निक्की की छोटी हॉर्नी बहन

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Cousin ki tight chut me lund diya - Hot chudai kahani

निक्की की चुदाई तो मैं अपनी ख़ुशी से करता था आखिर मेरी सबसे प्यारी कजिन जो थी लेकिन जिग्ना की चुदाई मैंने निक्की और जिग्ना की मदद के लिए की थी और अब इस चैप्टर में नया नाम जुड़ने वाला था जो थी निक्की की छोटी बहन सुरभि यानी मेरी एक और कजिन. सुरभि हालाँकि निक्की की बहन थी लेकिन उसका रंग मेरी आंटी के बजाये मेरे अंकल पर गया था और इसलिए वो थोड़ी सांवली थी लेकिन शारीरिक रूप से वो हमारे घर की सबसे सेक्सी लड़की थी, किशोरावस्था पार करने के दो चार बरस में ही उसका शरीर किसी गुलशन की तरह खिल उठा था और मेरी नज़र में भी आ गया था लेकिन मैं कभी कुछ बोला नहीं.

एक दिन निक्की नए मुझे फ़ोन कर के कहा "आप सुरभि को ऐसे क्यूँ देखते हो" तो मैं डर गया क्यूंकि अगर कहीं निक्की नाराज़ हो गयी तो उसको चोदना भी मेरे हाथ से जाता रहेगा, लेकिन जब मैंने उसे समझाने की कोशिश की कि "मैं सुरभि को उस नज़र से नहीं देखता" तो निक्की हंस पड़ी और बोली "तो देख क्यूँ नहीं लेते, वैसे भी मैंने उसे इतना तो ट्रेन कर ही दिया है कि वो आपका लंड लेने लायक तो हो ही गयी है". मैंने हैरानी से पूछा "उत्मने कैसे सिखाया" तो निक्की हंसकर बोली "एक दिन मैं और सुरभि पास में सो रहे थे और मेरा हाथ नींद में उसकी छाती पर चला गया तो उसने भी अपनी छाती पर मेरा हाथ दबा लिया. मैं तुरंत उठी और देखा तो वो जाग रही थी, बस तभी से हम दोनों लेस्बियन सेक्स कर रहे हैं लेकिन उसे पोर्न देखने के बाद लंड लेने की इच्छा होने लगी है और पहली बार लंड लेने के लिए आपसे बढ़िया मर्द उसे कहाँ मिलेगा जो इतने प्यार ए उसे चोदे और सिखाए की लंड कैसे लेना होता है".

मैं खुश हुआ और निक्की को गले लगा कर उसके होठों को चूमते हुए बोला "तुम मेरी बेस्ट कजिन हो" तो उसने भी मेरे होंठ चूमते हुए कहा "एक बार सुरभि को टेस्ट करो आपकी बेस्ट कजिन वो बन जाएगी" मैं हंस पड़ा तो निक्की ने कहा "लाइटली मत लो आई एम् सीरियस, सुरभि ज़रा इधर आना तो". मैं हैरान था क्यूंकि ये लड़की निक्की हमेशा एक प्लान के साथ आती है और वो प्लान मेरे लिए तो सही वर्क आउट होता है, फर्स्ट टाइम तो ये खुद चुदने आई थी फिर ये जिग्ना को लाई और अब अपनी ही छोटी बहन को ले आई और वो भी अपने ही कजिन से चुदवाने. खैर सुरभि कमरे में आई और उसकी ड्रेस देख कर ही लग गया था की वो मुझे इम्प्रेस करने आई थी लेकिन उसके चेहरे पर शर्म या डर नहीं बल्कि कॉन्फिडेंस नज़र आ रहा था और वो पूरी तरह से मेंटली प्रिपैर हो कर आई थी.

निक्की ने कहा "आज मैं नहीं रुकुंगी क्यूंकि मेरे पीरियड्स चल रहे हैं, यू गायज़ एन्जॉय" और इतना कह कर वो मुझे और सुरभि को अकेले छोड़ कर चली गयी, मैंने सुरभि को पास बुलाया तो वो बड़ी ख़ुशी से लहराती हुई मेरे पास चली आई और बोली "आप बहुत प्यार से करते हो ना, निक्की दीदी नने बताया था उनके फर्स्ट टाइम के बारे में" मैं मुस्कुराया और उसके सर पर हाथ रख कर कहा "हाँ करता तो प्यार से ही हूँ और करना भी चाहिए नहीं तो सेक्स जैसी नार्मल चीज़ से डर लगने लगता है". वो बोली "आई नो बुत हम सबसे पहले क्या करेंगे" मैंने कहा "सबसे पहले हम यहाँ से बाहर चलेंगे क्यूंकि अगर तुम्हारी भाभी आ गए या कोई और अ गया तो पोल भी खुलेगी और मूड भी बिगड़ जाएगा" ये कह कर मैंनए सुरभि को पहले बाहर जा कर चौराहे के बस स्टैंड पर वेट करने को कहा और मैं बाद में निकला.

वहां से सुरभि को पिक कर के मैं अपने उसी दोस्त के फ्लैट पर पहुंचा जहाँ वो अपने बेडरूम में पहले से किसी को बजा रहा था, सुरभि नए अपना स्कार्फ नहीं हटाया था तो वो उसे पहचान नहीं पाया और उसने मुझे दुसरे बेडरूम में जाने का इशारा कर दिया जहाँ उसका छोटा भाई सोता था. ये बेडरूम साफ़ तो था लेकिन था बिलकुल स्टूडेंट वाला बेडरूम. सुरभि और मैं अन्दर पहुंचे और हमने कमरा अन्दर से बंद कर लिया इसके बाद सुरभि ने पता नहीं क्या सोच कर मेरे सीने पर अपना सर रख दिया और बोली "आई नो की आपके लिए ये नया नहीं है लेकिन मेरे लिए है इसलिए जो भी करो बस अच्छा करना" मैंने उसे आश्वासन दिलाया और कहा "पगली तू डर मत मैं आज से नहीं कर रहा सेक्स".

मैंने सुरभि को बेड पर बिठाया और हौले हौले उसके कपडे एक एक कर के उसके बाडन से अलग किये और एक एक का[डा हटाते समय मैं उसके हर उस अंग को चूम रहा था जिस पर वो कपडा पहना गया था, आखिर में जब मैंने पैंटी हटाई और उसकी चूत देखि तो बिलकुल बिना बालों वाली नयी नयी शेव्ड चिकनी चूत देख कर मेरा मन उल्लासित हो गया था और मैंने उसकी चूत को अच्छे से दो तीन बार चूमा. सुरभि सिसकने लगी थी और बोली "भैया आप ग्रेट हो बस ऐसे ही प्यार करो मुझे" तो मैंने कहा "मेरी प्यारी गुडिया अभी तो तुझे और मज़ा आएगा, तू बस ऐसे ही मेरा साथ देती रहना". सुरभि को बेड पर लिटाकर मैंने उसका अंग अंग एक बार फिर से चूमा तो वो गनगना उठी और अपनी चूत पर हाथ ले गयी मैंने देखा उसकी उंगलियाँ उसके चूत के पानी से गीली हो चुकी थीं, मैंने कहा "वाह मेरी बहना तू तो काफी जल्दी गर्म हो जाती है" तो वो मुस्कुराई और बोली "आपको इस में तकलीफ है क्या" मैंने ना में सर हिलाया और उसके होठों को चूमने लगा.

सुरभि का भरा हुआ बदन उसकी जलती जवानी का एक शानदार हिस्सा था लेकिन उस से भी ज्यादा अच्छा था उसका जोश, मैंने उसके कहा "सबसे पहले मैं तेरी चूत रवां कर देता हूँ" और इतना कह कर मैंने उसकी चूत में ऊँगली पेल दी जिस से उसकी आह निकल गयी और जब मैंने उसकी चूत में ऊँगली को अन्दर बाहर करना शुरू किया तो वो और ज़ोर ज़ोर से सिस्कारियां भरने लगी. हालाँकि उसकी चूत प्रोपेर्ली गीली हो चुकी थी लेकिन अभी छोटी चूत होने के कारण उसे इतनी सेंसेशन फील हो रहा था. सुरभि ने मुझसे कहा "भैया इस से ज्यादा तो दर्द नहीं होगा ना" तो मैंने कहा "बेटे जानी होगा तो साईं लेकिन हम संभाल लेंगे तू चिंता मत कर" और इतना कह कर मैंने उसकी चूत के मुहाने पर अपना लंड टिका कर उसे बाहर ही बाहर से रवां करने लगा.

मैंने सुरभि को अपना लंड ना तो हाथ में दिया न मुंह में और ना ही दिखाया क्यूंकि इस से वो डर जाती और कभी नहीं चुद्वाती, सुरभि के लिए लंड का स्पर्श थोडा नया था क्यूंकि उँगलियों से तो निक्की नए भी उसे मज़ा दिलवाया था और उसने खुद नए भी चूत में ऊँगली की होगी पर लंड कर गरमा गरम अहसास उसके लिए फर्स्ट टाइम था. मैंने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ता हुआ उसके चुचे पी रहा था जो भी कमाल के भरे हुए थे और एक बीस साल की लौंडिया के लिए अच्छे खासे बड़े थे, सुरभि तो जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गयी थी और वो जब पूरे एक्साइटमेंट में आगई तो मैंने बातें करते करते ही अपना लंड आध उसकी चूत में सरका दिया जिसका उसे ख़ास दर्द नहीं हुआ पर वो बोली "भैया आप कब तक यूँही बाहर से सहलाओगे अन्दर भी तो डालो" तो मैंने कहा बच्चे तेरी चूत में मेरा आधा लंड घुस चूका है और ये रहा पूरा लंड" इतना कह कर मैंने अपना भीम भयंकर लंड उसकी चूत में पेल ही दिया.

सुरभि इतनी ज़ोर से चिल्लाई की मुझे मेरे दोस्त का फ़ोन ही आ गया जो बोला साले मेरी वाली को भी भगाएगा क्या. मैंने सुरभि के मुंह पर हाथ रखा उसके आंसू पौंछे और धीरे धीरे मेरा लंड उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा तो इस से उसे ज़रा आराम मिला लेकिन उसे दर्द अब भी हो रहा था सो मैं उसके सर पर हाथ फेरता रहा उसे चूमता रहा और पुचकारता भी रहा. हालाँकि सुरभि अब नार्मल हो चुकी थी लेकिन फिर भी मैंने रिस्क ना लेते हुए उसकी चूत में लंड दोबारा पूरा नहीं डाला. धीरे धीरे उसे मज़ा आने लगा और वो कमर उठा उठा कर मुझसे चुदवाने लगी आखिर में जब वो झड़ने वाली थी तो उसने मेरे होठों को अपने दांतों के बीच भींच कर हल्का सा काट लिया.

मैंने ऐतिहात रखते हुए सिर्फ अपने आधे लंड को ही उसकी चूत में जल्दी जल्दी अन्दर बाहर किया और खुद भी झड़ गया, सुरभि मेरे पास लेती हुई अपनी नयी नयी चुदी हुई चूत को सहला रही थी और मैं उसके चूचों से खेल रहा था सो वो मुस्कुरा भी रही थी अब वो अपना दर्द भूल चुकी थी और फिर से चुदने को तैयार बैठी थी. सुरभि का सेकंड राउंड भी मैंने इतने ही ध्यान से खेला और उसकी चूत को बड़े प्यार और आराम से चोदा. शाम तक दो तीन चुदाइयों के बाद सुरभि नए कहा "भैया जैसे निक्की दीदी और जिगना दीदी आपसे चुदती हैं लेकिन अपने अपने पतियों से भी वैसे ही मैंने भी आपसे ही लाइफ टाइम सेक्स करवाना चाहूंगी" मैंने हँसा और बोला "हाँ हाँ क्यूँ नहीं लेकिन मेरी ये जवानी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी" तो उसने कहा "गोलियां ले लेना पर सेक्स तो आपका ही बेस्ट है जैसा निक्की दीदी ने बताया".
 
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