दोस्तों, लोग मुझे आंटीबाज़ कहकर ही बुलाते हैं और मैं भी चाहता हूँ की आप सभी मुझे देसी आंटी बाज़ के नाम से ही जाने | न जाने मैं आज तक अपने मोटे सांवले लंड से कितनी आंटियों की चुत की खटिया की होगी पर अब बारी आ चुकी थी रीती आंटी की चुत की खटिया कड़ी करने की | आंटी मेरे मंजिल के उप्पर वाले माले पे रहा करती थी और च्यूंकि उन्हें सिलाई आती थी इसीलिए कपड़ों की कुछ छोटी - मोटी सिलाई मेरे घर वाले उन आंटी से ही करा लिया करते थे | मेरी आंटी पर तो पूरी नज़र तब से ही पड़ चुकी थी जबसे मैंने उनकी गीली मैक्सी में बालकोनी में कपडे सुखाते हुए देखा था और जब हम दोनों की वासना भरी नज़रें एक दूसरे से टकरा जाती थी |
एक दिन भरी दोपहर को मेरी अम्मा ने मुझे रीती आंटी के यहाँ से कुछ कपडे सिलाई हुए लाने को कहा और मैं भी चल पड़ा | मैं जब आंटी के घर पहुंचा तो आंटी के होंटों पर एक अजब सी मुस्कान आ गयी थी | उन्होंने मुझे घर में अदंर बुलाया और देखा की आंटी अपने ब्रा की सिलाई कर रही थी | मैं नज़र मुडाता ही की आंटी ने बड़ी नरमी से कहा, अपनी चड्डी की सिलाई करवायोगे . .??? मैं कुछ कहता इतने में आंटी झुकी और मेरी पैंट को खोलने लगी और मैं टनटनाता हुआ आंटी के लटके हुए चुचों को देख रहा था | आंटी इतने देर में मुझे मेरी चड्डी में ले आई थी और अब तक उनके चुचों पर हाथ फेर रहगा और अब आंटी से चिपक गया |
मैं बड़ी मस्ती से रीती आंटी के चुचों को भींचने लगाऔर उनकी साडी को भी उतारते हुए नंगी कर डाला | मैं रीती आंटी के मोटे - मोटे गोरे चुचों को चूस रहा था और उन्हें वहीँ टेबल पर लिटाकर उनके चुचों को पिने लगा था | मैंने अपनी हतेली को देसी आंटी की चुत के उप्पर रगड़ने लगा और चुत की फांकों के बीच अपने मुंह रख जीभ से चटाई करने लगा | मैंने अब रीती आंटी की चुत में अपनी उँगलियों को अंदर - बाहर करना शुरू कर दिया था और फिर वहीँ उनके उप्पर लेटते हुए उनकी मोटी जाँघों को खोल डाला, जहाँ में अपने लंड के धक्के पलते हुए उनकी चुत की गहराई में अपने लंड को धंसाने लगा | मेरे धक्कों में मेरा लंड आंटी की चुत में फिसल कर पूरा का अपरम्पार हुआ जा रहा था |
देसी आंटी मिसमिसा रही थी और चोद मेरे राजा . . चोद डाला मेरी भोंसड़ी को . .!! कहकर सीत्कारें भर रही थी | अब जब मैं अपनी चरम सीमा पर पंहुचा मी अपना वीर्य आंटी की छोड़ दिया और आंटी की चुत पर अपने वीर्य को लेने लगा था | अब मैं नीचे खड़ा हो गया और एक हाथ से उनके चुचों को मसल रहा था तो दूर आंटी की चुत को मसलता हुआ अपनी उंगलिया आंटी की चुत में हौले हौले धंसा रहा था | आज तो मैंने अपनी चड्डी की सिलाई कराने के बड़े आंटी की चुत की सिलाई को चीर डाला था और खुद भी मन में मुस्काता हुआ रीती आंटी को बेतहाशा चूम रहा था |
एक दिन भरी दोपहर को मेरी अम्मा ने मुझे रीती आंटी के यहाँ से कुछ कपडे सिलाई हुए लाने को कहा और मैं भी चल पड़ा | मैं जब आंटी के घर पहुंचा तो आंटी के होंटों पर एक अजब सी मुस्कान आ गयी थी | उन्होंने मुझे घर में अदंर बुलाया और देखा की आंटी अपने ब्रा की सिलाई कर रही थी | मैं नज़र मुडाता ही की आंटी ने बड़ी नरमी से कहा, अपनी चड्डी की सिलाई करवायोगे . .??? मैं कुछ कहता इतने में आंटी झुकी और मेरी पैंट को खोलने लगी और मैं टनटनाता हुआ आंटी के लटके हुए चुचों को देख रहा था | आंटी इतने देर में मुझे मेरी चड्डी में ले आई थी और अब तक उनके चुचों पर हाथ फेर रहगा और अब आंटी से चिपक गया |
मैं बड़ी मस्ती से रीती आंटी के चुचों को भींचने लगाऔर उनकी साडी को भी उतारते हुए नंगी कर डाला | मैं रीती आंटी के मोटे - मोटे गोरे चुचों को चूस रहा था और उन्हें वहीँ टेबल पर लिटाकर उनके चुचों को पिने लगा था | मैंने अपनी हतेली को देसी आंटी की चुत के उप्पर रगड़ने लगा और चुत की फांकों के बीच अपने मुंह रख जीभ से चटाई करने लगा | मैंने अब रीती आंटी की चुत में अपनी उँगलियों को अंदर - बाहर करना शुरू कर दिया था और फिर वहीँ उनके उप्पर लेटते हुए उनकी मोटी जाँघों को खोल डाला, जहाँ में अपने लंड के धक्के पलते हुए उनकी चुत की गहराई में अपने लंड को धंसाने लगा | मेरे धक्कों में मेरा लंड आंटी की चुत में फिसल कर पूरा का अपरम्पार हुआ जा रहा था |
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