पारुल की चूत में मेरा लंड

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Antarvasna, desi kahani: मेरी नौकरी को लगे हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे मुझे अपने घर जाना था क्योंकि मेरी मां की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मुझे कुछ दिनों की छुट्टी लेकर चंडीगढ़ जाना पड़ा और मैं कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ चला गया। जब मां की तबीयत ठीक होने लगी तो डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल से डिसचार्ज कर दिया वह घर पर आ गई थी। मैंने कुछ दिन मां की देखभाल की फिर मे वापस लौट आया था। जब मे वापस लौटा तो मैं अपने ऑफिस के काम के चलते बिजी रहने लगा था इसलिए काफी लंबे समय तक मैं अपने घर नहीं जा पाया था। मेरी नौकरी अच्छे से चल रही थी मैं अपनी जॉब से बहुत खुश था मैं काफी लंबे समय तक घर नहीं जा पाया था जिसके बाद मुझे घर जाने का मौका नहीं मिल पाया था। मैं जब अपने घर गया तो मैं कुछ समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहता था।

मैंने अपनी फैमिली के साथ काफी अच्छा समय बिताया मैं अब वापस मुंबई लौट आया था जब मैं मुंबई लौटा तो एक दिन मेरे दोस्त का मुझे फोन आया। मेरा दोस्त रमेश जो चंडीगढ़ में मेरे साथ पढ़ा करता था रमेश ने मुझे बताया वह अब मुंबई आ चुका है मैंने रमेश को कहा मैं तुमसे आज मिल नहीं पाऊंगा लेकिन तुमसे दो दिनों बाद मिलता हूं उस दिन मेरी छुट्टी है। रमेश ने मुझे कहा ठीक है। मेरी रमेश के साथ ज्यादा देर तक बात हो नहीं पाई थी क्योंकि मैं उस वक्त अपने ऑफिस में था लेकिन मैंने जब रमेश को दो दिनों बाद फोन किया तो रमेश बहुत ही ज्यादा खुश था वह मुझे कहना लगा क्या तुम आज मुझसे मिलने के लिए आ रहे हो? मैंने रमेश को कहा ठीक है मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं। मैं रमेश को मिलने के लिए उसके बताए हुए पते पर चला गया। जब मैं रमेश के बताए पते पर गया तो रमेश ने मुझे बताया वह मुंबई में ही नौकरी करने लगा है।

मैंने रमेश को कहा यह बड़ी खुशी की बात है रमेश ने मुझे बताया वह कुछ समय पहले ही यहां आया था उसकी नौकरी मुंबई में लग चुकी है। रामेश और मैं उस दिन साथ में काफी देर तक बातें करते रहे लेकिन अब मुझे भी अपने फ्लैट में वापस लौटना था। मैंने रमेश को कहा मैं अब चलता हूं काफी देर हो चुकी है परंतु रमेश ने कहा आज तुम यही रुक जाओ। रमेश अपने कजन भाई के साथ मुंबई में रहता है उसने मुझे कहा आज मैं अकेला हूं मैंने भी रमेश को कहा ठीक है मैं यही रुक जाता हूं। उस दिन मैं रमेश के साथ रुक गया हम दोनों अपनी कुछ पुरानी यादों को ताजा करने लगे थे। मुझे बड़ा अच्छा लगा जब उस दिन मेरी रमेश के साथ बातें हुई। रमेश और मैं उस दिन के बाद एक दूसरे को अक्सर मिला करते थे। जब भी रमेश मुझे मिलता हम लोगों को बहुत ही अच्छा लगता था एक दिन जब मैं रमेश को मिला तो उस दिन रमेश ने मुझे कहा मैं कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जा रहा हूं।

मैंने रमेश को कहा मैं भी अपने ऑफिस से छुट्टी ले लेता हूं मैं कुछ दिनों के लिए तुम्हारे साथ घर चलता हूं। रामेश और मैं कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ चले गए थे। जब हम दोनों चंडीगढ़ गए तो मैं कुछ समय के लिए घर पर ही रूका और मुझे अपनी फैमिली के साथ समय बिताना बड़ा अच्छा लगा। पापा भी अब रिटायर होने वाले थे पापा ने मुझे कहा बेटा मैं कुछ समय बाद रिटायर होने वाला हूं। मैंने पापा से कहा पापा आप मेरे साथ मुंबई आ जाइए। पापा ने कहा नहीं बेटा मैं और तुम्हारी मां मुंबई आकर क्या करेंगे। मैंने उन्हें किसी तरीके से मना लिया था। जब पापा रिटायर हुए तो उसके बाद वह लोग मेरे साथ मुंबई आने के लिए तैयार थे। मुझे काफी अच्छा लग जब मैं मुंबई मे मेरी फैमिली के साथ रहने लगा था। अब वह लोग चाहते थे मैं शादी कर लूं। पापा के एक करीबी दोस्त मुंबई में ही रहते हैं। एक दिन पापा ने उन्हें घर पर इनवाइट किया वह जब डिनर के लिए घर पर आए तो उस दिन पापा ने मुझे रविंद्र अंकल से मिलवाया।

मुझे रविंद्र अंकल से मिलकर अच्छा लगा उनकी फैमिली भी उस दिन हमारे घर पर आई थी उस दिन के बाद से रविंद्र अंकल हमारे घर पर आने लगे थे मुझे भी काफी अच्छा लगता जब भी वह घर पर आते। मुझे कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जाना था मैंने जब यह बात मां को बताई तो मां मुझे कहने लगी बेटा तुम वहां से वापस कब लौटोगे। मैंने मां को कहा मां मैं वहां से कुछ दिनों बाद ही वापस लौट आऊंगा मैं अब बेंगलुरु चला गया था। मैं बेंगलुरु से एक हफ्ते के बाद वापस लौट आया था, उस दिन पापा की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए मुझे उन्हें डॉक्टर के पास लेकर जाना पड़ा था क्योंकि डॉक्टर हमारी कॉलोनी में ही रहते थे मैं उस दिन पापा को डॉक्टर के पास लेकर गया। डॉक्टर ने पापा को कुछ दवाइयां लिखकर दी उसके बाद पापा को उन्होंने आराम करने के लिए कहा पापा को काफी तेज बुखार था उन्होंने उस दिन दवा ले ली और वह सो चुके थे। कुछ दिनो मे पापा की तबीयत ठीक हो चुकी थी।

अब मेरे लिए कई रिश्ते आने लगे थे क्योंकि वह सब लोग चाहते थे मैं शादी कर लूं परंतु मैं अभी शादी करना नहीं चाहता था। मेरे परिवार की जिद के आगे मुझे उनकी बात माननी पडी और मैं शादी करने के लिए तैयार था। मैं जब पहली बार पारुल से मिला तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगा। पारुल से मिलकर मुझे काफी अच्छा लगा उसके बाद पारुल और मैं एक दूसरे को मिलने भी लगे थे। पारुल और मेरी सगाई हो जाने के बाद में काफी खुश था। पारुल और मैं एक दूसरे को अक्सर मिला करते हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे थे और एक दूसरे के साथ हम लोग काफी अच्छा समय बिताया करते थे। मैं पारुल से मिलता तो मुझे काफी अच्छा लगता हम दोनों की फोन पर भी काफी बातें होने लगी थी। मैं चाहता था मैं पारुल से शादी कर लूं जल्द ही हम दोनों की शादी हमारे परिवार वालों ने तय कर दी थी अब हम दोनों की शादी हो चुकी थी। मैं और पारुल काफी खुश थे हम दोनों की शादी बडे ही धूमधाम से हुई। मैं अपनी फैमिली के साथ अब मुंबई में ही रहता हूं मैं बहुत ज्यादा खुश हूं मेरी शादी पारुल से हो चुकी है।

पारुल भी नौकरी करती है और मैं भी जॉब करता हूं इसलिए हम दोनों को साथ में समय बिताने का मौका कम ही मिल पाता है लेकिन जब भी हम दोनों साथ होते हैं हम दोनों एक दूसरे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करते हैं और एक दूसरे को हम दोनों हमेशा खुश रखने की कोशिश करते हैं। एक दिन पारुल और मैं साथ मे थे। उस रात हम साथ में लेटे हुए थे मेरा मन पारुल के साथ सेक्स करने का हो रहा था। मैंने पारुल के होंठों को चूमना शुरू किया वह भी सेक्स के मूड में आ गई थी वह गर्म होने लगी थी। अब पारुल की गर्मी बढ़ने लगी थी मैं गर्म हो गया था। मैंने पारुल को कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं। वह कहने लगी डाल लो। पारुल ने मेरे लंड को बाहर निकल लिया था वह मेरे लंड को बड़े अच्छे से सकिंग करने लगी थी। वह जिस तरीके से मेरे मोटे लंड को चूस रही थी उस से मेरी गर्मी बढ़ती जा रही थी। पारुल गरम होती जा रही थी हम दोनों बहुत गरम होने लगे थे। जब मैंने पारुल से कहा मुझे तुम्हारे स्तनों को चूसना है। पारुल ने भी अपने बदन से कपड़े उतार दिए थे वह मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी।

उसके नंगे बदन को देखकर मैं बहुत खुश था। मैंने पारुल के स्तनों को चूसना शुरू कर दिया था। मैं पारुल के गोरे स्तनों को अच्छे से चूस रहा था मैं उसकी गर्मी को बढाए जा रहा था। मैंने उसकी गर्मी को बढ़ा दिया था वह गरम हो चुकी थी। पारुल की चूत से पानी निकल रहा था वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैंने पारुल की योनि को चाटना शुरू किया और उसकी योनि को मैं बहुत देर तक चाटता रहा। मैंने पारुल की चूत से पानी बाहर निकाल कर रख दिया था। उसकी गुलाबी चूत को चाट कर मुझे मजा आ रहा था। पारुल की चूत से बहुत अधिक मात्रा में पानी बाहर निकलने लगा था। मैंने उसकी चूत में लंड घुसा दिया था मेरा मोटे लंड पारुल की चूत मे जाते ही वह बड़ी जोर से चिल्लाई और बोली मुझे मजा आ रहा है। वह मुझे कहने लगी मेरी योनि में दर्द होने लगा है।

उसकी चूत में बड़ा दर्द होने लगा था। मैं पारुल को तेज गति से धक्के मार रहा था मैं उसे जिस तरह चोद रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था और उसको भी बड़ा अच्छा लग रहा था। पारुल की चूत से कुछ ज्यादा ही गर्म पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था। मैं पारुल की चूत की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैंने पारुल की चूत के अंदर अपने माल को गिरा दिया था। मेरा माल पारुल की चूत के अंदर गिर चुका था मेरी गर्मी अब शांत हो चुकी थी। हम दोनो दोबारा शारीरिक सुख का मजा लेना चाहता था। मैंने पारुल की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। मैने जब अपने लंड को पारुल की योनि में डाला तो वह जोर से चिल्ला कर बोली मुझे मजा आने लगा है। हमने 10 मिनट तक सेक्स किया फिर मेरी गर्मी शांत हो चुकी थी।
 
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