बाथरूम का दरवाजा खुल गया

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Antarvasna, hindi sex kahani: मैं हर रोज सुबह के वक्त अपनी दुकान पर चला जाया करता हूँ मेरी राशन की दुकान है मैं पटना का रहने वाला हूँ। यह दुकान मैं पिछले दो वर्षों से चला रहा हूँ पहले यह दुकान मेरे पिताजी चलाया करते थे परन्तु अब उनका देहांत हो चुका है इसलिए यह दुकान मैं ही चला रहा हूँ। इससे पहले मैं दिल्ली में जॉब करता था वहां पर मेरी तनख्वा भी काफी अच्छी खासी थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं दिल्ली नौकरी की तलाश में चला गया था काफी मेहनत के बाद मुझे वहां पर नौकरी मिली थी। नौकरी मिलने के कुछ समय बाद मेरे घर वालो ने मेरी शादी भी करवा दी थी मेरी जिंदगी बड़े ही अच्छे से चल रही थी मुझे किसी बात की कोई चिंता नही थी। एक दिन मुझे मेरी पत्नी का फोन आया और वह कहने लगी कि पिताजी की तबियत कुछ ठीक नही है। मुझे नही मालूम था कि पिताजी की तबियत ज्यादा खराब हो जाएगी। अगले दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ली और मैं घर चला आया जब मैं घर आया तो मैंने देखा पिताजी बहुत बीमार है मैं उसी दिन उन्हें अस्पताल लेकर गया डॉक्टर ने उनका चेकप किया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया।

कुछ दिन पिताजी अस्पताल में ही रहे लेकिन उनके बचने की उम्मीद बहुत कम थी यह बात पिताजी भी समझ चुके थे। पिताजी मुझे कहने लगे कि बेटा अब तुम्हे ही घर को संभालना है मैंने पिताजी से कहा पिताजी आप ऐसी बाते क्यो कर रहे है। वह कहने लगे कि मेरे जाने के बाद दुकान का काम तुम सम्भालना दुकान को ऐसे ही मत छोड़ना। पिताजी ने वह दुकान बड़ी मेहनत करके शुरू की थी वह काफी सालो से उस दुकान को चला रहे थे। पिताजी ने एक बार पहले भी मुझसे कहा था कि मैं ही उस दुकान को संभालू लेकिन मैं दुकान नही सम्भालना चाहता था मैं जॉब करना चाहता था इसलिए मैं दिल्ली चला गया था। कुछ दिनों बाद पिताजी का देहांत भी हो गया पिताजी के देहांत के बाद घर वीरान सा हो गया था।

पिताजी के देहांत को अब काफी समय हो चुका है आज भी हम लोग पिताजी को बहुत याद करते है। घर मे इकलौता होने की वजह से घर को संभालने की जिम्मेदारी मेरी थी जिसे मैं बखूबी निभा रहा था मैं अपने घर को बडे अच्छे से चला रहा था। मेरी एक बहन है जिसका नाम सिमरन है सिमरन भी अब बड़ी हो चुकी है उसके लिए अब हम लोग कोई अच्छा सा लड़का देख रहे है जिसके साथ वह शादी करके खुश रहे। सिमरन ने अभी अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की है वह चाहती है कि वह कुछ करे इसलिए सिमरन जॉब की तलाश में थी। मैंने सिमरन से कहा कि तुम्हे जॉब करने की क्या जरूरत यदि तुम्हे किसी चीज की आवश्यकता है तो तुम मुझे बताओ मैं उसे पूरा करूँगा। सिमरन कहने लगी भैया ऐसी बात नही है मुझे किसी भी चीज की कोई कमी नही है मैं बस जॉब करना चाहती हूँ वैसे भी मैं घर मे बोर हो जाती हूँ। मैंने सिमरन से कहा घर मे मां है और तुम्हारी भाभी भी तो है तुम उनके साथ अपना समय बिता लिया करो। वह कहने लगी नही भैया भाभी तो अपने काम मे उलझी रहती है और मां भी अपने कामो में ही व्यस्त रहती है उन लोगो के पास ज्यादा समय नही होता है। मेरी पत्नी घर के कामो में इतनी उलझी रहती है कि उसे खुद की कोई फिक्र ही नही रहती वह घर को बड़े अच्छे से सम्भाल रही है। मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूँ मैं उसे कोई तखलिफ़ नही होने देना चाहता था इस वजह से मैं उसे जॉब के लिए मना कर रहा था परन्तु उसकी जिद के आगे मैं कुछ बोल ना सका। सिमरन अब जॉब की तलाश में थी सिमरन घर मे सबकी लाडली है उसे घर मे सब लोग बहुत प्यार करते है उसकी हर एक जरूरत को मैं हमेशा पूरा करता हूँ। हम लोग सिमरन की बात मान चुके थे सिमरन की बात मानने के अलावा हमारे पास कोई चारा भी नहीं था। उस जॉब की तलाश में थी उसकी एक सहेली है उसका नाम गीतिका है वह हमारे घर पर आई हुई थी। वह मुंबई में नौकरी करती है उसने सिमरन को कहा यदि वह मुंबई में उसके साथ नौकरी करना चाहती है तो वह उसके लिए अपने ऑफिस में जॉब के लिए बात कर सकती है। इस बात से सिमरन खुश हो गई अब हम लोगों को उसने इस बात के लिए मना लिया था हालांकि मैं तो सिमरन की इस बात के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं था लेकिन मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मुझे सिमरन को भेजना ही पडा।

सिमरन मुंबई जा चुकी थी मुझे उसकी बड़ी याद आती और मां भी मुझे कहती की बेटा तुम रोज सिमरन से बात कर लिया करो मैं मां को हमेशा कहता कि मां मैं तो हमेशा ही उस से फोन पर बात करता हूं। मां मुझे कहती कि बेटा उसकी मुझे बड़ी याद आ रही है अब सिमरन को करीब 2 महीने हो चुके थे मैंने उसे फोन किया लेकिन सिमरन ने फोन नहीं उठाया मुझे उसकी चिंता सताने लगी। मैंने उसकी सहेली गीतिका को फोन किया तो वह मुझे कहने लगी आप चिंता मत कीजिए वह ऑफिस में है मैं उससे आज शाम को आपकी बात करवा देती हूं। मैं भी अब निश्चिंत हो गया मैने उस से शाम को फोन पर बात की तो मैंने उस से कहा कि तुम मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही थी। वह मुझे कहने लगी भैया ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था इसलिए मैं आपका फोन नहीं उठा पाई थी और मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाया था कि मैं आपसे बात कर सकू मैंने सिमरन को कहा यह सब छोड़ो मैं तुमसे यह कहना चाहता हूं कि क्या तुम कुछ दिनों के लिए घर आ सकती हो मां मुझे कह रही थी तुम कुछ दिनों के लिए छुट्टी लेकर घर आ जाओ तो मां को भी अच्छा लगेगा।

वह मुझे बोली भैया मैं ऑफिस से छुट्टी ले लूंगी। जब सिमरन घर आई तो वह काफी बदल चुकी थी उसके कपडे पहनने का ढंग और सब कुछ बदल चुका था लेकिन उस से मुझे कोई एतराज नहीं था जब उसने मुझे अपने ऑफिस में काम करने वाले लड़के निखिल के बारे मे बताया तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। मैंने सिमरन को कहा देखो सिमरन तुमने हमसे जॉब करने की बात कही थी उसके लिए मैंने तुम्हें मना नहीं किया लेकिन अब अगर तुम किसी ऐसे लड़के से शादी कर लोगी जो हमारी जात बिरादरी का नहीं है तो मैं बिल्कुल भी उसके पक्ष में नहीं हूं। सिमरन मुझे कहने लगी आप एक बार निखिल से मिल तो लीजिए। मैंने सिमरन को मना कर दिया लेकिन वह मुझे मना ही लेती थी इसलिए मुझे सिमरन की बात माननी पड़ी। मुझे निखिल से मिलने के लिए मुंबई जाना पड़ा मैं मुंबई गया तो मैं सिमरन और गीतिका के पास ही रूका। मैं जब निखिल से मिला तो मुझे निखिल अच्छा लगा मुझे निखिल से कोई भी परेशानी नहीं थी लेकिन कहीं ना कहीं मेरे मन में यह डर था कि क्या वह मेरी बहन को खुश रख पाएगा शायद यही डर मुझे सता रहा था। सिमरन उस दिन सुबह ऑफिस चली गई थी लेकिन गीतिका उस दिन घर पर ही थी मैं भी गीतिका के साथ ही था। गीतिका मेरी बहन सिमरन की अच्छी दोस्त है इसलिए मैंने कभी उसके बारे में कुछ ऐसा नहीं सोचा था परंतु उस दिन जब मैं और गीतिका साथ में बैठे हुए थे तो उसने मुझे कहा मैं नहाने के लिए जा रही हूं। वह बाथरूम मे चली गई अब वह बाथरूम में जा चुकी थी बाथरूम का दरवाजा खुला ही था इसलिए मैं उसे देखने लगा। मैं उसे देख रहा था उसने भी मुझे देख लिया था वह मुझे कहने लगी आप यह क्या कर रहे हैं। मैंने गितिका का हाथ पकड़ लिया मैंने जब गीतिका का हाथ पकड़ा तो मुझे अच्छा लगने लगा था और गीतिका को भी अच्छा लग रहा था। मैंने उसके होठों को चूम लिया था वह मुझे कुछ कह नहीं पाई अब उसके अंदर की तडप बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी।

वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही थी मेरे अंदर की उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी। गीतिका ने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथों से हिलाने लगी मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और उसको भी मजा आने लगा था। मेरे अंदर कि आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मेरे अंदर जो आग लगी हुई थी उसे मैं बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था और ना ही गीतिका अपने अंदर की आग को रोक पाई। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया और मैं उसे बेडरूम में ले आया जब मैं उसे बेडरूम मे लाया तो मैंने उसकी चूत को चाटकर पूरी तरीके से गिला कर दिया था। अब मेरे अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ गई कि मैंने उसकी चूत मै लंड घुसा दिया उसकी चूत मे मेरा लंड गया वह जोर से चिल्लाई मुझे नहीं पता था। वह अपने आपको रोक नहीं पा रहा था मेरा लंड गीतिका कि चूत के अंदर बाहर हो रहा था मुझे अच्छा लग रहा था और गीतिका को भी अब मजा आने लगा था।

उसके अंदर गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक पा रहा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी गीतिका भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। गीतिका मुझे कहने लगी मैंने चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका है तो मैंने भी उसे तीव्र गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे मै उसे तीव्र गति से धक्के दे रहा था उससे मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था और ना ही गीतिका रह पा रही थी थोड़ी देर में ही मेरा माल गिरने वाला था। जैसे ही मेरे वीर्य की पिचकारी को मैंने गिराया तो गीतिका कहने लगी आज मुझे बड़ा मजा आ गया। मैंने उसे कहा तुम तो एकदम सिल पैक टाइट माल हो वह कहने लगी आपको क्या लगा था। मैंने उसे कहा मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लगा था मैंने गीतिका को कसकर अपनी बाहों में पकड़ लिया और दोबारा से मैंने उसकी चूत का मजा लिया। उसकी चूत मार कर मुझे बड़ा ही अच्छा लगा।
 
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