बस में मिली एक गीली चूत

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मेरा नाम राजेश दूबे है. मैँ 45 साल का एक व्यापारी हूँ. मुझे व्यापार के सिलसिले मेँ अक्सर कई दूसरे शहरोँ मेँ जाना पडता है. मेरी बीवी और दो बच्चे हैँ. सब कुछ ठीक ठाक है मेरी लाईफ मेँ बस एक ही कमी है. मुझे सेक्स की बुरी लत है. सेक्स करना तो ठीक है लेकिन मुझे गीली चूत को चाटने की बुरी लत है. मेरी बीवी क यह पसन्द नहीँ है इसलिये अक्सर हम दोनोँ मेँ झगडे होते रहते हैँ. और इस का परिणाम यह हुआ कि हम दोनोँ मेँ सेक्स ना के बराबर होता है. अब फिर मुझे बाहर ही मुँह मारना पडता है. ऐसा ही कुछ हुआ पिछले हफ्ते. मैँ बस से जयपौर जा रहा था. बस का सफर था ठंडी का मौसम और रात का समय था. मैँ पीछे की सीट पर अकेले बैठा हुआ था. मैँने बैग से एक घूंट वोडका भी निकाल कर पी लिया था. ऐसे ही समय कट रहा था कि एक बस स्टौप पर बस रुकी. बस मेँ दो चार मुसाफिर चढे. सब लोग आगे बैठे सिर्फ एक मुसाफिर जो कि 18 साल की एक लडकी थी आई और मेरे बगल मेँ बैठ गयी. उसकी जवानी उसके कपडोँ से फूट रही थी. उसने जींस और टी शर्ट पहना हुआ था. टी शर्ट मेँ से उसकी बडी बडी चूची काफी काफी कसी हुई दिख रही थी. उस्कई जींस भी काफी टाईट थी और वो भी कसी हुई गांड दिखा रही थी. उसे देख देख कर ही मेरे लंड ने ऐंठना शुरु कर दिया. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उसका रूप रंग भी काफी सुन्दर और गोरा था. उसके बाल बार बार उसके गालोँ पर आ कर गिर जाते थे. मुझे उससे चिपकने का मन कर रहा था.

मैं गीली चूत का दीवाना

वो बस के शुरु होने के बाद आराम से बैठ गई. बस मे अन्धेरा हो गया था. और सब लोग सो गये थे. थोडी देर बाद मुझे लगा वो भी सो गयी है. मैँने सोचा थोडा उससे चिपक कर सो जाऊँ, इससे दो फायदे होंगे. एक तो गर्मी भी मिल जायेगी और दूसरा नीन्द भी अच्छे से आयेगी. यह सोच कर मैँ उसके बदन से चिपक कर सट गया. उसे भी मेरे बदन की गर्मी महसूस हो रही थी और शायद ठंड मेँ गर्मी की ज़रुरत के चलते उसने इसका बुरा भी नहीँ माना. उसकी रजामन्दी के बारे मेँ सोच कर ही मेरा लंड कडा हो गया. और सोच सोच कर ही मन मेँ लड्डू फूटने लगे. मन किया यह रात ऐसे ही चलती रहे. थोडी देर के बाद अचानक मैँने महसूस किया कि वो अपने सिर को मेरे कन्धे पर रखकर सो रही है. उसके बालोँ की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी. मुझे लगा कि यही मौका है कुछ करने का. बस यही सोच कर मैँने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया और उसए अपनी बाहोँ मेँ समेटने लगा. वो हला सा कसमसाई जैसे उसे अच्छा लग्रहा हो. उअकी सांसेँ बहुत तेज चल रही थी यह मैँ महसूस कर रहा था.

उसका सिर अब मेरे सीने पर था. मैँने उसकी जांघ पर हाथ रखा. उसकी टांगेँ खुली हुई थी. मैँने उसकी टांगोँ के बीच हाथ रखा, उसकी जांघ से सटाकर और उसकी गीली चूत की कलप्ना करने लगा. हाय क्या अहसास था यह सोच कर ही मुझे बहुत मज़ा आ रहा था कि आज एक 18 साल की लौंडिया की चूत को चाटूंगा.

थोडी देर के बाद उसने अपनी दोनोँ टांगेँ बन्द कर ली और अब मेरा हाथ एकदम से उसकी चूत से सटा हुआ था और वो अपनी जांघोँ से मेरे हाथ को दबा रही थी. हाय, उसकी चूत की गर्मी मैँ अपने हाथ पर महसूस कर रहा था. वो धीरे धीरे अपनी जांघोँ को दबा कर मेरे हाथ पर दबाव डाल रही थी. इतनी खुली लडकी मैँने आज तक नहीँ देखी थी. मैँने अब एक हाथ उसके हाथ के नीचे से ले जाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसए सहलाने लगा. वो कसमसाने लगी तो मैँने दूसरा हाथ जो उसकी चूत पर था उससे उसकी चूत को दबाने लगा. वो बस मेँ ही सिसियने लगी.. सी.. म्म्म्म ऊओ आआ की आवाज़ से. मुझे अहसास होने लगा कि यह काफी गर्म है तो मैँने उसकी चूत को और तेजी से दबाने लगा. अब बाजी मेरे हाथ मेँ थी. उसने खुद ही अपने लिप्स को मेरे लिप्स पर रख दिये और मुझे किस करने लगी. और दूसरी तरफ से हाह डाल कर मेरे लंड को दबाने लगी. मुझे स्वर्ग जैसा मज़ा मिलने लगा.

वो अब दम लगा कर मेरे लंड को दबा रही थी और मैँ भी जितना वो दबाती उससे ज़्यादा उसकी चूची और चूत को दबाने लगा. तभी उसने मेरे कान मेँ धीरे से कहा मैँ एकदम से गीली हो गई हूँ, कुछ करो ना. मैँ कुछ कह पाता कि तभी बस एक ढाबे पर आकर रुक गयी. मैँने कुछ सोचा और जब देखा लोग नीचे उतर रहे हैँ खाना खाने तो मैँने उससे कहा कि चलो तुम्हारी गर्मी शांत करते हैँ. वो मेरे पीछे पीछे बस से उतर गई. हम दोनोँ ढाबे के पीछे एक जंगल था वहीँ चले गये. वहाँ पर कोई नहीँ था और काफी सुनसान इलाका था. वो डरने लगी तो मैँ बोला कि डरो मत, यहाँ कोई नहीँ आयेगा और बस भी करीब आधा घंटा यहाँ रुकेगी तो वो बोली ठीक है तब तो आज मुझे शांत कर दो. यह कर वो खुद ही अपनी जींस को निकाल दी और फिर खुद ही मेरे पैंट को खोल दी. अब मैँ भी पैंट निकाल दिया और अंडरवीयर भी. फिर उसे एक पत्थर पर मैँने उसे बिठा दिया.

बस से उतर के उसकी बस कर दी

उसकई टांगेँ मैँने फैला दिया और वो पीठ पीछे पेड के ऊपर टिकाकर आंखेँ बन्द करके लेट गी. मैँने उसकी चूत का जायजा लिया. उसकी पैंटी सफेद रंग की थी और काफी महंगी थी. उसकी गीली चूत से बहते हुए रस के कारंण उसकी पैंटी भीग चुकी थी. मैँने उसकी पैंटी को उतार दिया और फिर अपनी जीभ उसकी चूत पर रख कर उसकी चूत के रस को चाट लिया.

उसकी चूत की रसीली खुशबू से मैँ मादक अनुभव करने लगा था. उसकी गीली गीली चूत पर हल्के हल्के रेशमी मुलायम बाल थे. मैँ उसकी चूत को सहलाने लगा. वो सिसिया उठी. उसके दाने को जीभ से छेड कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैँने उसके दाने को लिप्स मेँ दबा कर चूसने लगा. वो म्रेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी. उसकी इस अदा पर मैँ मस्त हो गया. मैँने हाथ बढा कर उसकी चूची को ब्रा और टी शर्ट से बाहर निकाल दिया. और उसकी चूची और निप्पल को दबानए लगा, मसलने लगा. जैसे जैसे मैँ उसकी चूची और निप्पल को दबाता गया, वैसे वैसे उसकी चूत से रस टपक मेरे मुँह को मधुर करती गई. वाह क्या स्वाद था. मैँने एक हाथ नीचे ले जाकर अपने लंड को सहलाने लगा और लंड को मसलने लगा. मुझे बहुत आन्नद आ रहा था. फिर मैँने उसकी दोनोँ टांग को ऊपर उठाया और अपनी जीभ पूरी तरह से उसकी चूत के अन्दर गहराई तक पेल दिया. वो स्स्सीई ऊऊऊ म्म्म करने लगी. वो कमर को मेरे मुँह पर रगडने लगी. मैँने उसे और ऊपर उठाया और अपनी जीभ को उसकी गांड के छेद मेँ डाल दिया. वो इसके लिये सोच भी नहीँ सकती थी कि कोई उसकी गांड को चूसेगा.

उसकी लाल लाल गांड को चाट कर मैँने थूक ए सराबोर कर दिया. वो आहेँ भरने लगी. वो बहुत ज़्यादा ही कामुक हो गई. उसकी आहेँ सुनकर मुझे अब मन हुआ कि उसकी चूत को काटा जाये. मैँ फिर उसकी गीली चूत के लिप्स को तांत से काटने लगा, चबाने लगा, चूसते हुए उसे पागल कर दिया. वो कहने लगी, बस अब नहीँ सहा जा रहा है, प्लीज़ कुछ करो ना, प्लीज़ मुझे मत तडपाओ. मुझे अपनी रांड बना दो और चोदो ना प्लीज़, मैँ तुम्हारे हाथ जोडती हूँ. उसकी इस दया याचना से पिघलकर मैँ अपनी काम कला पर बहुत ज़्यादा खुश हुआ और फिर मैँ उठा और उसकी चूत पर अपने लंड की कमान को चढाया और धीरे धीरे उसकी चूत के द्वार को अपने लंड से तोडने लगा.

मेरा लंड उसकी गीली चूत मेँ फिसल रहा था. कभी यहाँ तो कभी वहाँ. मैँ समझ गया कि यह नाजुक कली है जिसे आज फूल नहीँ बनाया तो मुझसे बडा कोई फूल नहीँ होगा. यह सोचकर मैँने उसकी टान्गोँ को और भी ज़्यादा फैला दिया. अब उसकी चूत का छेद और भी ज़्यादा फैल गया था. मैँने एक बार फिर उसकी चूत को अच्छे से चाटा और फिर अपने लंड को उसकी चूत मेँ एक ही बार मेँ घुसा दिया. ईईईए करके वो मुझसे चिपक गयी और मैँ भी अपने लंड के घोडे को उसकी नाजुक कमसीन चूत मेँ दौडाने लगा. बहुत टाईट थी उसकी चूत. अचानक से वो कसमसाई और झडने लगी और उसकी चूत की गर्मी से मेरे लंड ने भी वीर्य को उसकी बच्चेदानी मेँ भर दिया. वो और मैँ दोनोँ ही इस चुदाई से निहाल हो उठे.
 
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