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Maa Ko Chudwakar Fas Gayi

हेलो दोस्तो। मेरा नाम है दिव्या (उम्र २०) । मैं सूरत की रहने वाली हूँ। आप लोगों के लिए मैंने अपनी एक विशेष कहानी पेश की है। कहानी की शुरुवात होती है मेरी और मेरी माँ हेतल (उम्र ३९) के साथ।

मैं जब १५ साल की थी तब मेरे पिताजी किसी दूसरी औरत के साथ शहर छोड़कर भाग गए थे। मेरी माँ ने पिताजी की बची हुई जायदाद को बेचकर एक जनरल स्टोर खोला था। इसी व्यापार की वजह से मैं और मेरी माँ एक खुशाल ज़िन्दगी जी रहे थे।

लौड़े की प्यासी मेरी माँ किसी भी गैर मर्द से चुदवाती नहीं थी। उसे एक ऐसा मर्द चाहिए था जो सिर्फ़ उसकी चूत की गर्मी को बुझा दे। उसने शादी के बारे में भी सोचना छोड़ दिया था।

इसलिए मैं अपनी माँ की यौन ज़रूरतों को पूरा करती थी। हम माँ-बेटी एक दूसरे के साथ चूत मस्ती किया करते थे। इसी मस्ती के कारण मेरी माँ की चंचल जवानी कायम थी।

मैं और माँ साथ में सोते थे। रोज़ चूत मस्ती से मैं माँ की प्यास को बुझाती थी। बिस्तर पर हम एक दूसरे के नंगे बदन को सहलाकर मस्त और गरम हो जाते थे। माँ मेरे ऊपर उलटी दिशा में मुँह रखकर चढ़ती थी।

वह मेरी चूत को चाटती और मैं उसकी चूत की चुसाई करती। लेकिन एक मर्द का लौड़ा जो कर सकता है वह मेरी चूत के घिसने से नहीं होने वाला था।

इसलिए मैंने सोच लिया था कि माँ के लिए कोई ऐसा मर्द ढूँढूँगी जो माँ की चूत की प्यास को बुझा सके।

एक रात जब मैं और माँ रोज़ की तरह बिस्तर पर एक दूसरे की बारी-बारी से गांड चाट रहे थे, तब मैंने माँ को मेरी मन की बात बताई।

[मैं:] माँ, तुझे नहीं लगता कि तेरी चुदाई किसी मर्द से होनी चाहिए? अब और कितने दिन तू मेरी उँगली से अपनी चूत की आग को काबू में रखेगी।

[माँ:] फिर से वही बात। मैंने तुझे समझाया था न की अगर मैं किसी मर्द को ढूँढ भी लेती हूँ, तो वह कुत्ता पहले मेरी चूत को सूँघेगा, फिर कुछ दिन बाद तेरी चूत। हम दोनों को उसके लौड़े पर नचाएगा और एक दिन हमारे पैसे लेकर भाग जाएगा। फिर बैठेंगे हम कोठे पर।

[मैं:] ठीक है माँ। जवान मर्द नहीं तो कम से कम किसी जवान लौड़े को तो पकड़ ही सकती है न तू।

[माँ:] जवान लौड़ा तो जवान मर्द के पास ही होगा न? तू साफ़-साफ़ बता कि तू मुझसे क्या करवाना चाहती है।

[मैं:] तू हमारे मुहल्ले के रवजी काका को पटा ले।

[माँ:] रवजी काका? उनका लौड़ा इस उम्र में खड़ा भी होता होगा क्या? तू मज़ाक मत कर।

[मैं:] अरे माँ काका की उम्र अभी कुछ ५५-साल के आसपास होगी, लेकिन उसकी हवस अभी भी किसी ३०-साल के मर्द जितनी है।

[माँ:] तुझे कैसे पता यह बात? उसकी तो कोई बीवी भी नहीं है। अब तक तो उसका लौड़ा ठंडा पड़ गया होगा।

मैंने माँ को फिर रवजी काका के बारे में सब कुछ बता दिया जो मैंने बाज़ार में दूसरी औरतों को बात करते सुना था।

बात दरअसल यह थी कि रवजी काका में ५५-साल की उम्र में भी घोड़े जैसी ताकत थी। एक औरत बता रही थी की रवजी काका को उसके पति ने २-३ रंडियों की एक साथ चुदाई करते देखा था।

दूसरी औरत ने भी कहा कि रवजी काका ने उसकी सास को जवानी में कई बार चोदा था। बाकी औरतें भी अपने किस्से सुनाने लगी। मुझे तब यह विचार आया था कि मेरी माँ को रवजी काका से चुदवाकर उनकी हवस मिटाऊँगी।

[माँ:] तेरी बात सुनकर तो मुझे भी मन हो रहा है। लेकिन मैं रवजी काका को पटाऊ कैसे?

[मैं:] अरे माँ तू उसकी चिंता मत कर। तू बस रवजी काका को अपनी जवानी के जलवे दिखा फिर देख काका कैसे तुझपर टूट पड़ता है।

अगले दिन मैं रवजी काका को अपने घर लेकर आई थी। रवजी काका छोटी मोटी बीमारियों का देसी उपचार किया करते थे। मैंने उनसे कहा कि माँ को पेट में बहुत दर्द हो रहा है। माँ बेडरूम में बिस्तर पर लेटी थी। मैंने उसे सिर्फ़ मैक्सी पहनने को कहा था।

रवजी काका को मैं कमरे में लेकर आई और माँ की हालत के बारे में बताया। माँ को मैंने आँख मारकर इशारा कर दिया कि वह अपना खेल शुरु कर दे। मैं अपनी सहेली के घर जा रही हूँ ऐसा बोलकर कमरे से बाहर निकल गई।

माँ ने मुझे बाहर का दरवाज़ा बंद करके जाने को कहा। मैं दरवाज़ा बंद करके दबे पाँव कमरे के पास आकर खड़ी हो गई। काका ने माँ की पेट पर हाथ रखकर उसे अपनी उँगलियों से दबाया।

माँ की पतली मैक्सी में उसके सुडौल शरीर को देखकर ही काका मूड में आ गए थे। माँ ने काका के अरमानों को उकसाने के लिए उनके हाथ पकड़कर अपनी जाघों पर रख दिया। उन्हें अंदर हाथ डालकर पेट को दबाने के लिए कहा।

काका ऐसा मौका भला कैसे छोड़ सकते थे। उन्होंने ठीक वैसा ही किया। अपने हाथों को माँ की मैक्सी के अंदर घुसाकर जांघों पर से सरकाते हुए पेट पर रख दिया। माँ की सिसकियों की आवाज़ सुनकर काका पेट के साथ कमर को भी सहलाने लगे।

काका अपने आप को रोक नहीं सके इसलिए उन्होंने माँ की मैक्सी को ऊपर उठा दिया और उसके ऊपर चढ़ गए। माँ की मोटी चूचियों को दबोचकर उन्हें दबाने लगे।

उनके निप्पल को चूसने की आवाज़ से ही पता चल रहा था कि उन्हें माँ का बदन कितना रसीला लगा। माँ भी उत्तेजित होकर काका की धोती को खोलने लगी।

काका ने माँ की मैक्सी को उतारकर फेक दिया और उसे घुमाकर अपने ऊपर चढ़ा लिया। माँ काका के मोटे और काले लौड़े को जोर से हिलाने लगी। काका ने माँ की गांड दबोचकर उसके चूतडों को दबाया और गांड की छेद में अपनी उँगली घुसाने लगे।

काका ने अपना लौड़ा माँ की चूत में घुसा दिया और उसकी गांड को पकड़कर अपने लौड़े पर उछालने लगे। उन्होंने माँ को ज़ोर-ज़ोर से अपने लौड़े पर पटकना शुरू किया। माँ के होठों को उन्होंने अपनी मुँह के अंदर भरकर उसे चूसना शुरू किया।

माँ की चीखों की आवाज़ काका के मुँह के अंदर ही दब गई थी। काका ने माँ की गांड की छेद में से अपनी उँगली निकाली और उसे माँ के मुँह में डाल दिया। माँ की थूक को उसके मुँह से चाटकर काका पी गए।

थोड़ी देर बाद काका ने माँ को घोड़ी बनाकर बिस्तर पर बिठाया। उसकी गांड की छेद को अपनी दो उँगलियों से खींचते वक़्त माँ चिल्लाने लगी। काका ने अपनी उँगलियों को माँ की गांड से निकालकर अपने मुँह में डाल दिया।

फिर माँ की गांड पर थप्पड़ मारकर अपने लौड़े को माँ की चूत में घुसा दी। ज़ोर-ज़ोर से अपने लौड़े को माँ की चूत में ठोंकते हुए काका एकदम पागल हो गए। काका ने आगे झुककर माँ की चूचियों को दबोचा और चोदने की रफ़्तार को धीमा कर दिया।

काका ने जब अपना लौड़ा माँ की चूत से निकालकर उसकी गांड में घुसाने की कोशिश की तब माँ ने उन्हें रोक दिया। काका ने माँ को बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी टांगों को अपने दोनों कंधे पर रखकर दुबारा चूत की ठुकाई करने लगे।

ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए काका ने माँ की चीखें निकाल दी। कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद काका ने माँ के मुँह पर अपना लौड़े का माल छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद काका हमारे घर से चले गए।

मैं उनके जाने तक रसोई-घर में छिपकर बैठी थी। जब मैं अंदर कमरे में गई तब मैंने देखा कि माँ बिस्तर पर नंगी ही लेटी थी। आवाज़ लगाने पर भी माँ नहीं उठी।

मैंने उसके गाल पर हल्का-सा थप्पड़ मारकर उसे जगाने की कोशिश की फिर भी वह नहीं उठी। डर के मारे मैंने एम्बुलेंस बुलाई और माँ को अस्पताल ले गई। डॉक्टर ने माँ की जांच की और कहा कि उसे दिल का दौरा पड़ने के कारण उसकी मौत हो गई।

डॉक्टर ने मुझे यह भी बताया की उसे दिल का दौरा चुदाई करते समय आया था। इसका मतलब था कि चुदाई के वक़्त आखिर में जब माँ की आवाज़ आनी बंद हो गई थी तब ही उसे दिल का दौरा पड़ा था।

याने कि काका ने माँ की चुदाई उसे दिल का दौरा पड़ने पर भी जारी रखी थी। इस बात को बीते कुछ महीने हो गए। मैं अब घर में अकेली ही रहती हूँ। काका उस दिन के बाद मुझे मिलने नहीं आए।

पता नहीं क्यों मुझे अपनी माँ को किसी से चुदवाने की सूजी। अच्छी भली हमारी ज़िन्दगी चल रही थी। मैंने ही अपनी गांड मार दी।
 
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