नताशा की मदहोश करने वाली सिसकियाँ

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Hindi sex story, antarvasna: बहुत दिन हो गए थे मैं अपने परिवार के साथ कहीं घूमने भी नहीं गया था तो मैंने सोचा कि क्यों ना अपनी फैमिली के साथ कुछ समय बिताऊँ। मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और हमारा पूरा परिवार शिमला घूमने के लिए चला गया। हम लोग शिमला में करीब तीन दिन तक रहे और उसके बाद हम लोग वहां से वापस लौट आए। जब हम लोग वापस लौटे तो उसके अगले दिन से मैं ऑफिस जाने लगा। मेरा नाम सुबोध है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं और जिस कंपनी में मैं नौकरी कर रहा हूं उसमें पिछले तीन वर्षों से मैं काम कर रहा हूं। पापा भी अब जल्द ही रिटायर होने वाले थे जब पापा रिटायर होने वाले थे तो उन्होंने मुझसे कहा कि बेटा मैं रिटायर होने वाला हूं और सोच रहा हूं कि घर में एक छोटा सा प्रोग्राम रखूं।

मैंने भी पापा से कहा ठीक है अगर आपको लगता है कि हमें घर में छोटा सा प्रोग्राम रखना चाहिए तो हम लोग रख लेते हैं। पापा ने मेरे ऊपर ही सारी जिम्मेदारी रखी। हमारे सारे रिश्तेदार पापा के रिटायरमेंट पर घर आए हुए थे। हम लोगों ने घर में एक छोटा सा प्रोग्राम अरेंज किया हुआ था और जब हमारे रिश्तेदार आये तो सब लोग काफी खुश थे। हमारे पड़ोस में रहने वाले रविंद्र अंकल भी आए हुए थे उस दिन पहली बार मैंने रविंद्र अंकल की बेटी को देखा। रविंद्र अंकल को हमारे पड़ोस में रहते हुए दो वर्ष हुए हैं और उनकी बेटी को मैं पहली बार ही मिला था। उनकी बेटी पुणे में नौकरी करती है और वह कुछ समय के लिए घर आई हुई थी। रविंद्र अंकल ने मुझे नताशा से मिलवाया तो मुझे भी नताशा से मिलकर अच्छा लगा यह पहली बार ही था जब मैंने नताशा से मुलाकात की थी।

उसके अगले दिन वह मुझे नहीं दिखी और करीब 6 महीने के बाद जब वह घर आई हुई थी तो उसने मुझसे बातें की। मुझे भी काफी अच्छा लगा जब मैंने नताशा से बात की मैं जब भी नताशा से बात करता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है और उसे भी काफी अच्छा लगता है। हम दोनों एक दूसरे के साथ में काफी ज्यादा बातें किया करते हैं और मेरे पास नताशा का नंबर भी आ चुका था जिस वजह से मैं उससे बातें करने लगा था। हालांकि वह पुणे में ही रहती थी लेकिन हम दोनों की फोन पर बातें हो जाती थी अब हम दोनों की दोस्ती भी हो चुकी थी और मैं चाहता था कि मैं नताशा को मिलूँ। काफी लंबा समय हो गया था वह घर नहीं आई थी और मेरी नताशा से मुलाकात नहीं हो पाई थी इस वजह से मैंने नताशा को फोन किया और कहा कि क्या तुम घर आ रही हो। वह मुझे कहने लगी कि नहीं अभी तो मुश्किल है क्योंकि मेरे ऑफिस में काफी ज्यादा काम है इस वजह से मैं घर नहीं आ पाऊंगी।

नताशा को अपने ऑफिस में काफी ज्यादा काम था इस वजह से वह दिल्ली नहीं आ पाई थी और मेरी उससे मुलाकात भी नहीं हो पाई थी। मैं भी अपने काम के चलते काफी बिजी था और मुझे भी अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में जयपुर जाना था। मैं कुछ दिनों के लिए जयपुर चला गया, जब मैं जयपुर गया तो वहां पर मैं अपने दोस्त रोहन से मिलने वाला था रोहन जयपुर में ही रहता है। वह अपनी फैमिली के साथ जयपुर में रहने लगा था पहले रोहन दिल्ली में ही जॉब किया करता था लेकिन अब वह जयपुर चला गया है और वह जयपुर की ही एक अच्छी कंपनी में जॉब कर रहा है। जब मैं जयपुर गया तो मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और मैं जयपुर चला गया। जब मैं रोहन से मिला तो उसने मुझसे मेरे हाल-चाल पूछे और जब हम दोनों साथ में थे तो हम दोनों को ही अच्छा लगा। रोहन ने मुझे कहा कि तुम मेरे साथ घर पर चलो और फिर मैं रोहन के साथ उसके घर पर चला गया। जब मैं रोहन के घर पर गया तो रोहन ने मुझे अपनी फैमिली से मिलवाया।

यह पहली बार ही था जब मैं रोहन की फैमिली से मिल रहा था इससे पहले मैं कभी भी रोहन की फैमिली से मिला नहीं था और रोहन के परिवार से मिलकर मुझे काफी अच्छा लगा। उसके बाद मैं वापस दिल्ली लौट आया था जब मैं दिल्ली वापस लौटा तो नताशा का मुझे फोन आया और उसने मुझे कहा कि वह कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ रही है। मैंने नताशा से कहा यह तो बड़ी अच्छी बात है कि तुम कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ रही हो कम से कम इस बहाने तुमसे मुलाकात हो जाएगी। हम दोनों के बीच में अच्छी दोस्ती है और अब कहीं ना कहीं मैं और नताशा एक दूसरे को डेट भी करने लगे थे। हालांकि यह बात सिर्फ हम दोनों तक ही थी और हम दोनों को एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। मैंने नताशा को कई बार कहा कि तुम पुणे से अपनी नौकरी छोड़कर दिल्ली में ही कोई जॉब ज्वाइन कर लो लेकिन नताशा अक्सर ही मुझे मना कर दिया करती और वह कहती कि नहीं मैं पुणे में ही जॉब करना चाहती हूं।

हम दोनों एक दूसरे से काफी दूर है लेकिन उसके बावजूद भी मैं और नताशा एक दूसरे के काफी ज्यादा करीब हैं और हम दोनों एक दूसरे से अपनी बातों को शेयर किया करते हैं। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता है जब भी मैं नताशा के साथ होता हूं हम दोनों का मिलना कम ही हो पाता है। मुझे नहीं मालूम था कि जब यह बात नताशा के परिवार वालों को पता चलेगी तो वह लोग हम दोनों का मिलना ही बंद कर देंगे। नताशा और मुझे अब चोरी छुपे मिलना पड़ता था वह जब भी घर आती तो हम दोनों को एक दूसरे से चोरी चुपे मिलना पड़ता लेकिन मुझे पूरी उम्मीद थी कि नताशा के परिवार वाले हम दोनों के रिलेशन को स्वीकार कर लेंगे और हुआ भी कुछ ऐसा ही। हम दोनों के रिश्ते को वह लोग अब स्वीकार कर चुके थे समय बीतने के साथ-साथ अब हम दोनों के रिश्ते को हम दोनों के परिवार की रजामंदी मिल चुकी थी।

हम दोनों ही बड़े खुश थे कि हमारे परिवार की रजामंदी हम दोनों के रिलेशन को मिल चुकी है और अब हम दोनों की शादी होने वाली थी। जब हम दोनों की शादी की बात चल रही थी तो हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश थे। हालांकि हम दोनों को समय कम ही मिल पाता था लेकिन मुझे इस बात की बड़ी खुशी थी कि नताशा और मेरे रिश्ते को लेकर उसकी फैमिली अब मान चुकी है। नताशा पुणे से नौकरी छोड़कर दिल्ली में आ चुकी थी। हम दोनों का रिलेशन बड़े अच्छे से चल रहा था और हम एक दूसरे के बहुत खुश है। जिस तरीके से मैं और नताशा एक दूसरे के साथ होते हैं उससे मुझे बड़ा ही अच्छा महसूस होता है और हम दोनों बहुत ही ज्यादा खुश हैं कि हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल रहा है। मेरे लिए तो यह बड़ी खुशी की बात है कि नताशा और मैं एक दूसरे के साथ में अपने रिलेशन को अच्छे से चला रहे हैं और हम दोनों एक दूसरे को बहुत ही अच्छे से समझते भी हैं।

नताशा और मैं एक दूसरे के साथ रिलेशन में बहुत ज्यादा खुश हैं। मुझे इस बात की बड़ी खुशी है कि नताशा मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश किया करती है और हम दोनों को बड़ा ही अच्छा लगता है जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ होते है। नताशा मुझसे मिलने के लिए घर पर भी आ जाया करती थी क्योंकि घर पर किसी को भी कोई एतराज नहीं था इसलिए जब भी वह मुझसे मिलने आती तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता। एक दिन हम दोनों साथ में थे उस दिन सब लोग हमारे रिलेटिव के घर गए हुए थे। मुझे लगा नताशा और मैं एक दूसरे के साथ आज सेक्स संबंध बनाए। मैंने पहली बार ही नताशा से इस बारे में बात की थी। नताशा इस बात के लिए तैयार हो चुकी थी वह मेरे साथ में शारीरिक संबंध बनाए। नताशा को कोई एतराज नहीं था जब मैं और नताशा एक दूसरे के होठों को चूम रहे थे। हमें बहुत ही अच्छा लग रहा था हम दोनों पूरी तरीके से गर्म हो चुके थे।

मैं बहुत ही ज्यादा गरम हो चुका था और नताशा भी पूरी तरीके से तड़पने लगी थी। नताशा ने मुझे कहा मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जाएगा वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी। मैंने नताशा के कपड़ों को खोला तो मैंने देखा नताशा की चूत से पानी निकल रहा था। मैंने जैसे ही नताशा की चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसकी योनि को चाटने में मुझे मजा आने लगा और वह भी तड़पने लगी थी। मुझसे अब रहा नहीं गया मैंने नताशा की योनि पर अपने लंड को सटा दिया और अंदर डालना शुरू किया। जैसे ही मेरा लंड नताशा की चूत में गिरा तो वह बहुत जोर से चिल्लाई और बोली मेरी चूत मे दर्द हो रहा है। मैंने उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।

हम दोनो को बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ही अच्छे तरीके से सेक्स के मजे ले रहे थे। नताशा अपनी सिसकारियां से मेरी गर्मी को बढाती जाती। जब वह ऐसा करती तो मुझे अच्छा लगता और मेरी गर्मी पूरी तरीके से बढ चुकी थी। नताशा भी गरम हो चुकी थी इसलिए हम दोनों रह ना सके। नताशा ने मुझे जब अपने पैरों के बीच में जकडना शुरु किया तो मैं समझ चुका था वह झड चुकी है वह ज्यादा देर तक रह नहीं पाएगी। मैंने उसकी चूत के अंदर ही अपने माल को गिरा दिया और मेरा माल जैसे ही नताशा की योनि में गिरा तो उसे बहुत ही अच्छा लगा और मुझे भी बड़ा अच्छा लगा। मेरा लंड नताशा की चूत मारकर ढीला पड चुका था और नताशा की नंगी चूत से माल टपक रहा था।
 
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