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आप सभी को रश्मि का नमस्कार। आप सभी जानते है कि, मै मेरे बॉस के साथ काफी खुलकर मजे करती हूं, बस चुदाई के अलावा बाकी सब था हमारे बीच। अब तक मेरी नथ खुली भी नही थी। चुम्बन, चुचे दबाना, चुत चाटना, लंड चुसवाना यह सब हम दोनों के बीच हो चुका था। अब आगे -

बॉस मुझे अपने साथ कंपनी के काम से एक हफ्ते के लिए लखनऊ ले जा रहे थे। सुबह निर्धारीत समय पर हम दोनों स्टेशन पहुंचकर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। ट्रेन के आते ही हम अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। बॉस ने हमारे लिए एसी के फर्स्ट क्लास टिकट बुक कराए थे। हम जिस बोगी में थे वहां बहुत कम यात्री थे, और वैसे भी उनसे हमे कोई तकलीफ होनी तो थी नही।

जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म से निकल पडी बॉस ने हमारा कूपा अंदर से बंद कर दिया। और मेरी तरफ बढने लगे। ट्रेन के निकलते ही उनका प्लान तो पूरा तय था, मुझे लगा था लखनऊ जाने के बाद होटल के कमरे में मेरी नथ खुलेगी। लेकिन बॉस ने तो शायद ट्रेन में ही मेरी नथ खुलवाने की ठान ली थी। उन्होंने सीधे मुझे पकडकर सीट पे लिटा दिया, और मेरे ऊपर आते हुए मेरे होठों को अपने होठों से मिला दिया।

मै उन्हें कहना चाहती थी, थोडा तो सब्र करो, लेकिन उन्होंने मुझे वह भी कहने का समय नही दिया। वो तो आज जैसे मुझे पूरा खा जाना चाहते हो, उसी तरह मुझ पर टूट पडे थे। बॉस मेरे होंठ चूसते हुए अपने हाथ मेरे कमीज के अंदर घुसाने लगे, और मै भी अब अपने हाथों से उनका लंड खोजने लगी थी। बॉस बहुत ही मादक तरीके से मेरे होंठ चूसते हुए बीच बीच मे चाट भी रहे थे और कभी कभी हल्के से काट भी देते।

अब हम दोनों पर ही हवस हावी होते जा रही थी, और हम जल्द से जल्द चुदाई करना चाहते थे। लेकिन बॉस का इरादा कुछ और ही था, उनको आज मेरे कपडे उतारने की कोई जल्दी नही थी। लेकिन आज मुझसे खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल हो रहा था, तो मैंने ही पहल करते हुए बॉस के लंड को पैंट की चेन से बाहर निकाल लिया। उनका लंड जो कि अब तक पूरा जोश में आकर तन गया था, वो झटके मार रहा था।

मैने बॉस से अलग होते हुए उनके लंड को अपने मुंह मे भरना चाहा, तो उन्होंने मुझे रोकते हुए कहा, "इतनी भी क्या जल्दी है रश्मि मेरी जान, अब तो हमारे पास पूरा हफ्ता है।"

तो मैने कहा, "सर अब रुका नही जाता, जल्दी से कुछ करो, वरना मै मर जाऊंगी।"

तो उन्होंने मुझे बिठाकर मेरी सलवार के अंदर हाथ घुसा दिया। उन्होंने सीधे अपना हाथ ले जाकर मेरी चुत पर रख दिया, और एक उंगली से मेरी चुत को कुरेदने लगे। यह सब करते वक्त बीच बीच मे वो मेरी क्लीट को भी सहला देते, जिससे मै और मस्त हो रही थी। अब मुझे लगने लगा कि जल्द ही मै झड जाऊंगी, तभी हमारे कूपे के दरवाजे पर दस्तक हुई।

एकदम ऐसे मौके पे दस्तक सुनकर मै तो बहुत घबरा गई। लेकिन बॉस ने तुरंत उठकर मेरे शरीर पर एक चादर फेंक दी और दरवाजा खोल दिया। टीटी टिकट चेक करने के लिए आया था। मेरी सांस काफी फूल चुकी थी, और मै अभी भी अपनी सांस को रोक नही पा रही थी। जिसकी वजह से टीटी ने मेरी तरफ देखकर शैतानी मुस्कान दी, वह भी समझ गया था कि अंदर क्या हो रहा था।

उसके जाते ही बॉस ने फिर से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बाकी का काम पूरा करने के लिए मेरी तरफ बढने लगे। अबकी बार बॉस ने सबसे पहले मेरी कमीज ऊपर उठाकर मेरे उरोजों के ऊपर रख दी, जिससे उनको मेरे उरोजों के साथ मस्ती करने मिले। कमीज ऊपर उठाते ही उन्होंने अपना मुंह मेरे स्तनों पर रखकर ब्रा के ऊपर से ही उन्हें चूसने लगे। बॉस ने मेरे निप्पल को काटकर एक बार को तो मेरी जान ही निकाल दी थी।

फिर बॉस ने ब्रा का हुक खोले बिना ही मेरी ब्रा को बस स्तनों से ऊपर उठा दिया, और पहले उन्होंने मेरे दोनों स्तनों को अच्छे से मसल मसल कर लाल कर दिया। उसके बाद फिर से उन्हें अपने मुंह मे भरकर चूसने लगे। मेरे चूचियों को चूसते हुए वो उन्हें बीच बीच मे काट भी देते थे। इतना सब होने के बाद अब मुझसे रहा नही जा रहा था, तो मै भी उनका लंड सहलाने लगी। फिर बॉस ने मेरी कमीज उतार दी, और फिर ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया।

मेरी अधनंगी होते ही मैने बॉस के शर्ट के बटन खोलने शुरू किए, जिसे देखकर बॉस ने खुद ही अपने कपडे उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में आ गए। अंडरवियर में उनका तना हुआ लंड साफ दिखाई दे रहा था। अब उन्होंने मेरे पास आकर मुझे गले लगाते हुए अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरे चुतड़ों को दबा दिया। फिर धीरे धीरे बॉस के हाथ से मेरी सलवार भी खुलती गई और अब मै भी सिर्फ पैंटी में थी।

बॉस ने सलवार उतारते ही मेरे पूरे शरीर पर चुम्मियों की बरसात करना शुरू कर दिया। और चुत के पास पहुंचते ही उन्होंने पैंटी को थोडा साइड में कर दिया और मेरी योनि को चूमने लगे। योनि को चूमते हुए उनके होंठ धीरे धीरे अजीब सी हरकत करने लगे थे, जिससे अब मुझे भी दोगुना मजा आने लगा। फिर बॉस ने एकदम से एक ही झटके में मेरी पैंटी भी उतार दी। अब बॉस मेरी चुत में अपना मुंह घुसाए अपनी जीभ से मुझे चोद रहे थे।

तो मैने भी बॉस को लौडा खोजते हुए उसे अपने मुंह मे लेने की बात कही। तो बॉस तुरंत ही उठकर खुद पहले लेट गए और फिर मुझे 69 की पोजिशन में आने को कहा। अब बॉस नीचे लेटे हुए थे, और मै उनके मुंह पर बैठकर उनका लंड अपने मुंह मे भरकर चूसने लगी थी। थोडी देर में दोनों ही ढीले पड गए। और फिर मै उठकर बॉस के ऊपर सीधी लेट गई। बॉस ने भी मुझे आलिंगनबद्ध कर लिया।

थोडी ही देर में बॉस फिर से मेरे शरीर से खेलने लगे, मुझे चूमने लगे। अब बॉस का लंड भी धीरे धीरे तैयार हो रहा था। और इस बार मुझे पक्का यकीन था कि, अब उनका लंड मेरी नथ खोल के ही शांत होगा। थोडा चूमने, चूसने के बाद बॉस ने पलटकर मुझे नीचे कर दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए। बॉस के लंड के मात्र छुअन से ही मेरे बदन में एक सिरहन सी दौड गई।

बॉस ने एक बार मेरी आंखों में देखकर मुझसे पूछा, "तुम तैयार हो जान?"

मैने बस हां में अपना सर हिलाकर अपनी स्वीकृती दे दी। तो बॉस ने एक चादर उठाकर मेरी कमर के नीचे रख दी और अपने लंड को हाथ मे पकडकर मेरी चुत की फांको के बीच रखा और हल्के से दबाव बनाने लगे। लेकिन मेरी चुत कसी हुई होने से वो उनके इरादे में कामयाब नही हो सके। तो उन्होंने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और एक जोर का झटका दे मारा। इस झटके के साथ ही बॉस के लंड का अग्रभाग मेरी चुत के अंदर चला गया। मुझे ऐसा लगा, जैसे किसीने वहां काट दिया हो। मुझे बहुत दर्द हो रहा था, अगर बॉस ने मेरे होठों को खुला छोडा होता तो मै बहुत तेज चिल्लाती।

शायद इसीलिए कहते है, अपनी पहली चुदाई किसी अनुभवी के साथ करो। थोडी देर रुकने के बाद उन्होंने एक और झटके के साथ अपना आधा लंड मेरी चुत के अंदर कर दिया। अबकी बार तो ऐसा लगा जैसे किसीने अंदर से मेरी चुत पे छुरी से वार किया हो। मै दर्द से छटपटाने लगी थी, लेकिन बॉस ने मुझे अपनी मजबूत पकड़ से बांधे रखा। और थोड़ा रुकने के बाद उन्होंने एक और झटके के साथ अपना लगभग पूरा लंड मेरी चुत में पेल दिया।

पूरा लौडा चुत में जाने के बाद कुछ देर तक बॉस वैसे ही रुके रहे। और उन्होंने अपने हाथ मेरे पूरे बदन पर चलाने शुरू कर दिए। उनके इस तरह से मेरे बदन को सहलाने से मुझे पता ही नही चला, कब मेरा दर्द कम होकर मजे में बदल गया। अब मै खुद ही अपनी कमर हिलाने लगी थी। बॉस के लिए इतना इशारा काफी था, उन्होंने भी धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए।

बॉस का लंड काफी बडा और मोटा था, जैसे ही बॉस अपना पूरा लंड मेरी चुत में ठेलते, वो मेरी बच्चेदानी को टकरा जाता।

बॉस मस्त होकर मेरी चुत चुदाई कर रहे थे। थोडी देर ऐसे ही चुदाई के बाद बॉस ने मुझे उठाकर घोडी बनने को कहा। और खुद मेरे पीछे आकर पीछे से मेरी चुत में अपना लंड डाल दिया। अब इस पोजीशन में आते ही बॉस ने मेरे दोनों आमों को अपने कब्जे में ले लिया और उन्हें मसलने लगे। अब मेरी चुत भी काफी दर्द कर रही थी, यह बात बॉस से कहने के बाद उन्होंने कुछ जोर के धक्कों के साथ अपना माल मेरी चुत के अंदर ही निकाल दिया।

मेरी इस पहली चुदाई में मै तीन बार झडी थी। लखनऊ आने में अभी बहुत समय बाकी था, उस सफर में लखनऊ पहुंचने तक ही बॉस ने ट्रेन में ही तीन बार मेरी चुदाई की। और इस तरह मेरी नथ एक सफर में खुली।

आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।
आपकी रश्मि।
 
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