नजरे मिला ना सके

sexstories

Administrator
Staff member
Kamukta, antarvasna हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति पहले से ही अच्छी है हम लोगों का पुश्तैनी कारोबार है जो कि हम लोग काफी सालों से करते आ रहे हैं मेरे दादाजी ने हमारा कारोबार शुरू किया था उसके बाद हम लोग अभी तक अपने कारोबार को संभाल रहे हैं। मेरे पिताजी को और मैं अपना काम संभालते हैं हम लोगों ने बड़े ही अच्छे से काम को संभाला है मेरी बहन रचना की हमेशा से एक इच्छा थी की वह एक टीचर बने लेकिन पापा यह नहीं चाहते थे। पापा ने उसे हमेशा मना किया और कहा बेटा तुम टीचर बन कर क्या करोगी हम लोगों को कौन सा पैसे की कोई कमी है जो हम तुमसे नौकरी करवाएं लेकिन उसके बावजूद भी रचना हमेशा कहती कि पापा मुझे नौकरी करनी है इसलिए पापा ने भी उसे मना नहीं किया।

उसने नौकरी करने का फैसला कर लिया वह सरकारी स्कूल में टीचर बनना चाहती थी इसलिए उसने कई फॉर्म भरे परंतु उसका सिलेक्शन नहीं हो पाया लेकिन फिर भी रचना ने हिम्मत नहीं हारी और वह मेहनत करती रही जिससे कि वह टीचर बन पाये और एक दिन उसका सिलेक्शन हो गया। जब उसका सिलेक्शन हुआ तो उसे जॉब करने के लिए पंजाब में जाना पड़ा लेकिन पापा नहीं चाहते थे पापा ने कहा बेटा हम लोग दिल्ली में रहते हैं और तुम इतनी दूर अकेले कैसे रहोगी पापा बिल्कुल इसके खिलाफ थे लेकिन रचना ने पापा को मना लिया और पापा भी मान गए लेकिन पापा ने एक शर्त पर उसे नौकरी करने के लिए हां कहा कि वह बीच-बीच में हमसे मिलने के लिए आती रहेगी या फिर हम लोग उसे मिलने के लिए आते रहेंगे। वह कहने लगी ठीक है रचना पापा की बड़ी इज्जत करती है और मेरी मम्मी रचना से बहुत प्यार करती है इसलिए उन्होंने उसे आज तक कभी भी किसी चीज की कोई कमी महसूस नहीं होने दी। रचना पंजाब के छोटे से गांव में पढ़ाने लगी पापा और मैं भी वहां पर गए थे वह अमृतसर के पास ही था वहां से उसे आने जाने में कोई परेशानी नहीं थी हम लोग बीच-बीच में रचना से मिलने के लिए जाया करते थे और जब मैं रचना से मिलता तो वह खुश हो जाती क्योंकि रचना और मेरे बीच में बहुत अच्छे संबंध है हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और बहुत ज्यादा मानते हैं।

रचना और मैं जब छोटे थे तो हम दोनों बहुत शरारत किया करते थे और जब भी रचना कहीं फस जाती थी तो वह मुझे अपनी मदद के लिए बुलाया करती थी रचना जिस जगह नौकरी कर रही थी उसी जगह पर उसके साथ एक नई टीचर आई थी उसका नाम काव्या है। जब रचना ने मुझे उससे मिलाया तो मैं उसे मिलकर खुश हो गया क्योंकि काव्या के चेहरे की चमक और उसके बात करने का अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा उसने मुझे अपनी तरफ प्रभावित किया लेकिन दिक्कत यह थी कि काव्या की सगाई हो चुकी थी और शायद अब मेरा कोई भी नंबर नहीं था लेकिन मैं फिर भी हिम्मत नहीं हार सकता था मैं जब भी रचना से बात करता था तो मैं हमेशा काव्या के बारे में उससे पूछा करता था। एक दिन मुझे रचना का फोन आया वह कहने लगी काव्या ने भी मेरे साथ शिफ्ट कर लिया है और हम दोनों एक साथ रह रहे हैं। मैं बहुत खुश था क्योंकि रचना मुझे काव्या की हर बात की जानकारी देती रहती थी मैंने उम्मीद नहीं हारी थी और मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं काव्या के दिल में अपनी जगह बना लूंगा लेकिन समस्या सिर्फ इस बात की थी उसकी सगाई हो चुकी थी परंतु मुझे क्या पता था उसकी सगाई जिस लड़के से हुई है वह तो मेरा जान पहचान का ही निकलेगा। जब मुझे पता चला कि वह तो मेरा जानकार है तो मैं खुश हो गया मैं जब भी रचना से मिलता तो वह मुझे काव्य के बारे में बताती रहती जिससे की मैं उसके नजदीक जाने की कोशिश करता हालांकि काव्या को भी यह बात पता चल चुकी थी कि मेरे दिल में उसके लिए कुछ चल रहा है और मैं उसके दिल में जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूं। मैंने एक दिन काव्या से अपने दिल की बात कही तो वह कहने लगी जय तुम बहुत अच्छे लड़के हो लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती क्योंकि मेरी शादी तय हो चुकी है और जिस लड़के से मेरी सगाई हुई है उसमें ऐसी कोई भी कमी नहीं है जो की मैं उसे छोड़ दूं इसलिए तुम मेरा ख्याल अपने दिल से निकाल दो।

मैं काव्या को किसी भी हालत में पाना चाहता था और उससे मैं शादी करना ही चाहता था लेकिन वह भी अपनी जिद पर अड़ी हुई थी और जैसे समय बीतता जा रहा था काव्या की शादी का समय भी नजदीक आ रहा था और एक दिन काव्या की शादी का समय आ गया। एक बार हम लोग साथ में बैठे हुए थे मैंने सोचा मैं काव्या के मंगेतर से उसके बारे में पूछता हूं तो मैंने जब काव्या के बारे में उसे पूछा तो वह कहने लगा काव्या बड़ी अच्छी लड़की है और मैं बहुत खुश नसीब हूं कि काव्या जैसी लड़की से मेरी शादी हो पा रही है लेकिन मेरे तो दिल पर जैसे पत्थर पड़ गया था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे जीवन में सिर्फ काव्या ही है और उसके सिवा कुछ भी नहीं है परंतु शायद मेरे हाथ में भी कुछ नहीं था। रचना ने भी बहुत कोशिश की थी पर काव्या ने एक न मानी, उसकी शादी उस लड़के से तय हो चुकी थी काव्या ने मुझे भी शादी में बुलाया था क्योंकि उनकी शादी दिल्ली में ही होने वाली थी इसलिए हमें दिल्ली से भी कार्ड मिला था और काव्या ने भी मुझे अपनी शादी में इनवाइट किया था। मैं जब काव्या के घर गया तो वह मुझसे बात करने लगी और कहने लगी तुम्हें मुझ से अच्छी लड़की मिल जाएगी तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो और तुम एक अच्छे परिवार से भी ताल्लुक रखते हो।

मैंने काव्या से कहा मुझे मालूम है कि मुझे कोई ना कोई लड़की मिल जाएगी लेकिन मेरा दिल तो तुम पर आ गया था और मैं तुमसे ही शादी करना चाहता था लेकिन ना जाने मेरी किस्मत में तुम थी ही नहीं काव्या कहने लगी तुम बहुत अच्छे लड़के हो और मैं तुम्हारी बहुत इज्जत करती हूं। अब काव्या की शादी भी हो चुकी थी और मेरा दिल भी टूट चुका था मुझे रचना हमेशा फोन किया करती और कहती अब तुम काव्या को अपने दिल से निकाल दो लेकिन मैं कभी अपने दिल से काव्या को नहीं निकाल सकता था उसकी जगह मेरे दिल में ही थी। काव्या और मैं शादी के बाद तो नहीं मिल पाए क्योंकि शायद उसने अपने स्कूल से कुछ समय के लिए छुट्टी ले ली थी वह भी मेरी बहन के साथ ही रहती थी और जब वह वापस लौटी तो मेरी मुलाकात उससे काफी महीने बाद हुई। मैंने जब काव्या को देखा तो मैं उसे देख कर अपने आप को ना रोक सका और मैंने उसे कहा काव्या तुम खुश तो हो ना काव्या कहने लगी हां मैं खुश हूं जब उसने मुझसे यह बात कही तो मैंने उसे पूछा चलो कम से कम तुम खुश हो इससे ही मुझे बहुत अच्छा लगा। काव्या ने मुझे समझाया और कहा तुम भी अब शादी कर लो मैंने उसे कहा लेकिन मैंने अभी तुम्हारे ख्याल को अपने दिल से नहीं निकाला है और मैं इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहता काव्या मुझे कहने लगी लेकिन तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए। उसने मुझे बहुत समझाया परंतु मैंने उसकी एक बात ना मानी और मैं जब भी अपनी बहन से मिलने जाता तो काव्या से जरूर मिला करता था काव्या और उसके बीच अभी भी वैसी ही दोस्ती थी जैसे की पहले थी। काव्या की शादी तो हो चुकी थी लेकिन मैं फिर भी उसे दिल ही दिल प्यार करता था। एक दिन हम दोनों साथ में बैठे हुए थे उस दिन मैं रचना के पास गया हुआ था काव्या और मैं साथ में थे क्योंकि रचना को स्कूल में कुछ जरूरी काम था इसलिए उसे देर होने वाली थी।

मैं काव्या की तरफ देख रहा था और काव्या मेरी तरफ देख रही थी मैंने उससे काफी देर तक तो बात नहीं की लेकिन मैंने जब काव्या को अपनी बाहों में लिया तो मुझे जैसे सुकून सा मिला और एक अलग ही फीलिंग मेरे अंदर से पैदा होने लगी। मैंने काव्य के होठों को चूमना शुरू किया उसके होठों से मैंने उस दिन खून भी निकाल कर रख दिया उसके स्तनों को भी मैंने बहुत देर तक अपने हाथों से दबाया। जब मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो गया तो मैंने उसके कपड़े उतार दिए पहले तो उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन बाद में वह मेरा पूरा साथ देने लगी। मैंने उसकी योनि को भी बहुत देर तक चाटा जब उसका शरीर पूरा गर्म हो गया तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया मेरे अंदर गर्मी बढ़ने लगी। मैंने काव्या की योनि के अंदर अपने लंड को घुसा दिया, जब उसकी योनि के अंदर मेरा लंड घुसा तो मुझे बहुत मजा आया क्योंकि जो मैं चाहता था वह तो नहीं हुआ पर कम से कम मेरी इच्छा तो पूरी हो रही थी। मै काव्या को अपने नीचे लेटा कर चोद रहा था काव्या को मजा आने लगा था वह मेरा पूरा साथ दे रही थी, उसने मेरा पूरा साथ दिया।

मैं इतनी तेज गति से उसे धक्के देता वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लेती उसकी चूत अब भी बहुत ज्यादा टाइट थी इसलिए मुझे उसकी चूत मारने में बड़ा मजा आ रहा था। जब मैंने काव्या को घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो उसके मुंह से चीख निकल जाती और मेरे अंदर गर्मी पैदा हो जाती। मैं बड़ी तेज गति से धक्का देता मेरे धक्के इतने तेज होते कि उसका पूरा शरीर हिल जाता जिससे कि हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाए। मेरा वीर्य जैसे ही काव्या की योनि के अंदर गिरा तो मुझे बड़ा मजा आया और काव्या को भी बहुत अच्छा लगा। हम दोनों एक दूसरे से नजरें नहीं मिला पाए तभी रचना आ गई वह कहने लगी तुम दोनों इतने चुपचाप क्यों बैठे हो। मैंने कोई भी जवाब नहीं दिया लेकिन काव्या ने कहा ना जाने जय मुझसे बात ही नहीं कर रहा है, रचना ने मुझे कहा तुम काव्या से क्यों बात नहीं कर रहे हो। मैंने काव्या से बात की हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे।
 
Back
Top