धन उधार देने का लाभ

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Dhan Udhaar Dene Ka laabh

नमस्कार मेरे प्यारे दोस्तो। क्या आप लोगों ने कभी किसी को उधार दिया हैं? और अगर दिया है तो समय पर पैसे न लौटाने पर आपने क्या किया?

देखिए आप लोगों का तो पता नहीं, लेकिन मैंने तो मेरे पैसे एक अलग रूप में वसूल कर लिए। मेरी इस कहानी को पढ़कर आप लोग मुझें कमेंट करके बताइए कि मैंने सही किया या गलत।

मेरे पिताजी की ट्रांसपोर्ट बिज़नेस है, जिसकी वजह से मुझें पैसों की कमी कभी भी महसूस नहीं हुई है। इसी कारण मेरे दोस्त भी कभी-कभार मुझसे पैसे उधार लिया करते है।

एक बार, सूरज जैसवार नाम का एक लड़का मेरे पास उधार माँगने आया था। मैंने उसके बारे में सभी जानकारी अपने दोस्त से लेकर उसे ५, ०००₹ उधार दे दिए थे।

सूरज ने मुझसे कहा था कि वह एक महीने बाद पैसे लौटा देगा। २ महीने हो गए थे उसे पैसे देकर, फिर भी वह हरामखोर पैसे लौटाने मेरे पास नहीं आया था। पैसे लेने मैं खुद उसके घर चला गया।

जब मैं उसके घर पहुँचा, तब वह आराम से बिस्तर पर पड़ा हुआ था। उसे देखकर मेरा खून खौल उठा था। मैंने उसका गला पकड़ लिया और २-३ थप्पड़ मारकर मेरे पैसे लौटाने को कहा।

सूरज डर के मारे काँप रहा था। कुछ देर बाद, उसके मुँह से आवाज़ निकली। हड़बड़ाकर वह कहने लगा कि उसके पास पैसे नहीं हैं और उसे कुछ और वक़्त चाहिए पैसे लौटाने।

उसकी बातें सुनकर मुझें गुस्सा आ गया और मैं उसकी पिटाई करने लगा। मैंने उसे उठाकर ज़मीन पर पटका और लात मारने लगा। तभी उसकी माँ दरवाज़े पर खड़ी चिल्लाई।

सूरज की माँ मुझे पूछने लगी कि मैं उसे किस लिए पिट रहा था। मैंने उसकी माँ को मुझसे लिए उधार के बारे में बताया और सूरज को फिर मारने लगा। तभी मेरे दिमाग में एक विचार आया।

[मैं:] आपका बेटा तो कह रहा है कि उसके पास पैसे नहीं हैं। आप ऐसा कीजिए, मेरे ५, ०००₹ आप मुझें दे दीजिए, वरना मैं मार-मारकर इसकी हड्डी तोड़ दूँगा।

[सूरज की माँ:] अरे बेटा, मेरे पास अगर इतने पैसे होते तो मैं एक ही चड्डी रोज़ पहनकर घूमती क्या, बताओ तो। मेरे इस नालायक बेटे की वजह से सब मेरी गाँड़ के पीछे पड़े है।

[मैं:] आप अगर ऐसी गाँड़ लेकर घूमेंगी, तो बेशक लोग आपके पीछे ही आएँगे। चलो मैं सूरज के मुझसे लिए हुए उधार को माफ करने तैयार हुँ, अगर आप मेरे साथ अपने बेटे के सामने बिस्तर गरम करती हैं तो।

[सूरज की माँ:] वाह बेटा। आज यह दिन भी दिखाना था मुझें? तेरे बाप को जब पता चलेगा तब वह मुझें कोठे पर छोड़ आएगा। अभी वहाँ खड़े रहकर देख अपनी माँ की चुदाई, मादरचोद।

मैंने सूरज की माँ को अपने बाहों में भरकर जकड़ लिया। आँटी की मोटी और लटकती चूचियों को अपनी छाती से दबाकर मैं उसके होठों को चूसने लगा। साली रंडी औरत गरम होने लगी थी।

सूरज की माँ को मैंने उसकी उभरी हुई गाँड़ से पकड़कर उठा लिया और बिस्तर पर लेटा दिया। उसकी साड़ी उठाकर मैं उसकी मोटी जाघों को चाटने लगा। आँटी भी मूड में आ गई थी।

[सूरज की माँ:] हे भगवान! कितना बेशर्म लड़का दिया रे तूने। अपनी माँ की चुदाई देखकर अपना लौड़ा हिला रहा है। बेटे, जाकर मेरी बदबूदार चड्डी उसके मुँह में ठूस दे जरा।

मैंने सूरज की माँ की बदबूदार चड्डी उतार फेंकी। सूरज ने उसे पकड़कर अपने मुँह में भर दिया और अपने लौड़े को हिलाना जारी रखा। मैं सूरज की माँ की मोटी चूत चाटने लगा। उसकी माँ ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी थी।

[सूरज की माँ:] आह! अच्छे से चाट मेरी चूत को। अपनी ज़ुबान से मेरी चूत को खोलकर साफ़ करदे, ऊई माँ!

मैंने आँटी के पैर उठाकर उसकी चूत को अच्छी तरह चाटना शुरू किया था। उसकी चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर मैं अपनी ज़ुबान को चूत के अंदर-बाहर करने लगा था। आँटी की हल्की-हल्की चीख़ें निकलने लगी थी।

फिर मैंने सूरज की माँ का ब्लाउज खोल दिया और उसकी लटकती चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। आँटी के काले निप्पल को बारी-बारी करके चूसकर उसे मैंने उत्तेजित कर दिया। सूरज की माँ की साड़ी निकालकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया।

पहले मैंने सोचा कि अपना लौड़ा सूरज की माँ के मुँह में डाल देता हुँ। लेकिन मेरा लौड़ा उसकी चूत देखकर इतना कड़क हो गया था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लौड़ा अंदर घुसा दिया।

सूरज की माँ के पैरों को मैंने अपने कंधों पर रख दिया। अपने लौड़े को धीरे से धक्का मारकर चूत के अंदर घुसाने के बाद मैंने ठुकाई की रफ्तार को बढ़ा दिया था। सूरज की माँ चिल्ला-चिल्लाकर मज़े ले रही थी।

मैं भी उत्साहित होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद, मैं सूरज की माँ के ऊपर लेटकर उसके होठों को चूसकर उसकी चुदाई करने लगा था। वह अपने बेटे को गालियाँ देने लगी थी।

[सूरज की माँ:] अपना लौड़ा और ज़ोर से हिला मादरचोद। देख तेरी माँ कैसे मज़े लेकर अपनी चूत मरवा रही है। इसका लौड़ा तो तेरे बाप से भी बड़ा और मोटा है। ऐसे ही चुदवा अपनी माँ को, भड़वे।

सूरज की माँ के मुँह से गरम साँसे निकलने लगी थी जो मुझे उकसाह रही थी। मैंने उसके गले को पकड़कर सहारा लिया और अपने लौड़े को जोर-ज़ोर से उसकी चूत पर पटकने लगा।

कुछ समय बाद, मैंने सूरज की माँ को मेरे ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसकी गाँड़ की छेद को चाटने लगा। आँटी मेरे तनकर खड़े गीले लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसने अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर उछालना शुरू कर दिया था।

[सूरज की माँ:] आह! देख मादरचोद, अपनी माँ की मोटी गाँड़ को इसके मुँह पर उछलते देख। तुझें तो मैं आज से अपना संडास खाने को दूँगी। मेरा पेशाब पीकर अपनी प्यास बुझाया कर, तू चुटिया है इसी लायक।

मैंने सूरज की माँ की गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर उसे चाटने लगा। साथ ही साथ, मैं अपनी उँगलियों से उसकी चूत को भी रगड़ रहा था। सूरज की माँ अपने पैरों के बल उछलकर अपनी गाँड़ मेरे मुँह पर पटक रही थी।

मेरे लौड़े को हिलाते हुए सूरज की माँ ने अपनी गाँड़ को मेरे चहरे पर घिसना शुरू कर दिया था। मैंने उसकी गाँड़ को पकड़ा और उसमें थूक मारकर उसे चूसने लगा। सूरज की माँ उत्तेजना के कारण अपनी गाँड़ हिलाने लगी थी।

कुछ समय बाद, मैंने सूरज की माँ को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने अपने लौड़े की नोक को सूरज की माँ की गाँड़ की छेद पर रखा और गाँड़ की दरार पर रगड़ने लगा। तभी आँटी मेरा लौड़ा पकड़कर बोल पड़ी।

[सूरज की माँ:] नहीं बेटा, मेरी गाँड़ मत मारना। मुझमें इतनी ताकत नहीं है। चाहिए तो मेरी चूत के अंदर अपना माल निकाल दे, मैं तेरे बच्चे की माँ बन जाऊँगी, लेकिन मेरी गाँड़ में लौड़ा मत घुसाना।

मैंने सोचा कि चलो यह बात भी सही है। अगर साली हग देती, तो सारा मूड खराब हो जाता। मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा घिसकर अंदर घुसा दिया और सूरज की माँ की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा। सूरज की माँ चिल्लाकर मस्त हो रही थी।

[सूरज की माँ:] यह तो तेरे पिताजी से भी अच्छा चोदता है। इसने अगर मेरा पेट भर दिया तो तुझे और तेरे बाप को मैं इस घर के बाहर भगा दूँगी। भिक माँगते फिरना तुम दोनों।

मैं आगे झुक गया और सूरज की माँ की चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। जब आँटी की चौड़ी गाँड़ मेरे लौड़े से टकराती थी, तब 'पच-पच' करके एक मधुर आवाज़ आ रही थी।

मैं बिस्तर पर बैठ गया और सूरज की माँ को मेरे लौड़े पर बिठा दिया। उसको जाघों से पकड़कर मैंने उसे उठाया और अपने लौड़े पर उछालने लगा। कुछ देर बाद, पैरों के बल बैठकर आँटी खुद मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी।

सूरज बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लौड़ा हिला रहा था। जब वह अपनी माँ के थोड़ा करीब आया, तब आँटी ने उसे एक ज़ोरदार थप्पड़ मार दिया था। थप्पड़ खाकर सूरज बिस्तर के पास नीचे फर्श पर बैठकर लौड़ा हिलाना जारी रखा।

कुछ देर बाद, मैं बिस्तर पर लेट गया। सूरज की माँ को मेरे ऊपर चढ़ाकर मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लौड़ा घिसना शुरू किया। आँटी ने उत्तेजित होकर मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर घुसा दिया।

सूरज की माँ मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उछाल-उछालकर चुदवा रही थी। मैंने उसके हिलते हुए चूचियों को पकड़कर दबाया और आँटी को और मस्त कर दिया।

आँटी के निप्पल को पकड़कर खींचने पर वह ज़ोर से चीख़ने लगी थी। मैं सूरज की माँ की चीख़ों से उत्साहित होकर उसे अपने गले से लगा लिया। फिर उसकी गाँड़ को पकड़कर चोदने लगा।

ज़ोर-ज़ोर से अपने लौड़े को आँटी की चूत में घुसाते वक़्त, सूरज ने उसकी माँ की गाँड़ के ऊपर अपना हाथ रख दिया था। आँटी ने उसकी छाती पर ज़ोर से लात मारकर उसे ज़मीन पर गिरा दिया।

[सूरज की माँ:] खबरदार जो मेरी गाँड़ को हाथ लगाया तो। तेरे मुँह में हग दूँगी मैं। तू सिर्फ़ अपनी माँ को इसके लौड़े पर उछलते हुए देखेगा। आह! देख कैसे चोद रहा है यह तेरी माँ को।

मैं तेज़ी से अपने लौड़े को आँटी की चूत में घुसा रहा था। थोड़ी देर रुककर मैंने सूरज की माँ की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। चिल्लाते वक़्त उसके मुँह की गर्म साँसे मुझें मदहोश कर रही थी।

अपनी उँगली को गाँड़ की छेद से निकालकर मैंने उसे सूरज की माँ के मुँह में डाल दिया। आँटी ने मेरी उँगली को अच्छे से चाटकर साफ़ किया। फिर मैं उसके मुँह में थूक मारकर सारा पानी पी गया।

मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैंने ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद, मैंने अपने लौड़े के पानी को सूरज की माँ की चूत में निकाल दिया। आँटी उठकर सूरज के पास गई।

सूरज के मुँह को अपनी चूत पर लगाकर उसने अपनी चूत से सारा का सारा लौड़े का पानी उसके मुँह के अंदर छोड़ दिया। आँटी उसको धक्के मारकर बाथरूम में चली गई। मैं भी अपने कपड़े पहनकर वहाँ से चला गया।

इस तरह मैंने अपने उधार के पैसे सूरज से वसूले। सूरज भी खुश, आँटी भी खुश और मैं भी खुश। अब मैं चाहता हुँ कि सूरज या फिर सूरज के जैसा कोई मुझसे उधार लेलें।

आप लोग भी किसी को दिया हुआ उधार इसी तरह वसूलना।
 
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