नमस्ते दोस्तों,
आज मैं अपनी हाल ही में की चुदाई के बारे में बताने जा रह हूँ जिसमें उस लड़की का नाम तारिका था और वो दिखने में बिलकुल किसी गज्ज़क की तरह लगती थी | दोस्तों वो मुझे काफी दूर रहा करती थी पर कभी - कभार हमारे गॉंव में भी आ जाया करती थी क्यूंकि उसका पूरा परिवार हमारे ही गॉंव में रहा करता था | अब दोस्तों मेरे गॉंव में मैं ही पढ़ा लिखा और सबसे सुन्दर दिखने वाला नौजवान था तो वो मुझसे इसीलिए खूब बातें भी किया करती थी पर मेरे असली इरादों को कतई भी नहीं जानती थी | मैं उसकी हमेशा ही राह ताकता था या यूँ कहो मेरा लंड हमेशा ही उसकी चुत की राह ताका करता था | एक रोज वो कुछ दिनों के लिए गॉंव में आई हुई थी और अब हमारी बातों का सिलसिला थमा ही नहीं जा रहा था |
मैं उसी दिन बाघ में बैल - गाडी लेकर जा रहा था और साथ में उससे भी बतलाते हुए बाघ दिखाने के लिए ले गया | वहाँ जब मैं दोपहरी में बाघ में गया तो देखा की वहाँ कोई नहीं था और उसे सार नज़ारा दिखाते हुए समझाने लगा | बाघ के सन्नाटे को देख वो हल्की - फुल्की डरी जा रही थी और मुझे लिपट गयी | मैंने भी अपने हाथों पर बहुत काबू पाने की कोशी की पर वो मेरे काबू से बहार जा चुके थे | मैंने तभी उसके हाथों को सहलाना शुर कर दिया जिसपर उसे सुकून सा प्राप्त होने लगा | उसने भी मेरी तारीफ़ करते हुए एक बार गाल पर चूम लिया जिसपर मैंने कहा की वो अगर सच में मुझे मानती है तो मेरे होंठों पर चूमे और अब वो शार्माले लगी |
मैंने काम को आगे बढाने के लिए बैल - गाडी पर ही उसके हाथ पर गुदगुदी करते हुए उसके होंठों को चूम लिया जिसपर वो भी मुझे सहयोग करती हुई अपने होंठों को चुसवाने लगी तो कुछ ही पल में हम एक दूसरे में जैसे खो से गए | मैंने भी अब उसकी टांगों पर हाथ फिराते हुए उसे गर्माना शुरू कर दिया और वो भी मस्त में मदहोश होती चली गयी जिसपर मैंने उसकी कुर्ती के अंदर हाथ डाल उसके ब्रा के हुक को भी खोल दिया और उसके गोरे - गोरे चुचों को मसलने लगा जिसपर उसे खूब मज़ा आ रहा था | उसने मज़े - मज़े में अपनी कुर्ती को उतार दिया और मैं शौल को ओदे हुए ही उसके चुचों मुंह में लेकर मस्त में पीने लगा | मैंने ज्यादा ना सोचते सलवार को उतार साथ ही उसकी पैंटी को भी उतार दिया |
उसकी चुत पर अब मैं अपनी हथेली रगड़ते हुए ऊँगली को अंदर देना शुरू कर दिया | जब उसे भी खूब आनंद आने लग तो मैं अपनी उँगलियाँ मस्त वाली रफ़्तार से अंदर डालने लगा | उसके कुछ पल बाद ही मैंने उसे वहीं गाडी में लिटा दिया और उसके उप्पर लेटते हुए अपने लंड के सुपाडे को उसकी टांगों को खोल चुत में ज़ोरदार झटकों के साथ देने लगा | वो मज़े में हल्की -फुल्की सिसकियाँ ला रही थी और मैं पूरी बैल - गाडी को हिलाती हुई शौल के अंदर घुस बस उसकी चुत को पेले जा रहा था | मैंने ओउरी शाम तक पानी मनोकामना इसी तरह उसकी चुत को चोदकर ही पुरु की और आखिर में वहीँ उसके उप्पर झड भी गया |
आज मैं अपनी हाल ही में की चुदाई के बारे में बताने जा रह हूँ जिसमें उस लड़की का नाम तारिका था और वो दिखने में बिलकुल किसी गज्ज़क की तरह लगती थी | दोस्तों वो मुझे काफी दूर रहा करती थी पर कभी - कभार हमारे गॉंव में भी आ जाया करती थी क्यूंकि उसका पूरा परिवार हमारे ही गॉंव में रहा करता था | अब दोस्तों मेरे गॉंव में मैं ही पढ़ा लिखा और सबसे सुन्दर दिखने वाला नौजवान था तो वो मुझसे इसीलिए खूब बातें भी किया करती थी पर मेरे असली इरादों को कतई भी नहीं जानती थी | मैं उसकी हमेशा ही राह ताकता था या यूँ कहो मेरा लंड हमेशा ही उसकी चुत की राह ताका करता था | एक रोज वो कुछ दिनों के लिए गॉंव में आई हुई थी और अब हमारी बातों का सिलसिला थमा ही नहीं जा रहा था |
मैं उसी दिन बाघ में बैल - गाडी लेकर जा रहा था और साथ में उससे भी बतलाते हुए बाघ दिखाने के लिए ले गया | वहाँ जब मैं दोपहरी में बाघ में गया तो देखा की वहाँ कोई नहीं था और उसे सार नज़ारा दिखाते हुए समझाने लगा | बाघ के सन्नाटे को देख वो हल्की - फुल्की डरी जा रही थी और मुझे लिपट गयी | मैंने भी अपने हाथों पर बहुत काबू पाने की कोशी की पर वो मेरे काबू से बहार जा चुके थे | मैंने तभी उसके हाथों को सहलाना शुर कर दिया जिसपर उसे सुकून सा प्राप्त होने लगा | उसने भी मेरी तारीफ़ करते हुए एक बार गाल पर चूम लिया जिसपर मैंने कहा की वो अगर सच में मुझे मानती है तो मेरे होंठों पर चूमे और अब वो शार्माले लगी |
मैंने काम को आगे बढाने के लिए बैल - गाडी पर ही उसके हाथ पर गुदगुदी करते हुए उसके होंठों को चूम लिया जिसपर वो भी मुझे सहयोग करती हुई अपने होंठों को चुसवाने लगी तो कुछ ही पल में हम एक दूसरे में जैसे खो से गए | मैंने भी अब उसकी टांगों पर हाथ फिराते हुए उसे गर्माना शुरू कर दिया और वो भी मस्त में मदहोश होती चली गयी जिसपर मैंने उसकी कुर्ती के अंदर हाथ डाल उसके ब्रा के हुक को भी खोल दिया और उसके गोरे - गोरे चुचों को मसलने लगा जिसपर उसे खूब मज़ा आ रहा था | उसने मज़े - मज़े में अपनी कुर्ती को उतार दिया और मैं शौल को ओदे हुए ही उसके चुचों मुंह में लेकर मस्त में पीने लगा | मैंने ज्यादा ना सोचते सलवार को उतार साथ ही उसकी पैंटी को भी उतार दिया |
उसकी चुत पर अब मैं अपनी हथेली रगड़ते हुए ऊँगली को अंदर देना शुरू कर दिया | जब उसे भी खूब आनंद आने लग तो मैं अपनी उँगलियाँ मस्त वाली रफ़्तार से अंदर डालने लगा | उसके कुछ पल बाद ही मैंने उसे वहीं गाडी में लिटा दिया और उसके उप्पर लेटते हुए अपने लंड के सुपाडे को उसकी टांगों को खोल चुत में ज़ोरदार झटकों के साथ देने लगा | वो मज़े में हल्की -फुल्की सिसकियाँ ला रही थी और मैं पूरी बैल - गाडी को हिलाती हुई शौल के अंदर घुस बस उसकी चुत को पेले जा रहा था | मैंने ओउरी शाम तक पानी मनोकामना इसी तरह उसकी चुत को चोदकर ही पुरु की और आखिर में वहीँ उसके उप्पर झड भी गया |