भाभी के हाथों की खीर

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Antarvasna, desi kahani: यह बात आज से चार वर्ष पहले की है, जब मेरी बैंगलोर मे नौकरी लगी थी, मैं बस से अपने ऑफिस आना जाना करता था। मेरे ऑफिस जॉइन करने के एक महीने के बाद टारगेट पूरा करने के चक्कर मे हमे ऑफिस मे देर तक रूकना पडता था। बस स्टॉप पर रोज़ आते जाते मैं एक अंकल को देखा करता। जिस बस मे मै जाता था वह बस उस दिन नहीं आई मुझे टेंशन हो रही थी। वह अंकल मेरे पास आए और कहने लगे तुम परेशान लग रहे हो तुम ठीक तो हो। मैने उन्हे कहा मुझे ऑफिस पर जाने की जल्दी है इसलिए टेंशन हो रही है। वह बोले इसमे इतना परेशान होने की क्या बात है। हम लोग बात कर रहे थे तो मुझे बस आती हुई दिखाई दी, जब बस बस स्टॉप पर रुकी तो सब उसमे पहले चढ़ने के लिए धक्का मुक्की करने लगे। मै बस मे चढ़ गया वह अंकल भी बस मे बैठ गए मै भी उनके साथ बैठ गया। वह मुझसे बातचीत करने लगे मेरे बारे मे पूछने लगे। उन्होने मुझे कहा क्या तुम यहां नए आये हो? मैने उनको कहां हां मै यहां नया आया हूं। मैने उनको पूछा मैं आपको रोज़ सुबह देखता हूँ।

उन्होंने मुझे बताया कि मैं अपने बेटे और बहू के पास हर रोज जाता हूं मेरी पत्नी के देहांत हो जाने के बाद मैं अलग रहता हूं इसलिए हर रोज सुबह मैं उनसे मिलने के लिए चला जाता हूं। मैं इस बात से चौक गया मैंने उन्हें कहा क्या वह लोग आपके साथ नहीं रहते। उन्होंने मुझे बताया नहीं वह मेरे साथ नहीं रहते क्योंकि वह दोनों ही नौकरी करते हैं और मैं उनके छोटे बच्चे की देखभाल करता हूं मुझे यह बहुत अच्छा लगता है। मैं इस बात से हैरान था और मैंने उन्हें कहा क्या अंकल आपको यह सब अच्छा लगता है तो वह मुझे कहने लगे बेटा मेरा इस दुनिया में अब है ही कौन मैं तो अकेला हूं। कुछ देर मे मेरे ऑफिस का बस स्टॉप आ चुका था और मैं अब बस से उतर गया था लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ उन्हीं अंकल का ख्याल था। मैं यह सोच रहा था कि वह अंल कितने ज्यादा अकेले हैं और अपने जीवन को वह अकेले ही बिता रहे हैं। मैं उस दिन अपने ऑफिस देर से पहुंचा था इसलिए मुझे मेरे मैनेजर ने उस दिन काफी डांटा भी था और कहा हर्षित तुम्हें मालूम है ऑफिस में आजकल कुछ ज्यादा ही काम है और तुम इतने देरी से आ रहे हो। मैंने उन्हें अपनी देरी से आने की वजह बताई वह मुझे कहने लगे आगे से तुम कभी भी देर से मत आना।

उस दिन उन्होने मुझे कुछ नहीं कहा और मैं अपने ऑफिस में काम करने लगा। उस दिन क्योंकि मैं देर से ऑफिस आया था इसलिए मैं देर तक ही ऑफिस में रहा और फिर मैं घर लौट गया। मैं जब शाम के वक्त घर लौट रहा था तो उस वक्त मुझे वही अंकल बस में बैठे हुए दिखाई दिए उन्होंने मुझे अपनी तरफ इशारा करते हुए बुलाया। मैं भी उनकी तरफ चला गया और कुछ देर बाद उनके सामने बैठी हुई महिला भी उठ गई फिर मैं उनके साथ बैठ गया। वह मुझे कहने लगे बेटा मैंने तुम्हें देखा तो मुझे बहुत अच्छा लगा उन्होंने उस दिन मुझे कहा कभी तुम घर पर आना। मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं समय निकालकर घर पर जरूर आऊंगा। मैं अपने बस स्टॉप पर उतरा और वह अंकल भी उसी बस स्टॉप पर उतरे क्योंकि उनका घर वहीं पास में था तो उन्होंने मुझे अपने घर चलने के लिए कहा लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। मैंने उन्हें कहा आप मुझे अपना नंबर दे दीजिए मैं आपके घर पर जरूर आऊंगा। उन्होंने मुझे अपना नंबर दे दिया था उसके बाद वह मुझे अक्सर मिला करते। एक दिन उन्होंने मुझे कहा मैं तुम्हें अपने बेटे और बहू से मिलाना चाहता हूं। मैंने उन्हें कहा यह तो बड़ी ही अच्छी बात है उन्होंने मुझे बताया कि वह कुछ दिनों के लिए उनके पास रहने के लिए आए हुए हैं। एक दिन उन्होने मुझे अपने घर पर बुलाया उस दिन उनके बहु और बेटी भी घर पर थे। उन्होंने मेरा परिचय अपने बेटे सुधीर से करवाया मैं सुधीर से मिलकर बहुत खुश था। उन्होंने अपनी बहू ललिता से मेरा परिचय करवाया तो मुझे ललिता कुछ ठीक नहीं लगी वह पहली नजर मे ही मुझे ऐसी लगी कि जैसे वह सेक्स के प्रति कुछ ज्यादा ही सोचती है। पहली नजर में ही मैंने ललिता पर अपनी छाप छोड़ दी थी ललिता भाभी मेरी तरफ बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो गई थी। वह चाहती थी किसी प्रकार से वह मेरे साथ सेक्स कर पाए मेरे लिए यह बहुत ही अच्छा मौका था। मैं उनके बड़े स्तनों को देखा और उनकी बड़ी गांड को देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता उस दिन सब लोगों ने साथ में ही लंच किया क्योंकि मेरे ऑफिस की छुट्टी थी इसलिए मैं उनके साथ काफी देर रहा फिर शाम के वक्त मे अपने घर चला गया। कुछ दिनों बाद मुझे ललिता भाभी दिखाई दी जब वह मुझे दिखी तो उस दिन उनसे मेरी बात काफी देर तक हुई।

उन्होंने मुझसे पूछा क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तो मैंने उन्हें बताया नहीं मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है। वह कहने लगी लेकिन तुम बहुत ही हैंडसम हो मैंने उन्हें कहा इसका यह मतलब तो नहीं कि हर हैंडसम आदमी की गर्लफ्रेंड हो मेरी कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है और मैं सिंगल ही खुश हूं। इस बात से वह बड़ी खुश थी उन्होंने मुझे कहा कि कभी तुम घर पर आना मैं तुम्हें खीर खिलाऊंगी। मैंने कहा ठीक है मैं जरूर आपके घर पर आऊंगा जल्द ही हम दोनों की मुलाकात होने वाली थी एक दिन उन्होने मुझे अपने घर पर बुला लिया उनके पति सुधीर अपने काम के सिलसिले मे गए हुए थे इसलिए मेरे लिए तो यह बहुत ही अच्छा मौका था और अंकल की तबीयत भी कुछ दिनों से ठीक नहीं थी वह भी अपने घर पर ही थे। ललिता भाभी ने मुझे अपने घर पर बुला लिया जब उन्होंने मुझे घर पर बुलाया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे उन्होंने मेरे लिए खीर बनाई हुई थी उन्होंने अपने हाथों से मुझे खीर खिलाई तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा।

मैंने उन्हें कहा लेकिन भाभी आप तो कुछ और ही मेरे बारे में सोचती हैं। वह मुझे देख कर कहने लगी कि लेकिन मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचती हूं? मैंने उन्हें कहा मुझे लगता है आप मेरे साथ सेक्स करना चाहती हैं वह भी मुस्कुरा कर मुझे कहने लगी भला इसमें क्या गलत है। हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे तो मैंने भी उनकी जांघों पर हाथ रख दिया और वह भी मेरी तरफ अपनी हवस भरी नजरों से देख रही थी। उनकी प्यासी नजरे मुझे अपनी और आकर्षित कर रही थी मुझे वह अपनी ओर खींच रही थी मैं भी ललिता भाभी की तरफ खिंचा चला गया। हम दोनों बेडरूम में चले गए जब हम लोग बेडरूम मे गए तो कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपक कर बैठे रहे, मै अपने होंठो को उनके होंठो से टकराने लगा। मै उनके स्तनो को मसलन लगा उन्होने मेरे लंड को बाहर निकालते हुए अपने हाथ से मेरे लंड को पकडकर उसे मुट्ठी में बांधकर सहलाने लगी। मैने उनकी चूत पर अपने हाथ को लगा दिया। वह कहने लगी अपनी उंगली अंदर डालो मैने भाभी की चूत मे उंगली डाल दी मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत के दरार में घुसा दिया और मेरी उंगली पूरी तरह अंदर चली गई। जैसे जैसे मैं उनकी चूत के अंदर उंगली को करता तो मुझे मज़ा आ जाया करता, वह जोर से सिसकिया ले कर अपनी जांघो को कस कर बंद करने की कोशिश करती उनकी चूत पानी छोडने लागी। उनकी चूत से पानी बह रहा था कुछ देर तक ऐसे ही मजे लेने के बाद मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत से बाहर निकल लिया। और उनके ऊपर लेट गया, भाभी ने अपनी टांगो को खोल लिया, मेरा लंड उनकी चूत को स्पर्श कर रहा था, उनकी झांटो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था फिर भाभी ने मसे बोला अब अपने लंड को अंदर डाल दो।

मुझे अपने लंड को उनकी टाइट चूत में घुसाने में काफी परेशानी हुए मैने जब जोर लगा कर लंड को अंदर डालना चाहा तो उन्हें दर्द हुआ लेकिन उनकी चूत काफी गिली हो गई थी। भाभी हाथ से लंड को पकड रही थी मेरे एक ही धक्के से अब लंड अंदर चला गया भाभी चिल्लाई वह बोली बड़ा मोटा है तुम्हारा लंड मार ही डलोगे लगता है भाभी को काफी दर्द हो रहा था पहली बार इतना मोटा और लम्बा लंड उनकी चूत मे घुसा था। मै अपने हाथ से उनके दोनों स्तनो को दबाता फिर उनको मुंह मे लेकर चूसता। भाभी को कुछ रहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरू कर दी वह अपनी कमर को हिला रही थी तो मैं भी अपने लंड को उनकी चूत के अंदर बाहर करने की कोशिश करता और उनकी मखमली चूत के अंदर जब मेरा लंड अंदर तक जाता तो वह जोर से चिल्लाती और मुझे कहती और भी तेजी से मुझे चोदो वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि अपने पैरों को खोलने लगी और मेरा लंड उनकी चूत के अंदर तक जा रहा था मेरा लंड उनकी योनि के अंदर जा रहा था वह बड़ी ही तेजी से चिल्लाती और मुझसे कहती तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो।

मुझे भी एहसास हो रहा था कि मैं जैसे जन्नत की सैर कर रहा हूं क्योंकि उनकी चूत वाकई में टाइट थी मेरा लंड बहुत ज्यादा मोटा था जिस वजह से वह भी खुश थी और मुझे भी वह पूरे मजे देने की कोशिश करती। मैंने उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो मैं उन्हें ऐसे ही काफी देर तक धक्के मारता रहा। जब मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था तो मुझे एहसास होने लगा अब मैं ज्यादा देर तक भाभी का साथ नहीं दे पाऊंगा इसलिए मैंने अपने लंड को बाहर निकाला और उन्होंने अपने मुंह में मेरे लंड को समाते हुए मेरे वीर्य को मेरे अंडकोषो से बाहर की तरफ खींच लिया और मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया। उसके बाद भी मेरे साथ कई बार उनके सेक्स संबंध बनाते रहे और मैं उनसे मिलने के लिए जाता रहा लेकिन अब मैं मुंबई में नौकरी करता हूं।
 
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