दो जिस्मों का मिलन

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Antarvasna, hindi sex kahani: अहमदाबाद में मेरे पिताजी का एक बड़ा कारोबार है मैं अपनी पढ़ाई के लिए न्यूजीलैंड चला गया था वहां से मैं जब वापस अहमदाबाद लौटा तो पिताजी ने जैसे मेरे ऊपर सारी जिम्मेदारियां डाल दी। वह चाहते थे कि मैं उनके बिजनेस को आगे बढाऊँ, पापा ने मुझे कहा कि बेटा अब तुम्हें ही मेरे काम को आगे बढ़ाना है। मैंने पापा से कहा मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं आपके काम को आगे बढ़ा पाऊं। कुछ समय तक तो मैं पापा के साथ ही काम सीखता रहा लेकिन जब पापा ने मुझे पूरी जिम्मेदारी सौंप दी तो मुझे अपने काम पर पूरा ध्यान देना था। मैं अपने काम पर पूरा ध्यान दे रहा था और मुझे अब अहमदाबाद आए हुए कुछ समय हो चुका था अहमदाबाद में मेरे पुराने दोस्त थे उनसे भी मैं बीच में एक दो बार मिला था। एक दिन मैं घर पर पहुंचा तो पापा कहने लगे जिग्नेश बेटा आज मेरे दोस्त की लड़की की शादी है तुम्हें भी मेरे साथ चलना होगा मैंने पापा से कहा पापा क्या हम सब लोग शादी में जा रहे हैं।

पापा कहने लगे हां बेटा हम सब लोग शादी में जा रहे हैं तुम्हारे दादा जी और दादी भी हमारे साथ चल रहे हैं हमारे उन लोगों के साथ पुराने रिलेशन है इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं तुम्हें भी उन लोगों से मिलवाऊँ और वहां पर हमारे कुछ और पुराने दोस्त भी मिलेंगे। मैंने पापा से कहा ठीक है पापा मैं तैयार हो जाता हूं मैं अपने रूम में चला गया और मैंने अपना ब्लू कलर का ब्लेजर अपनी अलमारी से निकाल कर पहना। मैंने शीशे में कुछ देर तक अपने आपको देखा तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मैं तैयार होकर अपने घर की पार्किंग में चला गया। पापा और दादा जी लोग सब लोग मेरा वहां इंतजार कर रहे थे वहां से मैं कार में बैठा और हम लोग पार्टी में चले गए। जब हम लोग पार्टी में गए तो वहां पर पापा के काफी दोस्त मिले और पापा ने मुझे भी उन लोगों से मिलवाया वह सब बड़े घराने के थे और उनसे मुलाकात कर के मुझे भी अच्छा लगा। आगे भी वह लोग मेरे ही काम आने वाले थे इसीलिए पापा चाहते थे कि मैं उन लोगों से मिलूँ, मेरी मुलाकात उनसे बहुत अच्छी रही। उसके बाद उसी पार्टी के दौरान जब मैं हेतल से मिला तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे हेतल पार्टी को बिल्कुल भी इंजॉय नहीं कर रही है और वह बिल्कुल ही अलग-थलग बैठी हुई है।

मैंने जब हेतल से बात की तो वह भी मुझसे बात करने लगी मैंने उसे कहा तुम अकेली क्यों बैठी हुई हो वह मुझे कहने लगी मुझे पार्टी बिल्कुल भी पसंद नहीं आती वह तो बस पापा के कहने पर मुझे यहां आना पड़ा नहीं तो शायद मैं यहां आती भी नहीं। जब मैंने हेतल से पूछा की तुम्हें क्या अच्छा लगता है तो वह मुझे कहने लगी मुझे घूमना बहुत पसंद है। जब उसने मुझे यह बात बताई तो मैंने हेतल से कहा घूमने का तो मैं भी बहुत शौकीन रहा हूं लेकिन जब से अहमदाबाद आया हूं तब से मुझे अपने लिए समय ही नहीं मिल पाता इसीलिए तो मैं कहीं जा भी नहीं पाया। हेतल मुझे कहने लगी कि चलो कभी तुम्हारा घूमने का प्लान बने तो मुझे जरूर बताना। कुछ ही समय में हेतल से मुझे अपना जुड़ाव सा महसूस होने लगा और उस रात पार्टी में पापा ने मुझे काफी लोगों से भी मिलवाया और मुझे अच्छा भी लगा। इतने समय बाद मुझे अपने परिवार के साथ कहीं जाने का मौका मिल पाया था लेकिन उन सब के बीच मुझे जो एक चीज अच्छी लगी वह हेतल थी हेतल के चेहरे पर बिल्कुल भी दिखावटी मुस्कान नहीं थी और वह बहुत ही शांत स्वभाव और बहुत अच्छी थी। मैंने जब हेतल को फोन किया तो हेतल मुझे कहने लगी कि चलिए कम से कम आपने मुझे फोन तो कर लिया मुझे लगा था कि आप मुझे फोन भी नहीं करेंगे। मैंने हेतल से कहा तुम्हें ऐसा क्यों लगा था कि मैं तुम्हें फोन नहीं करूंगा कल मेरी और तुम्हारी बात कितनी देर तक हुई और जब मैं घर आया तो मेरे सामने सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा घूम रहा था। हेतल कहने लगी अच्छा तो आपको मैं इतनी अच्छी लगी कि आपके सामने मेरा चेहरा ही घूम रहा था। हम लोगों ने उस दिन काफी देर तक बात की और हमें पता ही नहीं चला कि हम लोग इतनी देर तक बात करते रहे। जब हेतल ने मुझे कहा कि अभी मुझे मम्मी के साथ मार्केट जाना है अभी मैं फोन रखती हूं तो मैंने हेतल से कहा ठीक है हम लोग बाद में बात करते हैं।

वह कहने लगी हां हम लोग बाद में ही बात करेंगे मैं भी अपने ऑफिस में ही बैठा हुआ था लेकिन हेतल का मासूमियत भरा चेहरा मेरे सामने बार बार आ रहा था और मेरा काम करने का बिल्कुल भी मन नहीं हो रहा था। कुछ दिनों से मुझे बड़ा अजीब सा महसूस हो रहा था और शायद इसी को प्यार कहते हैं मुझे इस बात का बिल्कुल भी अनुमान नहीं था कि मुझे हेतल से प्यार हो गया है। मैं और हेतल जब पहली बार एक दूसरे को मिले तो हम दोनों ने एक दूसरे से काफी बात की हालांकि हम दोनों दूसरी बार मिल रहे थे लेकिन इससे पहले हम लोग पार्टी में मिले थे उस वक्त हम लोग एक दूसरे को इतने अच्छे तरीके से नहीं जानते थे परंतु अब हम लोग एक दूसरे को अच्छे से जानते थे और एक दूसरे के साथ हम लोगों की नजदीकियां बढ़ रही थी। मुझे भी शायद हेतल से बात करना अच्छा लगता है और हेतल को भी मुझसे बात करना अच्छा लगता। हम दोनों ही एक दूसरे से काफी देर तक बात करते रहे और जब हेतल ने मुझे कहा कि मुझे अब घर जाना चाहिए तो मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग दोबारा मिलते हैं।

अब हमारी मुलाकात का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा था हेतल मुझसे अक्सर मिला करती थी और मुझे उससे मिलना बहुत ही पसंद था क्योंकि हेतल के मेरे जीवन में आने से शायद मेरे जीवन में भी काफी बदलाव आ चुका था। वह जिस प्रकार की बातें किया करती और जिस प्रकार का उसका व्यवहार था उससे मैं भी हेतल की तरह ही सोचने लगा था मुझे भीड़भाड़ भरी जिंदगी बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही थी। कुछ समय के लिए मैं कहीं अकेले जाना चाहता था मैंने जब यह बात हेतल को बताई तो हेतल मुझे कहने लगी मैं भी तुम्हारे साथ चलना चाहती हूं। जब यह बात हेतल ने कही तो कि मै भी तुम्हारे साथ चलना चाहती हूं तो जैसे मेरे दिल की बात उस ने छीन ली थी और हम दोनों ने ही एक साथ कुछ दिनों के लिए घूमने का प्लान बना लिया। हम दोनो केरल के लिए चले गए जब हम लोग घूमने के लिए केरल के एक छोटे से कस्बे में गए वहां पर हम दोनों ने दो कमरे ले लिए थे क्योंकि हेतल और मेरे बीच में फिलहाल तो ऐसा कुछ नहीं था शहर से दूर अच्छा लग रहा था। हम दोनों के बीच जल्द ही शारीरिक संबंध बनने वाले थे क्योंकि मुझे इस बात की पूरी उम्मीद थी कि यह तो हमारे साथ होगा ही और ऐसा ही हुआ। जब हेतल के साथ मेरे शारीरिक संबंध बने तो हम दोनों ने ही एक दूसरे को अपनी बाहों में भर लिया हेतल ने मुझे कहा कि तुम मुझे आज अच्छे से किस करो। मैंने हेतल को बड़े ही अच्छे से किस किया और जिस प्रकार से मैं हेतल के होठों को चूम रहा था उससे तो वह मेरी बाहों में आने के लिए बेताब हो चुकी थी। कुछ देर तक मैंने उसे अपनी बाहों में ही ले रखा था हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को छूना शुरु किया तो मुझे भी बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैं हेतल के होठों को चूमता तो मैं गरम होने लगता और हेतल की गर्मी भी बढ़ने लगी थी। हेतल ने जब मुझे कहा कि मैं तुम्हारे लंड को चूसती हूं यह सुनकर मुझे अच्छा लगने लगा। हेतल ने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया जब हेतल ने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समाया तो मैं उत्तेजित हो गया।

मैने हेतल से कहा जब तुम मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेती हो तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। वह ऐसा ही मेरे लंड को मुंह मे लेती रही काफी देर तक उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर किया जब हेतल के अंदर गर्मी बढने लगी तो मैंने उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगा दिया और उसकी चूत की गर्मी को और बढा दिया। मैंने जब अपनी जीभ को हेतल की चूत मे लगाया तो मुझे भी अच्छा लगता है। मैं अपने लंड को उसकी योनि पर लगाने के लिए बेताब हो चुका था मैंने अपने मोटे लंड को हेतल की योनि पर लगा दिया और अंदर की तरफ धकेलते हुए हेतल को अपना बना लिया। हेतल की योनि के अंदर मेरा लंड जा चुका था उसकी सील पैक योनि से खून बाहर की तरफ को निकलने लगा था। उसकी सील पैक योनि से मेरा खून इतना ज्यादा निकलने लगा था कि वह चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी आज तो मजा ही आ गया।

जिस प्रकार से हेतल की योनि से खून निकल रहा था उससे उसकी उत्तेजना में भी बढ़ोतरी होने लगी थी और उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि मैं भी अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहा था। मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़कर चौडा किया और उसके स्तनों को भी चूसता। मैंने हेतल की प्यास बुझाने की पूरी कोशिश की वह जैसे पूरी तरीके से मचल उठी थी मुझे भी वह बड़े मजे दे रही थी। मैंने हेतल को अपने ऊपर से आने के लिए कहा तो मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगा दिया और हेतल की योनि पर में धक्के देने लगा। हेतल भी अपनी चूतडो को मेरे लंड के ऊपर नीचे करने लगी मुझे भी अच्छा लग रहा था हेतल को भी बड़ा मजा आ रहा था। काफी देर तक हेतल ने ऐसा ही किया जब हम दोनों की गर्मी शांत होने लगी तो मैं समझ गया कि अब हम दोनो नही झेल पाएगे। मैंने हेतल की योनि के अंदर अपने माल को गिरा दिया था और जब मेरा वीर्य हेतल की योनि में गिरा तो वह मेरी हो चुकी थी।
 
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