मल्लू आंटी की गाँड़ जल गई

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Mallu Aunty Ki Gaand Jal Gayi

दोस्तो, आप लोग तो जानते ही होंगे की चॉल सिस्टम में आए दिन कोई न कोई कामुक कांड देखने को मिल जाता है। जो लोग चॉल के बारे में नहीं जानते, वह मेरी इस रोमांचक कहानी को पढ़कर उसके मज़े ले।

मैं धारावी इलाके में बसे एक चॉल सिस्टम में अपने माँ-बाप के साथ रहता हूँ। मेरे बापू की साइकिल रिपेयर शॉप है, जिसे चलाकर घर में चार पैसे कमाकर लाने में मैं उसकी मदत करता हूँ। वैसे तो मैं ज़्यादा वक़्त शॉप पर नहीं गुज़ारता हूँ।

दोपहर के समय मैं अपने चॉल में दोस्तों के साथ आवारागर्दी करता हूँ। एक बार हुआ यूँ कि दोपहर को क़रीब ०३: ०० बजे, मैं खाना खाकर अपने दोस्तों को बुलाने उनकी खोली में चला गया।

३ दोस्तों में से २ कुछ काम से बाहर गए थे और तीसरा दोस्त नाईट शिफ़्ट करके आया था, इसलिए वह सो रहा था। मैंने भी सोच लिया था कि अपनी खोली में जाकर आराम करता हूँ।

तीसरे दोस्त की खोली में से लौटते वक़्त, मैंने देखा कि चॉल के मुनीम हमारी चॉल की मल्लू आइटम; तीख़ी मिर्च; और सुडौल बदन वाली छमिया मतलब कि भावना आंटी को इशारों में कुछ कह रहे थे।

भावना आंटी ने अपने मंगलसूत्र पर हाथ रखा, जिसे देखकर मुनीम सोसाइटी ऑफिस में चले गए। मैं उन दोनों के इशारों को बेहतर तरीक़े से समझने के लिए भावना आंटी की खोली के पास जाकर खड़ा हो गया।

खोली में तिरछी नज़र से देखने पर पता चला कि भावना आंटी अपने पति से बातें कर रही थी, जो दोपहर में अपनी दुकान से घर आराम करने के लिए आता है। भावना आंटी का पति दूकान जाने के लिए निकल रहा था। तभी मुझे सारा मसला समझ में आया।

मुझे इतना तो पक्का मालुम पड़ गया था कि भावना आंटी का पति घर से जाने के बाद, सोसाइटी ऑफ़िस में से मुनीम निकलकर उसके घर आएँगे। मैं बेसब्री से उस वक़्त का इंतज़ार करने लगा।

सोसाइटी के मुनीम हमारे हालात को देखकर हमसे थोड़ा कम भाड़ा लिया करते थे। इसी वज़ह से मैं उनकी इज़्ज़त करता था। मुझे तो उस वक़्त मालुम पड़ा कि वह आदमी एक नंबर का चमड़ी बाज़ है।

किसी को शक न हो, इलसिए मैं चॉल की सीढ़ियों पर जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद, भावना आंटी का पति निकल गया और उसके जाने के बाद, सीढियाँ चढ़कर सोसाइटी के मुनीम अपना ब्रीफ़केस लेकर ऊपर आ गए।

जैसे ही मुनीम ने भावना आंटी के घर में घुसकर दरवाज़ा बंद किया, मैं दबे पाँव चलकर खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया। वैसे भी दोपहर का वक़्त था और चॉल के लोग उस समय घर बैठकर आराम ही करते हैं।

फिऱ भी, मैं इधर-उधर देखकर खिड़की के अंदर झाँकने लगा। खोली के अंदर देखने पर मैंने मुनीमजी को चड्डी और बनियान में पलँग पर बैठा पाया। वह रसोई-घर में भावना आंटी से बात कर रहे थे।

[मुनीमजी:] अरे मेरी छम्मक छल्लो! और कितनी देर लगाएगी तू? मेरा लौड़ा तेरी रसीली चूत में घुसने के लिए तड़प रहा है। अपनी चर्बीदार गाँड़ मटकाते हुए जल्दी आ बाहर।

[मल्लू आंटी भावना:] मैं क्रीम ढूँढ रही हूँ मुनीमजी जी, बस अभी आई। आज सुबह ही मेरे पति ने मेरी गाँड़ की छेद की ठुकाई की है। क्रीम के बग़ैर अभी आप भी मेरी गाँड़ चोदोगे तो मैं क्या मुँह से संडास करूँ? (हसने लगती है) ।

[मुनीमजी:] तू सिर्फ़ क्रीम का डब्बा लेकर आ। तेरी गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर तक क्रीम मैं लगाऊँगा।

कुछ देर बाद, भावना आंटी रसोई-घर से क्रीम का डब्बा हाथ में पकड़कर बाहर आई। उसने सफ़ेद रंग की सिल्क ब्रा और पैंटी पहनी थी। मुनीमजी ने भावना आंटी के मोटे चुत्तड़ों को पकड़कर उठाया और उसे पलँग पर फेंक दिया।

पलँग पर फेंकने के बाद, भावना आंटी की पैंटी के अंदर अपनी हथेली घुसाकर उसकी चूत को रगड़ने लगे। भावना आंटी अपने जाँघों से मुनीमजी की हथेली दबाकर मज़े ले रही थी।

मुनीमजी अपनी चड्डी और बनियान उतारकर भावना आंटी के ऊपर कूद पड़े। उसके गोल-मटोल लटकते हुए चूचियों को दबोचकर उन्हें दबाने लगे। भावना आंटी मुनीमजी के होंठों को अपने मुँह में भरकर उनकी चुम्मियाँ ले रही थी।

मुनीमजी ने भावना आंटी की ब्रा और पैंटी को उतार फेंका और उसे अपने ऊपर चढ़ा लिया। भावना आंटी की मोटी और चर्बीदार गोरी गाँड़ की दरार में उँगलियाँ फ़साकर मुनीमजी उसे फ़ैलाने लगे।

भावना आंटी अपने हाथ को निचे ले जाकर मुनीमजी के काले लौड़े को हिलाने लगी। दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस-चूसकर उसकी चुम्मियाँ ले रहे थे। मुनीमजी ने अपनी बिच वाली उँगली पर क्रीम लगाकर उसे भावना आंटी की गाँड़ की छेद में घुसा दी और उसे अंदर-बाहर करने लगे।

भावना आंटी सिसकियाँ लेते हुए मुनीमजी की चुम्मियाँ लेने लगी थी। मुनीमजी ने अपनी बिच वाली उँगली को भावना आंटी की गाँड़ की छेद से निकालकर अपने मुँह में भर दिया। उसके बाद उसी उँगली को भावना आंटी के मुँह में घुसा दिया।

[मुनीमजी:] चल मेरी रानी, अपनी मोटी गाँड़ टिकाकर बैठ जा अपने राजा के चेहरे पर। तेरी गाँड़ की छेद को चाटकर साफ़ कर देता हूँ।

भावना आंटी उठकर मुनीमजी के चेहरे पर अपनी चौड़ी चर्बीदार गाँड़ को रखकर बैठ गई। उसने पहले अपनी गाँड़ को मुनीमजी के चेहरे पर रखकर आगे-पीछे करके घिसना शुरू। मुनीमजी अपनी ज़ुबान बाहर निकालकर उसकी चूत की दरार और गाँड़ की छेद चाटने लगे।

मुनीमजी ने उत्साहित होकर भावना आंटी के चुत्तड़ों को पकड़ लिया और उन्हें फैलाकर अपनी ज़ुबान को उसकी गाँड़ की छेद के अंदर घुसाने लगे। भावना आंटी मुनीमजी के मुँह पर अपनी बड़ी गाँड़ को ऊपर-नीचे उछालने लगी थी।

[मल्लू आंटी भावना:] हम्म! अच्छे से चाटो मेरी गाँड़ की छेद को. उफ़! चोदो, अपनी ज़ुबान से मेरी गाँड़ की छेद को चोदो।

मुनीमजी ने अपनी उँगलियों से भावना आंटी की चूत की पँखुड़ियों को फ़ैलाना शुरू किया। भावना आंटी की चूत को खोलकर वह अपनी उँगली चूत पर रगड़ने लगे थे। भावना आंटी मुनीमजी का खड़ा हुआ लौड़ा देखकर आगे झुक गई।

लौड़े को अपने मुँह में घुसाकर अच्छे से चूसने लगी। थोड़ी देर बाद, भावना आंटी मुनीमजी के ऊपर चढ़कर लेट गई। अपने हाथों से मुनीमजी के लौड़े को पकड़कर उसे अपनी गीली चूत की दरार पर रगड़ा और फिर अंदर घुसा दिया।

मुनीमजी भावना आंटी की गाँड़ को पकड़कर उसे अपने लौड़े पर ऊपर-निचे उछालने लगे। भावना आंटी 'ज़ोर से चोदो' ऐसे बोलकर चिल्ला रही थी। वह पूरी तरह से मस्त और गरम हो चुकी थी।

उसकी गाँड़ की छेद भी खुल गई थी, जिसमें मुनीमजी ने कुछ देर बाद अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगे। ज़ोर-ज़ोर से मुनीमजी भावना आंटी को अपने लौड़े पर उछालने लगे जिससे भावना आंटी चिल्लाकर अपनी हवस को जताने लगी।

[मल्लू आंटी भावना:] आह! काश मेरा पति भी आपके जैसे मेरी चुदाई कर पाता। मुनीमजी ऐसे ही अपना लौड़ा घुसाते रहो।

कुछ देर तक मुनीमजी भावना आंटी की ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करते रहे और फिर रुक गए। मुनीमजी ने उठकर भावना आंटी को अपने गोद में बिठा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर अपने लौड़े पर उछालना लगे। भावना आंटी के मोटे और लटकते चूचे मुनीमजी की छाती से टकरा रहे थे।

मुनीमजी और भावना आंटी एक दूसरे की ज़ुबान बाहर निकालकर चाटने लगे। कुछ देर बाद, मुनीमजी ने भावना आंटी को घोड़ी बनाकर पलँग पर लेटा दिया।

मुनीमजी ने भावना आंटी की हिलती हुई गाँड़ को देखकर उसके चुत्तड़ों पर ३-४ थप्पड़ मारकर उसके चीख़ें निकाल दिए। मुनीमजी ने भावना आंटी की गाँड़ की छेद पर अपने लौड़े की नोक को रखा और धीरे से धक्का मारकर उसे अंदर घुसा दिया।

धीरे-धीरे धक्के मारते हुए मुनीमजी भावना आंटी की गाँड़ को चोद रहे थे। भावना आंटी की ज़ोर-ज़ोर से गाँड़ चोदते वक़्त मुनीमजी उसकी चूत को अपनी उँगलियों से रगड़ रहे थे।

गाँड़ के अंदर घुसते लौड़े ने भावना आंटी की हवस को इतना बढ़ा दिया था कि भावना आंटी की चूत से चिपचिपे पानी की धार मुनीमजी की हथेली पर निकल गया। कुछ देर बाद, मुनीमजी भावना आंटी की कमर को पकड़कर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गाँड़ के अंदर-बाहर कर रहे थे।

कुछ देर बाद, मुनीमजी अपने लौड़े को भावना आंटी की फैली हुई चूत के अंदर घुसाकर उसकी चुदाई करने लगे थे। फिर आगे झुककर भावना आंटी के उछलते चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगे। मुनीमजी ज़ोर-ज़ोर से भावना आंटी की चूत पर अपने लौड़े को पटक रहे थे। भावना आंटी चिल्लाकर मुनीमजी को उकसाह रही थी।

कुछ समय और भावना आंटी की चुदाई करने के बाद मुनीमजी ने अपना लौड़ा भावना आंटी की चूत से निकाल दिया। भावना आंटी के पैर काँपने रहे थे और तभी उसने पेशाब की तेज़ धार अपनी चूत से निकाल दी।

थोड़ी देर बाद, भावना आंटी मुड़कर मुनीमजी के लौड़े को चूसने लगी थी। ज़ोर-ज़ोर से मुनीमजी का लौड़ा अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी थी। मुनीमजी ने भावना आंटी का सर पकड़कर उसके मुँह के अंदर अपने लौड़े का माल निकाल दिया था।

थकान के मारे दोनों लोग पलँग पर लेट गए थे। उन दोनों की चुदाई देखकर मैंने अपने खोली में जाकर अपने लौड़े को हिलाने का सोचा। मैं जब थोड़ा आगे चलकर सीढ़ियों तक पहुँचा, तब मेरे सामने से भावना आंटी का पति गुज़रा।

आगे जो तमाशा होने वाला था, उसे देखने के लिए मैं वहीं पर रुक गया। थोड़ी देर बाद, चॉल के लोग अपनी-अपनी खोली से निकलकर भावना आंटी के घर से आ रही गाली-गलौज को सुनने लगे।

ठीक १० मिनट बाद, मुनीमजी लंगड़ाते हुए घर से बाहर निकले। उनकी छाती लाल थी और उनके होंठ से ख़ून निकल रहा था। उस दिन भावना आंटी का क्या हाल हुआ वह तो मालुम नहीं।

लेकिन कुछ दिनों बाद, चॉल में रहने वाली औरतों की बातें सुनकर पता चला कि भावना आंटी कुछ दिनों तक पेशाब और संडास करने घर से निकलती नहीं थी। शायद भावना भाभी के पति ने उसकी चूत और गाँड पर गरम चिमटे से चटका दे दिया होगा।
 
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