाद वो अंदर चली गई और में उस घर को देखकर अपने घर पर चला गया.

फिर करीब एक घंटे के बाद में अपने कॉलेज के लिए निकल गया तो वो जगह जहाँ पर मैंने उनको छोड़ा था, मेरे रास्ते में थी, इसलिए मैंने अपनी स्कूटी को गली के बाहर लगा दिया और में घर के अंदर चला गया. वो एक सुनसान कॉलोनी में था और में उसके दरवाजे से अंदर गया और फिर पास की एक खिड़की से अंदर देखने लगा. मुझे अंदर से मेरी दीदी और अरविन्द की आवाज़ आ रही थी. दोस्तों अरविन्द की लम्बाई 5.7 है और दीदी की 5.9, मैंने देखा कि अरविन्द सोफे पर बैठकर टी.वी. देख रहा है और कुछ देर बाद वो उठकर दूसरे रूम में चला गया तो में भी उसके जाते ही पीछे की तरफ से उस तरफ चला गया और अब में कूलर के पास से उसको देखने लगा.

अरविन्द उस समय बॉक्सर में लेटा हुआ था और उसका कलर काला था और मेरी दीदी का बहुत साफ रंग था. इतने में दीदी सामने आई और उन्होंने उस समय हरे रंग का एक गाउन पहन रखा था और अब वो उसके ठीक सामने आकर खड़ी हो गई तो अरविन्द दीदी को लगातार ऊपर से लेकर नीचे तक अपनी खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था और फिर अरविन्द ने एक झटका देकर उनके गाउन का बेल्ट पकड़कर खोल दिया. तब मैंने देखा कि दीदी लाल कलर की ब्रा और वो उसी कलर की पेंटी में थी और अब अरविन्द बोला कि वाउ क्या बात है आज तो तुम पहले से भी बहुत अच्छी लग रही हो? तो दीदी ने उससे कहा कि मुझे तुम बस ऐसे ही देखोगे या तुम्हें अब कुछ और भी करना है?

अब अरविन्द खड़ा हुआ और वो मेरी दीदी को किस करने लगा. करीब पांच मिनट के बाद उसने दीदी का वो गाउन उतार दिया और उनको किस करते करते वो पेंटी के ऊपर से उनकी गांड को दबाने लगा और फिर उसने दीदी के बाल खोल दिए और में देखकर एकदम चकित रह गया. फिर उसने दीदी की ब्रा को भी खोल दिया, जिसकी वजह से मुझे उनके गोरे मोटे मोटे लटकते हुए बूब्स दिख गये और उनके ब्रा से आज़ाद होते ही अरविन्द एकदम उन पर टूट पड़ा.

मैंने देखा कि उनके निप्पल हल्के भूरे रंग के थे. फिर दीदी ने अरविन्द को बेड पर धक्का दे दिया और अब वो उसको किस करने लगी. फिर उन्होंने अरविन्द का अंडअरविन्दयर खोला तो उसका 6 इंच का लंबा, काला पतला लंड मुझे दिखने लगा और दीदी ने उसके लंड पर धीरे से थप्पड़ लगा दिए और वो तुरंत लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी. फिर थोड़ी देर बाद अरविन्द ने दीदी की पेंटी को उतार दिया. दोस्तों अब मुझे अपनी दीदी की एकदम साफ चूत दिखाई देने लगी थी, जो कि थोड़ी टाईट भी थी.

उसने उसमें अपनी एक उंगली को डाल दिया तो दीदी के मुहं से आह्ह्ह्हह्ह आईईईइ की आवाज बाहर निकल गई. वो कुछ देर तक लगातार अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करता रहा और कुछ देर के बाद दीदी ने जोश में आकर उसका सर पकड़कर अपनी चूत की तरफ़ किया, जिसकी वजह से वो अब मेरी दीदी की चूत को चाटने चूसने लगा था और दीदी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाती हुई लगातार सिसकियाँ लेती रही. दोस्तों करीब दस मिनट के बाद दीदी मचलती हुई उससे कहने लगी कि प्लीज तो कुछ करो उफ्फ्फफ् में अब और ज्यादा नहीं सह सकती, स्स्सीईईई प्लीज थोड़ा सा जल्दी करो और मुझे शांत कर दो आह्ह्ह.

फिर उसने दीदी की बात सुनकर उठकर पास में रखा एक कंडोम उठा लिया, जो कि मेरी दीदी ने खुद उसके लंड पर पहनाया और वो फिर से उसके सामने अपने दोनों पैरों को पूरी तरह से फैलाकर उसके सामने लेट गई. फिर उसने अपने लंड को धीरे धीरे धक्का देकर उनकी चूत के अंदर पूरा डाल दिया और अब वो लगातार धक्के देकर मेरी दीदी को चोदने लगा था और दीदी भी उससे बड़े मजे से चुद रही थी, लेकिन करीब दस मिनट के बाद अरविन्द का वीर्य निकल गया और वो दीदी के पास में लेट गया. दीदी ने उसका कंडोम उतार दिया और अब वो एक बार फिर से लंड को अपने मुहं में लेकर चूसने लगी और उन्होंने चूस चूसकर लंड को अच्छी तरह से चमका दिया था.

फिर करीब 15 मिनट के बाद उसका लंड दोबारा से तनकर खड़ा हो गया और इस बार उसने खुद ही कंडोम पहनकर दीदी को डॉगी स्टाईल में बैठाकर अपने लंड को उनकी चूत में सरकाकर उसको चोदना शुरू किया और दीदी बहुत मजे से चुद रही थी. फिर वो धक्के देते समय कभी मेरी दीदी के बूब्स को दबाता तो कभी उनके बाल खींचता. दीदी भी बहुत आराम से खुद भी आगे पीछे हो रही थी. फिर कुछ देर बाद दीदी उसके ऊपर आ गई तो उन्होंने कंडोम को उतार दिया और कहा कि मुझे बिना कंडोम के चुदना एकदम सही लगता है.

अरविन्द अब उनके नीचे लेटा रहा और दीदी उसके ऊपर बैठकर अपनी चूत में उसका पूरा लंड डालकर उछलने लगी. करीब दस मिनट ऊपर नीचे होने में ही दीदी थक गई और फिर अरविन्द ने उन्हें अपने ऊपर से हटाकर बेड के एकदम किनारे किया और अपने लंड को चूत के अंदर डालकर वो बहुत तेज़ी से उनको चोदने लगा और करीब पांच मिनट के बाद दीदी ने उसको बहुत कसकर पकड़ लिया और वो एकदम शांत हो गई, लेकिन अरविन्द अभी भी लगातार धक्के लगा रहा था. फिर करीब तीन मिनट के बाद उसने अपना माल मेरी दीदी की चूत के अंदर ही छोड़ दिया और वो अब उनके ऊपर लेट गया और उसने दीदी से कहा कि में आज तो पूरे दिन तुझे चोदता रहूँगा.

फिर दीदी ने उससे कहा कि हाँ में इसलिए ही तो सुबह इतनी जल्दी आई हूँ और फिर में कुछ देर बाद वहां से चला गया. शाम को जब में घर पर पहुंचा तो मैंने देखा कि दीदी मुझसे पहले ही घर पर थी और वो अपने चेहरे से बहुत खुश लग रही थी. में उनके पास जाकर खड़ा हो गया और अब मैंने उनसे पूछा कि क्यों आप कब आई? तो उन्होंने मुझसे कहा कि में अभी तेरे आने से कुछ देर पहले ही आई हूँ.

फिर कुछ देर साथ में बैठकर इधर उधर की बातें और हंसी मजाक करने के बाद बाहर आईसक्रीम खाने चले गये और तब मेरे थोड़ा ज़ोर देकर पूछने पर उन्होंने मुझे अरविन्द के बारे में सभी बातें सच सच बताई और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि में यह बात में घर पर किसी से ना कहूँ और उन्होंने मुझसे कहा कि वो अब उस लड़के से ही शादी करना चाहती है, क्योंकि वो उनको बहुत अच्छा लगता है और वो उनका बहुत ख्याल रखता है, वो बहुत अच्छा पैसा कमा लेता है और वो उनके साथ रहकर पूरी जिन्दगी बहुत खुश रहने वाली है. दोस्तों अब में उनकी बात को सुनकर बिल्कुल चुप रहा और दोपहर को में उनकी उस चुदाई को याद कर रहा था.

फिर रात को दीदी जब सो गई तो में उनके बूब्स को छेड़ रहा था, क्योंकि वो हमेशा सिर्फ़ शॉर्ट और टी-शर्ट पहनती थी, इसलिए उनके बूब्स बहुत अच्छे उभरे हुए नजर आ रहे थे, जिनको देखकर में ललचा रहा था और अब में थोड़ी सी हिम्मत करके उनके बूब्स पर हाथ रखकर मुठ मारने लगा, जिसकी वजह से मुझे मजा आ गया और कुछ देर बाद मैंने अपना वीर्य उनके शॉर्ट पर ही निकाल दिया और उसके बाद में सो गया. "Didi Condom Pahna Rahi"

फिर मैंने सुबह उठकर जब देखा तो वो उठी सब कुछ शांत था और वो मुझसे बोली कि नाश्ता कर ले. फिर मैंने नाश्ता किया और उसके बाद में अपने कॉलेज चला गया और शाम को दीदी ने मुझे अरविन्द से मिलवाया और हम बाहर एक होटल में खाने पर चले गये. उसके साथ कुछ घंटे बिताने के बाद दीदी ने मुझसे कहा कि चलो अब हम घर चले.

फिर हम घर पर पहुंचे और रात को दीदी नहाने बाथरूम में चली गई तो मैंने बहुत हिम्मत करके बाथरूम के एक छोटे से रोशनदान से अंदर देखा तो वो नहाते हुए अरविन्द से वीडियो चेटिंग कर रही थी और उधर अरविन्द अपना लंड हिला रहा था और दीदी उसको देखकर अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी. फिर वो अरविन्द से कहने लगी कि कल सभी लोग दो दिन के लिए बाहर जा रहे है, अरविन्द तुम मेरे घर पर आ जाना और अब हम कल हमारे घर पर मिलते है और अपनी बात खत्म करके दीदी कुछ देर बाद नहाकर बाथरूम से बाहर आ गई.

फिर अगली सुबह में जल्दी उठ गया और नहाकर तैयार हो गया और उसके बाद में नाश्ता करके अपने कॉलेज के लिए निकलने लगा. तभी मुझसे मेरी दीदी कहने लगी कि तू आज इतनी जल्दी क्यों जा रहा है? तब मैंने उनसे कहा कि कुछ नहीं आज मुझे कुछ जरूरी काम है और मेरा कॉलेज के बाद फिल्म देखने जाने का भी मन है, इसलिए में शाम को भी थोड़ा देरी से आऊंगा.

फिर वो मेरी बात को सुनकर बहुत खुश हो गई, इसलिए वो मुझसे बोली कि वाह तुम्हारा बहुत अच्छा विचार है और उन्होंने मुझसे कहा कि तू रुक, दो मिनट के बाद वो अपने कमरे से बाहर आई और उन्होंने मेरे हाथ में 500 रूपये दे दिए. उसके बाद वो मुझसे बोली कि जा और भी ज्यादा मज़े कर.

अब मैंने उनको धन्यवाद कहा और में घर से बाहर निकल गया, लेकिन मुझे उस दिन अपने कॉलेज तो जाना ही नहीं था, वो सब कुछ मेरा एक नाटक उनको चुदते हुए देखने की एक सोची समझी साजिश थी, जिसको उन्होंने सच मान लिया था और इसलिए में अब हमारी गली के कॉर्नर पर मेरे एक दोस्त के यहाँ पर गया और में वहीं पर उसके पास रुक गया, क्योंकि वो पिछले चार दिनों से बीमार था, में उससे उसका हालचाल तबियत की जानकारी लेने लगा.

फिर करीब 9 बजे मैंने देखा कि हमारी गली में एक कार आई और में करीब पांच मिनट बाद अपने दोस्त के घर से बाहर आ गया. तब मैंने देखा कि वो गाड़ी मेरे घर के बाहर खड़ी हुई है, उसको देखकर में तुरंत समझ गया कि यह मेरी दीदी का बॉयफ्रेंड अरविन्द ही होगा, इसलिए वो बात सोचकर मैंने अपने बेग को मेरे दोस्त के घर पर ही छोड़ दिया और अब में अपने मकान के पीछे से एक खिड़की को खोलकर मेरे रूम में आ गया और तब मैंने देखा कि पास वाले रूम में मेरी दीदी और उनका बॉयफ्रेंड अरविन्द है, मुझे उसकी बातें करने की आवाजे सुनाई दे रही थी और वो दोनों बेड पर एक दूसरे की बाहों में एकदम चिपककर लेटे लेटे बातें कर रहे थे.

अरविन्द का गेंहुआ कलर का और वो दिखने में ठीक-ठाक लड़का था, लेकिन दीदी उससे कहीं अच्छी लगती है, क्योंकि वो हर दिन जिम जाकर अपने आपकी बहुत देखभाल करती है और वो बहुत सुंदर उनका कलर दूध जैसा सफेद है. फिर कुछ देर बाद दीदी उठकर बैठ गई और उससे वो कहने लगी कि तुम लेटो में तुम्हारे लिए केक लाती हूँ. तभी अरविन्द उनसे बोला कि तुम यहीं पर रुको में तुम्हारा मन पसंद केक लाया हूँ. दीदी अपने कमरे से बाहर आई और में फट से अपने रूम में घुस गया और उसके बाद वो केक लेकर अंदर कमरे में चली गई.

उसके बाद में बाहर आया और मैंने देखा तो वो दोनों अब एक साथ बैठकर केक खा रहे थे. उसके बाद वो दोनों अब एक दूसरे को किस करने लगे. अब अरविन्द ने सही मौका देखकर तुरंत दीदी का वो सफेद रंग का टॉप उतार दिया और तब मैंने देखा कि उन्होंने नीचे भी सफेद कलर की ब्रा पहनी हुई थी और अब उसने उनकी ब्रा को भी उतार दिया. "Didi Condom Pahna Rahi"

फिर वो बूब्स के बाहर आते ही मेरी दीदी के लटकते हुए बूब्स को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा और दूसरे बूब्स को दबाने सहलाने लगा, जिसकी वजह से दीदी जोश में आकर उसके सर पर अपना एक हाथ रखकर उसके बालों को सहला रही थी. दोस्तों अब तक में भी उन दोनों को देखकर पूरी तरह से जोश में आ चुका था और मेरे लंड ने अपना आकार बदल दिया था. वो अब पूरी तरह से तनकर खड़ा हो चुका था. तभी अरविन्द ने सही मौका देखकर दीदी के शॉर्ट्स को भी उतार दिया. तब मैंने देखा कि दीदी ने उसके नीचे कुछ भी नहीं पहना हुआ था. फिर अरविन्द ने खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए और अब वो दोनों खड़े खड़े एक दूसरे को किस करने लगे.

थोड़ी देर बाद दीदी ने उसको बेड पर हल्का सा धक्का दे दिया और वो अब उसके ऊपर आ गई और धीरे धीरे अरविन्द को किस करते करते नीचे जाने लगी. तभी अरविन्द ने जोश में आकर उसका सर पकड़कर नीचे कर दिया. दीदी उसकी इस हरकत का मतलब समझ गई थी और अब उन्होंने केक को अपने एक हाथ में लेकर उसके लंड पर लगा दिया, जिसकी वजह से लंड नजर ही नहीं आ रहा था और फिर वो लंड को किसी आईसक्रीम की तरह अपनी जीभ से चाटने और लोलीपोप की तरह चूसने लगी थी, जिसकी वजह से अरविन्द अब और भी ज्यादा पागल सा हो गया और वो अपने मुहं से अह्ह्ह्हह्ह उफ्फ्फफ्फ्फ़ वाह मज़ा आ गया, हाँ ऐसे ही चूस मेरी जान आवाजे निकलने लगी थी. फिर कुछ देर बाद उसने मेरी दीदी के पूरे शरीर पर केक लगाकर उनको चाटना शुरू किया और अब मेरी दीदी उसके साथ बहुत मज़े कर रही थी. "Didi Condom Pahna Rahi"

अब अरविन्द उनकी चुदाई करने के लिए तैयार हुआ तो दीदी ने उसके लंड पर जल्दी से कंडोम पहना दिया और अरविन्द ने दीदी को एकदम सीधा लेटाकर अपने लंड को चूत पर सेट करके एक धक्का देकर पूरा अंदर सरका दिया और वो धीरे धीरे धक्के देकर उनको चोदने लगा था, लेकिन करीब पांच मिनट में वो झड़ गया और उसने कुछ देर लंड को चूत के अंदर ही रहने दिया.

फिर दीदी ने उठकर उसके लंड से कंडोम को हटाकर कोने में फेंक दिया और उसको अपने मुहं में लेकर कुछ देर चूसकर दोबारा से खड़ा कर दिया और उसके बाद वो खुद ही उसके ऊपर आ गई और लंड को अपने अंदर लेकर उससे अपनी चूत को चुदवाने लगी, लेकिन थोड़ी देर बाद वो थककर रुक गई थी.

फिर अरविन्द ने उनको अपने ऊपर से हटाकर अपने सामने डॉगी बनाकर पीछे से अपने लंड को अंदर डालकर उसने उनको चोदना शुरू कर दिया था और कुछ देर धक्के देने के बाद उसने दीदी को बेड के कॉर्नर में ले जाकर वो खुद नीचे खड़ा होकर उसने अपनी तरफ से उनको लगातार धक्के देने शुरू किए और दीदी सिसकियाँ लेकर उफ्फ्फ्फ़ हाँ थोड़ा और अंदर डाल दो आह्ह्हह्ह हाँ जाने दो पूरा अंदर वाह मज़ा आ गया, स्सीईईइ तुम बहुत अच्छी चुदाई करना जानते हो, मुझे तुमसे चुदवाकर बहुत अच्छा लगता है, बहुत मज़ा आता है. "Didi Condom Pahna Rahi"

दोस्तों करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद अरविन्द एक बार फिर से झड़ गया और वो मेरी दीदी के पास में लेट गया. उसके करीब दस मिनट के बाद दीदी उससे बोली कि में हमारे लिए पास्ता लेकर आती हूँ और वो वैसे ही उठकर किचन में चली गई और अब वो पास्ता बनाने लगी. करीब दस मिनट के बाद अरविन्द भी उनके पीछे पीछे किचन में आ गया और वो मेरी दीदी को अपनी बाहों में जकड़कर उनकी गर्दन पर पीछे की तरफ से किस करने लगा. तभी दीदी ने उसको अपने पीछे पाकर तुरंत गेस को बंद कर दिया.

फिर अरविन्द पीछे से उनके दोनों बूब्स को पकड़कर पूरे जोश में आकर दबाने, मसलने लगा और दीदी उसके साथ मज़े करने लगी. फिर कुछ देर बाद अरविन्द ने उन्हें काउंटर पर बैठा दिया और उसने दीदी की चूत में अपना लंड डालकर उनको चोदना चालू किया तो कुछ देर बाद दीदी ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी, उफफ्फ्फ्फ़ आह्ह्हह्ह्ह्ह माँ मर गई मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज थोड़ा धीरे धीरे करो, आईईईइ में गई काम से और अब वो एकदम से शांत हो गई, लेकिन अरविन्द चोदता रहा और पांच मिनट के बाद तेज धक्को के साथ झड़ गया. "Didi Condom Pahna Rahi"

फिर उसने दीदी को गोद में उठाया और वो उसे उठाकर बेडरूम में लेकर चला गया और वो दोनों चादर ओढ़कर लेट गए और में भी फिल्म देखने बाहर चला गया. फिर मेरी दीदी के साथ लेटकर वो फिल्म देखने गया और तब तक शाम हो चुकी थी. अब में अपने घर पर आ गया. फिर मैंने देखा कि मेरी दीदी पड़ोस में खड़ी है और हमारी पड़ोस में रहने वाली एक आंटी से बहुत हंस हंसकर बातें कर रही है, में चुपचाप अंदर चला गया और मैंने देखा तो उस समय घर पर कोई भी नहीं था और सब कुछ पहले जैसा एकदम शांत था.

फिर में उनके पास चला गया फिर हमने विचार किया और उसके बाद हम दोनों बाहर एक अच्छे से रेस्टोरेंट में खाना खाने चले गये और 9 बजे तक हम वापस आ गये, क्योंकि वो सर्दियों का समय था और हमे खाना खाते ही थोड़ा सा ठंड का अहसास होने लगा था, घर पर पहुंचकर में और दीदी टी.वी. देखने लगे और इधर उधर की बातें भी करने लगे. अब वो मुझसे पूछने लगी थी कि मुझे वो फिल्म कैसी लगी थी, जो मैंने दिन में देखी थी और उसमें क्या क्या चल रहा था और मैंने कितने मजे किए, यह सभी बातें करने के बाद वो करीब 11 बजे सो गई, उस समय वो उनकी पीठ को मेरी तरफ करके सोई थी. "Didi Condom Pahna Rahi"

फिर मैंने कुछ देर बाद जब वो गहरी नींद में सो गई, अपने लोवर को नीचे किया और अब में उनके शरीर पर हाथ फेरते हुए मुठ मारने लगा. तभी इतने में उन्होंने अपना मुहं मेरी तरफ कर लिया, जिसकी वजह से अचानक उनका हाथ मेरे लंड के ऊपर आ गया और में थोड़ा सा डर गया, लेकिन उनके हाथ लगने की वजह से मुझे मजा भी बहुत आ रहा था और उन्होंने उस समय अपनी ब्रा भी नहीं पहनी थी, इसलिए में बहुत आराम से करीब से उनके गोरे गोरे बूब्स को आखें फाड़ फाड़कर देखे जा रहा था और मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था. फिर कुछ देर बाद में बहुत जोश में आ गया और में वहां से उठकर सीधा बाथरूम में चला गया और मुठ मारकर वापस आ गया और उनसे चिपककर लेट गया और मुझे बिल्कुल भी पता नहीं कब में सो गया.

दोस्तों अगले दिन अरविन्दवार का दिन था तो हम दोनों ने सुबह साथ में सफाई का काम किया और हमारी काम वाली बाई ने पोछा, बरतन साफ किए और उसके बाद वो अपना काम खत्म करके चली गई. फिर दीदी नहाने चली गई और में भी उनके पीछे पीछे उनको नहाते हुए देखने के लिए चला गया, क्योंकि में वहां से उनको पूरा नंगा देख सकता था. अब मैंने अंदर की तरफ देखा तो मेरी दीदी बहुत आराम से नहाने के टब में पूरी नंगी होकर लेटकर नहा रही थी. "Didi Condom Pahna Rahi"

कुछ देर बाद वो रुक गई और अपना गाउन अपने गोरे गीले बदन पर लपेटकर बाहर आ गई और अब वो मुझे आवाज़ लगाने लगी तो में तुरंत उनके पास चला गया. अब वो मुझसे कहने लगी कि तू मेरे शरीर पर तेल से मसाज कर दे और वो मुझसे इतना कहकर उन्होंने अपना गाउन खोल दिया और बेड पर लेट गई और नीचे टॉपर और शॉर्ट्स थी, इसलिए में बहुत आराम से उनकी भरी हुई मोटी जांघो और उसके ऊपर उनकी मुलायम पूरी पीठ पर मसाज करने लगा, वो अहसास में किसी भी शब्दों में नहीं बता सकता कि में उस समय क्या महसूस कर रहा था?

मेरे थोड़ी देर मसाज करने के बाद वो मुझसे बोली कि धन्यवाद चल अब में जाकर नहा लेती हूँ और वो अंदर चली गई और में भी उसके पीछे पीछे चला गया. तब मैंने देखा कि वो अब एक क्रीम को अपने दोनों हाथों में लेकर अपने दोनों बूब्स पर मसाज कर रही थी और फिर थोड़ी देर बाद वो नहाकर बाहर आ गई. फिर उसके बाद हम दोनों बातें करने लगे और उसके अगले दिन हमारे घर वाले भी आ गये. इसके बाद भी दीदी, अरविन्द से कई बार मिलने उसके घर पर जाती है और खूब चुदवाती है. "Didi Condom Pahna Rahi"
 
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