बॉस की बेटी का ज़वाब नहीं

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Boss Ki Beti Ka Jawaab Nahi

नमस्ते दोस्तो। मेरा नाम योगेंद्र शर्मा (उम्र २६) है। मैं एक प्राइवेट रिक्रूटमेंट कंपनी में मानव संसाधन (एच।आर) डिपार्टमेंट में काम करता हूँ।

इस कंपनी में मैं पिछले २ सालों से काम कर रहा हूँ और इन दो सालों में मैंने काम के अलावा किसी और चीज़ पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया है। मेरा मन तो करता था ऑफ़िस की किसी लड़की को पटाकर उसके साथ मस्ती करने का, लेकिन कंपनी का माहौल मस्ती करने की इजाज़त नहीं देता था।

धीरे-धीरे मेरा ग्रेड बढ़ते गया और मैं सीनियर लोगों के साथ काम करने लगा था। वहाँ पर मुझे एक वर्किंग पार्टनर मिली थी, जिसका नाम सोनिया सिंह है। सोनिया कंपनी में नई थी, इसलिए मुझे उसके साथ एक्स्ट्रा टाइम बिताने मिलता था।

मैं और सोनिया साथ मिलकर ऑफ़िस का काम करने के साथ-साथ मौज़-मस्ती भी किया करते थे। हमारी मस्ती ऑफ़िस से निकलने के बाद होती थी। हम दोनों कहीं पर घूमने के बाद साथ में डिनर करके घर लौटते थे।

मुझे सोनिया के साथ ख़ुश देखकर मेरे बॉस की गाँड़ जलने लगी थी। वह शादी-शुदा होकर भी ऑफिस की लड़कियों को चखना चाहता था। पता नहीं उसने सोनिया को ऐसी कौन-सी पट्टी पढ़ाई थी जिसकी वज़ह से सोनिया ने मेरे साथ घूमना बंद कर दिया था।

कुछ दिनों बाद, बॉस ने सोनिया को अपना असिस्टेंट बना लिया था। साले ने ऐसी चाल चली कि मेरा बसा-बसाया प्यार उसने मुझसे छीन लिया था। मगर तक़दीर ने मुझे बॉस से बदला लेने का एक मौका दिया था।

हुआ यूँ कि बॉस की इकलौती बेटी निशा हमारे ऑफ़िस में इंटर्नशिप करने आने लगी थी। क्यूँकि निशा एक इंटर्न बनकर ऑफ़िस में काम कर रही थी, उसे सभी लोगों से अच्छी पहचान बनानी की ज़रूरत थी।

मैंने उस मौके-मौके का फ़ायदा उठाया और निशा से दोस्ती कर ली। निशा एक रसिक किस्म की लड़की है, जो ज़िन्दगी को खुलकर जीना पसंद करती है। एक बार डिनर करने के लिए, निशा मुझे अपने गेस्ट-हाउस में लेकर गई थी। डिनर के बाद हम दोनों सोफ़े पर बैठकर अपनी-अपनी रंगीन किस्से एक दूसरे को सुना रहे थे।

तभी निशा मुझसे बोली कि उसका हाल ही में उसके बॉयफ्रेंड के साथ ब्रेकअप हो था, इसलिए वह अपने आप को अकेला महसूस कर रही थी। मैंने मौके का फ़ायदा उठाकर उसकी जाँघ पर हाथ रखकर सहलाया और उसे अपना साथ दिया।

उसे मैंने कहा कि मैं उसका साथ दूँगा। वह भावुक होकर मुझसे गले लग गई और मेरी पीठ पर हाथ घुमाने लगी। मैंने भी उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर उसे गरम और मस्त करने लगा।

हम दोनों इतने उत्तेजित हो गए थे कि आगे क्या करना था उसका अंदाज़ा हमें था। मैंने निशा को अपने बाहों में भरकर उठा लिया और अंदर कमरे में लेकर गया। मैंने निशा को बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। वह मेरी पैंट के अंदर हाथ डालकर मेरे लौड़े को अपने हाथ में पकड़कर हिलाने लगी।

चुम्मियाँ लेते वक़्त मैंने निशा की वन पीस ड्रेस के अंदर अपना हाथ घुसा दिया और उसके गोल-मटोल स्तन को पकड़कर दबाने लगा। उत्साहित होकर उसने अपनी ड्रेस को उतार दिया और मेरी पैंट को भी उतारने लगी। मैं उसपर चढ़कर लेट गया।

निशा मेरी गाँड़ को पकड़कर दबा रही थी। मैं बिस्तर पर से उतर गया और निशा के पैर पकड़कर उसे उल्टा लटकाया। उसने मेरी जाँघो को पकड़कर मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया। मैंने निशा की कमर को अपने सीने से लगाकर उसकी साफ़ चूत को चाटने लगा। उसकी चूत चाटते हुए, मैंने उसके चूतड़ को कसकर पकड़ लिया।

निशा मेरे लौड़े को हिलाते हुए उसे अपने मुँह में डाल रही थी। मैं उसकी गाँड़ की छेद में अपनी एक उँगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। मैं नीचे फ़र्श पर लेट गया और निशा की चूत में अपनी ज़ुबान डालकर चाटने लगा।

वह मेरे लौड़े और गोटियों को बारी-बारी से चूस रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान से निशा की चूत की गुलाबी पँखुड़ियों को फ़ैला दिया और उन्हें चूसने लगा। निशा की सिसकियाँ चीख़ों में बदल गई थी।

उसकी चूत को चाटते समय उसकी गाँड़ की छेद सिकुड़ रही थी। मैंने अपनी उँगली को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। थोड़ी देर बाद, मैंने अपनी उँगली निकालकर उसे चखा और फिर निशा के मुँह में डाल दिया।

मैंने निशा को उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसपर चढ़ गया। उसके पैरों को पकड़कर मैंने उसकी चूत की दरार के सामने अपना लौड़ा रख दिया। निशा ने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत की दरार पर रगड़ा और उसे धीरे से अंदर घुसा दिया।

४-५ बार मैंने धीरे से अपने लौड़े को अंदर-बाहर किया। जब मेरा लौड़ा चिकनेपन से निशा की चूत में फिसलने लगा, तब मैंने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी। मैं निशा के ऊपर लेट गया और उसके बड़े स्तनों को दबाने लगा।

वह मेरे होंठों की चुम्मियाँ लेने लगी और अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह के अंदर घुसाकर चाटने लगी। कुछ देर तक निशा की तेज़ी से चुदाई करने के बाद मैं रुक गया था। तभी निशा उठ गई और मुझे घोड़ा बनाकर बिस्तर पर लेटा दिया।

उसने मेरे लौड़े को पकड़कर हिलाना शुरू किया और मेरी गोटियाँ चूसने लगी। कुछ देर बाद, वह मेरी गाँड़ की छेद के अंदर अपनी उँगली घुसाने लगी। मेरा लौड़ा एकाएक से और कड़क हो गया।

मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था, इसलिए निशा मेरी गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाने लगी। जब मैं एकदम उत्साहित हो गया, तब मैं निशा को पकड़कर बिस्तर पर बैठ गया। मैंने निशा को अपने आगे बिठाया और उसे गाँड़ से उठाकर मेरे लौड़े पर दबा दिया। उसकी गाँड़ की छेद में थूक लगाकर मैंने अपने लौड़े की नोक को सामने रख दिया।

निशा ने धीरे-धीरे करके मेरे लौड़े को अपनी गाँड़ की छेद के अंदर घुसा दिया। वह ख़ुद से ही मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। उसकी गाँड़ जब मेरे जाँघों से टकराने लगी, तब उसकी गाँड़ की चर्बी झोंके खाकर मुझे उकसाती थी।

निशा की चीख़ें मेरी हवस को उत्तेजित कर रही थी। ज़ोर-ज़ोर से निशा अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर उछालने लगी थी। उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलना शुरू हो गया था। वह ज़ोर-ज़ोर से अपनी गाँड़ को मेरे लौड़े पर पटक रही थी।

कुछ देर बाद, मैंने निशा को मुझपर सीधा लेटाकर उसकी गीली चूत के अंदर अपना लौड़ा घुसा दिया। निशा मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उठा-उठाकर ख़ुद को उछाल रही थी।

मैंने उसकी निप्पल को खींचकर उसकी चीख़ें बढ़ा दी। निशा अपने पैरों के बल बैठकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। जोश में आकर कहीं मैं निशा की चूत के अंदर न झड़ दू, इसलिए मैंने अपना लौड़ा निकालकर उसकी गाँड़ की छेद के अंदर गुसा दिया।

लेटकर निशा की गाँड़ चोदते वक़्त मेरा लौड़ा कई बार गाँड़ की छेद से बाहर फ़िसल रहा था। इसलिए मैंने निशा को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने उसकी गाँड़ की छेद के अंदर थूक मारकर अपना लौड़ा अंदर घुसा दिया।

निशा की कमर को पकड़कर मैंने उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से घुसाना शुरू कर दिया। उसकी चीख़ों की आवाज़ को दबाने के लिए मैं आगे झुककर उसकी चुम्मियाँ लेने लगा।

जब मेरा पानी निकलने वाला था, तब मैंने निशा की चूतड़ को फ़ैलाकर गाँड़ की छेद को चौड़ा कर दिया। ५-६ बार धीरे से लौड़े को गाँड़ की छेद में घुसाते हुए मैंने अपने लौड़े का पानी उसकी गाँड़ के अंदर निकाल दिया था।

निशा आकर मेरे चेहरे के ऊपर बैठ गई और अपनी गाँड़ की छेद को अपनी उँगलियों से चौड़ा कर दिया। मेरे पूरे लौड़े का पानी उसने पाद मारकर मेरे चहरे पर छिड़क दिया। फिर अपनी गाँड़ मेरे चहरे पर घिसते हुए उसे चमकाने लगी।

मैंने अपने मुँह को निशा की गाँड़ की छेद पर रखा और उसने ज़ोर लगाकर सारा पानी मेरे मुँह में निकाल दिया। निशा पलटकर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी चुम्मियाँ लेने लगी।

मैंने उसके मुँह में सारा लौड़े का पानी थूक दिया। कुछ देर बाद, हम दोनों बाथरूम में जाकर साथ में नहाए और आकर बिस्तर पर लेट गए। सुबह मैं और निशा साथ में तैयार होकर ऑफ़िस चले गए।

उस दिन से मैं बॉस को देखकर मुस्कुराने लगा था और बॉस मुझे देखकर उलझन में पड़ने लगे थे। मैंने मेरा बदला बॉस से ले लिया था। उस दिन के बाद, मैं निशा के पैसों से अय्याशी करने लगा।
 
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