(Naukrani Ko Uske Yaar Se Chut Chudavane Me Madad-1)
दोस्तो, आप मेरी आपबीती 'लण्ड की करतूत' तीन भागों में पढ़ चुके हैं।
जैसा कि मैंने पहले लिखा था मेरी और रेखा की नजदीकियाँ बढ़ती गईं, अब वह मुझे अपने दिल की हर बात बेझिझक बताती थी।
यह वाकया करीब 16 साल पहले का है। एक दिन वह आई तो उदास दिख रही थी, मैंने पूछा क्या बात है?
उसने 'कुछ नहीं.' कह कर टालना चाहा।
मेरे बार बार पूछने पर वह बोली- आप मेरी मदद नहीं कर पाओगे!
मैंने उससे कहा- तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, बोलो तो सही?
तब उसने बताया कि बतरा साहब, जिनके यहाँ भी वह काम करती है, अब शहर छोड़ कर कहीं और जा रहे हैं।
उसने मुझे कहा- आप तो जानते हैं कि मैं उनसे प्यार करती हूँ और बहुत चुदाई भी करती हूँ।
मैंने कहा- हाँ, मैं जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि वे कंपनी की तरफ से दो साल के लिए रशिया जा रहे हैं।
रेखा बोली- दो साल तक मैं उनके बिना कैसे रहूंगी, मुझे तो उनसे चुदवाने की आदत लगी है और मेरा एक घर भी छूट जायेगा।
मैंने कहा- मैं तुम्हें दोनों बातों में मदद करूँगा, तुम सिर्फ बतरा साहब को बोल दो कि तुमसे कान्टेक्ट करने के लिए वे रशिया से मेरे इ-मेल और फोन का प्रयोग कर सकते हैं, और जहाँ तक काम के लिए एक और घर की बात है मैं वह भी देखता हूँ।
यह सुनकर रेखा बहुत खुश हुई और उसने मुझे आलिंगन में लेकर चूमना चालू किया, मेरे लौड़े से प्रिकम रिसना शुरू हो गया था और लौड़ा तन गया था।
रेखा भी उत्तेजित हो गई थी।
हम दोनों बेडरूम में गए और एक दूसरे के कपड़े उतार कर एक दूसरे के शरीर चूमने लगे।
रेखा ने मेरे छलांग लगाते हुए लंड को चूसना चालू किया और मैंने उसके मम्मों को मसलना और चूमना चालू किया।
फिर मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, उसकी चूत का चिकना और खारा पानी मैं चाटता रहा।
रेखा ख़ुशी के मारे पागलों की तरह बोलती रही- चूसो, आपके जैसा प्यार करने वाला आदमी इस दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा जो स्त्री के ऊपर अपना हक जमाये बिना बेझिझक अपनी स्त्री को दूसरे मर्द के साथ चुदाई करने में मदद करे।
मैंने कहा- मुझे इसमें बहुत आनन्द आता है और मैं उत्तेजित हो जाता हूँ। मैं तेरी दीदी (मेरी पत्नी) को भी अपने दोस्त के साथ चुदवाने में मदद कर चुका हूँ। दोस्त के साथ चुदवाने के बाद वो मेरे साथ दुगुने जोश के साथ चुदाई करती है, और मुझे 'कैसे किया' यह चुदाई के दौरान बताती है।
मैंने उसे यह भी बताया कि ऐसा तभी होता है जब पति औरत को उसके पसंद के आदमी से चुदवाने दे।
यह कह कर मैंने अपना लंड रेखा की चूत में डाला तो उसकी आह निकल गई। मेरा लंड पिस्टन की तरह रेखा की चूत का मजा लेता रहा।
फिर वह मुझे चित लेटाकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को चूत के अंदर घुसा लिया, अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर उसने अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करना चालू किया, बीच-बीच में मेरे मुँह को चूमती कभी हम दोनों जुबान लड़ाते।
काफ़ी देर बाद रेखा अपने कूल्हों को बहुत तेजी से घुमाने और अन्दर बाहर करने लगी, वह अपने चूतड़ों को इस तरह से घुमा रही थी कि लंड चूत के अन्दर जहाँ उसे सबसे ज्यादा आनन्द दे रहा था वहीं पर रगड़ करे।
कभी कभी वह रुक कर चूत को खूब संकुचित कर लंड को निचोड़ लेती, इसी वक्त लंड को भी संकुचन से परम आनन्द मिलता था। इस तरह हम करीब एक घंटे तक चुदाई का आनन्द लेते रहे।
बतरा रशिया जा चुके थे। जाने के एक माह बाद उनका मेल आया, उन्होंने रेखा का हाल पूछा था।
इधर से मैंने रेखा के बारे में उन्हें बताया कि वह उनके लिए तन्हा रहती है।
बतरा हर माह मेल से रेखा का हाल पूछ लेता था।
करीब एक साल के बाद बतरा ने मेल किया कि वह एक माह की छुट्टी पर भारत आ रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहेंगे और करीब तीन दिन के लिए प्लांट भी आयेंगे।
मैंने रेखा को बताया कि बतरा दो तीन दिन के लिए आ रहे हैं तो वह बहुत खुश हुई। उसने मुझे बतरा के साथ चुदाई का इंतजाम करने की जिद की।
मैंने एक शर्त रखी कि बतरा के साथ चुदाई के बाद वह मुझे पूरा वाकया डिटेल में बताएगी।
मैंने उससे यह भी पूछा कि तुम बतरा के साथ चुदाई के लिए इतनी आतुर क्यों होती हो?
उसने बताया कि बतरा का लंड बहुत मोटा है हालांकि लम्बाई में मेरे लंड से कम है। लंड मोटा होने से चूत की पकड़ कसी होती है और घर्षण से चूत को बहुत अच्छा लगता है।
मैंने उससे पूछा- मेरा लंड न तो मोटा ना ही बहुत लम्बा है फिर तुम मुझे क्यों इतना चाहती हो?
रेखा ने कहा- औरत सिर्फ लंड की लम्बाई और मोटाई ही नहीं देखती। औरत को चरम सुख के लिए आदमी का विश्वास, औरत के प्रति उसका व्यवहार, इज्जत, कोमल स्पर्श और इच्छा पूर्ति आदि बहुत मायने रखते हैं। आप मेरी इज्जत करते हैं और तन, मन, धन से मेरी सहायता करते हैं, इसीलिए मेरे एक अच्छे दोस्त और प्रेमी हैं।
उसने आगे कहा कि जब पूर्ण समर्पित भाव से कोई स्त्री पुरुष के साथ चुदाई करती है तो दोनों को चरम आनन्द मिलता है, इसमे लंड का साइज़ कोई ज्यादा मायने नहीं रखता।
बतरा गेस्टहाउस में ठहरने वाले थे चूँकि वहाँ सब उन्हें जानते थे, चुदाई के लिए रेखा वहाँ नहीं जा सकती थी, इसलिए मैंने बतरा को सूचित किया कि वे अपनी प्लांट विजिट 20 से 25 तारीख के बीच रखे क्योंकि उन दिनों मेरे पत्नी एक शादी में दूसरे शहर में जाने वाली थी।
मैंने रेखा को पूरी योजना बता दी।
बतरा के आने के एक दिन पहले रेखा ब्यूटीपार्लर जाकर तैयार होकर मेरे यहाँ आई।
रेखा अपने नए रूप में बहुत सुंदर लग रही थी।
वैसे तो वह बहुत गोरी और सुंदर है, उसकी नशीली आँखें किसी को भी अपनी ओर खींच लेती हैं। उसका पूरा शरीर, मम्मे और चूत भी बहुत आकर्षक हैं।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
फिर मुझे बोली- झांट के बाल साफ करने हैं।
मैंने कहा- वो तो मेरा पसंदीदा काम है।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं ही हमेशा उसके झांट के बाल साफ करता हूँ।
बाल साफ करने के बाद हम दोनों ने बाथरुम में एक साथ स्नान किया, मैंने रेखा पीठ, चूत आदि को साबुन लगा कर साफ किया और उसने मेरी पीठ और लंड को साबुन से धोया।
अब हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और टब में लेट गए। मेरा लंड सलामी देने लगा और रेखा की चूत पानी छोड़ने लगी, उसकी चूत की पंखुड़ियाँ उत्तेजना से बंद खुल रही थी।
मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, रेखा मीठी चीत्कारें भरने लगी और मेरे लंड को कस के पकड़ कर मुठ मारने लगी।
अब टब में पानी भरकर मैं टब में बैठ गया और रेखा को कहा- मेरे लंड को चूत में डाल कर मेरी गोदी में बैठ जा।
इस तरह हमने पानी में चुदाई की।
करीब 15 मिनट बाद हम झड़ गए।
चूँकि घर में और कोई नहीं था हम दोनों बाथरुम से नंगे ही बाहर निकले, भोजन भी हमने नंगे ही किया।
उसके बाद हम दोनों एक साथ नंगे लेट गए और फिर चुदाई की इस बार रेखा ने मेरे लंड पर बैठ के चुदाई की फिर हम दोनों नंगे सो गए।
जब भी घर में मैं अकेला या रेखा और मैं ही अकेले रहते हैं तो हम नंगे ही रहते हैं।
अगले दिन बतरा के आने के पहले मैंने रेखा को नहला दिया और उसके पूरे शरीर और चूत पर बोडी स्प्रे कर उसे तैयार कर दिया।
बतरा के आने के बाद रेखा ने चाय नाश्ता सर्व किया। बतरा अपने रशिया के अनुभव बता रहा था और रेखा बड़े कौतुहल से सुन रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दोनों से कहा- तुम लोग बेडरूम में जाकर बातें करो, इस बीच मैं आफिस जाकर आता हूँ।
दोनों मुस्कुराते हुए अन्दर चले गए।
जाते समय मैंने उनसे कहा- मैं बाहर से ताला लगा दूंगा जिससे तुम दोनों को कोई डिस्टर्ब न करे।
मैं घर पर करीब 6 बजे लौटा। बतरा और रेखा चाय पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
चाय नाश्ते के बाद बतरा वापस गेस्टहाउस चले गए।
मैंने रेखा के चहरे पर एक मुस्कराहट और संतोष की झलक देखी, मैंने पूछा- कैसा रहा?
वह बोली- आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी मदद से आज मुझे जो आनन्द और सुख मिला उसे मैं बयाँ नहीं कर सकती।
मैंने उसे कहा- चुदाई में किसी की मदद करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है। फिर मैं खुद दुगुने जोश और उत्तेजना के साथ चुदाई
करता हूँ। अब आज रात को तो तू यहीं मेरे साथ सोने वाली है, तब देखना।
वह बोली- मुझे भी ऐसा ही होता है।
रात को खाने के बाद हम दोनों फ्रेश होकर नंगे ही बिस्तर में लेट गए।
मैंने रेखा से पूछा- मैं सात घंटे नहीं था, तुमने कितनी बार चुदाई की?
'चार बार.' वह बोली।
और हमने बहुत बातें की।
मैं रेखा की चूत लाइट की तरफ करके बोला- देखूँ तो!
मैं रेखा की चूत की तरफ मुँह कर के उसके दोनों पैरों के बीच औन्धा लेट गया। उसकी चूत से अभी भी बतरा का थोड़ा वीर्य रिस रहा
था।
मैंने चूत की फांके खोली और अन्दर देखा पूरी योनि खिले हुए गुलाब की पंखुड़ियों जैसी गुलाबी दिख रही थी।
एक गीले रुमाल पर एंटीसेप्टिक लगा कर मैंने चूत को पूरा साफ़ किया और दाना चूसना चालू किया।
अब मैंने रेखा से कहा- बतरा के साथ तूने कैसी चुदाई की पूरा हाल बता!
आगे का हाल रेखा के अपने शब्दों में पढ़िए अगले भाग में.
कहानी जारी रहेगी।
दोस्तो, आप मेरी आपबीती 'लण्ड की करतूत' तीन भागों में पढ़ चुके हैं।
जैसा कि मैंने पहले लिखा था मेरी और रेखा की नजदीकियाँ बढ़ती गईं, अब वह मुझे अपने दिल की हर बात बेझिझक बताती थी।
यह वाकया करीब 16 साल पहले का है। एक दिन वह आई तो उदास दिख रही थी, मैंने पूछा क्या बात है?
उसने 'कुछ नहीं.' कह कर टालना चाहा।
मेरे बार बार पूछने पर वह बोली- आप मेरी मदद नहीं कर पाओगे!
मैंने उससे कहा- तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, बोलो तो सही?
तब उसने बताया कि बतरा साहब, जिनके यहाँ भी वह काम करती है, अब शहर छोड़ कर कहीं और जा रहे हैं।
उसने मुझे कहा- आप तो जानते हैं कि मैं उनसे प्यार करती हूँ और बहुत चुदाई भी करती हूँ।
मैंने कहा- हाँ, मैं जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि वे कंपनी की तरफ से दो साल के लिए रशिया जा रहे हैं।
रेखा बोली- दो साल तक मैं उनके बिना कैसे रहूंगी, मुझे तो उनसे चुदवाने की आदत लगी है और मेरा एक घर भी छूट जायेगा।
मैंने कहा- मैं तुम्हें दोनों बातों में मदद करूँगा, तुम सिर्फ बतरा साहब को बोल दो कि तुमसे कान्टेक्ट करने के लिए वे रशिया से मेरे इ-मेल और फोन का प्रयोग कर सकते हैं, और जहाँ तक काम के लिए एक और घर की बात है मैं वह भी देखता हूँ।
यह सुनकर रेखा बहुत खुश हुई और उसने मुझे आलिंगन में लेकर चूमना चालू किया, मेरे लौड़े से प्रिकम रिसना शुरू हो गया था और लौड़ा तन गया था।
रेखा भी उत्तेजित हो गई थी।
हम दोनों बेडरूम में गए और एक दूसरे के कपड़े उतार कर एक दूसरे के शरीर चूमने लगे।
रेखा ने मेरे छलांग लगाते हुए लंड को चूसना चालू किया और मैंने उसके मम्मों को मसलना और चूमना चालू किया।
फिर मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, उसकी चूत का चिकना और खारा पानी मैं चाटता रहा।
रेखा ख़ुशी के मारे पागलों की तरह बोलती रही- चूसो, आपके जैसा प्यार करने वाला आदमी इस दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा जो स्त्री के ऊपर अपना हक जमाये बिना बेझिझक अपनी स्त्री को दूसरे मर्द के साथ चुदाई करने में मदद करे।
मैंने कहा- मुझे इसमें बहुत आनन्द आता है और मैं उत्तेजित हो जाता हूँ। मैं तेरी दीदी (मेरी पत्नी) को भी अपने दोस्त के साथ चुदवाने में मदद कर चुका हूँ। दोस्त के साथ चुदवाने के बाद वो मेरे साथ दुगुने जोश के साथ चुदाई करती है, और मुझे 'कैसे किया' यह चुदाई के दौरान बताती है।
मैंने उसे यह भी बताया कि ऐसा तभी होता है जब पति औरत को उसके पसंद के आदमी से चुदवाने दे।
यह कह कर मैंने अपना लंड रेखा की चूत में डाला तो उसकी आह निकल गई। मेरा लंड पिस्टन की तरह रेखा की चूत का मजा लेता रहा।
फिर वह मुझे चित लेटाकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को चूत के अंदर घुसा लिया, अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर उसने अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करना चालू किया, बीच-बीच में मेरे मुँह को चूमती कभी हम दोनों जुबान लड़ाते।
काफ़ी देर बाद रेखा अपने कूल्हों को बहुत तेजी से घुमाने और अन्दर बाहर करने लगी, वह अपने चूतड़ों को इस तरह से घुमा रही थी कि लंड चूत के अन्दर जहाँ उसे सबसे ज्यादा आनन्द दे रहा था वहीं पर रगड़ करे।
कभी कभी वह रुक कर चूत को खूब संकुचित कर लंड को निचोड़ लेती, इसी वक्त लंड को भी संकुचन से परम आनन्द मिलता था। इस तरह हम करीब एक घंटे तक चुदाई का आनन्द लेते रहे।
बतरा रशिया जा चुके थे। जाने के एक माह बाद उनका मेल आया, उन्होंने रेखा का हाल पूछा था।
इधर से मैंने रेखा के बारे में उन्हें बताया कि वह उनके लिए तन्हा रहती है।
बतरा हर माह मेल से रेखा का हाल पूछ लेता था।
करीब एक साल के बाद बतरा ने मेल किया कि वह एक माह की छुट्टी पर भारत आ रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहेंगे और करीब तीन दिन के लिए प्लांट भी आयेंगे।
मैंने रेखा को बताया कि बतरा दो तीन दिन के लिए आ रहे हैं तो वह बहुत खुश हुई। उसने मुझे बतरा के साथ चुदाई का इंतजाम करने की जिद की।
मैंने एक शर्त रखी कि बतरा के साथ चुदाई के बाद वह मुझे पूरा वाकया डिटेल में बताएगी।
मैंने उससे यह भी पूछा कि तुम बतरा के साथ चुदाई के लिए इतनी आतुर क्यों होती हो?
उसने बताया कि बतरा का लंड बहुत मोटा है हालांकि लम्बाई में मेरे लंड से कम है। लंड मोटा होने से चूत की पकड़ कसी होती है और घर्षण से चूत को बहुत अच्छा लगता है।
मैंने उससे पूछा- मेरा लंड न तो मोटा ना ही बहुत लम्बा है फिर तुम मुझे क्यों इतना चाहती हो?
रेखा ने कहा- औरत सिर्फ लंड की लम्बाई और मोटाई ही नहीं देखती। औरत को चरम सुख के लिए आदमी का विश्वास, औरत के प्रति उसका व्यवहार, इज्जत, कोमल स्पर्श और इच्छा पूर्ति आदि बहुत मायने रखते हैं। आप मेरी इज्जत करते हैं और तन, मन, धन से मेरी सहायता करते हैं, इसीलिए मेरे एक अच्छे दोस्त और प्रेमी हैं।
उसने आगे कहा कि जब पूर्ण समर्पित भाव से कोई स्त्री पुरुष के साथ चुदाई करती है तो दोनों को चरम आनन्द मिलता है, इसमे लंड का साइज़ कोई ज्यादा मायने नहीं रखता।
बतरा गेस्टहाउस में ठहरने वाले थे चूँकि वहाँ सब उन्हें जानते थे, चुदाई के लिए रेखा वहाँ नहीं जा सकती थी, इसलिए मैंने बतरा को सूचित किया कि वे अपनी प्लांट विजिट 20 से 25 तारीख के बीच रखे क्योंकि उन दिनों मेरे पत्नी एक शादी में दूसरे शहर में जाने वाली थी।
मैंने रेखा को पूरी योजना बता दी।
बतरा के आने के एक दिन पहले रेखा ब्यूटीपार्लर जाकर तैयार होकर मेरे यहाँ आई।
रेखा अपने नए रूप में बहुत सुंदर लग रही थी।
वैसे तो वह बहुत गोरी और सुंदर है, उसकी नशीली आँखें किसी को भी अपनी ओर खींच लेती हैं। उसका पूरा शरीर, मम्मे और चूत भी बहुत आकर्षक हैं।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
फिर मुझे बोली- झांट के बाल साफ करने हैं।
मैंने कहा- वो तो मेरा पसंदीदा काम है।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं ही हमेशा उसके झांट के बाल साफ करता हूँ।
बाल साफ करने के बाद हम दोनों ने बाथरुम में एक साथ स्नान किया, मैंने रेखा पीठ, चूत आदि को साबुन लगा कर साफ किया और उसने मेरी पीठ और लंड को साबुन से धोया।
अब हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और टब में लेट गए। मेरा लंड सलामी देने लगा और रेखा की चूत पानी छोड़ने लगी, उसकी चूत की पंखुड़ियाँ उत्तेजना से बंद खुल रही थी।
मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, रेखा मीठी चीत्कारें भरने लगी और मेरे लंड को कस के पकड़ कर मुठ मारने लगी।
अब टब में पानी भरकर मैं टब में बैठ गया और रेखा को कहा- मेरे लंड को चूत में डाल कर मेरी गोदी में बैठ जा।
इस तरह हमने पानी में चुदाई की।
करीब 15 मिनट बाद हम झड़ गए।
चूँकि घर में और कोई नहीं था हम दोनों बाथरुम से नंगे ही बाहर निकले, भोजन भी हमने नंगे ही किया।
उसके बाद हम दोनों एक साथ नंगे लेट गए और फिर चुदाई की इस बार रेखा ने मेरे लंड पर बैठ के चुदाई की फिर हम दोनों नंगे सो गए।
जब भी घर में मैं अकेला या रेखा और मैं ही अकेले रहते हैं तो हम नंगे ही रहते हैं।
अगले दिन बतरा के आने के पहले मैंने रेखा को नहला दिया और उसके पूरे शरीर और चूत पर बोडी स्प्रे कर उसे तैयार कर दिया।
बतरा के आने के बाद रेखा ने चाय नाश्ता सर्व किया। बतरा अपने रशिया के अनुभव बता रहा था और रेखा बड़े कौतुहल से सुन रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दोनों से कहा- तुम लोग बेडरूम में जाकर बातें करो, इस बीच मैं आफिस जाकर आता हूँ।
दोनों मुस्कुराते हुए अन्दर चले गए।
जाते समय मैंने उनसे कहा- मैं बाहर से ताला लगा दूंगा जिससे तुम दोनों को कोई डिस्टर्ब न करे।
मैं घर पर करीब 6 बजे लौटा। बतरा और रेखा चाय पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
चाय नाश्ते के बाद बतरा वापस गेस्टहाउस चले गए।
मैंने रेखा के चहरे पर एक मुस्कराहट और संतोष की झलक देखी, मैंने पूछा- कैसा रहा?
वह बोली- आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी मदद से आज मुझे जो आनन्द और सुख मिला उसे मैं बयाँ नहीं कर सकती।
मैंने उसे कहा- चुदाई में किसी की मदद करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है। फिर मैं खुद दुगुने जोश और उत्तेजना के साथ चुदाई
करता हूँ। अब आज रात को तो तू यहीं मेरे साथ सोने वाली है, तब देखना।
वह बोली- मुझे भी ऐसा ही होता है।
रात को खाने के बाद हम दोनों फ्रेश होकर नंगे ही बिस्तर में लेट गए।
मैंने रेखा से पूछा- मैं सात घंटे नहीं था, तुमने कितनी बार चुदाई की?
'चार बार.' वह बोली।
और हमने बहुत बातें की।
मैं रेखा की चूत लाइट की तरफ करके बोला- देखूँ तो!
मैं रेखा की चूत की तरफ मुँह कर के उसके दोनों पैरों के बीच औन्धा लेट गया। उसकी चूत से अभी भी बतरा का थोड़ा वीर्य रिस रहा
था।
मैंने चूत की फांके खोली और अन्दर देखा पूरी योनि खिले हुए गुलाब की पंखुड़ियों जैसी गुलाबी दिख रही थी।
एक गीले रुमाल पर एंटीसेप्टिक लगा कर मैंने चूत को पूरा साफ़ किया और दाना चूसना चालू किया।
अब मैंने रेखा से कहा- बतरा के साथ तूने कैसी चुदाई की पूरा हाल बता!
आगे का हाल रेखा के अपने शब्दों में पढ़िए अगले भाग में.
कहानी जारी रहेगी।